बरनाला विधानसभा उपचुनाव में चंद घंटे बचे हैं। आम चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा। पिछले कुछ दिनों में सभी राजनीतिक पार्टियों ने जोर-शोर से प्रचार किया। जिसके चलते बरनाला सीट पर मुकाबला बहुकोणीय हो गया है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला होने की उम्मीद है। लेकिन आम आदमी पार्टी के बागी गुरदीप सिंह बाठ के निर्दलीय चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। बरनाला विधानसभा क्षेत्र के सभी बूथों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है। प्रमुख उम्मीदवारों की बात करें तो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरिंदर सिंह धालीवाल अपने लिए वोट नहीं कर पाएंगे। हरिंदर सिंह धालीवाल पूरे चुनाव प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से आम आदमी पार्टी को वोट देने का आग्रह करते रहे हैं। लेकिन उनका अपना वोट क्षेत्र में नहीं है। वह पड़ोसी हलके महल कलां के गांव छीनीवाल के रहने वाले हैं। जबकि हरिंदर धालीवाल के लिए कंपेन करने वाले आप सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर अपने परिवार के साथ एसडी कॉलेज में बने पोलिंग बूथ पर वोट डालेंगे। शिअद उम्मीदवार ने बनवाई वोट बाकी प्रत्याशी अपने मत का प्रयोग जरूर करेंगे। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार केवल सिंह ढिल्लों और उनके परिवार का वोट गोबिंद कॉलोनी में है, और वे भी एसडी कॉलेज के पोलिंग बूथ पर वोट डालेंगे। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप सिंह काला ढिल्लों शहर के हंडियाया रोड पर गुरु तेग बहादुर नगर के निवासी हैं। वे शहर के एसडी कॉलेज में अपने मत का प्रयोग करेंगे। जबकि आजाद उम्मीदवार गुरदीप सिंह बाठ शक्ति नगर के रहने वाले हैं, जो एसडी कॉलेज बरनाला के पोलिंग बूथ पर वोट डालेंगे। इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार गोविंद सिंह संधू ने भी शहर के गुरसेवक सिंह नगर में वोट बनवा ली है, जो गुरसेवक नगर के सरकारी स्कूल में मतदान कर सकेंगे। बरनाला विधानसभा उपचुनाव में चंद घंटे बचे हैं। आम चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा। पिछले कुछ दिनों में सभी राजनीतिक पार्टियों ने जोर-शोर से प्रचार किया। जिसके चलते बरनाला सीट पर मुकाबला बहुकोणीय हो गया है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला होने की उम्मीद है। लेकिन आम आदमी पार्टी के बागी गुरदीप सिंह बाठ के निर्दलीय चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। बरनाला विधानसभा क्षेत्र के सभी बूथों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है। प्रमुख उम्मीदवारों की बात करें तो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरिंदर सिंह धालीवाल अपने लिए वोट नहीं कर पाएंगे। हरिंदर सिंह धालीवाल पूरे चुनाव प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से आम आदमी पार्टी को वोट देने का आग्रह करते रहे हैं। लेकिन उनका अपना वोट क्षेत्र में नहीं है। वह पड़ोसी हलके महल कलां के गांव छीनीवाल के रहने वाले हैं। जबकि हरिंदर धालीवाल के लिए कंपेन करने वाले आप सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर अपने परिवार के साथ एसडी कॉलेज में बने पोलिंग बूथ पर वोट डालेंगे। शिअद उम्मीदवार ने बनवाई वोट बाकी प्रत्याशी अपने मत का प्रयोग जरूर करेंगे। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार केवल सिंह ढिल्लों और उनके परिवार का वोट गोबिंद कॉलोनी में है, और वे भी एसडी कॉलेज के पोलिंग बूथ पर वोट डालेंगे। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप सिंह काला ढिल्लों शहर के हंडियाया रोड पर गुरु तेग बहादुर नगर के निवासी हैं। वे शहर के एसडी कॉलेज में अपने मत का प्रयोग करेंगे। जबकि आजाद उम्मीदवार गुरदीप सिंह बाठ शक्ति नगर के रहने वाले हैं, जो एसडी कॉलेज बरनाला के पोलिंग बूथ पर वोट डालेंगे। इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार गोविंद सिंह संधू ने भी शहर के गुरसेवक सिंह नगर में वोट बनवा ली है, जो गुरसेवक नगर के सरकारी स्कूल में मतदान कर सकेंगे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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सूरत सिंह खालसा का निधन:अमेरिका में ली आखरी सास,2015 में की थी भूख हड़ताल,7 साल डीएमसी में रहे दाखिल लुधियाना के नजदीकी गांव हसनपुर के रहने वाले सूरत सिंह खालसा (92) का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया है। सूरत सिंह खालसा ने 2015 में बंदी सिक्खों की रिहाई के लिए अनशन पर रहे थे। वह 7 साल डीएमसीएच अस्पताल में भी दाखिल रहे। 16 जनवरी 2015 को सूरत सिंह खालसा ने भूख हड़ताल शुरू की जो करीब 8 वर्ष चली। उन्होंने सिख बंदी कैदियों की रिहाई की मांग के लिए भोजन और पानी पीने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने अपनी अदालती सजा पूरी कर ली है। जहां वे सिक्ख बंदी कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे थे, वहीं उन्होंने सभी धर्मों के कैदियों की बिना शर्त रिहाई की भी मांग की थी, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है। 11 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री मोदी को लिखा था पत्र 11 फरवरी 2015 को सूरत सिंह खालसा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा जिसमें उन्होंने अपनी भूख हड़ताल का मकसद बताया था। अपने पत्र में सूरत सिंह खालसा ने अपनी मांगों को दो बिंदुओं में बताया। उन्होंने लिखा था कि सभी सिख कैदियों – विचाराधीन और सिख संघर्ष से संबंधित मामलों में सजा पाए लोगों- को राजनीतिक कैदी माना जाए और उन सभी कैदियों को रिहा किया जाए जिन्होंने अपनी पूरी सजा पूरी कर ली है और जिनकी रिहाई वैध है, ठीक उसी तरह जैसे देश के विभिन्न भागों में अन्य कैदियों को रिहा किया जाता है। सूरत सिंह खालसा कौन हैं?
सूरत सिंह खालसा का जन्म 7 मार्च 1933 में हुआ। एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं जिन्हें बापू सूरत सिंह खालसा के नाम से जाना जाता है। वे लुधियाना के हसनपुर गांव से हैं । उनके पांच बेटे और एक बेटी सभी अमेरिकी नागरिक हैं। वे नियमित रूप से उनसे मिलने आते रहते थे। खालसा खुद भी अमेरिकी नागरिक हैं। वे 1988 में अपने बच्चों के पास रहने के लिए अमेरिका गए थे और नियमित रूप से पंजाब आते रहे। वे एक सरकारी शिक्षक थे, लेकिन ऑपरेशन ब्लूस्टार के विरोध में जून 1984 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
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