हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला सीट से BJP ने इस बार रणबीर गंगवा को कैंडिडेट बनाया है। रणबीर गंगवा अभी तक हिसार की ही नलवा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं और बरवाला हलके से यह उनका पहला चुनाव है। बरवाला से उन्हें टिकट देने का स्थानीय भाजपाई विरोध कर चुके हैं और इसे लेकर हरियाणा BJP के अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली को एक लैटर भी लिखा गया था। उधर बरवाला एकदम नया हलका होने और टिकट मिलने के बाद स्थानीय भाजपाइयों की मान-मनौव्वल के लिए बहुत कम समय मिलने के चलते गंगवा प्रचार के लिए अपनी पुरानी टीम के भरोसे हैं। दरअसल रणबीर गंगवा को बाहरी कैंडिडेट बताते हुए बरवाला के स्थानीय भाजपा नेता खुलकर उनके साथ नहीं चल रहे। यहां के पूर्व विधायक वेद नारंग, कैप्टन भूपेंद्र समेत कई पार्टी पदाधिकारी अभी तक गंगवा की कैंपेन से दूरी बनाए हुए हैं। बरवाला के BJP वर्करों का यह भी तर्क है कि यहां कांग्रेस ने भी प्रजापति समाज का कैंडिडेट उतार दिया है जिससे मुकाबला कांटे का बन गया है। गंगवा के खिलाफ लिखा गया बरवाला के भाइपाइयों का पत्र… 40 पदाधिकारी लिख चुके बड़ौली को लेटर भाजपा ने कुलदीप बिश्नोई के करीबी रणधीर पनिहार को नलवा से टिकट दिया है और इसी वजह से वहां से चुनाव लड़ते रहे रणबीर गंगवा को बरवाला शिफ्ट किया गया। इस बदलाव की चर्चा काफी समय से थी लेकिन बरवाला के लोकल भाजपाई इसके पक्ष में नहीं थे। तकरीबन 40 भाजपा वर्करों और पदाधिकारियों ने इसे लेकर 29 अगस्त को हरियाणा BJP अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली को एक पत्र भी लिखा था। इस पत्र में आग्रह किया गया था कि बरवाला की जनभावनाओं के अनुरूप यहां ऐसा कैंडिडेंट उतारा जाए जो स्थानीय हो और जो यहां के मुद्दों की समझ रखता हो। यह लैटर सोशल मीडिया पर खासा वायरल हुआ था। भाजपा के जिला पार्षद दर्शन गिरी उतर चुके सामने बरवाला में भाजपा पर प्रजापति समाज की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए पार्टी के ही जिला पार्षद महंत दर्शन गिरी पहले ही निर्दलीय मैदान में कूद चुके हैं। रणबीर गंगवा का टिकट अनाउंस होते ही दर्शन गिरी ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। वह रणबीर गंगवा के सामने निर्दलीय नामांकन भर चुके हैं। यही नहीं, महंत दर्शन गिरी प्रजापति समाज की उपेक्षा करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी गंगवा पर लगा चुके हैं। इसके लेकर वह बाकायदा पुलिस थाने में शिकायत दे चुके हैं। किसान संगठन 17 सितंबर से करेंगे विरोध बरवाला एरिया किसान आंदोलन का भी गढ़ रहा है। यहां के बाडोपट्टी टोल प्लाजा पर पूरे आंदोलन के दौरान धरना चला। लोकसभा चुनाव के दौरान किसानों ने हिसार सीट से भाजपा उम्मीदवार रणजीत चौटाला का जमकर विरोध किया था। लोकसभा चुनाव में रणबीर गंगवा का उनके पुराने हलके नलवा में भी विरोध हुआ था। तब उनकी गाड़ी के शीशे तक तोड़ दिए गए थे। उस घटना में कई किसानों पर केस भी दर्ज हुआ। अब किसान संगठन बरवाला में भी रणबीर गंगवा के विरोध का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने इसके लिए 17 सितंबर को एक मीटिंग भी बुलाई है। विपक्ष को बैठे-बिठाए मिला मुद्दा भाजपा की आपसी लड़ाई का फायदा बरवाला में विपक्षी दल भी उठा रहे हैं। रणबीर गंगवा को बाहरी बताते हुए विपक्षी कैंडिडेट पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें जितवाने के बाद लोगों को काम करवाने नलवा जाना पड़ेगा। बरवाला से लगते उकलाना हलके में भी जेजेपी से BJP में आए अनूप धानक का खासा विरोध हो रहा है। हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला सीट से BJP ने इस बार रणबीर गंगवा को कैंडिडेट बनाया है। रणबीर गंगवा अभी तक हिसार की ही नलवा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं और बरवाला हलके से यह उनका पहला चुनाव है। बरवाला से उन्हें टिकट देने का स्थानीय भाजपाई विरोध कर चुके हैं और इसे लेकर हरियाणा BJP के अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली को एक लैटर भी लिखा गया था। उधर बरवाला एकदम नया हलका होने और टिकट मिलने के बाद स्थानीय भाजपाइयों की मान-मनौव्वल के लिए बहुत कम समय मिलने के चलते गंगवा प्रचार के लिए अपनी पुरानी टीम के भरोसे हैं। दरअसल रणबीर गंगवा को बाहरी कैंडिडेट बताते हुए बरवाला के स्थानीय भाजपा नेता खुलकर उनके साथ नहीं चल रहे। यहां के पूर्व विधायक वेद नारंग, कैप्टन भूपेंद्र समेत कई पार्टी पदाधिकारी अभी तक गंगवा की कैंपेन से दूरी बनाए हुए हैं। बरवाला के BJP वर्करों का यह भी तर्क है कि यहां कांग्रेस ने भी प्रजापति समाज का कैंडिडेट उतार दिया है जिससे मुकाबला कांटे का बन गया है। गंगवा के खिलाफ लिखा गया बरवाला के भाइपाइयों का पत्र… 40 पदाधिकारी लिख चुके बड़ौली को लेटर भाजपा ने कुलदीप बिश्नोई के करीबी रणधीर पनिहार को नलवा से टिकट दिया है और इसी वजह से वहां से चुनाव लड़ते रहे रणबीर गंगवा को बरवाला शिफ्ट किया गया। इस बदलाव की चर्चा काफी समय से थी लेकिन बरवाला के लोकल भाजपाई इसके पक्ष में नहीं थे। तकरीबन 40 भाजपा वर्करों और पदाधिकारियों ने इसे लेकर 29 अगस्त को हरियाणा BJP अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली को एक पत्र भी लिखा था। इस पत्र में आग्रह किया गया था कि बरवाला की जनभावनाओं के अनुरूप यहां ऐसा कैंडिडेंट उतारा जाए जो स्थानीय हो और जो यहां के मुद्दों की समझ रखता हो। यह लैटर सोशल मीडिया पर खासा वायरल हुआ था। भाजपा के जिला पार्षद दर्शन गिरी उतर चुके सामने बरवाला में भाजपा पर प्रजापति समाज की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए पार्टी के ही जिला पार्षद महंत दर्शन गिरी पहले ही निर्दलीय मैदान में कूद चुके हैं। रणबीर गंगवा का टिकट अनाउंस होते ही दर्शन गिरी ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। वह रणबीर गंगवा के सामने निर्दलीय नामांकन भर चुके हैं। यही नहीं, महंत दर्शन गिरी प्रजापति समाज की उपेक्षा करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी गंगवा पर लगा चुके हैं। इसके लेकर वह बाकायदा पुलिस थाने में शिकायत दे चुके हैं। किसान संगठन 17 सितंबर से करेंगे विरोध बरवाला एरिया किसान आंदोलन का भी गढ़ रहा है। यहां के बाडोपट्टी टोल प्लाजा पर पूरे आंदोलन के दौरान धरना चला। लोकसभा चुनाव के दौरान किसानों ने हिसार सीट से भाजपा उम्मीदवार रणजीत चौटाला का जमकर विरोध किया था। लोकसभा चुनाव में रणबीर गंगवा का उनके पुराने हलके नलवा में भी विरोध हुआ था। तब उनकी गाड़ी के शीशे तक तोड़ दिए गए थे। उस घटना में कई किसानों पर केस भी दर्ज हुआ। अब किसान संगठन बरवाला में भी रणबीर गंगवा के विरोध का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने इसके लिए 17 सितंबर को एक मीटिंग भी बुलाई है। विपक्ष को बैठे-बिठाए मिला मुद्दा भाजपा की आपसी लड़ाई का फायदा बरवाला में विपक्षी दल भी उठा रहे हैं। रणबीर गंगवा को बाहरी बताते हुए विपक्षी कैंडिडेट पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें जितवाने के बाद लोगों को काम करवाने नलवा जाना पड़ेगा। बरवाला से लगते उकलाना हलके में भी जेजेपी से BJP में आए अनूप धानक का खासा विरोध हो रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रेवाड़ी में करंट लगने से व्यक्ति की मौत:शौच के लिए गया था खेत, जमीन पर पड़ी बिजली के तार की चपेट में आया
रेवाड़ी में करंट लगने से व्यक्ति की मौत:शौच के लिए गया था खेत, जमीन पर पड़ी बिजली के तार की चपेट में आया हरियाणा में रेवाड़ी जिले के बावल कस्बे में एक व्यक्ति की करंट लगने से मौत हो गई। मृतक व्यक्ति शौच के लिए खेत में गया था। इस दौरान वह जमीन पर पड़े बिजली के तार के संपर्क में आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में रखवा दिया। उसके शव का पोस्टमार्टम गुरुवार को किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार रेवाड़ी के गांव कालड़ावास निवासी पवन शर्मा (35) बुधवार देर शाम अपने ट्रैक्टर की चक्की ठीक करवाने के लिए बावल कस्बे में श्याम लाल मैकेनिक के पास आया था। उसका बेटा अखिलेश भी बाइक लेकर मैकेनिक के पास पहुंच गया। चक्की ठीक करवाने के बाद पवन ने अपने बेटे अखिलेश से शौच के लिए जाने की बात कही। इसी बीच अखिलेश घर पहुंच गया, लेकिन उसका पिता पवन घर नहीं पहुंचा। खेत में अचेत अवस्था में पड़ा मिला अखिलेश ने बताया कि जब काफी देर तक पिता घर नहीं आए तो उसने पिता के मोबाइल पर काफी कॉल की, लेकिन फोन नहीं उठाया। इसके बाद वह वापस बावल में उन्हें ढूंढने गया। मैकेनिक की दुकान से लेकर काफी अन्य जगह उसने तलाश की, लेकिन पिता का कोई सुराग नहीं लगा। इसके बाद जब वह प्राणपुरा रोड पर पहुंचा तो सड़क किनारे एक शख्स पड़ा हुआ दिखाई दिया। वह पास गया तो अचेत अवस्था में उसके पिता पवन कुमार पड़े हुए थे। अस्पताल में डॉक्टर ने मृत घोषित किया अखिलेश के अनुसार पास में ही बिजली का तार पड़ा था। उसमें करंट आ रहा था। उन्होंने मैकेनिक बुलाकर जांच कराई तो पता चला कि उसमें करंट आ रहा है। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। सूचना पाकर पुलिस और बिजली विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। बिजली के तार की सप्लाई काटने के बाद एंबुलेंस बुलाकर पवन कुमार को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवा दिया है। पवन का पोस्टमार्टम गुरुवार को कराया जाएगा।
हरियाणा में हार के बाद बाबरिया कांग्रेस प्रभारी पद छोड़ेंगे:राहुल गांधी से बात की, टिकट बंटवारे में हुए थे बीमार; बोले-किसी दूसरे को बना दें
हरियाणा में हार के बाद बाबरिया कांग्रेस प्रभारी पद छोड़ेंगे:राहुल गांधी से बात की, टिकट बंटवारे में हुए थे बीमार; बोले-किसी दूसरे को बना दें हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने इस्तीफे की पेशकश की है। इसके लिए दीपक बाबरिया ने राहुल गांधी से बात की। उन्होंने राहुल से कहा कि मेरी जगह किसी और को हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया जाए, मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी। स्वास्थ्य कारणों के कारण अभी समय नहीं दे सकता। दैनिक भास्कर से बातचीत में दीपक बाबरिया ने कहा- ‘चुनाव के बीच अचानक मेरी तबीयत खराब हुई। पहले भी मुझे ब्रेन स्ट्रोक आ चुका है। दोबारा कॉम्प्लिकेशन आए हैं। ब्रेन ने शरीर के दूसरे अंगों तक संपर्क करना बंद कर दिया था। न्यूरो से संबंधित समस्याएं थीं, जिसके कारण अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। हालांकि अब मेरा स्वास्थ्य पहले से ठीक है, लेकिन अब भी एक दिन तबीयत ठीक रहती है और दूसरे दिन वैसी ही हो जाती है। इन सब चीजों को ठीक होने में समय लगेगा।’ दरअसल, विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान 9 सितंबर को दीपक बाबरिया की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। ब्लड प्रेशर (BP) बढ़ने के बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। पूर्व मंत्री ने दीपक बाबरिया पर उठाए थे सवाल विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस OBC सेल के राष्ट्रीय चेयरमैन और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव ने दीपक बाबरिया पर सवाल उठाए थे। रेवाड़ी में बेटे चिरंजीव की हार पर उन्होंने कहा था कि हम लोगों से पूरे चुनाव में कैंपेन कमेटी के किसी भी सदस्य ने संपर्क नहीं किया। किस तरीके से रणनीति बनानी है, किस तरह से लोगों के बीच पहुंचना है, हमें कुछ नहीं बताया गया। हमने तो अपने दम पर अपने हिसाब से प्रचार करने के लिए लोगों को अपने क्षेत्र में बुलाया। हमारे नेता सीएम कौन, सीएम कौन में व्यस्त थे। पीसीसी प्रेसिडेंट खुद चुनाव लड़ रहे थे। प्रभारी बीमार हो गए थे। प्रभारी अगर बीमार थे तो उनको अपनी जगह सीनियर्स को कह कर किसी और को प्रभारी बनवाना चाहिए था, ताकि वह चुनावों के ठीक पहले तमाम जरूरत को पूरा कर पाते। हमारी बात सुनने के लिए कोई फ्रंट फुट पर उपलब्ध नहीं था। समीक्षा मीटिंग में राहुल गांधी नाराज हुए राज्य में 37 सीट जीतने के बाद 10 अक्टूबर को कांग्रेस की दिल्ली में पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में समीक्षा मीटिंग हुई। मीटिंग में तय हुआ कि हार के कारण जानने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी हरियाणा में जाकर नेताओं से चर्चा करके रिपोर्ट हाईकमान को सौपेंगी। यहां राहुल गांधी ने कहा कि हमारी पार्टी के नेताओं के इंटरेस्ट पार्टी से ऊपर हो गए, इसी वजह से हार हुई। कांग्रेस ने 20 सीटों पर री-काउंटिंग की मांग की 11 अक्टूबर को कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात की। इसके बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि कांग्रेस को जानबूझकर 20 सीटों पर हराया गया। पहले पार्टी इन सीटों पर आगे चल रही थी। बाद में इन सीटों पर काउंटिंग प्रोसेस धीमा हो गया। इससे शक पैदा हुआ। चुनाव निष्पक्ष के साथ-साथ पारदर्शी भी होना चाहिए। उनकी मांग है कि 20 सीटों पर दोबारा गिनती कराई जाए, ताकि चुनाव प्रक्रिया पर उठे सवालों को खत्म किया जा सके। हार के बाद किस कांग्रेस नेता ने क्या कहा.. भूपेंद्र हुड्डा ने कहा- EVM में गड़बड़ी
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि हरियाणा का नतीजा आश्चर्यचकित करने वाला है। हर आदमी समझता था कि कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। सब एक्सपर्ट भी यही कह रहे थे। पोस्टल बैलट की गिनती में कांग्रेस लीड करती है। EVM की गिनती शुरू हुई तो कांग्रेस डाउन चली जाती है। इससे डाउट होता है। 20 के करीब कंप्लेंट आ गई हैं। कई जगह काउंटिंग डिले की गई। कई जगह पर पहले पोस्टल बैलट ही नहीं गिने गए। सैलजा ने कहा- संगठन नहीं बनाने से हारे
सिरसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने कहा था कि चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी व चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को संगठन की कमी खली है। संगठन से ही कार्यकर्ताओं को मान-सम्मान मिलता है और संगठन होना चाहिए था। उन्हें खुद भी संगठन न होने का मलाल है। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- EVM की बैटरी में गड़बड़ी
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने कहा कि हमारे पास 20 शिकायतें आईं, जिनमें 7 लिखित रूप से आई हैं। मतगणना के दिन कुछ खास EVM थीं, जिनकी बैटरी 99% चार्ज दिखा रही थी। इनसे BJP को ज्यादा वोट मिले। मतगणना के बाद बैटरी इतनी चार्ज नहीं रह सकती। हमारे संदेह का यह सबसे बड़ा कारण है। बाकी जो सामान्य EVM थी, उनकी बैटरी 60 से 70% थी। उसमें BJP नहीं जीत रही थी। इस बारे में हमने आयोग को बता दिया है। जिन मशीनों की शिकायत की गई है, उन्हें जांच पूरी होने तक सील किया जाए। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा था- छल कपट से जीती BJP सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने BJP पर छल-कपट से चुनाव जीतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजे से सभी अचंभे में डालने वाले हैं। ये अप्रत्याशित नतीजे हैं। इसका हम गहराई से विश्लेषण कर रहे हैं। 20 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों से EVM को लेकर ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि चुनाव प्रक्रिया पर कई सवाल उठे हैं। कांग्रेस ने चुनाव आयोग के आगे सभी प्रश्न रखे हैं। उसके जवाब का हम इंतजार कर रहे हैं। भाजपा के छल-कपट के बावजूद 40% वोट शेयर कांग्रेस को मिला है। जो भाजपा के बराबर है।
हरियाणा BJP के पंजाबी वैक्यूम पर कांग्रेस की नजर:खट्टर दिल्ली चले गए, विज घर बैठे; इनके 32% वोट बैंक को साधने की तैयारी
हरियाणा BJP के पंजाबी वैक्यूम पर कांग्रेस की नजर:खट्टर दिल्ली चले गए, विज घर बैठे; इनके 32% वोट बैंक को साधने की तैयारी हरियाणा में सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के साथ कांग्रेस भी तैयारी में जुटी हुई है। 10 सालों से सत्ता में बैठी BJP को हराने के लिए कांग्रेस ने अब पार्टी के पंजाबी वैक्यूम पर नजर गड़ा दी है। भाजपा के 2 बड़े पंजाबी चेहरे पार्टी से दूर हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली में मोदी कैबिनेट में पहुंच गए हैं। वहीं, दूसरे बड़े पंजाबी चेहरे पूर्व गृहमंत्री अनिल विज घर बैठे हुए हैं। वह सिर्फ अपनी विधानसभा अंबाला कैंट में ही सक्रिय दिख रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस सूबे में चुनाव की नजदीकियों को देखते हुए पंजाबी वोट बैंक को रिझाने में जुट गई है। कांग्रेस की ओर से इसके लिए राष्ट्रीय पंजाबी महासभा (RPM) को जिम्मेदारी दी गई है। जानिए, क्यों BJP से दूर हुए पंजाबी नेता… पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर : हरियाणा में भाजपा में पंजाबी समुदाय का यह बड़ा चेहरा थे। 2014 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वह सूबे में BJP की सरकार में लगातार दो टर्म के मुख्यमंत्री रहे। 2024 में लोकसभा चुनाव जीतकर अब दिल्ली में केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी देख रहे हैं। अनिल विज : हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री भाजपा के बड़े नेताओं में शामिल हैं। यह भी पंजाबी समुदाय से आते हैं। खट्टर को हटाने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने नायब सैनी को CM बना दिया था, जिसके बाद से वह लगातार नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में भी वह अपनी विधानसभा अंबाला कैंट में ही सक्रिय रहे। संदीप सिंह : पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्लेयर संदीप सिंह हरियाणा में भाजपा से जुड़े हैं। खट्टर के कार्यकाल में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ही उन्हें खेल मंत्री बना दिया गया। हालांकि, इस दौरान उन पर जूनियर महिला कोच ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगा दिए, जिसके बाद अब वह भाजपा से अलग-थलग पड़े हुए हैं। पंजाबियों का सूबे में 34 से 40% वोट
हरियाणा की करीब ढाई करोड़ आबादी में पंजाबी समुदाय 34 से 40 फीसदी तक है। इसके साथ ही 25 से 26 विधानसभा ऐसी हैं, जहां पंजाबी बिरादरी की पकड़ है। इन इलाकों में पंजाबी बिरादरी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। 1991 में चौधरी भजनलाल के शासन काल में हरियाणा सरकार में 17 मंत्री अकेले पंजाबी समुदाय के थे, लेकिन आज के राजनीतिक दौर में उनका हिस्सा बहुत कम है। जबकि, चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, इस समुदाय की भूमिका निर्णायक होती है। भाजपा से पहले यह समुदाय कांग्रेस के साथ था, लेकिन अनदेखी के कारण यह पंजाबी समुदाय कांग्रेस से टूट कर दूसरे दलों में बिखर गया है। अब कांग्रेस ने इसे साधने के लिए विशेष रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। अभी की सियासत में पंजाबियों का क्या योगदान
हरियाणा की सियासत में पंजाबियों का बड़ा योगदान रहा है। हालांकि, इसके बाद भी किसी भी पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पंजाबियों को नहीं दी गई। चौधरी भजनलाल के कार्यकाल को छोड़ दें तो 2014 से लेकर 2024 तक भाजपा ने सरकार में पंजाबियों को ठीक नेतृत्व दिया। मनोहर लाल खट्टर को CM बनाया। उन्हीं की कैबिनेट में अनिल विज को गृह मंत्री और संदीप सिंह को खेल मंत्री की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन इसके बाद अब सूबे की सियासत में कोई भी पंजाबी समुदाय का बड़ा नेता न ही सरकार में और न ही विपक्ष में एक्टिव है। एक्टिव हुए कांग्रेस से जुड़े पंजाबी नेता
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस से जुड़े पंजाबी नेताओं ने पार्टी में और टिकट के मामले में समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए खुद को संगठित करना शुरू कर दिया है। इस उद्देश्य से समुदाय के नेता अगस्त में करनाल में एक पंजाबी सम्मेलन आयोजित करेंगे। इसमें राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मेहता सम्मेलन के राज्य समन्वयक होंगे। इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी शामिल होंगे। टिकट के लिए पैरवी करेगा RPM
RPM ने पंजाबी समुदाय के संभावित उम्मीदवारों से कहा है कि वे टिकट के लिए कांग्रेस में आवेदन करें। इसके साथ ही वह अपने आवेदन की एक प्रति RPM को भेजें, जिससे नेताओं की उम्मीदवारी का समर्थन किया जा सके। आम चुनाव में कांग्रेस ने पंजाबी समुदाय को 2 टिकट दिए थे। विधानसभा चुनाव में इस समुदाय से जुड़े नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व देगी।