बांके बिहारी के 1 लाख भक्तों ने किए चरण दर्शन:साल में सिर्फ एक बार होते हैं; 1 किमी लंबी लाइन; 10 लाख के पहुंचने का अनुमान

बांके बिहारी के 1 लाख भक्तों ने किए चरण दर्शन:साल में सिर्फ एक बार होते हैं; 1 किमी लंबी लाइन; 10 लाख के पहुंचने का अनुमान

मथुरा के वृंदावन में अक्षय तृतीया पर आज बांके बिहारी में श्रद्धालुओं की भीड़ है। बांके बिहारी को सुबह चंदन का लेप लगाया गया। फिर श्रृंगार हुआ। साल में केवल आज ही के दिन भगवान बांके बिहारी के सभी अंगों पर चंदन लगाया जाता है। भक्तों को उनके चरण दर्शन भी कराए जाते हैं। चरण दर्शन भी साल में सिर्फ आज ही के दिन कराए जाते हैं। शुक्रवार को बांके बिहारी मंदिर के पट सुबह 5 बजे खुले। सबसे पहले मंदिर के पुजारी अंदर गए। देहरी पूजन किया। गर्भगृह में पहुंचकर भगवान का अभिषेक किया और फिर चंदन का लेपन कर श्रृंगार किया। आम भक्तों के लिए मंदिर के पट सुबह 7 बजे खोल दिए गए। सुबह 9 बजे तक 1 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं। मंदिर के गेट नंबर-2 और 3 से भक्तों को एंट्री दी जा रही है। गेट नंबर-2 पर एक किमी लंबी लाइन लगी है। प्रशासन को शाम तक 10 लाख भक्तों के पहुंचने का अनुमान है। 12 से 4 बजे तक मंदिर बंद रहेगा। आज भगवान बांके बिहारी को पैरों में पायजेब और लटकनदार हार धारण कराया गया है। शाम के समय सर्वांग दर्शन होंगे। यानी भगवान के पूरे शरीर के। भगवान के शरीर पर चंदन का लेप होगा और वह धोती पहने हुए होंगे। आज 111 किलो चंदन का लेप लगाया जाएगा
मंदिर के सेवायत आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया- चंदन खासतौर पर दक्षिण भारत से मंगवाया गया है। चंदन के आधा-आधा किलो के 4 लड्डू सुबह, दोपहर, शाम बांके बिहारी के चरण में रखे जाते हैं। पूरे दिन भक्तों के जरिए 200 किलो चंदन चढ़ाए जाने का अनुमान है। मैसूर से चंदन की जो लकड़ी मंगाई गई। इसे एक महीने तक पानी में भिगो कर रखा गया। इसकी घिसाई शुरू हुई। मंदिर के गोस्वामियों ने 15 दिन तक रोज 6 से 8 घंटे तक इसकी घिसाई की। इसमें 1 किलो केसर, गुलाब जल और कपूर भी मिलाया गया। साल में एक बार चरण दर्शन के साथ बांके बिहारी पायजेब धारण करते हैं। विवाह योग्य युवतियों के बांके बिहारी को पायजेब अर्पित करने की परंपरा है। भक्तों को किया जाता है प्रसाद रूप में अर्पित
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी श्री नाथ गोस्वामी ने बताया कि भगवान की यह भाव की सेवा है। अक्षय तृतीया से भीषण गर्मी शुरू हो जाती है। भगवान को गर्मी न लगे इसके लिए शीतलता प्रदान करने के लिए चंदन का लेपन किया जाता है और उनके चरणों में चंदन के लड्डू बनाकर रखे जाते हैं। अक्षय तृतीया बाद इस चंदन को भक्तों में वितरित कर दिया जाता है। यह वर्ष भर जड़ी बूटी के रूप में काम आता है। इस दिन भगवान का विशेष भोग लगाया जाता है। जिसमें सत्तू से बने लड्डू अर्पित किए जाते हैं। पायल दान से मिलता है सुयोग्य वर
अक्षय तृतीय पर भगवान बांके बिहारी को बड़ी संख्या में कुंवारी बेटियां चांदी से बनी पायल भी अर्पित करती हैं। मंदिर के पुजारी श्री नाथ गोस्वामी ने बताया कि मान्यता है कि अक्षय तृतीय पर भगवान को पायल अर्पित करने से मन चाहा और सुयोग्य वर प्राप्त होता है। यही वजह है कि बहन बेटियां भगवान को पायल अर्पित करती हैं। अब आपको वर्ष में एक बार होने वाले चरण दर्शन को लेकर चली आ रही मान्यता के बारे में भी बताते हैं…
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी श्री नाथ गोस्वामी ने बताया- मान्यता है कि स्वामी हरिदास जी ने भगवान बांके बिहारी को प्रगट किया। भगवान ने उन्हें अपनी सेवा के लिए एक स्वर्ण मुद्रिका देना शुरू किया जो कि उनके चरणों में रखी मिलती थी। लेकिन स्वामी जी ने प्रभु से आग्रह किया कि कालांतर में लोगों की लालसा बढ़ेगी। इसलिए उनके चरण पोशाक से ढक कर रखे जाए। अक्षय तृतीया के दिन वर्ष में एक बार चरण दर्शन कराए जाने लगे। तभी से यह परंपरा चल रही है। अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी के दर्शन से मिलता है बद्रीनाथ का फल
मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर्व पर भगवान बांकेबिहारीजी के दर्शन करने से बद्रीनाथ के दर्शन का फल मिलता है। मंदिर के गोपी गोस्वामी ने बताया कि पहले समय में बद्रीनाथ की यात्रा सबसे दुर्गम थी। साधु-संत, ब्रजवासी बद्रीनाथ के दर्शन जाते थे, जिसे देखकर स्वामी हरिदास जी ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी भगवान बांकेबिहारीजी के दर्शन करेगा। उसे बद्रीनाथजी के दर्शन का फल प्राप्त होगा। ‘बद्री केदार की यात्रा को फल मिले। करें दर्शन चरण के अक्षय तीज आए ते। चंदन ही चंदन मैं प्रभु को वंदन होय। अक्षय पुण्य मिलें थोड़ो चंदन चढ़ाए ते। दर्शन सर्वांग में चंदन को लेप होय। चरणन में प्रेम की पायजेब पहनाए ते। चंदन के गोला शीतलता प्रदान करें। पुण्य के कपाट खुले चंदन चढ़ाए ते। बद्री केदार की यात्रा को फल मिले। अक्षय पुण्य मिलें थोड़ो चंदन चढ़ाए ते।’ सुरक्षा के किए कड़े इंतजाम
अक्षय तृतीय पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पूरे वृंदावन को 3 जोन और 9 सेक्टर में बांटा गया है। श्रद्धालुओं को रेलिंग में होकर मंदिर तक लाया जा रहा है। सुरक्षा के लिए करीब 800 पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। ————————- ये खबर भी पढ़ें… LIVE हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन 288 साल पुरानी परंपरा बदलकर बाहर निकले:हाथी-घोड़े पर सवार होकर सरयू के लिए रवाना, रास्ते में 51 जगह पुष्प वर्षा अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन 288 साल पुरानी परंपरा को बदलकर अक्षय तृतीया पर पहली बार धार्मिक यात्रा पर निकले। भव्य रथ पर सवार होकर महंत प्रेमदास सुबह 7:50 बजे हनुमानगढ़ी के मुख्य द्वार से सरयू तट की ओर रवाना हुए। जहां पर वैदिक रीति से पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद दर्शन के लिए राम मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे। पढ़िए पूरी खबर मथुरा के वृंदावन में अक्षय तृतीया पर आज बांके बिहारी में श्रद्धालुओं की भीड़ है। बांके बिहारी को सुबह चंदन का लेप लगाया गया। फिर श्रृंगार हुआ। साल में केवल आज ही के दिन भगवान बांके बिहारी के सभी अंगों पर चंदन लगाया जाता है। भक्तों को उनके चरण दर्शन भी कराए जाते हैं। चरण दर्शन भी साल में सिर्फ आज ही के दिन कराए जाते हैं। शुक्रवार को बांके बिहारी मंदिर के पट सुबह 5 बजे खुले। सबसे पहले मंदिर के पुजारी अंदर गए। देहरी पूजन किया। गर्भगृह में पहुंचकर भगवान का अभिषेक किया और फिर चंदन का लेपन कर श्रृंगार किया। आम भक्तों के लिए मंदिर के पट सुबह 7 बजे खोल दिए गए। सुबह 9 बजे तक 1 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं। मंदिर के गेट नंबर-2 और 3 से भक्तों को एंट्री दी जा रही है। गेट नंबर-2 पर एक किमी लंबी लाइन लगी है। प्रशासन को शाम तक 10 लाख भक्तों के पहुंचने का अनुमान है। 12 से 4 बजे तक मंदिर बंद रहेगा। आज भगवान बांके बिहारी को पैरों में पायजेब और लटकनदार हार धारण कराया गया है। शाम के समय सर्वांग दर्शन होंगे। यानी भगवान के पूरे शरीर के। भगवान के शरीर पर चंदन का लेप होगा और वह धोती पहने हुए होंगे। आज 111 किलो चंदन का लेप लगाया जाएगा
मंदिर के सेवायत आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया- चंदन खासतौर पर दक्षिण भारत से मंगवाया गया है। चंदन के आधा-आधा किलो के 4 लड्डू सुबह, दोपहर, शाम बांके बिहारी के चरण में रखे जाते हैं। पूरे दिन भक्तों के जरिए 200 किलो चंदन चढ़ाए जाने का अनुमान है। मैसूर से चंदन की जो लकड़ी मंगाई गई। इसे एक महीने तक पानी में भिगो कर रखा गया। इसकी घिसाई शुरू हुई। मंदिर के गोस्वामियों ने 15 दिन तक रोज 6 से 8 घंटे तक इसकी घिसाई की। इसमें 1 किलो केसर, गुलाब जल और कपूर भी मिलाया गया। साल में एक बार चरण दर्शन के साथ बांके बिहारी पायजेब धारण करते हैं। विवाह योग्य युवतियों के बांके बिहारी को पायजेब अर्पित करने की परंपरा है। भक्तों को किया जाता है प्रसाद रूप में अर्पित
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी श्री नाथ गोस्वामी ने बताया कि भगवान की यह भाव की सेवा है। अक्षय तृतीया से भीषण गर्मी शुरू हो जाती है। भगवान को गर्मी न लगे इसके लिए शीतलता प्रदान करने के लिए चंदन का लेपन किया जाता है और उनके चरणों में चंदन के लड्डू बनाकर रखे जाते हैं। अक्षय तृतीया बाद इस चंदन को भक्तों में वितरित कर दिया जाता है। यह वर्ष भर जड़ी बूटी के रूप में काम आता है। इस दिन भगवान का विशेष भोग लगाया जाता है। जिसमें सत्तू से बने लड्डू अर्पित किए जाते हैं। पायल दान से मिलता है सुयोग्य वर
अक्षय तृतीय पर भगवान बांके बिहारी को बड़ी संख्या में कुंवारी बेटियां चांदी से बनी पायल भी अर्पित करती हैं। मंदिर के पुजारी श्री नाथ गोस्वामी ने बताया कि मान्यता है कि अक्षय तृतीय पर भगवान को पायल अर्पित करने से मन चाहा और सुयोग्य वर प्राप्त होता है। यही वजह है कि बहन बेटियां भगवान को पायल अर्पित करती हैं। अब आपको वर्ष में एक बार होने वाले चरण दर्शन को लेकर चली आ रही मान्यता के बारे में भी बताते हैं…
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी श्री नाथ गोस्वामी ने बताया- मान्यता है कि स्वामी हरिदास जी ने भगवान बांके बिहारी को प्रगट किया। भगवान ने उन्हें अपनी सेवा के लिए एक स्वर्ण मुद्रिका देना शुरू किया जो कि उनके चरणों में रखी मिलती थी। लेकिन स्वामी जी ने प्रभु से आग्रह किया कि कालांतर में लोगों की लालसा बढ़ेगी। इसलिए उनके चरण पोशाक से ढक कर रखे जाए। अक्षय तृतीया के दिन वर्ष में एक बार चरण दर्शन कराए जाने लगे। तभी से यह परंपरा चल रही है। अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी के दर्शन से मिलता है बद्रीनाथ का फल
मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर्व पर भगवान बांकेबिहारीजी के दर्शन करने से बद्रीनाथ के दर्शन का फल मिलता है। मंदिर के गोपी गोस्वामी ने बताया कि पहले समय में बद्रीनाथ की यात्रा सबसे दुर्गम थी। साधु-संत, ब्रजवासी बद्रीनाथ के दर्शन जाते थे, जिसे देखकर स्वामी हरिदास जी ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी भगवान बांकेबिहारीजी के दर्शन करेगा। उसे बद्रीनाथजी के दर्शन का फल प्राप्त होगा। ‘बद्री केदार की यात्रा को फल मिले। करें दर्शन चरण के अक्षय तीज आए ते। चंदन ही चंदन मैं प्रभु को वंदन होय। अक्षय पुण्य मिलें थोड़ो चंदन चढ़ाए ते। दर्शन सर्वांग में चंदन को लेप होय। चरणन में प्रेम की पायजेब पहनाए ते। चंदन के गोला शीतलता प्रदान करें। पुण्य के कपाट खुले चंदन चढ़ाए ते। बद्री केदार की यात्रा को फल मिले। अक्षय पुण्य मिलें थोड़ो चंदन चढ़ाए ते।’ सुरक्षा के किए कड़े इंतजाम
अक्षय तृतीय पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पूरे वृंदावन को 3 जोन और 9 सेक्टर में बांटा गया है। श्रद्धालुओं को रेलिंग में होकर मंदिर तक लाया जा रहा है। सुरक्षा के लिए करीब 800 पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। ————————- ये खबर भी पढ़ें… LIVE हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन 288 साल पुरानी परंपरा बदलकर बाहर निकले:हाथी-घोड़े पर सवार होकर सरयू के लिए रवाना, रास्ते में 51 जगह पुष्प वर्षा अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन 288 साल पुरानी परंपरा को बदलकर अक्षय तृतीया पर पहली बार धार्मिक यात्रा पर निकले। भव्य रथ पर सवार होकर महंत प्रेमदास सुबह 7:50 बजे हनुमानगढ़ी के मुख्य द्वार से सरयू तट की ओर रवाना हुए। जहां पर वैदिक रीति से पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद दर्शन के लिए राम मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे। पढ़िए पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर