इन दिनों अनेक पाकिस्तानी पत्रकार पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बहुत नाराज हैं। इसकी वजह तो गैर-पेशेवराना है, मगर है बहुत दिलचस्प। कुछ पाकिस्तानी पत्रकार नवाज शरीफ की आलोचना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि वे पाकिस्तानी पत्रकारों से तो कभी नहीं मिलते, लेकिन हाल ही में भारतीय पत्रकारों से मुलाकात की। मैं व्यक्तिगत तौर पर पाकिस्तान के अपने पत्रकार मित्रों की इस आलोचना का समर्थन नहीं करता हूं, क्योंकि कोई भी राजनेता किससे मिलना चाहता है, यह उसका विशेषाधिकार है। इस्लामाबाद में एससीओ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन से पहले नवाज शरीफ ने लाहौर में एक वरिष्ठ भारतीय टीवी पत्रकार से मुलाकात की थी। शरीफ की इसी मुलाकात ने कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों को नाराज कर दिया जिन्होंने सवाल उठाया कि अक्टूबर 2023 में निर्वासन से लौटने के बाद से नवाज ने भारतीय पत्रकार से मुलाकात क्यों की और पाकिस्तानी पत्रकारों से क्यों नहीं मिले? नवाज शरीफ ने इस आलोचना को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया और एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद लाहौर में भारतीय पत्रकारों के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल से फिर मिले। ये भारतीय पत्रकार एससीओ शिखर सम्मेलन को कवर करने के लिए पाकिस्तान आए थे। नवाज शरीफ ने भारतीय पत्रकारों के सामने फिर से अपने दिल की बात रखी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम को चैम्पियन्स ट्रॉफी खेलने के लिए पाकिस्तान आना चाहिए। उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ भारत के साथ अच्छे संबंधों के बारे में बात करते समय बहुत सतर्क रहते हैं। वे भारतीय पत्रकारों से मिलने से बचते हैं, लेकिन उनके बड़े भाई भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। यह समझना बहुत जरूरी है कि नवाज शरीफ भारत के साथ दोस्ती क्यों चाहते हैं? वे एक व्यवसायी हैं और उन्हें लगता है कि पाकिस्तान अपने सभी पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारे बिना आगे नहीं बढ़ सकता। दूसरी बात यह कि भारत के साथ उनके कुछ निजी और पारिवारिक संबंध भी हैं। लाहौर में उनके निवास का नाम देखें। उनके निवास का नाम “जाती उमरा’ है। यह वास्तव में अमृतसर के पास स्थित उनके पैतृक गांव का नाम है, जहां से नवाज शरीफ के पिता लाहौर चले गए थे। उनके पिता मियां मुहम्मद शरीफ ने अपनी मृत्यु तक भारत में जाती उमरा के साथ अपना संपर्क बनाए रखा था। वे पहली बार अपने बेटों नवाज शरीफ और शहबाज शरीफ को 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से कुछ हफ्तों पहले जाती उमरा ले गए थे। नवाज शरीफ को आज भी जाती उमरा की अपनी पहली यात्रा याद है, जहां उन्होंने अपने परदादा मियां मुहम्मद बख्श की कब्र देखी थी, जो बहुत अच्छी स्थिति में थी। स्थानीय सिखों ने शरीफ परिवार का प्यार और स्नेह से स्वागत किया था। उन लोगों ने कभी भी जाती उमरा में शरीफ परिवार की जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश नहीं की। नवाज शरीफ 70 के दशक में अपने युवा दिनों के दौरान अपनी मर्सिडीज में फिर से भारत आए थे। 1979 में जाती उमरा की एक और यात्रा के दौरान शरीफ परिवार ने अपने पुश्तैनी गांव की जमीन एक गुरुद्वारे के लिए दान कर दी थी। 2013 में जब शहबाज शरीफ पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने जाती उमरा का दौरा किया था। उस समय भारतीय पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने शहबाज शरीफ के अनुरोध पर जाती उमरा में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की थी। बदले में शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी पंजाब में चकवाल के पास एक छोटे से गांव ‘गाह’ की विशेष देखभाल की, जहां 1932 में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था। बहुत कम लोग जानते होंगे कि नवाज शरीफ और उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ बहुत अच्छे गायक भी हैं। मैंने कई साल पहले नवाज शरीफ के मुर्री स्थित घर में उनके गायन का आनंद लिया था। मुहम्मद रफी उनके पसंदीदा गायक हैं। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नवाज शरीफ के न्योते पर 1999 में पाकिस्तान का दौरा किया था, लेकिन कारगिल की घटना ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के इन प्रयासों को विफल कर दिया। फिर मोदी ने 2015 में शरीफ परिवार के एक विवाह समारोह में भाग लेने के लिए लाहौर का दौरा किया था, लेकिन कुछ महीनों के भीतर ही कुछ आतंकी घटनाओं के कारण दोनों देशों के बीच संबंध फिर से तनावपूर्ण हो गए थे।
नवाज शरीफ को फिर से भारत के साथ रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद है, लेकिन वे यह काम सेना और विपक्ष के समर्थन के बिना नहीं कर सकते। लेकिन उन्हें अपने यहां के ही उन लोगों से भी सावधान रहना चाहिए, जिन्होंने भारत के साथ संबंध सुधारने की उनकी कोशिशों को कामयाब नहीं होने दिया। इन दिनों अनेक पाकिस्तानी पत्रकार पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बहुत नाराज हैं। इसकी वजह तो गैर-पेशेवराना है, मगर है बहुत दिलचस्प। कुछ पाकिस्तानी पत्रकार नवाज शरीफ की आलोचना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि वे पाकिस्तानी पत्रकारों से तो कभी नहीं मिलते, लेकिन हाल ही में भारतीय पत्रकारों से मुलाकात की। मैं व्यक्तिगत तौर पर पाकिस्तान के अपने पत्रकार मित्रों की इस आलोचना का समर्थन नहीं करता हूं, क्योंकि कोई भी राजनेता किससे मिलना चाहता है, यह उसका विशेषाधिकार है। इस्लामाबाद में एससीओ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन से पहले नवाज शरीफ ने लाहौर में एक वरिष्ठ भारतीय टीवी पत्रकार से मुलाकात की थी। शरीफ की इसी मुलाकात ने कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों को नाराज कर दिया जिन्होंने सवाल उठाया कि अक्टूबर 2023 में निर्वासन से लौटने के बाद से नवाज ने भारतीय पत्रकार से मुलाकात क्यों की और पाकिस्तानी पत्रकारों से क्यों नहीं मिले? नवाज शरीफ ने इस आलोचना को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया और एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद लाहौर में भारतीय पत्रकारों के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल से फिर मिले। ये भारतीय पत्रकार एससीओ शिखर सम्मेलन को कवर करने के लिए पाकिस्तान आए थे। नवाज शरीफ ने भारतीय पत्रकारों के सामने फिर से अपने दिल की बात रखी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम को चैम्पियन्स ट्रॉफी खेलने के लिए पाकिस्तान आना चाहिए। उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ भारत के साथ अच्छे संबंधों के बारे में बात करते समय बहुत सतर्क रहते हैं। वे भारतीय पत्रकारों से मिलने से बचते हैं, लेकिन उनके बड़े भाई भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। यह समझना बहुत जरूरी है कि नवाज शरीफ भारत के साथ दोस्ती क्यों चाहते हैं? वे एक व्यवसायी हैं और उन्हें लगता है कि पाकिस्तान अपने सभी पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारे बिना आगे नहीं बढ़ सकता। दूसरी बात यह कि भारत के साथ उनके कुछ निजी और पारिवारिक संबंध भी हैं। लाहौर में उनके निवास का नाम देखें। उनके निवास का नाम “जाती उमरा’ है। यह वास्तव में अमृतसर के पास स्थित उनके पैतृक गांव का नाम है, जहां से नवाज शरीफ के पिता लाहौर चले गए थे। उनके पिता मियां मुहम्मद शरीफ ने अपनी मृत्यु तक भारत में जाती उमरा के साथ अपना संपर्क बनाए रखा था। वे पहली बार अपने बेटों नवाज शरीफ और शहबाज शरीफ को 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से कुछ हफ्तों पहले जाती उमरा ले गए थे। नवाज शरीफ को आज भी जाती उमरा की अपनी पहली यात्रा याद है, जहां उन्होंने अपने परदादा मियां मुहम्मद बख्श की कब्र देखी थी, जो बहुत अच्छी स्थिति में थी। स्थानीय सिखों ने शरीफ परिवार का प्यार और स्नेह से स्वागत किया था। उन लोगों ने कभी भी जाती उमरा में शरीफ परिवार की जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश नहीं की। नवाज शरीफ 70 के दशक में अपने युवा दिनों के दौरान अपनी मर्सिडीज में फिर से भारत आए थे। 1979 में जाती उमरा की एक और यात्रा के दौरान शरीफ परिवार ने अपने पुश्तैनी गांव की जमीन एक गुरुद्वारे के लिए दान कर दी थी। 2013 में जब शहबाज शरीफ पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने जाती उमरा का दौरा किया था। उस समय भारतीय पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने शहबाज शरीफ के अनुरोध पर जाती उमरा में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की थी। बदले में शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी पंजाब में चकवाल के पास एक छोटे से गांव ‘गाह’ की विशेष देखभाल की, जहां 1932 में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था। बहुत कम लोग जानते होंगे कि नवाज शरीफ और उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ बहुत अच्छे गायक भी हैं। मैंने कई साल पहले नवाज शरीफ के मुर्री स्थित घर में उनके गायन का आनंद लिया था। मुहम्मद रफी उनके पसंदीदा गायक हैं। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नवाज शरीफ के न्योते पर 1999 में पाकिस्तान का दौरा किया था, लेकिन कारगिल की घटना ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के इन प्रयासों को विफल कर दिया। फिर मोदी ने 2015 में शरीफ परिवार के एक विवाह समारोह में भाग लेने के लिए लाहौर का दौरा किया था, लेकिन कुछ महीनों के भीतर ही कुछ आतंकी घटनाओं के कारण दोनों देशों के बीच संबंध फिर से तनावपूर्ण हो गए थे।
नवाज शरीफ को फिर से भारत के साथ रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद है, लेकिन वे यह काम सेना और विपक्ष के समर्थन के बिना नहीं कर सकते। लेकिन उन्हें अपने यहां के ही उन लोगों से भी सावधान रहना चाहिए, जिन्होंने भारत के साथ संबंध सुधारने की उनकी कोशिशों को कामयाब नहीं होने दिया। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर