नवाबगंज स्थित बालिका गृह यूनिट-2 में बालिका की मौत हो गई। उसे वर्ष-2013 में चंडीगढ़ से कानपुर लाया गया था। उसका 3 साल से टीबी का इलाज चल रहा था। गुरुवार को तबीयत बिगड़ने पर उसे बालिका गृह से चेस्ट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। बालिका की मौत पर डॉक्टरों के मुताबिक जब हालत गंभीर हो गई तब विभाग के कर्मचारियों ने बालिका को अस्पताल में भर्ती कराया। अगर समय पर अस्पताल ले आते तो उसकी जान बच सकती थी। कानपुर बालिका गृह में रह रही थी
मामले में अधीक्षिका शर्मीला गुप्ता ने बताया कि 2013 में चंडीगढ़ सीडब्ल्यूसी के आदेश पर बालिका गृह लाया गया था। तब से यहीं रह रही थी। इसे पहले से टीबी की बीमारी थी। कई बार इसकी तबियत बिगड़ी तो इसे हैलट में भर्ती कराया था। लगातार उसका इलाज चेस्ट अस्पताल से चल रहा था। एक माह पहले भी इसकी तबियत बिगड़ी तो इसे भर्ती कराया गया था सही होने के बाद वापस फिर बालिका गृह भेज दिया था। गुरुवार को सुबह अचानक फिर से तबियत बिगड़ी तो उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई। अस्पताल लाने में कर दी देरी
मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के डॉक्टर अवधेश कुमार के मुताबिक एक माह पहले तबियत खराब हुई तो इलाज किया गया था सही होने के बाद वापस बालिका गृह भेज दिया था। इसके बाद कोई भी उसे दिखाने अस्पताल नहीं आया। दवा चली कि नहीं कोई जानकारी नहीं है। गुरुवार को जब वो बालिका को अस्पताल लेकर आए हैं उस समय उसकी हालत बहुत बिगड़ चुकी थी। उसका बीपी गिर रहा था, सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इलाज शुरू कर दिया था लेकिन तीन घंटे बाद उसकी मौत हो गई। अगर समय से अस्पताल पहुंच जाती तो उसे बचाया जा सकता था। विवादों में रहता राजकीय बालिका गृह
राजकीय बालिका गृह अक्सर विवादों में रहता है। वर्ष 2023 में में दो किशोरियां भागीं थी। इससे पहले 10 सितंबर 2021 को दो किशोरियां भागीं थीं। बता दें कि बीते एक वर्ष में करीब दो बच्चों समेत चार नाबालिगों की जान जा चुकी है। मामले में डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि गंभीर अवस्था में अगर उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया तो, इसकी जांच कराई जाएगी। डिस्ट्रिक्ट प्रोबेशन ऑफिसर जयदीप सिंह के मुताबिक लड़की का आज पोस्टमार्टम कराया गया है। चूंकि लड़की अनाथ थी, इसलिए अंतिम संस्कार भी कानपुर में ही कर दिया गया है। नवाबगंज स्थित बालिका गृह यूनिट-2 में बालिका की मौत हो गई। उसे वर्ष-2013 में चंडीगढ़ से कानपुर लाया गया था। उसका 3 साल से टीबी का इलाज चल रहा था। गुरुवार को तबीयत बिगड़ने पर उसे बालिका गृह से चेस्ट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। बालिका की मौत पर डॉक्टरों के मुताबिक जब हालत गंभीर हो गई तब विभाग के कर्मचारियों ने बालिका को अस्पताल में भर्ती कराया। अगर समय पर अस्पताल ले आते तो उसकी जान बच सकती थी। कानपुर बालिका गृह में रह रही थी
मामले में अधीक्षिका शर्मीला गुप्ता ने बताया कि 2013 में चंडीगढ़ सीडब्ल्यूसी के आदेश पर बालिका गृह लाया गया था। तब से यहीं रह रही थी। इसे पहले से टीबी की बीमारी थी। कई बार इसकी तबियत बिगड़ी तो इसे हैलट में भर्ती कराया था। लगातार उसका इलाज चेस्ट अस्पताल से चल रहा था। एक माह पहले भी इसकी तबियत बिगड़ी तो इसे भर्ती कराया गया था सही होने के बाद वापस फिर बालिका गृह भेज दिया था। गुरुवार को सुबह अचानक फिर से तबियत बिगड़ी तो उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई। अस्पताल लाने में कर दी देरी
मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के डॉक्टर अवधेश कुमार के मुताबिक एक माह पहले तबियत खराब हुई तो इलाज किया गया था सही होने के बाद वापस बालिका गृह भेज दिया था। इसके बाद कोई भी उसे दिखाने अस्पताल नहीं आया। दवा चली कि नहीं कोई जानकारी नहीं है। गुरुवार को जब वो बालिका को अस्पताल लेकर आए हैं उस समय उसकी हालत बहुत बिगड़ चुकी थी। उसका बीपी गिर रहा था, सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इलाज शुरू कर दिया था लेकिन तीन घंटे बाद उसकी मौत हो गई। अगर समय से अस्पताल पहुंच जाती तो उसे बचाया जा सकता था। विवादों में रहता राजकीय बालिका गृह
राजकीय बालिका गृह अक्सर विवादों में रहता है। वर्ष 2023 में में दो किशोरियां भागीं थी। इससे पहले 10 सितंबर 2021 को दो किशोरियां भागीं थीं। बता दें कि बीते एक वर्ष में करीब दो बच्चों समेत चार नाबालिगों की जान जा चुकी है। मामले में डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि गंभीर अवस्था में अगर उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया तो, इसकी जांच कराई जाएगी। डिस्ट्रिक्ट प्रोबेशन ऑफिसर जयदीप सिंह के मुताबिक लड़की का आज पोस्टमार्टम कराया गया है। चूंकि लड़की अनाथ थी, इसलिए अंतिम संस्कार भी कानपुर में ही कर दिया गया है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर