चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर हुए कंगना रनौट थप्पड़ घटनाक्रम के बाद विवाद गहराता जा रहा है। एक तरफ पंजाब के सिख व किसान संगठन कुलविंदर कौर के हक में आ चुके हैं। वहीं राजपूत बिरादरी ने कंगना के हक में उतरी है। लेकिन इसी बीच कुलविंदर कौर के परिवार ने थप्पड़ मारने का वीडियो जांच करने की मांग रखी है। कुलविंदर कौर की मां वीर कौर मानने को तैयार नहीं है कि बिना वजह कुलविंदर ने कंगना पर हाथ उठाया होगा। वहीं, कुलविंदर कौर के पिता जो एक साल से बीमार हैं, पूरे घटनाक्रम की सूचना नहीं है। जो लोग कुलविंदर कौर के कारण घर आ रहे हैं, उन्हें भी पिता को घटनाक्रम के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया गया है। वीर कौर का कहना है कि मां कितनी भी बुरी हो या अच्छी हो, कोई अपनी मां के बारे में नहीं सुन सकता। उसे 100 रुपए लेकर दिहाड़ी पर जाने वाली कहा गया, दुक्की की औरत कहा गया। क्या हम दुक्की की महिलाएं हैं। हम अगर आंदोलन में गई तो अपने बच्चों के भविष्य के लिए गई। जाने क्या कहा वीर कौर ने सवाल- कंगना रनोट के साथ हुए घटनाक्रम पर क्या कहेंगी? वीर कौर- मेरी बेटी ने जो किया ठीक किया। परिवार व किसान संगठन उनके साथ हैं। मैं अपनी बेटी को गलत नहीं कह सकती। जब तक मैं अपनी आंखों से सब नहीं देख लेती, मैं ऐसा कुछ नहीं कहूंगी। सवाल- परिवार में बेटी के अलावा भी कोई आर्मी या पैरा मिलिट्री फोर्सेस में है? जवाब- हमारे परिवार में 5-6 लोग आर्मी से है। जेठ, भतीजा व 2 जीजे हमारे आर्मी में हैं और कई रिटायर हो चुके हैं। 1965 की लड़ाई में मेरे जेठ ने पीपल पत्ते खा कर लड़ाई लड़ी। 16 साल मेरी बेटी को जॉब करते हो गए। आज तक ऐसा नहीं हुआ और ना ही कोई शिकायत आई। मैं इस बात को नहीं मानती कि बिना कारण उसकी बैटी ने थप्पड़ मारा है। सवाल- बेटी ने दिल्ली आंदोलन में जाने की बात कही, क्या आप वहां थी? दिल्ली – हम अपने हकों के लिए वहां गए थे। हमें फसलों के नुकसान के पैसे मिलें, जमीनें जो कच्ची हैं, पक्की हमारे नाम की जाएं। हमारा दिल करता है कि हम सड़क पर धूप में बैठें। नंगे पैर हम जाते थे, पानी को तरसते थे। अपने हक के लिए गए। सवाल- घटना के दिन आप कहां थी? जवाब- जिस दिन घटना हुई मैं बाहर थी, किसी करीबी का देहांत हो गया था। रात 7 बजे आई तो मुझे घटना का पता चला। मां बुरी हो या अच्छी, कोई बच्चा नहीं सुनता। जब मां को बोल दिया कि 100 रुपए दिहाड़ी लेकर जाती है। मुझे दो आने की कहा गया। मेरी बेटी पानी को लांघ, सरकंडों से निकल स्कूल पढ़ने जाती थी। तब भी उसकी कोई शिकायत नहीं आई। उसे कुछ कहा होगा जो उसने ऐसा किया। जब तक मैं अपनी आंखों से सब देख नहीं लेती, मैं नहीं मानूंगी कि मेरी बेटी गलत है। सवाल- बेटी से बात हुई? जवाब- मेरी बेटी से 3-4 दिन हो गए, बात नहीं हुई। मुझे दिखाया जाए कि उसने थप्पड़ मारा गया है। क्यों मारा गया, उसने (कंगना) ने कुछ कहा होग। मेरी बेटी ऐसे हाथ उठाने वाली नहीं है। कंगना ने कुछ तो बोला होगा। कभी कह दिया कि 100 रुपए लेकर जाती थी। हमें दुक्की का कह दिया। क्या हम दुक्की की हो गई। हम अपने परिवार के लिए जाते थे। अपनी जायदाद के लिए जाते थे। अपने बच्चों के भविष्य के लिए जाते थे। सवाल- क्या बीमार पिता को घटना की जानकारी है? जवाब- पिता बीमार हैं। 1 साल से बीमार हैं, उन्हें अटैक आया था। तब से ही वे बिस्तर पर हैं। उन्हें खुद उठा कर खिलाना पिलाना पड़ता है। उन्हें इस घटना के बारे में बताया ही नहीं गया। अगर कोई आता है तो उन्हें ना बताने का समझा दिया जाता है। वे पूछते हैं, लोग क्यों आ रहे हैं। जवाब में कह देते हैं, किसान संगठन की बैठक है। जानें क्या है मामला घटना वीरवार दोपहर 3 बजे की है। कंगना हिमाचल से जाने के लिए चंडीगढ़ एयरपोर्ट पहुंची थी। सुरक्षा जांच के बाद आगे बढ़ने लगी तो CISF जवान कुलविंदर कौर ने उन्हें थप्पड़ जड़ दिया। कुलविंदर कह रही थी कह रही है, ‘कंगना ने कहा था कि 100-100 रुपए की ख़ातिर लोग किसान आंदोलन में बैठ रहे हैं। जब उसने यह बयान दिया तो मेरी मां भी वहां बैठी थी।’ कंगना ने एक वीडियो शेयर किया है। उन्होंने कहा, ‘मैं सेफ हूं। आज चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर मेरे साथ हादसा हो गया। एयरपोर्ट पर एक महिला जवान ने मुझे गालियां देनी शुरू कर दीं। उसने बताया कि वो किसान आंदोलन की सपोर्टर है। उसने साइड से आकर मुझे चेहरे पर हिट कर दिया। मैं तो सुरक्षित हूं, लेकिन मेरी चिंता पंजाब में बढ़ रहे उग्रवाद और आतंकवाद को लेकर है। इसे कैसे भी करके हैंडल करना पड़ेगा।’ चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर हुए कंगना रनौट थप्पड़ घटनाक्रम के बाद विवाद गहराता जा रहा है। एक तरफ पंजाब के सिख व किसान संगठन कुलविंदर कौर के हक में आ चुके हैं। वहीं राजपूत बिरादरी ने कंगना के हक में उतरी है। लेकिन इसी बीच कुलविंदर कौर के परिवार ने थप्पड़ मारने का वीडियो जांच करने की मांग रखी है। कुलविंदर कौर की मां वीर कौर मानने को तैयार नहीं है कि बिना वजह कुलविंदर ने कंगना पर हाथ उठाया होगा। वहीं, कुलविंदर कौर के पिता जो एक साल से बीमार हैं, पूरे घटनाक्रम की सूचना नहीं है। जो लोग कुलविंदर कौर के कारण घर आ रहे हैं, उन्हें भी पिता को घटनाक्रम के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया गया है। वीर कौर का कहना है कि मां कितनी भी बुरी हो या अच्छी हो, कोई अपनी मां के बारे में नहीं सुन सकता। उसे 100 रुपए लेकर दिहाड़ी पर जाने वाली कहा गया, दुक्की की औरत कहा गया। क्या हम दुक्की की महिलाएं हैं। हम अगर आंदोलन में गई तो अपने बच्चों के भविष्य के लिए गई। जाने क्या कहा वीर कौर ने सवाल- कंगना रनोट के साथ हुए घटनाक्रम पर क्या कहेंगी? वीर कौर- मेरी बेटी ने जो किया ठीक किया। परिवार व किसान संगठन उनके साथ हैं। मैं अपनी बेटी को गलत नहीं कह सकती। जब तक मैं अपनी आंखों से सब नहीं देख लेती, मैं ऐसा कुछ नहीं कहूंगी। सवाल- परिवार में बेटी के अलावा भी कोई आर्मी या पैरा मिलिट्री फोर्सेस में है? जवाब- हमारे परिवार में 5-6 लोग आर्मी से है। जेठ, भतीजा व 2 जीजे हमारे आर्मी में हैं और कई रिटायर हो चुके हैं। 1965 की लड़ाई में मेरे जेठ ने पीपल पत्ते खा कर लड़ाई लड़ी। 16 साल मेरी बेटी को जॉब करते हो गए। आज तक ऐसा नहीं हुआ और ना ही कोई शिकायत आई। मैं इस बात को नहीं मानती कि बिना कारण उसकी बैटी ने थप्पड़ मारा है। सवाल- बेटी ने दिल्ली आंदोलन में जाने की बात कही, क्या आप वहां थी? दिल्ली – हम अपने हकों के लिए वहां गए थे। हमें फसलों के नुकसान के पैसे मिलें, जमीनें जो कच्ची हैं, पक्की हमारे नाम की जाएं। हमारा दिल करता है कि हम सड़क पर धूप में बैठें। नंगे पैर हम जाते थे, पानी को तरसते थे। अपने हक के लिए गए। सवाल- घटना के दिन आप कहां थी? जवाब- जिस दिन घटना हुई मैं बाहर थी, किसी करीबी का देहांत हो गया था। रात 7 बजे आई तो मुझे घटना का पता चला। मां बुरी हो या अच्छी, कोई बच्चा नहीं सुनता। जब मां को बोल दिया कि 100 रुपए दिहाड़ी लेकर जाती है। मुझे दो आने की कहा गया। मेरी बेटी पानी को लांघ, सरकंडों से निकल स्कूल पढ़ने जाती थी। तब भी उसकी कोई शिकायत नहीं आई। उसे कुछ कहा होगा जो उसने ऐसा किया। जब तक मैं अपनी आंखों से सब देख नहीं लेती, मैं नहीं मानूंगी कि मेरी बेटी गलत है। सवाल- बेटी से बात हुई? जवाब- मेरी बेटी से 3-4 दिन हो गए, बात नहीं हुई। मुझे दिखाया जाए कि उसने थप्पड़ मारा गया है। क्यों मारा गया, उसने (कंगना) ने कुछ कहा होग। मेरी बेटी ऐसे हाथ उठाने वाली नहीं है। कंगना ने कुछ तो बोला होगा। कभी कह दिया कि 100 रुपए लेकर जाती थी। हमें दुक्की का कह दिया। क्या हम दुक्की की हो गई। हम अपने परिवार के लिए जाते थे। अपनी जायदाद के लिए जाते थे। अपने बच्चों के भविष्य के लिए जाते थे। सवाल- क्या बीमार पिता को घटना की जानकारी है? जवाब- पिता बीमार हैं। 1 साल से बीमार हैं, उन्हें अटैक आया था। तब से ही वे बिस्तर पर हैं। उन्हें खुद उठा कर खिलाना पिलाना पड़ता है। उन्हें इस घटना के बारे में बताया ही नहीं गया। अगर कोई आता है तो उन्हें ना बताने का समझा दिया जाता है। वे पूछते हैं, लोग क्यों आ रहे हैं। जवाब में कह देते हैं, किसान संगठन की बैठक है। जानें क्या है मामला घटना वीरवार दोपहर 3 बजे की है। कंगना हिमाचल से जाने के लिए चंडीगढ़ एयरपोर्ट पहुंची थी। सुरक्षा जांच के बाद आगे बढ़ने लगी तो CISF जवान कुलविंदर कौर ने उन्हें थप्पड़ जड़ दिया। कुलविंदर कह रही थी कह रही है, ‘कंगना ने कहा था कि 100-100 रुपए की ख़ातिर लोग किसान आंदोलन में बैठ रहे हैं। जब उसने यह बयान दिया तो मेरी मां भी वहां बैठी थी।’ कंगना ने एक वीडियो शेयर किया है। उन्होंने कहा, ‘मैं सेफ हूं। आज चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर मेरे साथ हादसा हो गया। एयरपोर्ट पर एक महिला जवान ने मुझे गालियां देनी शुरू कर दीं। उसने बताया कि वो किसान आंदोलन की सपोर्टर है। उसने साइड से आकर मुझे चेहरे पर हिट कर दिया। मैं तो सुरक्षित हूं, लेकिन मेरी चिंता पंजाब में बढ़ रहे उग्रवाद और आतंकवाद को लेकर है। इसे कैसे भी करके हैंडल करना पड़ेगा।’ पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब पूर्व CM के पोते चुनाव हारकर भी मंत्री बने:दादा की एम्बेसडर कार को लकी मानते हैं, सचिवालय में ब्लास्ट के दौरान मौजूद थे
पंजाब पूर्व CM के पोते चुनाव हारकर भी मंत्री बने:दादा की एम्बेसडर कार को लकी मानते हैं, सचिवालय में ब्लास्ट के दौरान मौजूद थे वर्ष 1995 में आतंकवाद के दौर में सचिवालय बिल्डिंग ब्लास्ट में जान गंवाने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत बिट्टू को नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार में मंत्री बनाया गया है। रवनीत बिट्टू ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन की थी। भाजपा ने उन्हें लुधियाना से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से हार गए। ऐसे में अब भाजपा ने उन्हें मंत्री बनाकर सिख समाज को साधने की कोशिश की। रवनीत बिट्टू के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2008 में युवा कांग्रेस से शुरू किया था। 2008 में वे पंजाब यूथ कांग्रेस के पहले निर्वाचित अध्यक्ष बने। 2009 में पार्टी ने उन्हें श्री आनंदपुर साहिब से टिकट दी और दादा बेअंत सिंह व पिता स्वर्णजीत सिंह के किए कामों के कारण वे आसानी से चुनाव जीत गए। पार्टी ने भी पहली बार चुनाव जीतने के बाद उन्हें होम अफेयर्स कमेटी का सदस्य बना दिया। 2014 में कांग्रेस ने बिट्टू की सीट बदलते हुए लुधियाना शिफ्ट किया। इसके बाद 2014 और 2014 में वह इसी सीट से सांसद चुने गए। आतंकियों की धमकी को नजरअंदाज कर डाला वोट
90 के दशक में आतंकवाद का दौर था। आतंकियों ने वोट डालने वालों को जान से मारने की धमकी दे रखी थी। बिट्टू 18 साल के हुए थे और उनका पहला वोट डालने का मौका था। बिट्टू ने आतंकियों की धमकी करे नजरअंदाज कर वोट डाला। इतना ही नहीं, मुहिम चलाई और लोगों को आतंकियों की धमकी से उलट चल वोट डालने के लिए प्रोत्साहित किया। दादा की मौत के समय घटनास्थल पर मौजूद थे बिट्टू
पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के देहांत के समय रवनीत सिंह बिट्टू की उम्र महज 20 साल थी। वे सचिवालय की दूसरी मंजिल पर मौजूद थे, उनके चचेरे भाई गुरकिरत सिंह कोटली भी वहीं थे। जब धमाका हुआ तो वे तुरंत नीचे की तरफ भागे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने दोबारा ब्लास्ट के संदेह के डर से दोनों को बिल्डिंग से बाहर निकाल दिया। उन्हें सुरक्षा के चलते गाड़ी के पास नहीं जाने दिया गया। अंत में बेअंत सिंह हाथ में पहने कड़े के कारण पहचाने गए। गुरकिरत कोटली चचेरे भाई
पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के देहांत के बाद बेटे तेजप्रकाश सिंह ने परंपरा को आगे बढ़ाया था। वे पंजाब के पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं। उनकी छोटी बेटी गुरकंवल कौर भी राजनीति में रहीं। बेअंत सिंह के बेटे तेजप्रकाश के बेटे गुरकिरत सिंह कोटली खन्ना से 2 बार विधायक रह चुके हैं और आज भी कांग्रेस के साथ हैं। बेअंत सिंह के दूसरे बेटे स्वर्णजीत सिंह ने राजनीति से दूरी बनाकर रखी और उनके बेटे रवनीत बिट्टू राजनीति में आ गए। दादा की कार को मानते हैं लकी
रवनीत सिंह बिट्टू का अपने दादा के साथ भावनात्मक रिश्ता है। बेअंत सिंह की एम्बेसडर कार को बिट्टू लकी मानते हैं। अपना नामांकन वे हमेशा इसी कार में भरने जाते हैं। बिट्टू ने एक इंटरव्यू में कहा था उनके परिवार का उस कार से भावनात्मक रिश्ता है। जिसमें उनके दादा ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए आतंकवाद के दिनों में राज्यभर में लाखों किलोमीटर का सफर किया करते थे। उनके पास अपने समय के महान राजनीतिक व्यक्तित्व की विरासत है। बम से उड़ाने की मिल चुकी धमकी
इस साल की शुरुआत में रवनीत सिंह बिट्टू को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। बिट्टू को वॉट्सऐप पर अज्ञात विदेशी नंबर से कॉल आई। धमकी देने वाले ने बिट्टू से कहा कि जल्द ही उन्हें बम से उड़ा दिया जाएगा। इसके बाद बिट्टू ने इसकी शिकायत पुलिस को दी थी। किसानों ने बिट्टू पर किया था हमला
जनवरी 2021 में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान सिंघु बॉर्डर पर बैठे हुए थे। उस दौरान रवनीत सिंह बिट्टू किसानों के बीच पहुंचे। यहां उनकी किसानों के साथ कहासुनी हो गई। बात धक्कामुक्की से लेकर छीना झपटी तक जा पहुंची। इस दौरान बिट्टू की पगड़ी भी उतर गई थी। रवनीत सिंह बिट्टू से जुड़े 2 विवाद 1. कब्जे के आरोप में नोटिस मिला – मई महीने में नामांकन दाखिल करने से एक दिन पहले, नागरिक निकाय ने रवनीत बिट्टू को 8 साल तक लुधियाना में सरकारी घर पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाते हुए नोटिस दिया था। बिट्टू को नामांकन दाखिल करने से पहले घर खाली करने और जुर्माने के रूप में 1.82 करोड़ का भुगतान करने के लिए कहा गया। इसके बाद बिट्टू भाजपा कार्यालय चले गए और फर्श पर ही सोए। 2. किसानों के विरोध के कारण भागना पड़ा- लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान रवनीत बिट्टू को लुधियाना में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान एक वीडियो भी वायरल हुई थी, जिसमें बिट्टू भागते हुए नजर आए। इसके बाद बिट्टू ने कहा था कि “वह उन्हें (किसानों को) 4 जून (परिणाम वाले दिन) के बाद देख लेंगे”। राज्यसभा में भेजने की तैयारी में पार्टी
चूंकि रवनीत सिंह बिट्टू लोकसभा चुनाव हार गए हैं तो पार्टी उन्हें राज्यसभा में भेजने की तैयारी कर रही है। चर्चा है कि उन्हें हरियाणा से राज्यसभा में भेजा जा सकता है। कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यहां एक सीट खाली हुई है। यह पहला मौका नहीं है कि पंजाब में चुनाव हारकर कोई केंद्र में मंत्री बना हो। इससे पहले डॉ. मनमोहन सिंह, अरुण जेटली और हरदीप पुरी भी केंद्र में मंत्री बन चुके हैं।
फरीदकोट में ससुर ने विधवा बहू पर डाला तेजाब:स्कूल में ड्यूटी पर जा रही थी, रास्ते में ससुर ने वारदात की
फरीदकोट में ससुर ने विधवा बहू पर डाला तेजाब:स्कूल में ड्यूटी पर जा रही थी, रास्ते में ससुर ने वारदात की फरीदकोट में एक ससुर ने अपनी विधवा बहू पर तेजाब फेंक दिया, जिससे महिला बुरी तरह झुलस गई। महिला को इलाज के लिए फरीदकोट के गुरू गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल करवाया गया है और पूरे मामले की थाना सिटी कोटकपूरा पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। कोटकपूरा के दुआरेआना रोड की रहने वाली विधवा महिला (35) इन दिनों अपने मायके में रह रही थी और कोटकपूरा के एक निजी स्कूल में बतौर सफाई सेविका का काम करती है। शनिवार सुबह वह अपने साथ एक और महिला के साथ स्कूल में ड्यूटी पर जा रही थी। जब वह स्कूल के पास पहुंची तो उसके ससुर धीरू ने उस पर तेजाब डाल दिया। महिला के शोर मचाए जाने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया और आसपास के लोगों ने महिला को पहले कोटकपूरा के सिविल अस्पताल में पहुंचाया, जहां से उसे फरीदकोट के गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेफर कर दिया गया। चेहरे, आंख और हाथ पर तेजाब का असर
इस मामले में मेडिकल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ दीपक भट्टी ने बताया कि महिला के चेहरे, आंख व हाथ पर तेजाब डाला गया है। हालांकि उनकी जान को कोई खतरा नहीं है पर यह जख्म काफी ज्यादा है और उसे आपातकालीन जैसी स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही है। इस मामले में डीएसपी कोटकपूरा जतिंदर सिंह ने बताया कि पुलिस द्वारा महिला का बयान दर्ज कर जांच की जा रही है और आरोपी की तलाश की छापेमारी की जा रही है।
जालंधर में एम्बुलेंस ड्राइवर की मौत:ट्राले ने मारी टक्कर, मरीज को अस्पताल ले जाते वक्त हादसा, अमृतसर का रहने वाला
जालंधर में एम्बुलेंस ड्राइवर की मौत:ट्राले ने मारी टक्कर, मरीज को अस्पताल ले जाते वक्त हादसा, अमृतसर का रहने वाला पंजाब के जालंधर में चौगिट्टी फ्लाई ओवर के पास एक एम्बुलेंस को तेज रफ्तार ट्राले ने टक्कर मार दी। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक की पहचान अमृतसर के मजीठा रोड के रहने वाले रमनीक सिंह के रूप में हुई है। वहीं, इलाज के लिए जालंधर लाया जा रहा मरीज गंभीर रूप से जख्मी हो हुआ है। जिसे तुरंत एक अन्य एम्बुलेंस के जरिए इलाज के लिए अस्पताल में भेजा गया। एम्बुलेंस ड्राइवर की मौत होने की पुष्टि थाना रामामंडी के एसएचओ परमिंदर सिंह ने की है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। वहीं, क्षतिग्रस्त हुए वाहनों को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। आरोपी ट्रक चालक मौके से फरार हुआ मृतक के दोस्त सिद्धार्थ अरोड़ा ने कहा- उन्हें सुबह 4 बजे जालंधर पुलिस की तरफ से फोन गया। जिसमें कहा गया कि रमणीक सिंह का जालंधर में हादसा हुआ है। वह तुरंत परिवार के सहित जालंधर के लिए रवाना हो गए तो, रास्ते में दोबारा फोन पर बताया कि उसकी मौत हो गई है। सिद्धार्थ ने बताया कि रमणीक सिंह एम्बुलेंस का ड्राइवर है। वह शुक्रवार की देर रात को अमृतसर से मरीज जालंधर के गड़ा रोड पर स्थित एसजीएल हॉस्पिटल में शिफ्ट करने के लिए लेकर आ रहा था। देर रात 2:30 बजे की करीब उसकी रास्ते में एम्बुलेंस पलट गई थी। इसके बाद उसने दूसरी एम्बुलेंस बुलाकर मरीज को शिफ्ट कर दिया था। इसके बाद वह खराब एंबुलेंस के पास खड़ा होकर बाकी वाहनों को हादसे से बचने के लिए साइड से गुजरने के लिए इशारा कर रहा था। लेकिन इतने में तेज रफ्तार आए 18 टायर वाले ट्राले ने उसकी टक्कर मार दी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। ट्रक चालक मौके से फरार हो गया है।
ट्राले ने पीछे से मारी टक्कर रामा मंडी थाना अंतर्गत चौगिट्टी फ्लाई ओवर पर ये हादसा आज सुबह हुआ है। अमृतसर से एम्बुलेंस जालंधर की ओर एक मरीज को लेकर जा रही थी। इस दौरान ट्राले पहले उनकी एम्बुलेंस पलट गई। उसने तुरंत मरीज को दूसरी एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया। साथ ही वह रास्ते पर खड़ा होकर साइड दे रहा था। मगर इतने में उक्त ट्राला चालक ने पीछे से आकर एम्बुलेंस ड्राइवर को कुचल दिया। घटना की सूचना मिलते ही थाना रामामंडी के पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल जालंधर भेज दिया गया था। पलटी हुई एम्बुलेंस को क्रेन की मदद से सीधा किया गया।