आशा वर्कर्स यूनियन द्वारा आज बरनाला में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। आम आदमी पार्टी सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के आवास के सामने लगाई गई बैरिकेडिंग पर आशा कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प भी हुई। पुलिस और आशा कार्यकर्ताओं के बीच धुक्का-मुक्की भी हुई। सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। आशा वर्करों ने मांगें पूरी होने तक संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है। सांसद के घर के सामने दिया धरना प्रदर्शनकारी आशा वर्करों किरनदीप कौर और भवनपऱीत कौर ने कहा कि आज उनकी आशा वर्कर एवं फैसिलिटेटर यूनियन अपनी मांगों को लेकर सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के घर के सामने धरना दिया। इसी बीच पुलिस-प्रशासन की ओर से उनसे धक्का मुक्की की गई। वे अपनी मांगों को लेकर सरकार के प्रतिनिधियों से मिलने आये थे, ताकि उन्हें बैठक के लिए समय दिया जा सके, लेकिन सरकार के किसी प्रतिनिधि ने उनसे मुलाकात नहीं की। जिसके कारण वे आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जारी रहेगा संघर्ष उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने सत्ता में आने से पहले उनसे कई वादे किए थे, जो ढाई साल बीत जाने के बाद भी पूरे नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि पंजाबभर में आशा वर्करों को मात्र 2500 रुपए प्रति माह मानदेय दिया जा रहा है, जबकि काम कई गुना लिया जा रहा है। इसलिए उनकी मांग है कि मानदेय दोगुना किया जाए। इसके अलावा सरकार ने आशा कर्मियों की आयु सीमा 58 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष करने, सेवानिवृत्त कर्मियों को बहाल करने, आशा फैसिलिटेटर का वेतन एक हजार रुपये बढ़ाने, कर्मियों को स्वास्थ्य बीमा देने समेत कई मांगें मान ली हैं, सरकार द्वारा इन मांगों पर अमल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में संघर्ष और तेज किया जाएगा। आशा वर्कर्स यूनियन द्वारा आज बरनाला में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। आम आदमी पार्टी सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के आवास के सामने लगाई गई बैरिकेडिंग पर आशा कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प भी हुई। पुलिस और आशा कार्यकर्ताओं के बीच धुक्का-मुक्की भी हुई। सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। आशा वर्करों ने मांगें पूरी होने तक संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है। सांसद के घर के सामने दिया धरना प्रदर्शनकारी आशा वर्करों किरनदीप कौर और भवनपऱीत कौर ने कहा कि आज उनकी आशा वर्कर एवं फैसिलिटेटर यूनियन अपनी मांगों को लेकर सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के घर के सामने धरना दिया। इसी बीच पुलिस-प्रशासन की ओर से उनसे धक्का मुक्की की गई। वे अपनी मांगों को लेकर सरकार के प्रतिनिधियों से मिलने आये थे, ताकि उन्हें बैठक के लिए समय दिया जा सके, लेकिन सरकार के किसी प्रतिनिधि ने उनसे मुलाकात नहीं की। जिसके कारण वे आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जारी रहेगा संघर्ष उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने सत्ता में आने से पहले उनसे कई वादे किए थे, जो ढाई साल बीत जाने के बाद भी पूरे नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि पंजाबभर में आशा वर्करों को मात्र 2500 रुपए प्रति माह मानदेय दिया जा रहा है, जबकि काम कई गुना लिया जा रहा है। इसलिए उनकी मांग है कि मानदेय दोगुना किया जाए। इसके अलावा सरकार ने आशा कर्मियों की आयु सीमा 58 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष करने, सेवानिवृत्त कर्मियों को बहाल करने, आशा फैसिलिटेटर का वेतन एक हजार रुपये बढ़ाने, कर्मियों को स्वास्थ्य बीमा देने समेत कई मांगें मान ली हैं, सरकार द्वारा इन मांगों पर अमल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में संघर्ष और तेज किया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब के सांसद हरभजन सिंह केंद्रीय मंत्री से मिले:BBMB अस्पताल को एम्स या पीजीआई का केंद्र बनाने की मांग, संसद में उठा चुके मुद्दा पंजाब के तलवाड़ा स्थित खस्ताहाल चल रहे BBMB अस्पताल के मामले में आम आदमी पार्टी के सांसद और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की। इस मौके उन्होंने केंद्र से मांग रखी कि अस्पताल को एम्स या पीजीआई के सेटेलाइट केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। ताकि इसका लाभ पंजाब ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य हिमाचल व जम्मू कश्मीर के लोगों को मिल पाए। मुलाकात की जानकारी खुद हरभजन सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट डालकर दी है। कभी देता जिदंगी, अब रेफरेल अस्पताल हरभजन सिंह की तरफ से पत्र में बताया गया है BBMB अस्पताल तलवाड़ा केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन आता है। पोंग बांध के निर्माण के समय बनाया गया था। उस समय इस अस्पताल में कई सौ किलोमीटर दूर से मरीज इलाज के लिए आते थे। इस अस्पताल ने कई लोगों को मौत के मुंह से बचाकर नई जिंदगी दी है। लेकिन, इस समय लापरवाही के कारण अस्पताल खस्ताहाल में पहुंच गया है। डॉक्टरों, कर्मचारियों और स्वास्थ्य उपकरणों की कमी के कारण इस अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले 90-95 प्रतिशत मरीजों को 250 से 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया जाता है। इनमें से कुछ मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं, जो मरीज पीजीआई चंडीगढ़ पहुंचते भी हैं तो वहां भीड़ अधिक होने के कारण उन्हें वहां से वापस भेज दिया जाता है या फिर उन्हें इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर पर लेटकर इलाज कराना पड़ता है। अपग्रेड करना इन कारणों से बताया आसान हरभजन सिंह का कहना है कि इस अस्पताल को अपग्रेड करने में दिक्कत नहीं आएगी। क्योंकि 100 बिस्तरों वाला BBMB अस्पताल तलवाड़ा में बना है। इस अस्पताल के पास केंद्र सरकार की कई सौ एकड़ जमीन खाली पड़ी है। अस्पताल कर्मचारियों के लिए करीब 2500 सरकारी आवास खाली पड़े हैं। अस्पताल को चलाने के लिए 24 घंटे बिजली, पानी और सीवरेज की व्यवस्था है। इन सबके चलते एम्स या पीजीआई बनाने की लागत बहुत कम होगी। ऐसे में इस दिशा में काम किया जाए। इससे पहले उन्होंने यह मामला संसद में प्रश्नकाल के दौरान प्रमुखता से उठाया था।
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पराली जलाने को लेकर SC में आज सुनवाई:पंजाब-हरियाणा को सौंपने हैं 10 दिनों के आंकड़े; 7 हजार के पार पहुंचे मामले दिल्ली में प्रदूषण और पराली जलाने के मामले में आज (गुरुवार) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है। जिसमें पंजाब और हरियाणा सरकार को 10 दिनों का आंकड़ा शपथ पत्र के साथ देना है। बीती सुनवाई के बाद पंजाब सरकार के साथ-साथ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (CAQM) भी एक्टिव हो चुका है। CAQM ने पंजाब के दो सीनियर अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। बीती सनुवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ओका ने भारत सरकार से पंजाब की तरफ से मांगे गए फंड पर निर्णय लेने की बात कही थी। जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों राज्यों को आदेश दिया था कि 10 दिनों के दौरान पराली जलाने की घटनाओं का विवरण शपथ पत्र के साथ दाखिल करना होगा। इसके साथ ही आज दिवाली 2024 में बढ़े प्रदूषण पर भी सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी कर सकती है। 4 नवंबर को हुई सुनवाई के बाद पंजाब में CAQM भी एक्टिव हुआ है। 13 नवंबर से CAQM की टीम पंजाब में है। बीते दिन ही CAQM ने खेतों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि पर मंगलवार को संगरूर और फिरोजपुर जिलों के डीसी और एसएसपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। CAQM उन कारणों को जानने की कोशिश कर रहा है, जिनसे पंजाब में प्रयासों के बाद भी पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हो रहीं। 7 हजार के पार हुए पराली जलाने के मामले पंजाब में पराली जलाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बुधवार पंजाब में 509 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए। जिनमें सबसे अधिक मामले फरीदकोट व फिरोजपुर में रहे, जो 91-91 थे। सइके अलावा मोगा में 88, मुक्तसर में 79 और बठिंडा में 50 मामले सामने आए हैं। संगरूर में सख्ती के बाद पराली जलाने के मामलों में कमी देखने को मिली। यहां मात्र 7 मामले पराली जलाने के रिपोर्ट हुए। इन घटनों के बाद पंजाब में पराली जलाने के मामले 7621 हो गए हैं। जिनमें सबसे अधिक संगरूर में हैं। यहां 1388 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इसके अलावा फिरोजपुर में 954, तरनतारन में 700, अमृतसर में 651 और मानसा में 486 मामले रिपोर्ट हुए। प्रदूषण पर सीएम मान का पाकिस्तान सीएम को तंज पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को पंजाब यूनिवर्सिटी में ‘पंजाब विजन 2047’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदूषण के मुद्दे पर राज्यों के बीच दोषारोपण नहीं होना चाहिए, बल्कि इसका समाधान आपसी सहयोग से खोजना चाहिए। पाकिस्तानी पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि मरियम का दावा है कि पंजाब से प्रदूषित धुआं लाहौर पहुंच रहा है। मान ने मजाक में कहा कि पहले एक पाकिस्तानी महिला (संकेत में) उन्हें परेशान कर चुकी हैं, और अब मरियम भी यही कोशिश कर रही हैं। डबल हो चुका पराली जलाने पर जुर्माना सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना हो चुका है। पर्यावरण मंत्रालय ने गुरुवार को एक नोटिफिकेशन जारी करके इसकी जानकारी दी थी। अब 2 एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपए का जुर्माना लग रहा है। दो से पांच एकड़ तक 10,000 रुपए और पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वालों से 30,000 रुपए जुर्माना वसूला जा रहा है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकार इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगे। जाने क्या हुआ था पिछली सुनवाइयों में बीती सुनवाइयों में पंजाब और हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी भी कोर्ट में पेश हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने गलत जानकारी देने पर पंजाब सरकार को फटकार लग चुकी है। जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस ए अमानुल्लाह और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने पंजाब और हरियाणा सरकार की खेतों में पराली जलाने से रोकने की कोशिशों को महज दिखावा बताया था। कोर्ट ने कहा कि अगर ये सरकारें वास्तव में कानून लागू करने में रुचि रखती हैं तो कम से कम एक मुकदमा तो चलना ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को याद दिलाया जाए कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। प्रदूषण में रहना अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
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