विधानसभा उप चुनाव में भाजपा की अगुआई वाले NDA ने 9 प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इन नामों के जरिए समाजवादी पार्टी के पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) को डैमेज करने की रणनीति दिख रही है। भाजपा ने प्रत्याशी चयन में पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों पर भरोसा जताने के साथ अगड़े वर्ग में ब्राह्मण और ठाकुर बिरादरी को भी संतुष्ट करने की कोशिश की है। प्रत्याशी चयन को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक एक सप्ताह तक चली मशक्कत के बाद भाजपा ने गुरुवार सुबह प्रत्याशी घोषित किए। भाजपा की लिस्ट बताती है कि बाहरी लोगों की जगह एक बार फिर पार्टी ने अपनों को महत्व दिया है। पिछड़ा वर्ग को साधकर सपा के PDA को साधेगी भाजपा
NDA ने 9 सीटों में से पांच पिछड़े, दो ब्राह्मण, एक ठाकुर और एक दलित उम्मीदवार है। पिछड़े उम्मीदवारों में एक यादव, एक कुर्मी, एक मौर्य, एक पाल और एक निषाद समाज से है। भाजपा ने यादव समाज को संदेश देने के लिए सैफई के यादव परिवार के दामाद अनुजेश यादव को करहल से प्रत्याशी बनाया है। करहल यादव बहुल सीट होने के साथ यादव परिवार की भी पुरानी सीट है। जानकार मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में कुर्मी, निषाद और मौर्य समाज भाजपा से शिफ्ट होकर सपा-कांग्रेस में गया था। भाजपा ने उप चुनाव में पिछड़े वर्ग के सभी प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। सीसामऊ में ब्राह्मण पर दांव
भाजपा ने कानपुर जिले की सीसामऊ सीट पर पूर्व प्रदेश मंत्री सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी बनाया है। सीसामऊ में मुस्लिम, दलित, वैश्य और ब्राह्मण मतदाता बड़ी संख्या में है। पार्टी ने कानपुर के ब्राह्मण समाज को साधने के लिए सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी मौका दिया है। मीरापुर में पाल का दांव
रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मीरापुर सीट पर पाल मतदाताओं को साधने के लिए दांव चला है। पश्चिमी यूपी में पाल, गड़रिया मतदाताओं की संख्या बहुत है। चौधरी ने जाटवाद के आरोप से बचने के लिए पाल बिरादरी के मिथलेश पाल को प्रत्याशी घोषित किया है। परिवारवाद बनाम कैडर, सपा को घेरने की तैयारी
सपा ने 9 में से 6 कैंडिडेट ऐसे घोषित किए हैं, जो राजनीतिक घराने से हैं। जबकि भाजपा ने कैडर को महत्व दिया है। सपा ने कटेहरी से अंबेडकर नगर के सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती, करहल से अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव, सीसामऊ से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी, मीरापुर से कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा, कुंदरकी से हाजी रिजवान, मझवां से पूर्व सांसद एवं मिर्जापुर से सपा प्रत्याशी रहे रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा के प्रत्याशियों में सुरेंद्र दिलेर ही एक मात्र ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनके पिता राजवीर दिलेर भाजपा के सांसद रहे हैं। ऐसे में भाजपा पूरे चुनाव में परिवारवाद का मुद्दा उठाकर, सपा पर निशाना साधने की तैयारी में है। अपनों पर जताया भरोसा
लोकसभा चुनाव 2022 में बाहरियों के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का खामिजाया भाजपा को भुगतना पड़ा था। यही वजह है कि पार्टी ने उप चुनाव में अपनों को महत्व दिया है। फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल, मझवां से प्रत्याशी सुचिस्तिमा मौर्य, गाजियाबाद के प्रत्याशी संजीव शर्मा, कुंदरकी से प्रत्याशी रामवीर सिंह ठाकुर, कटेहरी से प्रत्याशी धर्मराज निषाद और खैर से प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर, पार्टी कैडर के प्रत्याशी है। वहीं, करहल से प्रत्याशी अनुजेश यादव ने 2022 से पहले सपा छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। अनुजेश की पत्नी संध्या यादव आजमगढ़ के सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन हैं। एक मात्र अनुजेश ही दूसरे दल से आए हैं। बाकी सारे कैंडिडेट पार्टी कैडर के हैं। धैर्य के साथ पार्टी के लिए काम करने का मिला इनाम
फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल ने 2022 विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2024 में भी दावेदारी की थी। सुचिस्मिता मौर्य 2017 से 2022 तक मझवां से विधायक रहीं। 2022 में उनका टिकट काटकर सीट गठबंधन में निषाद पार्टी को दी गई। लेकिन सुचिस्मिता ने पार्टी के निर्णय का विरोध नहीं किया। गाजियाबाद से संजीव शर्मा भी 2022 में टिकट के दावेदार थे। टिकट नहीं मिलने पर भी वे पार्टी के काम में जुटे रहे। पूर्व विधायक धर्मराज निषाद भी एक बार टिकट नहीं मिलने के बाद भी पार्टी से जुड़े रहे। वहीं, रामवीर सिंह 2012, 2017 में कुंदरकी से चुनाव हार चुके हैं। लेकिन वह पश्चिमी यूपी में लगातार पार्टी का काम करते रहे। जानकार मानते हैं कि इन सभी प्रत्याशियों को पार्टी ने धैर्य का इनाम दिया है। क्षत्रिय समाज को साधने की कोशिश
लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी से ही ठाकुर समाज की नाराजगी का मुद्दा उठा था। पार्टी ने उप चुनाव में कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाकर ठाकुर समाज की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। वैश्य की सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी
जानकार मानते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद से यूपी में ब्राह्मण समाज भी भाजपा से नाराज चल रहा है। ब्राह्मण समाज की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी ने वैश्य वर्ग की गाजियाबाद सीट पर ब्राह्मण समाज के संजीव शर्मा को उतारा है। गाजियाबाद से अतुल गर्ग विधायक थे। अतुल गर्ग के सांसद निर्वाचित होने के बाद यह सीट खाली हुई है। सहयोगी दलों के लिए भी संदेश
भाजपा ने उप चुनाव में निषाद पार्टी को दरकिनार कर एनडीए के सहयोगी अपना दल (एस), सुभासपा और रालोद को भी संदेश दिया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि हरियाणा चुनाव की जीत से भाजपा फिर उत्साहित है। पार्टी ने कटेहरी और मझवां सीट निषाद पार्टी की होने के बावजूद उप चुनाव में उनसे दोनों सीटें छीनकर सहयोगी दलों को संदेश दिया कि भाजपा कमजोर नहीं है। वह अपने दम पर भी चुनाव लड़ने की ताकत रखती है। सहयोगी दलों का राजनीतिक भविष्य भी भाजपा के बिना अधूरा है। कटेहरी में एक तीर से दो निशाने
भाजपा ने कुर्मी बहुल सीट कटेहरी पर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पार्टी ने दो बार विधायक रहे धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाकर निषाद समाज को साधने की कोशिश की है। वहीं, निषाद पार्टी को सीट नहीं देने से निषादों में होने वाली नाराजगी को भी दूर करने का प्रयास किया है। कटेहरी में कुर्मी के बाद निषाद समाज के मतों की संख्या भी अधिक है। पार्टी ने निषाद, ठाकुर, ब्राह्मण और दलितों के वोट के समीकरण से चुनाव जीतने की रणनीति बनाई है। ———————— ये भी पढ़ें… BJP ने करहल से अखिलेश के बहनोई को उतारा:नसीम के सामने अब तक प्रत्याशी तय नहीं; 7 सीटों में से 4 पर OBC को टिकट भाजपा ने यूपी विधानसभा उपचुनाव के लिए गुरुवार को पहली लिस्ट जारी कर दी। पार्टी ने 9 में से 7 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं। करहल से अनुजेश यादव को टिकट दिया है। अनुजेश सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं और अखिलेश यादव के रिश्ते में बहनोई लगते हैं। अंबेडकरनगर के कटेहरी से धर्मराज निषाद, मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से रामवीर सिंह ठाकुर, गाजियाबाद से संजीव शर्मा, अलीगढ़ के खैर से सुरेंद्र दिलेर, प्रयागराज की फूलपुर सीट से दीपक पटेल, मिर्जापुर के मझवां से सुचिस्मिता मौर्य को टिकट दिया है। भाजपा ने मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट गठबंधन के तहत रालोद को दी है। पढ़ें पूरी खबर विधानसभा उप चुनाव में भाजपा की अगुआई वाले NDA ने 9 प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इन नामों के जरिए समाजवादी पार्टी के पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) को डैमेज करने की रणनीति दिख रही है। भाजपा ने प्रत्याशी चयन में पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों पर भरोसा जताने के साथ अगड़े वर्ग में ब्राह्मण और ठाकुर बिरादरी को भी संतुष्ट करने की कोशिश की है। प्रत्याशी चयन को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक एक सप्ताह तक चली मशक्कत के बाद भाजपा ने गुरुवार सुबह प्रत्याशी घोषित किए। भाजपा की लिस्ट बताती है कि बाहरी लोगों की जगह एक बार फिर पार्टी ने अपनों को महत्व दिया है। पिछड़ा वर्ग को साधकर सपा के PDA को साधेगी भाजपा
NDA ने 9 सीटों में से पांच पिछड़े, दो ब्राह्मण, एक ठाकुर और एक दलित उम्मीदवार है। पिछड़े उम्मीदवारों में एक यादव, एक कुर्मी, एक मौर्य, एक पाल और एक निषाद समाज से है। भाजपा ने यादव समाज को संदेश देने के लिए सैफई के यादव परिवार के दामाद अनुजेश यादव को करहल से प्रत्याशी बनाया है। करहल यादव बहुल सीट होने के साथ यादव परिवार की भी पुरानी सीट है। जानकार मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में कुर्मी, निषाद और मौर्य समाज भाजपा से शिफ्ट होकर सपा-कांग्रेस में गया था। भाजपा ने उप चुनाव में पिछड़े वर्ग के सभी प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। सीसामऊ में ब्राह्मण पर दांव
भाजपा ने कानपुर जिले की सीसामऊ सीट पर पूर्व प्रदेश मंत्री सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी बनाया है। सीसामऊ में मुस्लिम, दलित, वैश्य और ब्राह्मण मतदाता बड़ी संख्या में है। पार्टी ने कानपुर के ब्राह्मण समाज को साधने के लिए सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी मौका दिया है। मीरापुर में पाल का दांव
रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मीरापुर सीट पर पाल मतदाताओं को साधने के लिए दांव चला है। पश्चिमी यूपी में पाल, गड़रिया मतदाताओं की संख्या बहुत है। चौधरी ने जाटवाद के आरोप से बचने के लिए पाल बिरादरी के मिथलेश पाल को प्रत्याशी घोषित किया है। परिवारवाद बनाम कैडर, सपा को घेरने की तैयारी
सपा ने 9 में से 6 कैंडिडेट ऐसे घोषित किए हैं, जो राजनीतिक घराने से हैं। जबकि भाजपा ने कैडर को महत्व दिया है। सपा ने कटेहरी से अंबेडकर नगर के सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती, करहल से अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव, सीसामऊ से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी, मीरापुर से कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा, कुंदरकी से हाजी रिजवान, मझवां से पूर्व सांसद एवं मिर्जापुर से सपा प्रत्याशी रहे रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा के प्रत्याशियों में सुरेंद्र दिलेर ही एक मात्र ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनके पिता राजवीर दिलेर भाजपा के सांसद रहे हैं। ऐसे में भाजपा पूरे चुनाव में परिवारवाद का मुद्दा उठाकर, सपा पर निशाना साधने की तैयारी में है। अपनों पर जताया भरोसा
लोकसभा चुनाव 2022 में बाहरियों के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का खामिजाया भाजपा को भुगतना पड़ा था। यही वजह है कि पार्टी ने उप चुनाव में अपनों को महत्व दिया है। फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल, मझवां से प्रत्याशी सुचिस्तिमा मौर्य, गाजियाबाद के प्रत्याशी संजीव शर्मा, कुंदरकी से प्रत्याशी रामवीर सिंह ठाकुर, कटेहरी से प्रत्याशी धर्मराज निषाद और खैर से प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर, पार्टी कैडर के प्रत्याशी है। वहीं, करहल से प्रत्याशी अनुजेश यादव ने 2022 से पहले सपा छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। अनुजेश की पत्नी संध्या यादव आजमगढ़ के सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन हैं। एक मात्र अनुजेश ही दूसरे दल से आए हैं। बाकी सारे कैंडिडेट पार्टी कैडर के हैं। धैर्य के साथ पार्टी के लिए काम करने का मिला इनाम
फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल ने 2022 विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2024 में भी दावेदारी की थी। सुचिस्मिता मौर्य 2017 से 2022 तक मझवां से विधायक रहीं। 2022 में उनका टिकट काटकर सीट गठबंधन में निषाद पार्टी को दी गई। लेकिन सुचिस्मिता ने पार्टी के निर्णय का विरोध नहीं किया। गाजियाबाद से संजीव शर्मा भी 2022 में टिकट के दावेदार थे। टिकट नहीं मिलने पर भी वे पार्टी के काम में जुटे रहे। पूर्व विधायक धर्मराज निषाद भी एक बार टिकट नहीं मिलने के बाद भी पार्टी से जुड़े रहे। वहीं, रामवीर सिंह 2012, 2017 में कुंदरकी से चुनाव हार चुके हैं। लेकिन वह पश्चिमी यूपी में लगातार पार्टी का काम करते रहे। जानकार मानते हैं कि इन सभी प्रत्याशियों को पार्टी ने धैर्य का इनाम दिया है। क्षत्रिय समाज को साधने की कोशिश
लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी से ही ठाकुर समाज की नाराजगी का मुद्दा उठा था। पार्टी ने उप चुनाव में कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाकर ठाकुर समाज की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। वैश्य की सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी
जानकार मानते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद से यूपी में ब्राह्मण समाज भी भाजपा से नाराज चल रहा है। ब्राह्मण समाज की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी ने वैश्य वर्ग की गाजियाबाद सीट पर ब्राह्मण समाज के संजीव शर्मा को उतारा है। गाजियाबाद से अतुल गर्ग विधायक थे। अतुल गर्ग के सांसद निर्वाचित होने के बाद यह सीट खाली हुई है। सहयोगी दलों के लिए भी संदेश
भाजपा ने उप चुनाव में निषाद पार्टी को दरकिनार कर एनडीए के सहयोगी अपना दल (एस), सुभासपा और रालोद को भी संदेश दिया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि हरियाणा चुनाव की जीत से भाजपा फिर उत्साहित है। पार्टी ने कटेहरी और मझवां सीट निषाद पार्टी की होने के बावजूद उप चुनाव में उनसे दोनों सीटें छीनकर सहयोगी दलों को संदेश दिया कि भाजपा कमजोर नहीं है। वह अपने दम पर भी चुनाव लड़ने की ताकत रखती है। सहयोगी दलों का राजनीतिक भविष्य भी भाजपा के बिना अधूरा है। कटेहरी में एक तीर से दो निशाने
भाजपा ने कुर्मी बहुल सीट कटेहरी पर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पार्टी ने दो बार विधायक रहे धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाकर निषाद समाज को साधने की कोशिश की है। वहीं, निषाद पार्टी को सीट नहीं देने से निषादों में होने वाली नाराजगी को भी दूर करने का प्रयास किया है। कटेहरी में कुर्मी के बाद निषाद समाज के मतों की संख्या भी अधिक है। पार्टी ने निषाद, ठाकुर, ब्राह्मण और दलितों के वोट के समीकरण से चुनाव जीतने की रणनीति बनाई है। ———————— ये भी पढ़ें… BJP ने करहल से अखिलेश के बहनोई को उतारा:नसीम के सामने अब तक प्रत्याशी तय नहीं; 7 सीटों में से 4 पर OBC को टिकट भाजपा ने यूपी विधानसभा उपचुनाव के लिए गुरुवार को पहली लिस्ट जारी कर दी। पार्टी ने 9 में से 7 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं। करहल से अनुजेश यादव को टिकट दिया है। अनुजेश सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं और अखिलेश यादव के रिश्ते में बहनोई लगते हैं। अंबेडकरनगर के कटेहरी से धर्मराज निषाद, मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से रामवीर सिंह ठाकुर, गाजियाबाद से संजीव शर्मा, अलीगढ़ के खैर से सुरेंद्र दिलेर, प्रयागराज की फूलपुर सीट से दीपक पटेल, मिर्जापुर के मझवां से सुचिस्मिता मौर्य को टिकट दिया है। भाजपा ने मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट गठबंधन के तहत रालोद को दी है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर