बिलासपुर में बारिश के लिए लोगों ने की पूजा:वीरभद्र की पिंडी माता नैनादेवी के चरणों में स्थापित, प्राचीन परंपराओं से जुड़ी मान्यता

बिलासपुर में बारिश के लिए लोगों ने की पूजा:वीरभद्र की पिंडी माता नैनादेवी के चरणों में स्थापित, प्राचीन परंपराओं से जुड़ी मान्यता

हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर में प्राचीन परंपराओं का निर्वहन करते हुए पूजा अर्चना की गई। बिलासपुर में शुक्रवार को भगवान वीरभद्र जी की मूर्ति मंदिर के भीतर से उठाकर माता नैना देवी के चरणों में स्थापित की गई। यह परंपरा तब निभाई जाती है जब लंबे समय तक बारिश नहीं होती और सूखे जैसे हालात बनते हैं। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि परंपरा के अनुसार सबसे पहले भगवान वीरभद्र की पिंडी को मंदिर की परिक्रमा करवाई जाती है। इसके बाद माता के चरणों में स्थापित किया जाता है। इस मान्यता के तहत भगवान वीरभद्र और माता रानी से प्रार्थना की जाती है कि बारिश हो और प्रदेश में सूखे के हालात समाप्त हों। मंदिर के पुजारी प्रवेश शर्मा और सुमित शर्मा ने बताया कि उनके बुजुर्गों के समय से यह परंपरा चली आ रही है। जब भी बारिश नहीं होती थी, तो भगवान वीरभद्र की मूर्ति को माता के चरणों में रखा जाता था। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में बारिश शुरू हो जाती थी। पुजारी विनोद शर्मा ने बताया यह परंपरा आज भी जारी है। हमने माता नैना देवी और भगवान शिव से प्रार्थना की है कि शीघ्र ही बारिश हो और प्रदेश को राहत मिले। मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि इस अनूठी परंपरा में उनकी गहरी आस्था है। स्थानीय निवासी गोल्डी ने कहा हमने बचपन से देखा है कि जब भी भगवान वीरभद्र को माता के चरणों में रखा जाता है, तो कुछ ही समय में बारिश होती है। श्रद्धालुओं और पुजारियों की प्रार्थनाएं अब मौसम के बदलने की उम्मीद से जुड़ी हुई हैं। सभी को विश्वास है कि माता नैना देवी और भगवान वीरभद्र की कृपा से बारिश जल्द शुरू होगी। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर में प्राचीन परंपराओं का निर्वहन करते हुए पूजा अर्चना की गई। बिलासपुर में शुक्रवार को भगवान वीरभद्र जी की मूर्ति मंदिर के भीतर से उठाकर माता नैना देवी के चरणों में स्थापित की गई। यह परंपरा तब निभाई जाती है जब लंबे समय तक बारिश नहीं होती और सूखे जैसे हालात बनते हैं। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि परंपरा के अनुसार सबसे पहले भगवान वीरभद्र की पिंडी को मंदिर की परिक्रमा करवाई जाती है। इसके बाद माता के चरणों में स्थापित किया जाता है। इस मान्यता के तहत भगवान वीरभद्र और माता रानी से प्रार्थना की जाती है कि बारिश हो और प्रदेश में सूखे के हालात समाप्त हों। मंदिर के पुजारी प्रवेश शर्मा और सुमित शर्मा ने बताया कि उनके बुजुर्गों के समय से यह परंपरा चली आ रही है। जब भी बारिश नहीं होती थी, तो भगवान वीरभद्र की मूर्ति को माता के चरणों में रखा जाता था। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में बारिश शुरू हो जाती थी। पुजारी विनोद शर्मा ने बताया यह परंपरा आज भी जारी है। हमने माता नैना देवी और भगवान शिव से प्रार्थना की है कि शीघ्र ही बारिश हो और प्रदेश को राहत मिले। मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि इस अनूठी परंपरा में उनकी गहरी आस्था है। स्थानीय निवासी गोल्डी ने कहा हमने बचपन से देखा है कि जब भी भगवान वीरभद्र को माता के चरणों में रखा जाता है, तो कुछ ही समय में बारिश होती है। श्रद्धालुओं और पुजारियों की प्रार्थनाएं अब मौसम के बदलने की उम्मीद से जुड़ी हुई हैं। सभी को विश्वास है कि माता नैना देवी और भगवान वीरभद्र की कृपा से बारिश जल्द शुरू होगी।   हिमाचल | दैनिक भास्कर