बरेली में मुस्लिम समुदाय पर मंदिर पर कब्जा करने का आरोप लगा है। हिंदुओं ने दस्तावेज दिखाते हुए आरोप लगाए कि वाहिद अली के पूरे परिवार ने मंदिर से शिवलिंग और मूर्तियां हटा दी है। 40 साल से यहां पूजा नहीं हो रही है। जिस परिवार ने मंदिर बनवाया था। उसके वंशज सामने आए हैं। उन्होंने कहा- यहां गंगा महारानी का मंदिर था। 250 साल पुराना बताया जा रहा है। ये पूरा मामला बरेली के किला क्षेत्र के कटघर का है। अब सिलसिलेवार पूरा मामला पढ़िए… राकेश ने कहा- 1950 तक मंदिर में पूजा हुई
गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने बताया- 5 पीढ़ियों पहले ये मंदिर बनाया गया था। 1905 में गंगा महारानी के मंदिर को लिखापढ़ी में लाया गया। 1950 तक मंदिर में पूजा भी होती रही। मंदिर के पुजारी ने एक समिति को मंदिर का एक कमरा किराए पर दे दिया। समिति ने मंदिर में वाहिद अली नाम के चौकीदार को रख लिया। धीरे-धीरे वाहिद अली ने मंदिर में लोगों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी। जब कोई जाता था तो वह मंदिर में ताले डाल देता था। धीरे-धीरे मंदिर में जाने वाले लोगों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया। आरोप है कि मंदिर के चौकीदार वाहिद अली ने मंदिर की प्रतिमाओं को भी खुर्द बुर्द कर दिया। वाहिद अली का कहना है यहां कभी भी मंदिर नहीं था। मंदिर के सभी दस्तावेज जिलाधिकारी को सौंपे
गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने अपने दस्तावेज दिखाते हुए मंदिर पर कब्जे की बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि अब मंदिर का अस्तित्व मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खत्म कर दिया है। अब उसे गंगा महारानी के मंदिर पर वाहिद अली ने कब्जा कर रखा है और वो पूरे परिवार के साथ मंदिर में रहता है। मुस्लिम आबादी बढ़ने से मंदिर में नहीं जा पाते हिंदू
राकेश सिंह के मुताबिक, सभी सरकारी कागजों में वहां पर गंगा महारानी का मंदिर अंकित है। लेकिन वाहिद अली ने दबंगई दिखाते हुए उस पर कब्जा कर लिया। इस मंदिर में एक दूधिया शिवलिंग था और भगवान भोलेनाथ का पूरा परिवार था। चांदी की मूर्तियां भी थी।
आज से दो ढाई सौ साल पहले राकेश सिंह के वंशजों ने ही इस जगह को बसाया था। पहले यहां बहुत कम आबादी थी। सन 1800 में रेलवे लाइन भी उनकी जमीन पर ही निकली थी। और उसे पहले से ये मंदिर मौजूद था। धीरे धीरे यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती गई और उन लोगों का दबदबा हो गया। अब यहां पर हिंदुओं के मकान कम है और मुस्लिमों के मकान ज्यादा है। सीएम योगी से हस्तक्षेप की मांग राकेश सिंह का परिवार गंगा महारानी के मंदिर होने का दावा कर रहा है। वही मुस्लिम समुदाय उनके इन दावे को खारिज कर रहा है, जबकि राकेश सिंह के पास जो कागज मौजूद है। उसमें साफ तौर पर अंकित किया हुआ है कि जिस मकान पर वाहिद अली अपना कब्जा जमाए बैठे हैं। दरअसल वह प्राचीन गंगा महारानी का मंदिर है। अब राकेश सिंह और उनके परिवार और सनातन से जुड़े स्थानीय लोगों ने योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की मांग की है। ताकि एक बार फिर गंगा महारानी का मंदिर वाहिद अली के चंगुल से आजाद हो जाए। राकेश सिंह और उनके परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। उनका कहना है कि मंदिर के अस्तित्व को बचाने और इसे कब्जे से मुक्त कराने के लिए सरकारी कार्रवाई जरूरी है। मंदिर के समर्थन में अब हिंदू संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। वे गुरुवार को जिलाधिकारी से मुलाकात कर मंदिर को कब्जे से मुक्त कराने और पूजा-अर्चना को फिर से शुरू कराने की मांग करेंगे। बरेली में मुस्लिम समुदाय पर मंदिर पर कब्जा करने का आरोप लगा है। हिंदुओं ने दस्तावेज दिखाते हुए आरोप लगाए कि वाहिद अली के पूरे परिवार ने मंदिर से शिवलिंग और मूर्तियां हटा दी है। 40 साल से यहां पूजा नहीं हो रही है। जिस परिवार ने मंदिर बनवाया था। उसके वंशज सामने आए हैं। उन्होंने कहा- यहां गंगा महारानी का मंदिर था। 250 साल पुराना बताया जा रहा है। ये पूरा मामला बरेली के किला क्षेत्र के कटघर का है। अब सिलसिलेवार पूरा मामला पढ़िए… राकेश ने कहा- 1950 तक मंदिर में पूजा हुई
गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने बताया- 5 पीढ़ियों पहले ये मंदिर बनाया गया था। 1905 में गंगा महारानी के मंदिर को लिखापढ़ी में लाया गया। 1950 तक मंदिर में पूजा भी होती रही। मंदिर के पुजारी ने एक समिति को मंदिर का एक कमरा किराए पर दे दिया। समिति ने मंदिर में वाहिद अली नाम के चौकीदार को रख लिया। धीरे-धीरे वाहिद अली ने मंदिर में लोगों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी। जब कोई जाता था तो वह मंदिर में ताले डाल देता था। धीरे-धीरे मंदिर में जाने वाले लोगों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया। आरोप है कि मंदिर के चौकीदार वाहिद अली ने मंदिर की प्रतिमाओं को भी खुर्द बुर्द कर दिया। वाहिद अली का कहना है यहां कभी भी मंदिर नहीं था। मंदिर के सभी दस्तावेज जिलाधिकारी को सौंपे
गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने अपने दस्तावेज दिखाते हुए मंदिर पर कब्जे की बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि अब मंदिर का अस्तित्व मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खत्म कर दिया है। अब उसे गंगा महारानी के मंदिर पर वाहिद अली ने कब्जा कर रखा है और वो पूरे परिवार के साथ मंदिर में रहता है। मुस्लिम आबादी बढ़ने से मंदिर में नहीं जा पाते हिंदू
राकेश सिंह के मुताबिक, सभी सरकारी कागजों में वहां पर गंगा महारानी का मंदिर अंकित है। लेकिन वाहिद अली ने दबंगई दिखाते हुए उस पर कब्जा कर लिया। इस मंदिर में एक दूधिया शिवलिंग था और भगवान भोलेनाथ का पूरा परिवार था। चांदी की मूर्तियां भी थी।
आज से दो ढाई सौ साल पहले राकेश सिंह के वंशजों ने ही इस जगह को बसाया था। पहले यहां बहुत कम आबादी थी। सन 1800 में रेलवे लाइन भी उनकी जमीन पर ही निकली थी। और उसे पहले से ये मंदिर मौजूद था। धीरे धीरे यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती गई और उन लोगों का दबदबा हो गया। अब यहां पर हिंदुओं के मकान कम है और मुस्लिमों के मकान ज्यादा है। सीएम योगी से हस्तक्षेप की मांग राकेश सिंह का परिवार गंगा महारानी के मंदिर होने का दावा कर रहा है। वही मुस्लिम समुदाय उनके इन दावे को खारिज कर रहा है, जबकि राकेश सिंह के पास जो कागज मौजूद है। उसमें साफ तौर पर अंकित किया हुआ है कि जिस मकान पर वाहिद अली अपना कब्जा जमाए बैठे हैं। दरअसल वह प्राचीन गंगा महारानी का मंदिर है। अब राकेश सिंह और उनके परिवार और सनातन से जुड़े स्थानीय लोगों ने योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की मांग की है। ताकि एक बार फिर गंगा महारानी का मंदिर वाहिद अली के चंगुल से आजाद हो जाए। राकेश सिंह और उनके परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। उनका कहना है कि मंदिर के अस्तित्व को बचाने और इसे कब्जे से मुक्त कराने के लिए सरकारी कार्रवाई जरूरी है। मंदिर के समर्थन में अब हिंदू संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। वे गुरुवार को जिलाधिकारी से मुलाकात कर मंदिर को कब्जे से मुक्त कराने और पूजा-अर्चना को फिर से शुरू कराने की मांग करेंगे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर