यूपी के सीनियर IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया गया है। गुरुवार को उनके करीबी बाबू निकांत जैन को STF ने गिरफ्तार किया है। निकांत जैन के खिलाफ लखनऊ के गोमती नगर थाने में केस दर्ज हुआ है। IAS अभिषेक प्रकाश ने सोलर इंडस्ट्री प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए बिजनेसमैन से 5 फीसदी कमीशन मांगा था। कमीशन न मिलने पर प्रोजेक्ट की फाइल रोक दी। अभिषेक प्रकाश ने कमीशन निकांत जैन के जरिए बिजनेसमैन से डिमांड की थी। बिजनेसमैन विश्वजीत दत्ता ने इसकी शिकायत सीएम योगी से की। मुख्यमंत्री ने मामले की STF से जांच कराई थी। IAS अभिषेक अंडरग्राउंड हुए
पुलिस पूछताछ में निकांत जैन ने कबूला कि वह IAS अभिषेक के कहने पर 5 फीसदी रिश्वत मांग रहा था। STF ने इसकी जानकारी योगी को दी। इसके बाद अभिषेक को सस्पेंड कर दिया गया। उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। IAS अभिषेक प्रकाश औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के CEO थे। कार्रवाई के बाद से अभिषेक प्रकाश किसी के संपर्क में नहीं है। वह अंडरग्राउंड हो गए हैं। 20 मार्च को उद्योगपति ने की थी शिकायत
इन्वेस्टर विश्वजीत दत्ता ने 20 मार्च को सीएम योगी से शिकायत की थी। उन्होंने बताया, उनका ग्रुप SEAL सोलर P6 प्राइवेट लिमिटेड यूपी मे सोलर सेल और सोलर उर्जा से संबंधित कल पुर्जे बनाने की यूनिट लगाना चाहता था। इसके लिए उन्होंने इन्वेस्ट यूपी के ऑफिस में और ऑनलाइन आवेदन किया। इसके बाद मूल्यांकन समिति की बैठक हुई। जिसमें आवेदन पत्र रखा गया। एक सीनियर IAS अधिकारी ने निकांत जैन का नंबर दिया। कहा कि उससे बात कर लीजिए। वह कहेगा तो फाइल तुरंत पास हो जाएगी। जैन से बात की तो उसने 5 फीसदी कमीशन मांगा। कमीशन देने से मना करने पर जैन ने कहा कि कितना भी प्रयास कर लो, आना यहीं है। अनिल सागर के बाद IAS अभिषेक प्रकाश पर एक्शन
नोएडा में इन्वेस्टर्स को जमीन आवंटन के मामले में पिक एंड चूज कर कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के आरोप में 14 दिसंबर 2024 औद्योगिक विकास विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव अनिल सागर को हटाया गया था। अनिल सागर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए सरकार को उन्हें हटाने का आदेश दिया था। अनिल सागर के बाद अब विभाग के सचिव अभिषेक प्रकाश भी जमीन आवंटन और प्रोजेक्ट मंजूरी के नाम पर मोटी रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किए गए हैं। सवा तीन महीने में औद्योगिक विकास विभाग के अफसरों पर दो बड़ी कार्रवाई से महकमे की पोल खुल गई है। मुख्य सचिव के करीबी हैं अभिषेक और अनिल
शासन में अनिल सागर और अभिषेक प्रकाश को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह का करीबी माना जाता है। दोनों की विभाग में पोस्टिंग भी मनोज सिंह की पैरवी से ही हुई थी। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास के अध्यक्ष भी हैं। उन्हीं के अधीन ही औद्योगिक विकास विभाग, इन्वेस्ट यूपी काम करते हैं। लखनऊ डीएम रहते IAS अभिषेक प्रकाश पर 20 करोड़ के घोटाले का आरोप
IAS अभिषेक प्रकाश लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर की जमीन घोटाले के आरोपों से भी घिरे हैं। लखनऊ में सरोजनीनगर तहसील के भटगांव गांव के पास डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण 2020–22 में हुआ था। यहां ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट सहित रक्षा संबंधी यूनिट स्थापित की जानी थीं। उस समय अभिषेक प्रकाश लखनऊ के जिलाधिकारी थे। अधिग्रहण की प्रक्रिया 2021 से शुरू हुई थी। आरोप है- इस अधिग्रहण में फर्जी तरीके से दस्तावेजों में हेरफेर कर कई फर्जी आवंटियों के नाम जोड़े गए और लगभग 20 करोड़ मुआवजा राशि का बंदरबांट किया गया। इस तरह घोटाले को दिया गया अंजाम फर्जी दस्तावेज और ओवरराइटिंग मुआवजे में हेराफेरी प्रशासनिक लापरवाही 6 लाख देकर घपलेबाजों ने 71 लाख का लिया मुआवजा
इस घपले को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। पट्टाधारी बद्री की पत्नी रामकली ने खतौनी में अपना नाम दर्ज कराने के लिए बिना तारीख का एक प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर एसडीएम ने 13 अक्टूबर 2020 को तहसीलदार से जांच रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट के अनुसार, एसडीएम ने पट्टा स्वीकृति की तारीख 22 जून 1984 दर्ज की, जिसे बाद में ओवरराइट करके 28 जनवरी 1985 कर दिया गया। कथित आवंटी बद्री के स्थान पर 20 फरवरी 2021 को उसकी पत्नी रामकली का नाम दर्ज किया गया। हैरानी की बात ये है कि महज दो दिन बाद 22 फरवरी 2021 को रामकली के स्थान पर कलावती पत्नी बद्री को संक्रमणीय घोषित कर दिया गया। फिर 10 मार्च 2021 को रामकली उर्फ कलावती ने राम सजीवन नाम के व्यक्ति को यह जमीन बेच दी। राम सजीवन ने ये जमीन यूपीडा को बेची। जिसके एवज में उसे 71.28 लाख रुपए मुआवजा मिला। जबकि रामकली को सिर्फ 6 लाख रुपए मिले। इसी तरह का खेल दूसरे पट्टों में भी किया गया। यही नहीं यूपीडा को जमीन बेचने वाले फर्जी लागों ने मुआवजे की राशि भी 10 दिन के अंदर नकद निकाल ली। यह पूरा फर्जीवाड़ा 1985 की फर्जी आवंटन पत्रावली के आधार पर किया गया। कुछ कथित आवंटियों ने झूठा बयान दिया कि असंक्रमणीय और संक्रमणीय घोषित होने से पूर्व उन्होंने किसी से उस भूखंड का सौदा नहीं किया। जबकि अभिलेख से साफ है कि असंक्रमणीय व संक्रमणीय घोषित होने से पूर्व ही बेचने का अनुबंध किया जा चुका था। यह सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के संभव नहीं था। राजस्व विभाग की जांच में करतूत उजागर
यह मामला सामने आने के बाद शासन के निर्देश पर राजस्व विभाग की समिति से जांच कराई गई। समित ने राजस्व परिषद के चेयरमैन रजनीश दुबे की अगुआई में इस मामले की जांच की। समित की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि अभिलेखों में फर्जी आवंटियों के नाम दर्ज करने के लिए लेखपाल रमेश चंद्र प्रजापति, हरिश्चंद्र, राजस्व निरीक्षक राधेश्याम, अशोक सिंह, रत्नेश सिंह व जितेंद्र कुमार सिंह, रजिस्ट्रार कानूनगो नैंसी शुक्ला, तत्कालीन तहसीलदार उमेश सिंह, ज्ञानेंद्र द्विवेदी, ज्ञानेंद्र सिंह व विजय कुमार सिंह, तत्कालीन एसडीएम सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ. संतोष कुमार, आनंद कुमार सिंह, देवेंद्र कुमार व शंभु शरण प्रथम दृष्टया जिम्मेदार हैं। इसके अलावा अभिलेखों की जांच के बिना जमीन बिक्री की अनुमति देने वाले तत्कालीन एडीएम अमरपाल सिंह, रजिस्ट्रार कार्यालय से संबद्ध तत्कालीन लेखपाल ज्ञान प्रकाश अवस्थी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। तत्कालीन कलेक्टर रहते हुए अभिषेक प्रकाश को भी जवाबदार बताया गया है। दो जिलों में डीएम रहते 700 बीघा जमीन खरीदने के आरोप
अभिषेक प्रकाश पर लखीमपुर खीरी और बरेली में 700 बीघा जमीन अपने परिवार के नाम खरीदने के भी आरोप हैं। पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह ने IAS अभिषेक के खिलाफ साक्ष्यों सहित शिकायत डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग से की थी। शिकायत में उन्होंने कहा था, डीएम रहते अभिषेक आकाश ने लखीमपुर खीरी में लगभग 300 बीघे ज़मीन खरीदी थी। यह जमीन आईएएस अभिषेक ने अपने परिजन (माता, पिता व भाई के अलावा कुछ फर्जी कंपनियां बनाकर) के नाम खरीदी हैं। इसी तरह बरेली में 400 बीघा जमीन खरीदने का भी आरोप है। दोनों जगहों पर स्टांप ड्यूटी में चोरी के भी आरोप हैं। DOPT ने यूपी सरकार को इस पूरे मामले की जांच के लिए लिखा था। ——————— यह खबर भी पढ़िए… इलाहाबाद हाईकोर्ट बोला- प्राइवेट पार्ट पकड़ना, नाड़ा तोड़ना रेप नहीं:भाजपा सांसद ने कहा- अगर जज ही संवेदनशील नहीं, तो महिलाएं और बच्चियां क्या करेंगी? यूपी के कासगंज की 11 साल की बच्ची के केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा की राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, अगर जज ही संवेदनशील नहीं होंगे, तो महिलाएं और बच्चियां क्या करेंगी? पढ़ें पूरी खबर… यूपी के सीनियर IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया गया है। गुरुवार को उनके करीबी बाबू निकांत जैन को STF ने गिरफ्तार किया है। निकांत जैन के खिलाफ लखनऊ के गोमती नगर थाने में केस दर्ज हुआ है। IAS अभिषेक प्रकाश ने सोलर इंडस्ट्री प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए बिजनेसमैन से 5 फीसदी कमीशन मांगा था। कमीशन न मिलने पर प्रोजेक्ट की फाइल रोक दी। अभिषेक प्रकाश ने कमीशन निकांत जैन के जरिए बिजनेसमैन से डिमांड की थी। बिजनेसमैन विश्वजीत दत्ता ने इसकी शिकायत सीएम योगी से की। मुख्यमंत्री ने मामले की STF से जांच कराई थी। IAS अभिषेक अंडरग्राउंड हुए
पुलिस पूछताछ में निकांत जैन ने कबूला कि वह IAS अभिषेक के कहने पर 5 फीसदी रिश्वत मांग रहा था। STF ने इसकी जानकारी योगी को दी। इसके बाद अभिषेक को सस्पेंड कर दिया गया। उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। IAS अभिषेक प्रकाश औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के CEO थे। कार्रवाई के बाद से अभिषेक प्रकाश किसी के संपर्क में नहीं है। वह अंडरग्राउंड हो गए हैं। 20 मार्च को उद्योगपति ने की थी शिकायत
इन्वेस्टर विश्वजीत दत्ता ने 20 मार्च को सीएम योगी से शिकायत की थी। उन्होंने बताया, उनका ग्रुप SEAL सोलर P6 प्राइवेट लिमिटेड यूपी मे सोलर सेल और सोलर उर्जा से संबंधित कल पुर्जे बनाने की यूनिट लगाना चाहता था। इसके लिए उन्होंने इन्वेस्ट यूपी के ऑफिस में और ऑनलाइन आवेदन किया। इसके बाद मूल्यांकन समिति की बैठक हुई। जिसमें आवेदन पत्र रखा गया। एक सीनियर IAS अधिकारी ने निकांत जैन का नंबर दिया। कहा कि उससे बात कर लीजिए। वह कहेगा तो फाइल तुरंत पास हो जाएगी। जैन से बात की तो उसने 5 फीसदी कमीशन मांगा। कमीशन देने से मना करने पर जैन ने कहा कि कितना भी प्रयास कर लो, आना यहीं है। अनिल सागर के बाद IAS अभिषेक प्रकाश पर एक्शन
नोएडा में इन्वेस्टर्स को जमीन आवंटन के मामले में पिक एंड चूज कर कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के आरोप में 14 दिसंबर 2024 औद्योगिक विकास विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव अनिल सागर को हटाया गया था। अनिल सागर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए सरकार को उन्हें हटाने का आदेश दिया था। अनिल सागर के बाद अब विभाग के सचिव अभिषेक प्रकाश भी जमीन आवंटन और प्रोजेक्ट मंजूरी के नाम पर मोटी रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किए गए हैं। सवा तीन महीने में औद्योगिक विकास विभाग के अफसरों पर दो बड़ी कार्रवाई से महकमे की पोल खुल गई है। मुख्य सचिव के करीबी हैं अभिषेक और अनिल
शासन में अनिल सागर और अभिषेक प्रकाश को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह का करीबी माना जाता है। दोनों की विभाग में पोस्टिंग भी मनोज सिंह की पैरवी से ही हुई थी। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास के अध्यक्ष भी हैं। उन्हीं के अधीन ही औद्योगिक विकास विभाग, इन्वेस्ट यूपी काम करते हैं। लखनऊ डीएम रहते IAS अभिषेक प्रकाश पर 20 करोड़ के घोटाले का आरोप
IAS अभिषेक प्रकाश लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर की जमीन घोटाले के आरोपों से भी घिरे हैं। लखनऊ में सरोजनीनगर तहसील के भटगांव गांव के पास डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण 2020–22 में हुआ था। यहां ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट सहित रक्षा संबंधी यूनिट स्थापित की जानी थीं। उस समय अभिषेक प्रकाश लखनऊ के जिलाधिकारी थे। अधिग्रहण की प्रक्रिया 2021 से शुरू हुई थी। आरोप है- इस अधिग्रहण में फर्जी तरीके से दस्तावेजों में हेरफेर कर कई फर्जी आवंटियों के नाम जोड़े गए और लगभग 20 करोड़ मुआवजा राशि का बंदरबांट किया गया। इस तरह घोटाले को दिया गया अंजाम फर्जी दस्तावेज और ओवरराइटिंग मुआवजे में हेराफेरी प्रशासनिक लापरवाही 6 लाख देकर घपलेबाजों ने 71 लाख का लिया मुआवजा
इस घपले को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। पट्टाधारी बद्री की पत्नी रामकली ने खतौनी में अपना नाम दर्ज कराने के लिए बिना तारीख का एक प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर एसडीएम ने 13 अक्टूबर 2020 को तहसीलदार से जांच रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट के अनुसार, एसडीएम ने पट्टा स्वीकृति की तारीख 22 जून 1984 दर्ज की, जिसे बाद में ओवरराइट करके 28 जनवरी 1985 कर दिया गया। कथित आवंटी बद्री के स्थान पर 20 फरवरी 2021 को उसकी पत्नी रामकली का नाम दर्ज किया गया। हैरानी की बात ये है कि महज दो दिन बाद 22 फरवरी 2021 को रामकली के स्थान पर कलावती पत्नी बद्री को संक्रमणीय घोषित कर दिया गया। फिर 10 मार्च 2021 को रामकली उर्फ कलावती ने राम सजीवन नाम के व्यक्ति को यह जमीन बेच दी। राम सजीवन ने ये जमीन यूपीडा को बेची। जिसके एवज में उसे 71.28 लाख रुपए मुआवजा मिला। जबकि रामकली को सिर्फ 6 लाख रुपए मिले। इसी तरह का खेल दूसरे पट्टों में भी किया गया। यही नहीं यूपीडा को जमीन बेचने वाले फर्जी लागों ने मुआवजे की राशि भी 10 दिन के अंदर नकद निकाल ली। यह पूरा फर्जीवाड़ा 1985 की फर्जी आवंटन पत्रावली के आधार पर किया गया। कुछ कथित आवंटियों ने झूठा बयान दिया कि असंक्रमणीय और संक्रमणीय घोषित होने से पूर्व उन्होंने किसी से उस भूखंड का सौदा नहीं किया। जबकि अभिलेख से साफ है कि असंक्रमणीय व संक्रमणीय घोषित होने से पूर्व ही बेचने का अनुबंध किया जा चुका था। यह सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के संभव नहीं था। राजस्व विभाग की जांच में करतूत उजागर
यह मामला सामने आने के बाद शासन के निर्देश पर राजस्व विभाग की समिति से जांच कराई गई। समित ने राजस्व परिषद के चेयरमैन रजनीश दुबे की अगुआई में इस मामले की जांच की। समित की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि अभिलेखों में फर्जी आवंटियों के नाम दर्ज करने के लिए लेखपाल रमेश चंद्र प्रजापति, हरिश्चंद्र, राजस्व निरीक्षक राधेश्याम, अशोक सिंह, रत्नेश सिंह व जितेंद्र कुमार सिंह, रजिस्ट्रार कानूनगो नैंसी शुक्ला, तत्कालीन तहसीलदार उमेश सिंह, ज्ञानेंद्र द्विवेदी, ज्ञानेंद्र सिंह व विजय कुमार सिंह, तत्कालीन एसडीएम सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ. संतोष कुमार, आनंद कुमार सिंह, देवेंद्र कुमार व शंभु शरण प्रथम दृष्टया जिम्मेदार हैं। इसके अलावा अभिलेखों की जांच के बिना जमीन बिक्री की अनुमति देने वाले तत्कालीन एडीएम अमरपाल सिंह, रजिस्ट्रार कार्यालय से संबद्ध तत्कालीन लेखपाल ज्ञान प्रकाश अवस्थी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। तत्कालीन कलेक्टर रहते हुए अभिषेक प्रकाश को भी जवाबदार बताया गया है। दो जिलों में डीएम रहते 700 बीघा जमीन खरीदने के आरोप
अभिषेक प्रकाश पर लखीमपुर खीरी और बरेली में 700 बीघा जमीन अपने परिवार के नाम खरीदने के भी आरोप हैं। पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह ने IAS अभिषेक के खिलाफ साक्ष्यों सहित शिकायत डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग से की थी। शिकायत में उन्होंने कहा था, डीएम रहते अभिषेक आकाश ने लखीमपुर खीरी में लगभग 300 बीघे ज़मीन खरीदी थी। यह जमीन आईएएस अभिषेक ने अपने परिजन (माता, पिता व भाई के अलावा कुछ फर्जी कंपनियां बनाकर) के नाम खरीदी हैं। इसी तरह बरेली में 400 बीघा जमीन खरीदने का भी आरोप है। दोनों जगहों पर स्टांप ड्यूटी में चोरी के भी आरोप हैं। DOPT ने यूपी सरकार को इस पूरे मामले की जांच के लिए लिखा था। ——————— यह खबर भी पढ़िए… इलाहाबाद हाईकोर्ट बोला- प्राइवेट पार्ट पकड़ना, नाड़ा तोड़ना रेप नहीं:भाजपा सांसद ने कहा- अगर जज ही संवेदनशील नहीं, तो महिलाएं और बच्चियां क्या करेंगी? यूपी के कासगंज की 11 साल की बच्ची के केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा की राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, अगर जज ही संवेदनशील नहीं होंगे, तो महिलाएं और बच्चियां क्या करेंगी? पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
बिजनेसमैन से रिश्वत मांगने पर IAS अभिषेक प्रकाश सस्पेंड:लखनऊ में करीबी बाबू गिरफ्तार; 5% कमीशन के लिए सोलर प्रोजेक्ट की फाइल रोकी थी
