बाबूलाल मरांडी सहित 28 BJP नेताओं को बड़ी राहत, झारखंड HC ने रद्द की FIR

बाबूलाल मरांडी सहित 28 BJP नेताओं को बड़ी राहत,  झारखंड HC ने रद्द की FIR

<p style=”text-align: justify;”><strong>Ranchi News:</strong> झारखंड हाई कोर्ट ने बीजेपी नेताओं को राहत दी है.&nbsp;रांची में 11 अप्रैल, 2023 को बीजेपी के सचिवालय मार्च के दौरान पुलिस से हुई झड़प के मामले में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, बीजेपी विधायक बाबूलाल मरांडी, सांसद संजय सेठ, दीपक प्रकाश, विधायक सीपी सिंह, ढुल्लू महतो सहित बीजेपी के 28 नेताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त कर दी है. जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट ने इन सभी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को फैसला सुनाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी की झारखंड इकाई ने तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार की विफलताओं के खिलाफ सचिवालय घेराव का आह्वान किया था. इसे देखते हुए पुलिस ने सचिवालय और आसपास के इलाके में धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी थी. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस का इस्तेमाल किया था. उन पर लाठी चार्ज भी हुआ था. इस दौरान रांची का धुर्वा चौक करीब दो घंटे तक रणक्षेत्र बना रहा था और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कार्यपालक दंडाधिकारी के बयान पर दर्ज की गई थी FIR</strong><br />इस प्रकरण को लेकर रांची जिला प्रशासन के कार्यपालक दंडाधिकारी उपेंद्र कुमार के बयान पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोपियों पर उपद्रव करने, दंगा भड़काने, सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, अपराध के लिए उकसाने और दूसरे व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बैरिकेडिंग उखाड़ने का प्रयास किया</strong><br />एफआईआर में कहा गया था कि 11 अप्रैल, 2023 को बीजेपी का सचिवालय घेराव का कार्यक्रम घोषित था. इसके लिए रांची के उपायुक्त और एसएसपी ने संयुक्त रूप से दंडाधिकारी, अधिकारी और सुरक्षा बलों की तैनाती संबंधित आदेश जारी किए थे. शांति व्यवस्था के लिए धुर्वा, गोल चक्कर से चांदनी चौक हटिया तक 11 अप्रैल की सुबह 8 से रात के 11.30 बजे तक धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई थी. इसके बावजूद नामजद आरोपियों और अज्ञात कार्यकर्ताओं ने बैरिकेडिंग उखाड़ने का प्रयास किया, उत्पात मचाया, ड्यूटी पर तैनात पुलिस बल को निशाना बनाते हुए बोतल फेंका, पत्थरबाजी की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ड्यूटी में तैनात पुलिस-प्रशासन और पत्रकार हो गए थे घायल</strong><br />पत्थरबाजी के कारण ड्यूटी में तैनात एसडीओ दीपक कुमार दुबे, धुर्वा के थानेदार विमल नंदन सिन्हा, दारोगा नारायण सोरेन, सिपाही मनीष कुमार, सिपाही संतोष कुमार शर्मा, अनिल कुमार महतो व अन्य पुलिसकर्मी और घटना की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार घायल हो गए. उन्हें समझाने व रोकने के सभी प्रयास विफल होने के बाद वरीय पदाधिकारी के आदेश पर वाटर कैनन के माध्यम से भीड़ पर पानी की बौछार की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>&nbsp;41 लोगों के नामों का किया गया था जिक्र&nbsp;</strong><br />एफआईआर में कहा गया था कि बीजेपी नेताओं ने भीड़ को उकसाने का प्रयास किया. एफआईआर में सांसद अर्जुन मुंडा, सांसद संजय सेठ, सांसद निशिकांत दुबे, सांसद समीर उरांव, सांसद सुनील कुमार सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधायक अमित मंडल, विधायक बाबूलाल मरांडी, विधायक विरंची नारायण सिंह सहित 41 लोगों के नामों का जिक्र किया गया था. इनमें से 28 ने एफआईआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”रांची के RIMS में जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी, कोलकाता की घटना का विरोध” href=”https://www.abplive.com/states/jharkhand/jharkhand-junior-doctors-of-rims-pen-down-agitation-protest-against-kolkata-doctor-rape-and-murder-case-2761123″ target=”_self”>रांची के RIMS में जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी, कोलकाता की घटना का विरोध</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ranchi News:</strong> झारखंड हाई कोर्ट ने बीजेपी नेताओं को राहत दी है.&nbsp;रांची में 11 अप्रैल, 2023 को बीजेपी के सचिवालय मार्च के दौरान पुलिस से हुई झड़प के मामले में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, बीजेपी विधायक बाबूलाल मरांडी, सांसद संजय सेठ, दीपक प्रकाश, विधायक सीपी सिंह, ढुल्लू महतो सहित बीजेपी के 28 नेताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त कर दी है. जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट ने इन सभी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को फैसला सुनाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी की झारखंड इकाई ने तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार की विफलताओं के खिलाफ सचिवालय घेराव का आह्वान किया था. इसे देखते हुए पुलिस ने सचिवालय और आसपास के इलाके में धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी थी. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस का इस्तेमाल किया था. उन पर लाठी चार्ज भी हुआ था. इस दौरान रांची का धुर्वा चौक करीब दो घंटे तक रणक्षेत्र बना रहा था और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कार्यपालक दंडाधिकारी के बयान पर दर्ज की गई थी FIR</strong><br />इस प्रकरण को लेकर रांची जिला प्रशासन के कार्यपालक दंडाधिकारी उपेंद्र कुमार के बयान पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोपियों पर उपद्रव करने, दंगा भड़काने, सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, अपराध के लिए उकसाने और दूसरे व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बैरिकेडिंग उखाड़ने का प्रयास किया</strong><br />एफआईआर में कहा गया था कि 11 अप्रैल, 2023 को बीजेपी का सचिवालय घेराव का कार्यक्रम घोषित था. इसके लिए रांची के उपायुक्त और एसएसपी ने संयुक्त रूप से दंडाधिकारी, अधिकारी और सुरक्षा बलों की तैनाती संबंधित आदेश जारी किए थे. शांति व्यवस्था के लिए धुर्वा, गोल चक्कर से चांदनी चौक हटिया तक 11 अप्रैल की सुबह 8 से रात के 11.30 बजे तक धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई थी. इसके बावजूद नामजद आरोपियों और अज्ञात कार्यकर्ताओं ने बैरिकेडिंग उखाड़ने का प्रयास किया, उत्पात मचाया, ड्यूटी पर तैनात पुलिस बल को निशाना बनाते हुए बोतल फेंका, पत्थरबाजी की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ड्यूटी में तैनात पुलिस-प्रशासन और पत्रकार हो गए थे घायल</strong><br />पत्थरबाजी के कारण ड्यूटी में तैनात एसडीओ दीपक कुमार दुबे, धुर्वा के थानेदार विमल नंदन सिन्हा, दारोगा नारायण सोरेन, सिपाही मनीष कुमार, सिपाही संतोष कुमार शर्मा, अनिल कुमार महतो व अन्य पुलिसकर्मी और घटना की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार घायल हो गए. उन्हें समझाने व रोकने के सभी प्रयास विफल होने के बाद वरीय पदाधिकारी के आदेश पर वाटर कैनन के माध्यम से भीड़ पर पानी की बौछार की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>&nbsp;41 लोगों के नामों का किया गया था जिक्र&nbsp;</strong><br />एफआईआर में कहा गया था कि बीजेपी नेताओं ने भीड़ को उकसाने का प्रयास किया. एफआईआर में सांसद अर्जुन मुंडा, सांसद संजय सेठ, सांसद निशिकांत दुबे, सांसद समीर उरांव, सांसद सुनील कुमार सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधायक अमित मंडल, विधायक बाबूलाल मरांडी, विधायक विरंची नारायण सिंह सहित 41 लोगों के नामों का जिक्र किया गया था. इनमें से 28 ने एफआईआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.</p>
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