लखनऊ में सर्वोदयनगर बंधे के पास तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने बाइक सवार युवकों को टक्कर मार दी। हादसे में एक की मौत हो गई। जबकि दूसरे का गंभीर हालत में इलाज चल रहा है। पुलिस मुकदमा दर्ज करके जांच कर रही है। सारन बिहार का रहने वाला अकरम (24) अली पुत्र असलम अली प्लंबर का काम करता था। लखनऊ में सर्वोदयनगर इलाके में लाल बाउंड्री विकास भवन के पीछे किराए के मकान में रहता था। सोमवार रात करीब 9 बजे पड़ोस में रहने वाले शानू (16) पुत्र वसीम के साथ बाइक से काम से निकला था। सर्वोदयनगर बंधे के पास पहुंचा था। तभी गोमतीनगर की तरफ से आ रही तेज रफ्तार स्कॉर्पियो यूपी 32 बीएल 1111 ने टक्कर मार दी। जिससे दोनों उछलकर दूर जाकर गिरे। घटना के बाद आसपास भीड़ जमा हो गई। पुलिस की मदद से दोनों को इलाज के लिए लोहिया पहुंचाया गया। जहां डॉक्टर ने एक को मृत घोषित कर दिया। इंस्पेक्टर गाजीपुर का कहना है कि अकरम के परिजन उसे लोहिया अस्पताल से इलाज के दौरान निजी अस्पताल लेकर चले गए थे। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिवार आपस में बातचीत कर शव सीधे पैतृक आवास बिहार लेकर निकल गया। मंगलवार को उनसे संपर्क किया गया तो पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया। वहीं स्कॉर्पियो को कब्जे में लेकर मुकदमा दर्ज किया गया है। आगे की जांच की जा रही है। परिवार ने लगाया पुलिस पर लापरवाही का आरोप शानू के परिजनों का कहना है पुलिस ने घटना के बाद लापरवाही बरती है। अकरम को इलाज के लिए लोहिया ले गए। पांच घंटे भर्ती रहा लेकिन कोई डॉक्टर नहीं आया। तब उसके चाचा निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां उसकी मौत हो गई। जिसके बाद गाजीपुर पुलिस को सूचना दी गई। लेकिन जब पुलिस नहीं पहुंची तो परिवार परेशान होकर अपने घर बिहार लेकर निकल गया। गाड़ी पर बीजेपी का झंडा गाड़ी पर हरदोई का नंबर है, जिस पर बीजेपी का झंडा लगा है। गाड़ी अजय कुमार सिंह के नाम पर है। जिसे शुभम श्रीवास्तव चला रहा था। लखनऊ में सर्वोदयनगर बंधे के पास तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने बाइक सवार युवकों को टक्कर मार दी। हादसे में एक की मौत हो गई। जबकि दूसरे का गंभीर हालत में इलाज चल रहा है। पुलिस मुकदमा दर्ज करके जांच कर रही है। सारन बिहार का रहने वाला अकरम (24) अली पुत्र असलम अली प्लंबर का काम करता था। लखनऊ में सर्वोदयनगर इलाके में लाल बाउंड्री विकास भवन के पीछे किराए के मकान में रहता था। सोमवार रात करीब 9 बजे पड़ोस में रहने वाले शानू (16) पुत्र वसीम के साथ बाइक से काम से निकला था। सर्वोदयनगर बंधे के पास पहुंचा था। तभी गोमतीनगर की तरफ से आ रही तेज रफ्तार स्कॉर्पियो यूपी 32 बीएल 1111 ने टक्कर मार दी। जिससे दोनों उछलकर दूर जाकर गिरे। घटना के बाद आसपास भीड़ जमा हो गई। पुलिस की मदद से दोनों को इलाज के लिए लोहिया पहुंचाया गया। जहां डॉक्टर ने एक को मृत घोषित कर दिया। इंस्पेक्टर गाजीपुर का कहना है कि अकरम के परिजन उसे लोहिया अस्पताल से इलाज के दौरान निजी अस्पताल लेकर चले गए थे। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिवार आपस में बातचीत कर शव सीधे पैतृक आवास बिहार लेकर निकल गया। मंगलवार को उनसे संपर्क किया गया तो पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया। वहीं स्कॉर्पियो को कब्जे में लेकर मुकदमा दर्ज किया गया है। आगे की जांच की जा रही है। परिवार ने लगाया पुलिस पर लापरवाही का आरोप शानू के परिजनों का कहना है पुलिस ने घटना के बाद लापरवाही बरती है। अकरम को इलाज के लिए लोहिया ले गए। पांच घंटे भर्ती रहा लेकिन कोई डॉक्टर नहीं आया। तब उसके चाचा निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां उसकी मौत हो गई। जिसके बाद गाजीपुर पुलिस को सूचना दी गई। लेकिन जब पुलिस नहीं पहुंची तो परिवार परेशान होकर अपने घर बिहार लेकर निकल गया। गाड़ी पर बीजेपी का झंडा गाड़ी पर हरदोई का नंबर है, जिस पर बीजेपी का झंडा लगा है। गाड़ी अजय कुमार सिंह के नाम पर है। जिसे शुभम श्रीवास्तव चला रहा था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
लखनऊ की पतंगों का क्रेज दुबई से ऑस्ट्रेलिया तक:मोदी-योगी की तस्वीर, अंग्रेजों से लड़ाई में काम आई पतंगबाजी; प्रेमी-प्रेमिका पतंगों से भेजते थे लव मैसेज
लखनऊ की पतंगों का क्रेज दुबई से ऑस्ट्रेलिया तक:मोदी-योगी की तस्वीर, अंग्रेजों से लड़ाई में काम आई पतंगबाजी; प्रेमी-प्रेमिका पतंगों से भेजते थे लव मैसेज लखनऊ की पतंग दुबई और ऑस्ट्रेलिया तक जाती है। यहां की पतंगबाजी पूरे देश में चर्चित है। इसका इतिहास 250 साल पुराना है। अंग्रेजों से लड़ाई के समय पतंगों का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा पतंगों के माध्यम से प्रेमी-प्रेमिका अपने लव मैसेज भेजा करते थे। 1775 में नवाब आसिफ-उद-दौला के दौर से लखनऊ में पतंगबाजी परवान चढ़ी। लखनऊ में दीपावली का दूसरा दिन ‘जमघट’ के नाम से मनाया जाता है। सुबह होते ही लोग छत पर चढ़ जाते हैं। गाने बजते हैं और शोर-शराबे के बीच जमकर पतंगबाजी होती है। चारों तरफ से ‘वो काटा, ढील दे, गद्दा मार’ की आवाजें गूंजती हैं। सुबह से लेकर शाम तक आसमान में चारों तरफ काली, नीली, सफेद, लाल और नेताओं की तस्वीर लगी हुई पतंगें नजर आती हैं। पूरे शहर में पतंगबाजी होती है। मोदी-योगी की तस्वीरों की डिमांड ज्यादा
इस साल लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी-20 के साथ कि तस्वीर, सीएम योगी, भगवान श्रीराम की तस्वीर वाली पतंग की सबसे ज्यादा डिमांड है। भगवान श्रीराम की तस्वीर वाली पतंग ले जाकर लोग श्रद्धा से अपने घर में सजाकर रख रहे हैं। ठाकुरगंज क्षेत्र में 40 सालों से पतंग बेचने वाले गुड्डू पतंगबाज ने इस बार अपनी पतंग का थीम पर्यावरण बचाओ रखा है। पर्यावरण बचाओ संदेश के साथ बनाई गई पतंग 2 दिन में 50000 से अधिक बिकी है। जंग के दांव-पेच पतंगबाजी में पाए जाते हैं
लखनऊ के नवाब मसूद अब्दुल्ला ने बताया कि अवध के नवाबों के दौर में पतंगबाजी परवान चढ़ी। पतंगबाजी सिर्फ शौक नहीं बल्कि एक्सरसाइज है। लोगों की मदद करने का माध्यम है। यह वही पतंग है, जिसके जरिए प्रेमी और प्रेमिका एक-दूसरे तक अपना संदेश भी भेजते थे। पतंगबाजी में कुछ ऐसे दांव-पेच होते हैं, जो पहले जंग में हुआ करते थे। दिलों को जोड़ती है पतंग
नवाब मसूद अब्दुल्ला ने बताया कि पतंग दिलों को जोड़ने के लिए और महबूबा तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए भी इस्तेमाल किया गया। युवक पतंग के ऊपर अपना संदेश लिखकर उड़ा देता और जिससे मोहब्बत करता उसके घर पर गिरा देता। उसके संदेश को पढ़ने के बाद युवती उसी पतंग पर अपना जवाब लिख देती। इस तरह से पतंग लोगों की मोहब्बत से जुड़ी। पतंग से अंग्रेजों का किया था विरोध
1928 में लखनऊ के कैसरबाग बारादरी में अंग्रेजों की बड़ी मीटिंग हो रही थी। उस समय के जो क्रांतिकारी थे, उन्होंने सफेद पतंग पर काले रंग से ‘साइमन गो बैक’ का नारा लिखकर मीटिंग में पतंग उड़ाकर छोड़ दिया। साइमन समेत तमाम अंग्रेज बेहद आक्रोशित हुए और उन्होंने ठान लिया कि पतंग पर पाबंदी लगा देंगे, मगर उन्हें सफलता नहीं मिली। नवाबों की पतंग में जड़ा होता था सोना-चांदी
नवाबों के समय पतंग लूटने के लिए लोगों में होड़ मच जाती थी। जिसकी वजह यह थी, नवाब जो पतंग उड़ाते थे, उस पतंग के निचले हिस्से (फुनना ) में सोना-चांदी लगा होता था। यह पतंग कटकर जिसके हिस्से में जाती थी, वह कई दिनों तक सोना और चांदी बेचकर अपना परिवार चलाता था। 1775 से 1797 नवाब आसिफ-उद- दौला झुल-झुल पतंग उड़ाते थे, इसमें सोना-चांदी लगा होता था। 1842 से 1847 नवाब अमजद अली शाह गुड्डी पतंग उड़ाते थे, जो काफी हल्के कागज से तैयार की जाती थी। साल 1847 से 1856 तक नवाब वाजिद अली शाह ने की पतंग अब के जैसी ही होती थी। जमघट में उमड़ती है भीड़
पुराने लखनऊ के मशहूर पतंग व्यापारी गुड्डू ने बताया कि 40 सालों से उनका यह व्यापार है। जमघट लखनऊ की पतंगबाजी का पर्व है। इसे सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इस साल उन्होंने जो पतंग बनवाया है उस पर ‘Save Tree, Save Life’ लिखा हुआ है। इससे पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जा रहा है। पतंग लेने वाले और तमाम शहर वालों से यह अनुरोध किया गया है, कि वह एक पेड़ जरूर लगाएं। उसकी सेवा करके सुरक्षित रखें, ताकि दिल्ली जैसा प्रदूषित वातावरण लखनऊ न हो। बरेली का मांझा है सबसे प्रसिद्ध
‘Save Tree, Save Life’ संदेश के साथ पतंग के माध्यम से पर्यावरण को बचाने की मुहिम चलाई गई। पतंग के साथ मांझा और चरखी भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसके बिना पतंगबाजी संभव नहीं है। पतंग उड़ाने के लिए मांझा और सद्दी का इस्तेमाल किया जाता है। मांझा बरेली का प्रसिद्ध है। इसको बनाने के लिए चावल का पेस्ट और बहुत महीन पिसा हुआ कांच इस्तेमाल किया जाता है। मांझे को बनाने के बाद उसे रंग देने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। पतंग उड़ाने के लिए सद्दी का इस्तेमाल भी होता है, जो सफेद धागे से बनाया जाता है। लखनऊ की पतंग ऑस्ट्रेलिया तक जाती है
हुसैनगंज क्षेत्र में पतंग का व्यापार करने वाले मोहम्मद सलमान ने बताया कि 35 साल पुरानी दुकान है। अपने दादा से पतंग बनाना और उड़ाना सीखा। उत्तर प्रदेश में कहीं भी पतंग प्रतियोगिता होती है, तो पर्यटन विभाग की ओर से इन्हें हिस्सा लेने के लिए पतंगबाजी में भेजा जाता है। अब पतंग में यह परिवर्तन आया है। साइज में छोटी हो गई है और इसको उड़ाने के लिए जिस धागे का इस्तेमाल होता है। लखनऊ में बनने वाली पतंग पूरे भारत की सबसे बेहतरीन पतंग मानी जाती है। लखनऊ से भारत के विभिन्न शहरों में पतंग जाती है। सलमान की बनाई हुई पतंग सऊदी अरब, दुबई और ऑस्ट्रेलिया तक जाती है। यह भी पढ़ें लखनऊ की कल की 10 बड़ी खबरें:जेल में हत्यारोपी की मौत, पुराने मंदिर का शिवलिंग तोड़ा; 72 घंटे में 71 जगह लगी आग आज अखबार नहीं आएगा, लेकिन आपके पास पहुंचने वाली खबरों की रफ्तार नहीं थमेगी। दैनिक भास्कर ऐप पर आपके जिले और उत्तर प्रदेश की हर जरूरी खबर मिलेगी। जेल में बंद हत्या के आरोपी की मौत, 77 साल पुराने मंदिर की शिवलिंग तोड़ा। शहर में 71 जगह लगी आग, सपा का पोस्टर- ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ पढ़िए लखनऊ की 10 बड़ी खबरें…
‘जलन तो आपके कलेजे में…’, CM योगी के कुत्ते की दुम वाले बयान पर भड़के सपा नेता
‘जलन तो आपके कलेजे में…’, CM योगी के कुत्ते की दुम वाले बयान पर भड़के सपा नेता <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या दौरे पर मिल्कीपुर में 1,000 रुपये करोड़ से अधिक की 83 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास किया. इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने समाजवादी पार्टी को लेकर ऐसा बयान दिया कि जिससे यूपी की सियासी हलचल तेज है और अब पर सपा नेता आईपी सिंह की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सपा नेता आईपी सिंह ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा-“मुख्यमंत्री योगी जी अयोध्या में आज भी जहाँ दीप जलते हैं उसे सपा मुखिया अखिलेश यादव जी ने बनवाया था. जलन तो आपके कलेजे में मोदी और <a title=”अमित शाह” href=”https://www.abplive.com/topic/amit-shah” data-type=”interlinkingkeywords”>अमित शाह</a> की वजह से हो रही है जो आपको कुर्सी से हटाने जा रहे हैं. मुख्यमंत्री की भाषा इतनी ओछी नहीं हो सकती इससे आपके संस्कार और अशिक्षित होने का प्रमाण है.”</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>मुख्यमंत्री योगीजी अयोध्या में आज भी जहाँ दीप जलते हैं उसे सपा मुखिया श्री अखिलेश यादव जी ने बनवाया था।<br /><br />जलन तो आपके कलेजे में मोदीजी और अमित शाह की वजह से हो रही है जो आपको कुर्सी से हटाने जा रहे हैं।<br /><br />मुख्यमंत्री की भाषा इतनी ओछी नहीं हो सकती इससे आपके संस्कार और अशिक्षित होने…</p>
— I.P. Singh (@IPSinghSp) <a href=”https://twitter.com/IPSinghSp/status/1836691118303408306?ref_src=twsrc%5Etfw”>September 19, 2024</a></blockquote>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या बोले थे सीएम योगी आदित्यनाथ</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सीएम योगी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि जैसे कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं हो सकती, वैसे ही समाजवादी पार्टी के दरिंदे, जो बेटियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, वे भी कभी ठीक नहीं हो सकते. इनको कानून के दायरे में लाकर हमारी सरकार वही कार्य कर रही है, जिसके ये पात्र हैं. माफियाओं के सामने नाक रगड़ने वाला, दंगाइयों के सामने घुटने टेकने वाला व्यक्ति, आज भारत की ‘संत परंपरा’ को माफिया कहता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं मिल्कीपुर पहुंचे सीएम योगी ने कहा- “विकास भी चल रहा है, लोक-कल्याण भी है, सुरक्षा का बेहतर माहौल भी है, तो स्वाभाविक रूप से समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी को परेशानी हो रही है. डबल इंजन की सरकार ने. समाजवादी पार्टी के भू-माफिया और गुंडों के कब्जे से 64 हजार हेक्टेयर लैंड को मुक्त कराया. जब गुर्गों से आप जमीन का कब्जा मुक्त करवाएंगे तो सरगना को परेशानी तो होगी ही.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/cm-yogi-adityanath-says-samajwadi-party-just-like-dog-tail-cannot-remain-straight-watch-video-2786812″>’जैसे कुत्ते की दुम सीधी नहीं हो सकती, वैसे सपा के गुंडे भी, इनको…’- सीएम योगी आदित्यनाथ</a></strong></p>
हरियाणा में पूर्व इंडियन कबड्डी कैप्टन ने ठोकी टिकट दावेदारी:बोले-BJP का कमल खिलाउंगा; बॉक्सर पत्नी स्वीटी बूरा भी दावेदार, 6 महीने पहले शामिल हुए
हरियाणा में पूर्व इंडियन कबड्डी कैप्टन ने ठोकी टिकट दावेदारी:बोले-BJP का कमल खिलाउंगा; बॉक्सर पत्नी स्वीटी बूरा भी दावेदार, 6 महीने पहले शामिल हुए इंडियन कबड्डी टीम के पूर्व कैप्टन दीपक हुड्डा और उनकी बॉक्सर पत्नी स्वीटी बूरा ने विधानसभा चुनाव को लेकर BJP की टेंशन बढ़ा दी है। पहले पंच क्वीन के नाम से मशहूर वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर स्वीटी बूरा ने हिसार की बरवाला सीट से दावेदारी ठोक दी। अब उनके पति दीपक हुड्डा ने रोहतक के महम से टिकट मांगी है। दीपक हुड्डा महम विधानसभा क्षेत्र में डोर टू डोर जाने के अलावा खेल मुकाबलों और अन्य कार्यक्रमों में भी शामिल हो रहे हैं। हुड्डा और स्वीटी 6 महीने पहले भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा से टिकट की दावेदारी को लेकर सुर्खियों में आए दीपक हुड्डा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में महम से जीत का भी दावा ठोक दिया। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा उन्हें आशीर्वाद दे तो वह महम से कमल का फूल खिलाकर पार्टी को देंगे। दीपक हुड्डा से बातचीत के प्रमुख अंश पढ़ें… सवाल: खेल से राजनीति में आए, कैसा सफर रहा?
जवाब: यहां तक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा। बचपन में ही मां-बाप का देहांत हो गया था। बड़ी बहन के पति की भी मौत हो गई थी। जिसके कारण भांजा-भांजी भी घर आकर रहने लगे। उनकी भी देखभाल करनी थी। अपनी पढ़ाई भी बीच में छोड़कर एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापक के रूप में नौकरी भी की है। सवाल: राजनीति में क्या टारगेट है?
जवाब: लक्ष्य तो मेरा राजनीति के जरिए समाज सेवा है। बहुत से खिलाड़ी गांवों में सुविधाओं की कमी से खेल छोड़ देते हैं। मैंने बुरा समय देखा लेकिन मेरा कोई भाई या बहन ऐसे हालात से न गुजरे, यह मेरी कोशिश है। 6-7 महीने से गांव-गांव जा रहा हूं तो लोग परेशानियां गिनाते हैं। सवाल: जमीन से उठकर खेल व अब राजनीति में आएं। क्या आगे की तैयारी हैं।
जवाब: तैयारियां काफी अच्छी हैं। अब ताक भारतीय जनता पार्टी का आशीर्वाद चाहिए। जनता का तो हमेशा ही सर्वोपरी होता है। लक्ष्य एक ही है कि समाज की इतनी सेवा करनी है कि पूरी दुनिया मुझे याद रखे। सवाल: क्या आप इस बार चुनाव लड़ने के भी इच्छुक हैं या दावेदारी पेश की है?
जवाब: मैं मेहनत करना जानता हूं। बिना किसी एक रुपए व बिना किसी सहयोग के दिन-रात मेहनत की। 50-50 किलोमीटर रेस की। अब राजनीति में आया हूं, मेहनत तो इतनी कर दूंगा, चाहे 24 घंटे जागना पड़े। मेरे जैसे युवा को अगर भारतीय जनता पार्टी का आशीर्वाद मिला तो यह बोल रहा हूं कि जनता का पूरा आशीर्वाद मिलेगा। सवाल: आपकी दावेदारी किस सीट पर है और क्यों?
जवाब: महम विधानसभा से टिकट मिले तो विधानसभा में कमल का फूल खिलेगा। महम में खेल जगत मेरे साथ है। दूसरा मैं महम का भांजा हूं। यहां कई खेल प्रतियोगिताएं कराईं। जो बड़े-बुजुर्ग और माताएं हैं, वे पहले चाहे किसी भी पार्टी से जुड़ी रही हो, जब उनका बेटा दीपक हुड्डा उनके सामने जाता है तो सभी आशीर्वाद देते हैं। सभी कहते हैं कि बेटा तेरी वोट जरूर देंगे। तेरे जैसा बालक इस राजनीति में आया है तो कुछ ना कुछ बढ़िया ही करेगा। सवाल: भाजपा में और भी दावेदार हैं, खुद को बेहतर कैसे मानते हैं?
जवाब: यह फैसला पार्टी का होता है। शीर्ष नेतृत्व इसका फैसला करता है। मेरा काम है मेहनत व संघर्ष करना। अपनी पार्टी को मजबूत करना। जो भाजपा शीर्ष नेतृत्व फैसला करेगा, वह सर्वोपरि है। अगर आशीर्वाद मिला तो अपनी तरफ से 200 प्रतिशत मेहनत करूंगा और कमल खिलाकर दिखाउंगा। 3 साल की उम्र में मां और 11वीं कक्षा में पिता की हुई मौत
दीपक हुड्डा का जन्म रोहतक के गांव चमारिया में 10 जून 1994 को हुआ था। वे जब करीब 3 साल के थे तो उनकी मां मूर्ति देवी का निधन हो गया। वहीं जब वे 11वीं कक्षा में पढ़ते थे तो उनके पिता राम निवास का भी निधन हो गया। जिसके कारण परिवार का बोझ भी उनके कंधों पर आ गया। जिसके कारण उन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी और एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी करनी पड़ी और बच्चों को पढ़ाने लगे। 2 साल तक उन्होंने प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी की। 2009 में शुरू किया था कबड्डी खेलना
दीपक हुड्डा ने बताया कि उन्होंने 2009 में कबड्डी खेलना शुरू किया था। शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। माता-पिता का साया भी सिर से छिन गया, इसके बाद भी कबड्डी को नहीं छोड़ा। वे कबड्डी का अभ्यास करने के लिए दूसरे गांव में जाते थे। कबड्डी में कड़ी मेहनत के बल पर भारतीय कबड्डी टीम में शामिल हुए और शानदार प्रदर्शन करते हुए मेडल भी दिलाए। दीपक 2016 दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। वहीं प्रो कबड्डी लीग में भी हिस्सा लिया। दीपक हुड्डा को प्रो कबड्डी लीग में सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर में से एक माने जाते थे। स्वीटी बूरा भी ठोक चुकी दावेदारी
दीपक हुड्डा की पत्नी अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर स्वीटी बूरा ने भी हिसार की बरवाला विधानसभा सीट से सियासी दावेदारी ठोक है। स्वीटी बूरा का 10 जनवरी 1993 को हरियाणा के हिसार में एक किसान परिवार में जन्म हुआ था। स्वीटी बूरा को 2015-16 सीजन में मिली उनकी खेल उपलब्धियों के लिए हरियाणा सरकार ने 2017 में भीम पुरस्कार से नवाजा। स्वीटी बूरा की शादी 2 साल पहले कबड्डी खिलाड़ी दीपक हुड्डा के साथ हुई थी।