पंजाब के बठिंडा जिले के एक गांव की पंचायत ने भोग समारोहों के दौरान जलेबी और पकौड़े परोसने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम फिजूलखर्ची को रोकने और शोक रस्मों में सादगी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। रामपुरा फूल के अंतर्गत आते ढिक्ख गांव पंचायत के आदेश के अनुसार, इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर 21,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यह आदेश ढिक्ख गांव पंचायत द्वारा कई बैठकों और स्थानीय निवासियों के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया गया। पंचायत ने इस बात पर जोर दिया कि शोक रस्मों में दिखावे और फिजूलखर्ची से परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। महंगे पकवान परोसने मूल सिद्धांतों के खिलाफ
गांव के सरपंच गुरदीप सिंह ने बताया कि मृत्यु भोग पवित्र होते हैं और इन्हें प्रार्थना और सादगी के साथ दिवंगत आत्मा को सम्मान देने के लिए आयोजित किया जाता है। जलेबी और पकौड़े जैसी महंगी चीजें परोसना इन रस्मों के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और परिवारों पर अनावश्यक दबाव डालता है। पंचायत ने सिख परंपराओं के अनुरूप लोगों से दाल-रोटी या लंगर-शैली के भोजन परोसने की अपील की है। जुर्माने का उपयोग सामुदायिक विकास के लिए आदेश के तहत वसूले गए जुर्माने की राशि का उपयोग सामुदायिक कल्याण परियोजनाओं जैसे कि गांव के बुनियादी ढांचे की मरम्मत और जरूरतमंद परिवारों की सहायता में किया जाएगा। कई ग्रामीणों ने पंचायत के इस फैसले की सराहना की। स्थानीय निवासी बलदेव सिंह ने कहा कि जो परिवार अपने सदस्य की मृत्यु से पहले ही सदमे में होते हैं, उन्हें अब सामाजिक उम्मीदों को पूरा करने के लिए महंगे इंतजाम करने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। छात्रों के लिए मदद और इनाम की घोषणा
इसके अलावा, पंचायत ने जरूरतमंद छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किताबें और आर्थिक सहायता प्रदान करने का फैसला किया है। साथ ही, मेरिट सूची में स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को ₹21,000 का इनाम देने की घोषणा की गई है। पंजाब के बठिंडा जिले के एक गांव की पंचायत ने भोग समारोहों के दौरान जलेबी और पकौड़े परोसने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम फिजूलखर्ची को रोकने और शोक रस्मों में सादगी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। रामपुरा फूल के अंतर्गत आते ढिक्ख गांव पंचायत के आदेश के अनुसार, इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर 21,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यह आदेश ढिक्ख गांव पंचायत द्वारा कई बैठकों और स्थानीय निवासियों के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया गया। पंचायत ने इस बात पर जोर दिया कि शोक रस्मों में दिखावे और फिजूलखर्ची से परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। महंगे पकवान परोसने मूल सिद्धांतों के खिलाफ
गांव के सरपंच गुरदीप सिंह ने बताया कि मृत्यु भोग पवित्र होते हैं और इन्हें प्रार्थना और सादगी के साथ दिवंगत आत्मा को सम्मान देने के लिए आयोजित किया जाता है। जलेबी और पकौड़े जैसी महंगी चीजें परोसना इन रस्मों के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और परिवारों पर अनावश्यक दबाव डालता है। पंचायत ने सिख परंपराओं के अनुरूप लोगों से दाल-रोटी या लंगर-शैली के भोजन परोसने की अपील की है। जुर्माने का उपयोग सामुदायिक विकास के लिए आदेश के तहत वसूले गए जुर्माने की राशि का उपयोग सामुदायिक कल्याण परियोजनाओं जैसे कि गांव के बुनियादी ढांचे की मरम्मत और जरूरतमंद परिवारों की सहायता में किया जाएगा। कई ग्रामीणों ने पंचायत के इस फैसले की सराहना की। स्थानीय निवासी बलदेव सिंह ने कहा कि जो परिवार अपने सदस्य की मृत्यु से पहले ही सदमे में होते हैं, उन्हें अब सामाजिक उम्मीदों को पूरा करने के लिए महंगे इंतजाम करने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। छात्रों के लिए मदद और इनाम की घोषणा
इसके अलावा, पंचायत ने जरूरतमंद छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किताबें और आर्थिक सहायता प्रदान करने का फैसला किया है। साथ ही, मेरिट सूची में स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को ₹21,000 का इनाम देने की घोषणा की गई है। पंजाब | दैनिक भास्कर