मकर संक्रांति का त्योहार आज हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। सभी की छत पर युवा पतंगबाजी का आनंद ले रहे हैं। काशी के आसमान से गोरखपुर तक हवा में पतंग और जमीन पर पतंगबाजी का शोर है। युवा पतंगबाजी के शोर में डूबे हुए हैं। वाराणसी में मकर संक्रांति की तैयारी अगस्त महीने से शुरू होती है। जब कारखानों में पतंग बनना शुरू हो जाती हैं। वहीं यहाँ मुरादाबाद की पतंगों को भी पसंद किया जाता है। काशी में कई इलाकों में पतंग बनाई जाती है। और कई इलाकों में पतंग के बाजार हैं। पतंग अभी बन रही है और बाजारों तक जा रही है। वहीं पतंग की दुकानों पर भीड़ लगी हुई है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का क्या है खुमार और कैसे बनकर आसमान में उड़ती है पतंग। काशी के पतंग बाजार औरंगाबाद और जहां पतंग बनती है वहां पहुंचकर दुकानदार, कारीगर और युवाओं से बात की, पेश है खास रिपोर्ट…. सबसे पहले काशी में पतंग की खरीदारी और युवाओं की पतंगबाजी… औरंगाबाद में सबसे ज्यादा बिकती हैं पतंगें वाराणसी में कई स्थानों पर पतंग का बाजार सजता है। चौक से दालमंडी में घुसते ही बड़ा पतंग बाजार है। इसके अलावा औरंगाबाद में पतंग खरीदने वालों की भीड़ लगी हुई है। चाइनीज मांझा के खतरनाक रूप को देखने के बाद युवा अब बरेली के मांझे को खरीद रहे हैं। यहां वाराणसी शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों से भी युवा पतंग लेने के लिए आये हुए हैं। मुरादाबाद की स्पेशल पतंग की डिमांड ज्यादा औरंगाबाद के दुकानदार रामशंकर गुप्ता ने बताया – सब कागज की पतंग है। जो बरेली, मुरादाबाद और प्रयागराज से आती है। वाराणसी की पतंग भी डिमांड में है। इस बार युवा चाइनीज मांझा नहीं मांग रहे और हम बेच भी नहीं रहे हैं। 24 साल पुरानी हमारी दुकान है। इस बार एक बार फिर बरेली का मांझा लौट आया है।अचानक से हमें माल मांगना पड़ा। जिससे हमें बरेली का मांझा महंगा मिला है। वहीं उन्होंने बताया मुरादाबाद की स्पेशल पतंगों की डिमांड ज्यादा है। युवाओं में मीडियम पतंग का क्रेज आयुष विश्वकर्मा करौंदी के रहने वाले हैं। उन्होंने औरंगाबाद से 60 पतंग भी खरीदा उन्होंने कहा इस बार पतंग उड़ाने के लिए बरेली का मांझा इस्तेमाल करूंगा। ऐसे ही आयुष की तरह युवा पतंग बाजार में पतंग खरीदते नजर आये। इनमे से ज्यादातर ने पतंग के लिए बरेली मांझे को चुना और चाइनीज मांझे की डिमांड नहीं की। वहीं आज सुबह से ही घरों की छतों पर म्यूजिक सिस्टम लगाकर युवा पतंगबाजी करते दिखाई दिए। युवाओं में इस बार मीडियम साइज पतंग का क्रेज है। शहर में हर इलाके में गूंज रहा है वो काटा… शहर के हर इलाके में आज पतंगबाजी की धूम है। वहीं एक दिन पहले से ही छतों पर म्यूजिक सिस्टम के साथ युवा पतंगबाजी करते नजर आये। पतंग को खींचने की कला देखकर लोग एक दूसरे की पतंगबाजी का अंदाजा लगा रहे थे। पतंग उड़ा रहे गोलू ने बताया। पिछले दस सालों से पतंग उड़ा रहा हूं। बीच में चाइनीज मांझे की तरफ सभी लोग भाग गए थे पर इसबार फिर से हम लोग धागे वाला मांझा लेकर आये हैं। उसी से पतंग उड़ा रहे हैं। अब जानिए कब से काशी में बनना शुरू हो जाती हैं पतंगे और कौन-कौन सी पतंग बनाई जाती है इसपर पतंग के कारोबारियों से बातचीत… वाराणसी के कोतवाली थानाक्षेत्र के अम्बियामंडी इलाके में पतंग बनाने के दर्जन भर से अधिक कारखाने हैं। यहां हर किस्म की बनारसी पतंग बनाई जाती है। जिसे कोलकाता के कारीगर अगस्त से आकर बनाएं शुरू कर देते हैं। यहां हर कारोबारी हर सीजन में 40 से 50 हजार पतंग बेचता है। जिसमें सबसे महंगी पतंग 10 रुपए की होती है। जिसे मर्कटे में 15 से 20 रुपए तक की बेची जाती है। मझोली पतंग की डिमांड सबसे ज्यादा पतंग कारोबारी मोहम्मद अकबर का अम्बियामंडी पुलिस चौकी के पास पतंग का कारखाना है। मोहम्मद अकबर ने बताया सबसे ज्यादा मंझोली पतंग की डिमांड होती है। इसकी एक पीस हमारे यहां 4 रुपए है। जो मार्किट में जाकर 8 रुपए की बिकती है। अकबर ने बताया- हम बनाकर व्यापारियों को सप्लाई करते हैं। व्यापारी चौक और औरंगाबाद ले जाते हैं। जहां से पूरे पूर्वांचल में इसकी सप्लाई की जाती है। अगस्त से शुरू हो जाता है काम एक अन्य कारोबारी मोहम्मद मुस्तफा ने बताया- पतंग का कारोबार इस बार अच्छा नहीं हुआ क्योंकि ठंड और कोहरे की वजह से महिलाओं ने इसका काम करने से मना कर दिया। जिस वजह से प्रोडक्शन में कमी आ गई। मुस्तफा ने बताया- हर साल अगस्त से हम लोग पतंग बनाने का काम शुरू कर देते हैं। एक कारीगर एक दिन में 500 पतंग तैयार कर लेता है अगर वह 12 घंटा काम करे तो। अद्धा की ज्यादा होती है डिमांड मुस्तफा ने बताया कि- मझोली यानी अद्धा की ज्यादा डिमांड होती है। इस डिमांड की वजह से इन्हे ज्यादा बनाया जाता है। जिसे कोलकाता से आए कारीगर बनाते हैं। इसमें बहुत मेहनत लगती है। मकर संक्रांति का त्योहार आज हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। सभी की छत पर युवा पतंगबाजी का आनंद ले रहे हैं। काशी के आसमान से गोरखपुर तक हवा में पतंग और जमीन पर पतंगबाजी का शोर है। युवा पतंगबाजी के शोर में डूबे हुए हैं। वाराणसी में मकर संक्रांति की तैयारी अगस्त महीने से शुरू होती है। जब कारखानों में पतंग बनना शुरू हो जाती हैं। वहीं यहाँ मुरादाबाद की पतंगों को भी पसंद किया जाता है। काशी में कई इलाकों में पतंग बनाई जाती है। और कई इलाकों में पतंग के बाजार हैं। पतंग अभी बन रही है और बाजारों तक जा रही है। वहीं पतंग की दुकानों पर भीड़ लगी हुई है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का क्या है खुमार और कैसे बनकर आसमान में उड़ती है पतंग। काशी के पतंग बाजार औरंगाबाद और जहां पतंग बनती है वहां पहुंचकर दुकानदार, कारीगर और युवाओं से बात की, पेश है खास रिपोर्ट…. सबसे पहले काशी में पतंग की खरीदारी और युवाओं की पतंगबाजी… औरंगाबाद में सबसे ज्यादा बिकती हैं पतंगें वाराणसी में कई स्थानों पर पतंग का बाजार सजता है। चौक से दालमंडी में घुसते ही बड़ा पतंग बाजार है। इसके अलावा औरंगाबाद में पतंग खरीदने वालों की भीड़ लगी हुई है। चाइनीज मांझा के खतरनाक रूप को देखने के बाद युवा अब बरेली के मांझे को खरीद रहे हैं। यहां वाराणसी शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों से भी युवा पतंग लेने के लिए आये हुए हैं। मुरादाबाद की स्पेशल पतंग की डिमांड ज्यादा औरंगाबाद के दुकानदार रामशंकर गुप्ता ने बताया – सब कागज की पतंग है। जो बरेली, मुरादाबाद और प्रयागराज से आती है। वाराणसी की पतंग भी डिमांड में है। इस बार युवा चाइनीज मांझा नहीं मांग रहे और हम बेच भी नहीं रहे हैं। 24 साल पुरानी हमारी दुकान है। इस बार एक बार फिर बरेली का मांझा लौट आया है।अचानक से हमें माल मांगना पड़ा। जिससे हमें बरेली का मांझा महंगा मिला है। वहीं उन्होंने बताया मुरादाबाद की स्पेशल पतंगों की डिमांड ज्यादा है। युवाओं में मीडियम पतंग का क्रेज आयुष विश्वकर्मा करौंदी के रहने वाले हैं। उन्होंने औरंगाबाद से 60 पतंग भी खरीदा उन्होंने कहा इस बार पतंग उड़ाने के लिए बरेली का मांझा इस्तेमाल करूंगा। ऐसे ही आयुष की तरह युवा पतंग बाजार में पतंग खरीदते नजर आये। इनमे से ज्यादातर ने पतंग के लिए बरेली मांझे को चुना और चाइनीज मांझे की डिमांड नहीं की। वहीं आज सुबह से ही घरों की छतों पर म्यूजिक सिस्टम लगाकर युवा पतंगबाजी करते दिखाई दिए। युवाओं में इस बार मीडियम साइज पतंग का क्रेज है। शहर में हर इलाके में गूंज रहा है वो काटा… शहर के हर इलाके में आज पतंगबाजी की धूम है। वहीं एक दिन पहले से ही छतों पर म्यूजिक सिस्टम के साथ युवा पतंगबाजी करते नजर आये। पतंग को खींचने की कला देखकर लोग एक दूसरे की पतंगबाजी का अंदाजा लगा रहे थे। पतंग उड़ा रहे गोलू ने बताया। पिछले दस सालों से पतंग उड़ा रहा हूं। बीच में चाइनीज मांझे की तरफ सभी लोग भाग गए थे पर इसबार फिर से हम लोग धागे वाला मांझा लेकर आये हैं। उसी से पतंग उड़ा रहे हैं। अब जानिए कब से काशी में बनना शुरू हो जाती हैं पतंगे और कौन-कौन सी पतंग बनाई जाती है इसपर पतंग के कारोबारियों से बातचीत… वाराणसी के कोतवाली थानाक्षेत्र के अम्बियामंडी इलाके में पतंग बनाने के दर्जन भर से अधिक कारखाने हैं। यहां हर किस्म की बनारसी पतंग बनाई जाती है। जिसे कोलकाता के कारीगर अगस्त से आकर बनाएं शुरू कर देते हैं। यहां हर कारोबारी हर सीजन में 40 से 50 हजार पतंग बेचता है। जिसमें सबसे महंगी पतंग 10 रुपए की होती है। जिसे मर्कटे में 15 से 20 रुपए तक की बेची जाती है। मझोली पतंग की डिमांड सबसे ज्यादा पतंग कारोबारी मोहम्मद अकबर का अम्बियामंडी पुलिस चौकी के पास पतंग का कारखाना है। मोहम्मद अकबर ने बताया सबसे ज्यादा मंझोली पतंग की डिमांड होती है। इसकी एक पीस हमारे यहां 4 रुपए है। जो मार्किट में जाकर 8 रुपए की बिकती है। अकबर ने बताया- हम बनाकर व्यापारियों को सप्लाई करते हैं। व्यापारी चौक और औरंगाबाद ले जाते हैं। जहां से पूरे पूर्वांचल में इसकी सप्लाई की जाती है। अगस्त से शुरू हो जाता है काम एक अन्य कारोबारी मोहम्मद मुस्तफा ने बताया- पतंग का कारोबार इस बार अच्छा नहीं हुआ क्योंकि ठंड और कोहरे की वजह से महिलाओं ने इसका काम करने से मना कर दिया। जिस वजह से प्रोडक्शन में कमी आ गई। मुस्तफा ने बताया- हर साल अगस्त से हम लोग पतंग बनाने का काम शुरू कर देते हैं। एक कारीगर एक दिन में 500 पतंग तैयार कर लेता है अगर वह 12 घंटा काम करे तो। अद्धा की ज्यादा होती है डिमांड मुस्तफा ने बताया कि- मझोली यानी अद्धा की ज्यादा डिमांड होती है। इस डिमांड की वजह से इन्हे ज्यादा बनाया जाता है। जिसे कोलकाता से आए कारीगर बनाते हैं। इसमें बहुत मेहनत लगती है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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