<p style=”text-align: justify;”><strong>Punjab and Haryana High Court:</strong> निजी सुरक्षा एजेंसियों की ओर से अपने कर्मचारियों के लिए ‘‘बाउंसर’’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि इसका उद्देश्य ‘‘जनता के मन में भय, चिंता और आतंक’’ पैदा करना है जो किसी भी सभ्य व्यवस्था में ‘‘अनुचित’’ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने यह भी कहा कि सुरक्षा एजेंसी या सुरक्षा गार्ड की सेवाएं लेने का प्राथमिक कारण सुरक्षित स्थान सुनिश्चित करना है, लेकिन जब ये नियोक्ता या कर्मचारी स्वयं को संविधान से बाहर का अधिकारी मानकर ‘‘अपराधी’’ बन जाते हैं और धमकी और अपने क्रूर बल का हथियार के रूप में इस्तेमाल करने लगते हैं, तो यह समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट एक निजी सुरक्षा एजेंसी संचालित करने वाले व्यक्ति ने दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस अनूप चिटकारा की एकल पीठ ने कहा कि कोर्ट के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात याचिकाकर्ता ने संचालित सुरक्षा एजेंसी के नाम में ‘‘बाउंसर’’ शब्द का प्रयोग है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बाउंसर शब्द की परिभाषा का दिया हवाला </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पीठ ने एक ‘‘चिंताजनक प्रवृत्ति’’ का उल्लेख किया, जिसमें नियोक्ताओं और कर्मचारियों के एक विशेष वर्ग ने एक साधारण नौकरी विवरण ‘‘बाउंसर’’ की आड़ में ‘‘आतंकित करने वाली और धमकाने वाली भूमिका’’ अपनानी शुरू कर दी है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को भी पता है कि सुरक्षा एजेंसियां अपनी ताकत दिखाने और अपना प्रभाव दिखाने के लिए किस तरह से ‘‘बाउंसर’’ शब्द का इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन वह इस तरह के मुद्दे के प्रति ‘‘उदासीन और असंवेदनशील’’ बने रहना पसंद कर रही है. कोर्ट ने शब्दकोश में पाई जाने वाली ‘‘बाउंसर’’ शब्द की परिभाषा का भी हवाला दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने कहा कि निजी सुरक्षा एजेंसियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 का उद्देश्य निजी सुरक्षा एजेंसियों और उनसे जुड़े या प्रासंगिक मामलों का विनियमन करना है. कोर्ट ने कहा कि निजी सुरक्षा एजेंसियां (विनियमन) अधिनियम से ‘‘निजी सुरक्षा एजेंसी’’ और ‘‘निजी सुरक्षा गार्ड’’ की परिभाषाओं का संदर्भ लेना प्रासंगिक होगा, जिसमें सुरक्षा गार्ड को ‘‘बाउंसर’’ नहीं कहा गया है. इसने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को निजी सुरक्षा एजेंसियां (विनियमन) अधिनियम और पंजाब राज्य में पंजाब निजी सुरक्षा एजेंसी नियम, 2007 के अनुसार सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति करनी होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें -</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/punjab/amritsar-news-india-pakistan-border-region-farmers-worried-for-farming-ann-2947620″>सीजफायर के बाद सीमा पार खेती में परेशानी, BSF के टाइम टेबल ने बढ़ाई दिक्कतें, किसानों ने सुनाई पीड़ा</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Punjab and Haryana High Court:</strong> निजी सुरक्षा एजेंसियों की ओर से अपने कर्मचारियों के लिए ‘‘बाउंसर’’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि इसका उद्देश्य ‘‘जनता के मन में भय, चिंता और आतंक’’ पैदा करना है जो किसी भी सभ्य व्यवस्था में ‘‘अनुचित’’ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने यह भी कहा कि सुरक्षा एजेंसी या सुरक्षा गार्ड की सेवाएं लेने का प्राथमिक कारण सुरक्षित स्थान सुनिश्चित करना है, लेकिन जब ये नियोक्ता या कर्मचारी स्वयं को संविधान से बाहर का अधिकारी मानकर ‘‘अपराधी’’ बन जाते हैं और धमकी और अपने क्रूर बल का हथियार के रूप में इस्तेमाल करने लगते हैं, तो यह समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट एक निजी सुरक्षा एजेंसी संचालित करने वाले व्यक्ति ने दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस अनूप चिटकारा की एकल पीठ ने कहा कि कोर्ट के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात याचिकाकर्ता ने संचालित सुरक्षा एजेंसी के नाम में ‘‘बाउंसर’’ शब्द का प्रयोग है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बाउंसर शब्द की परिभाषा का दिया हवाला </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पीठ ने एक ‘‘चिंताजनक प्रवृत्ति’’ का उल्लेख किया, जिसमें नियोक्ताओं और कर्मचारियों के एक विशेष वर्ग ने एक साधारण नौकरी विवरण ‘‘बाउंसर’’ की आड़ में ‘‘आतंकित करने वाली और धमकाने वाली भूमिका’’ अपनानी शुरू कर दी है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को भी पता है कि सुरक्षा एजेंसियां अपनी ताकत दिखाने और अपना प्रभाव दिखाने के लिए किस तरह से ‘‘बाउंसर’’ शब्द का इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन वह इस तरह के मुद्दे के प्रति ‘‘उदासीन और असंवेदनशील’’ बने रहना पसंद कर रही है. कोर्ट ने शब्दकोश में पाई जाने वाली ‘‘बाउंसर’’ शब्द की परिभाषा का भी हवाला दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने कहा कि निजी सुरक्षा एजेंसियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 का उद्देश्य निजी सुरक्षा एजेंसियों और उनसे जुड़े या प्रासंगिक मामलों का विनियमन करना है. कोर्ट ने कहा कि निजी सुरक्षा एजेंसियां (विनियमन) अधिनियम से ‘‘निजी सुरक्षा एजेंसी’’ और ‘‘निजी सुरक्षा गार्ड’’ की परिभाषाओं का संदर्भ लेना प्रासंगिक होगा, जिसमें सुरक्षा गार्ड को ‘‘बाउंसर’’ नहीं कहा गया है. इसने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को निजी सुरक्षा एजेंसियां (विनियमन) अधिनियम और पंजाब राज्य में पंजाब निजी सुरक्षा एजेंसी नियम, 2007 के अनुसार सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति करनी होगी.</p>
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