<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News: </strong>रामनगर में एक ओर ग्रामीण बाघ के खौफ में जी रहे हैं. वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने उनके विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है. प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे ग्रामीण इलाकों में बाघ के लगातार हो रहे हमलों से आक्रोशित लोगों ने जब वन विभाग के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया. प्रशासन ने इसे कानून-व्यवस्था का मुद्दा बनाकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. इतना ही नहीं, क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई, जिससे ग्रामीणों की आवाज को और दबाने की कोशिश की जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामनगर के बिजरानी रेंज में गुरुवार को पेट्रोलिंग के दौरान दैनिक श्रमिक गणेश पर एक बाघ ने हमला कर दिया. उनके साथ मौजूद कर्मचारियों ने हवाई फायरिंग कर किसी तरह उन्हें बचाया, लेकिन वे गंभीर रूप से घायल हो गए. यह कोई पहला मामला नहीं था, इससे पहले भी कई ग्रामीण बाघ और अन्य जंगली जानवरों के हमलों का शिकार हो चुके हैं. अपने ही घरों के आसपास जान का खतरा झेल रहे ग्रामीण अब वन विभाग की निष्क्रियता से तंग आ चुके थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस घटना के बाद शुक्रवार को गुस्साए ग्रामीणों ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के झिरना और ढेला पर्यटन जोन को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर प्रदर्शन किया. उन्होंने सांवल्दे वन चौकी पर जाम लगाया और वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की. उनका स्पष्ट कहना था कि जब तक वन विभाग बाघ को पकड़ने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे. ग्रामीणों के इस प्रदर्शन से वन विभाग और प्रशासन की पोल खुलती नजर आई. इसके बाद उन्होंने तुरंत सख्त कदम उठाते हुए प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी. बिजरानी रेंज के रेंज अधिकारी भानु प्रकाश हरबोला की तहरीर पर पुलिस ने पांच ग्रामीणों को नामजद करते हुए 50 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुलिस ने लगाया सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस का आरोप है कि इन ग्रामीणों ने सड़क जाम कर सरकारी कार्य में बाधा डाली. लेकिन सवाल यह है कि क्या अपनी जान की सुरक्षा की मांग करना अपराध है? ग्रामीण तो सिर्फ इतना चाहते थे कि वन विभाग बाघ को पकड़े और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. लेकिन प्रशासन ने उनकी मांगें सुनने की बजाय उन्हें अपराधी बना दिया. इतना ही नहीं प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी, जिससे अब कोई भी एकत्र होकर अपनी आवाज नहीं उठा सकता. एसडीएम राहुल शाह ने इस आदेश को लागू कर दिया, जिससे ग्रामीणों को और अधिक दमन का सामना करना पड़ेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ग्रामीणों की सुरक्षा या पर्यटन उद्योग?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रशासन की प्राथमिकता क्या है? ग्रामीणों की सुरक्षा या पर्यटन उद्योग? प्रदर्शन के कारण झिरना और ढेला पर्यटन जोन जाने वाले सैलानियों को असुविधा हुई और ऐसा लग रहा है कि प्रशासन को सिर्फ इसी बात की चिंता थी. ग्रामीणों की पीड़ा को समझने की बजाय, प्रशासन ने उनकी आवाज दबाने के लिए कानून का सहारा लिया. सवाल यह है कि अगर वन विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाता और बाघ को काबू में करने के लिए समय पर कदम उठाता तो क्या ग्रामीणों को सड़क पर उतरना पड़ता.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोहरी मार झेल रहे हैं ग्रामीण</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ग्रामीण अब दोहरी मार झेल रहे हैं, एक तरफ बाघ का डर तो दूसरी तरफ प्रशासन का दमन. उनके ऊपर मुकदमे लादे जा रहे हैं, धारा 144 लगाकर उनके विरोध के अधिकार को छीना जा रहा है. प्रशासन और वन विभाग के रवैये से साफ है कि उनकी प्राथमिकता ग्रामीणों की सुरक्षा नहीं, बल्कि अपनी छवि बचाना और पर्यटन को बिना किसी रुकावट के जारी रखना है. लेकिन क्या ग्रामीण चुप बैठेंगे? या फिर वे अपने हक के लिए किसी और रास्ते से लड़ाई जारी रखेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में प्रशासन और सरकार उनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/haridwar-khanpur-former-mla-bjp-kunwar-pranav-singh-champion-heath-ann-2885564″>Uttarakhand News: पूर्व BJP विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की जेल में बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में कराया गया भर्ती</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News: </strong>रामनगर में एक ओर ग्रामीण बाघ के खौफ में जी रहे हैं. वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने उनके विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है. प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे ग्रामीण इलाकों में बाघ के लगातार हो रहे हमलों से आक्रोशित लोगों ने जब वन विभाग के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया. प्रशासन ने इसे कानून-व्यवस्था का मुद्दा बनाकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. इतना ही नहीं, क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई, जिससे ग्रामीणों की आवाज को और दबाने की कोशिश की जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामनगर के बिजरानी रेंज में गुरुवार को पेट्रोलिंग के दौरान दैनिक श्रमिक गणेश पर एक बाघ ने हमला कर दिया. उनके साथ मौजूद कर्मचारियों ने हवाई फायरिंग कर किसी तरह उन्हें बचाया, लेकिन वे गंभीर रूप से घायल हो गए. यह कोई पहला मामला नहीं था, इससे पहले भी कई ग्रामीण बाघ और अन्य जंगली जानवरों के हमलों का शिकार हो चुके हैं. अपने ही घरों के आसपास जान का खतरा झेल रहे ग्रामीण अब वन विभाग की निष्क्रियता से तंग आ चुके थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस घटना के बाद शुक्रवार को गुस्साए ग्रामीणों ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के झिरना और ढेला पर्यटन जोन को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर प्रदर्शन किया. उन्होंने सांवल्दे वन चौकी पर जाम लगाया और वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की. उनका स्पष्ट कहना था कि जब तक वन विभाग बाघ को पकड़ने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे. ग्रामीणों के इस प्रदर्शन से वन विभाग और प्रशासन की पोल खुलती नजर आई. इसके बाद उन्होंने तुरंत सख्त कदम उठाते हुए प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी. बिजरानी रेंज के रेंज अधिकारी भानु प्रकाश हरबोला की तहरीर पर पुलिस ने पांच ग्रामीणों को नामजद करते हुए 50 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुलिस ने लगाया सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस का आरोप है कि इन ग्रामीणों ने सड़क जाम कर सरकारी कार्य में बाधा डाली. लेकिन सवाल यह है कि क्या अपनी जान की सुरक्षा की मांग करना अपराध है? ग्रामीण तो सिर्फ इतना चाहते थे कि वन विभाग बाघ को पकड़े और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. लेकिन प्रशासन ने उनकी मांगें सुनने की बजाय उन्हें अपराधी बना दिया. इतना ही नहीं प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी, जिससे अब कोई भी एकत्र होकर अपनी आवाज नहीं उठा सकता. एसडीएम राहुल शाह ने इस आदेश को लागू कर दिया, जिससे ग्रामीणों को और अधिक दमन का सामना करना पड़ेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ग्रामीणों की सुरक्षा या पर्यटन उद्योग?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रशासन की प्राथमिकता क्या है? ग्रामीणों की सुरक्षा या पर्यटन उद्योग? प्रदर्शन के कारण झिरना और ढेला पर्यटन जोन जाने वाले सैलानियों को असुविधा हुई और ऐसा लग रहा है कि प्रशासन को सिर्फ इसी बात की चिंता थी. ग्रामीणों की पीड़ा को समझने की बजाय, प्रशासन ने उनकी आवाज दबाने के लिए कानून का सहारा लिया. सवाल यह है कि अगर वन विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाता और बाघ को काबू में करने के लिए समय पर कदम उठाता तो क्या ग्रामीणों को सड़क पर उतरना पड़ता.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोहरी मार झेल रहे हैं ग्रामीण</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ग्रामीण अब दोहरी मार झेल रहे हैं, एक तरफ बाघ का डर तो दूसरी तरफ प्रशासन का दमन. उनके ऊपर मुकदमे लादे जा रहे हैं, धारा 144 लगाकर उनके विरोध के अधिकार को छीना जा रहा है. प्रशासन और वन विभाग के रवैये से साफ है कि उनकी प्राथमिकता ग्रामीणों की सुरक्षा नहीं, बल्कि अपनी छवि बचाना और पर्यटन को बिना किसी रुकावट के जारी रखना है. लेकिन क्या ग्रामीण चुप बैठेंगे? या फिर वे अपने हक के लिए किसी और रास्ते से लड़ाई जारी रखेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में प्रशासन और सरकार उनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/haridwar-khanpur-former-mla-bjp-kunwar-pranav-singh-champion-heath-ann-2885564″>Uttarakhand News: पूर्व BJP विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की जेल में बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में कराया गया भर्ती</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कैसे मची भगदड़? यहां पढ़ें हादसे की पूरी टाइम लाइन
बाघ के हमले से डरे ग्रामीणों का प्रदर्शन, प्रशासन ने दर्ज किए मुकदमे और लगा दी धारा 144
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