‘हमारे क्षेत्र में बहुत सारे लोगों ने अपनी बेटियों की शादी नेपाल में की। शादी के बाद उधर से लोग इधर आ गए। यहां आधार कार्ड बनवा लिया। फिर जमीन खरीद ली। हमारे बगल भगवानपुरवा गांव में भी कई लोग उधर से आए हैं। यहीं दुकान वगैरह चला रहे हैं। लोगों के इधर आने के पीछे माओवादी भी एक बड़ी वजह हैं। उन्होंने उधर हमला किया, तो लोग बड़ी संख्या में इधर आकर बस गए।’ यह कहना है श्रावस्ती जिले के किसान बुधई गुप्ता का। बुधई का गांव भारत-नेपाल सीमा के एकदम किनारे बसा है। इन हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग बाहर से आकर बस गए हैं। इनमें हिंदू भी हैं और मुस्लिम भी। नेपाल से जुड़े यूपी के 7 जिलों में बॉर्डर एरिया पर मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी। इसके पीछे कई कारण निकलकर सामने आए। दैनिक भास्कर की टीम ने इन इलाकों से ग्राउंड रिपोर्ट की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट… सिर्फ मुस्लिम नहीं, एससी भी पैदा कर रहे ज्यादा बच्चे
भारत-नेपाल सीमा से यूपी के 7 जिले जुड़ते हैं। इनमें बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, महराजगंज और पीलीभीत शामिल हैं। इन जिलों से नेपाल की 551 किलोमीटर सीमा टच करती है। इस वक्त यूपी सरकार के आदेश पर स्थानीय प्रशासन इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण हटाने में जुटा है। खासतौर पर मदरसे-मस्जिद फोकस में हैं। 350 से ज्यादा अवैध धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई हुई। एक बात और सामने आई कि इन इलाकों में मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है। हम भारत-नेपाल की रुपईडीहा सीमा पर पहुंचे। यहां एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के जवान जांच-पड़ताल करके लोगों को अंदर और बाहर जाने दे रहे थे। इस बॉर्डर से हर दिन करीब 35 हजार लोग आते-जाते हैं। यहीं से करीब 10 किलोमीटर श्रावस्ती की तरफ चलने पर नूरी चौराहा पड़ता है। यहां हमें किसान शकील अहमद मिले। हमारा सवाल था कि क्या वजह है भारत-नेपाल सीमा पर मुस्लिम आबादी बढ़ रही? शकील कहते हैं- एससी वर्ग के लोग भी तो 7-7 बच्चे पैदा कर रहे हैं। हमने पूछा कि क्या आपके क्षेत्र में नेपाल से भी आकर लोग रह रहे? शकील इसके जवाब में कहते हैं- भारत-नेपाल के लोगों का रिश्ता रोटी-बेटी का है। कई लोग बेटियों की उधर शादियां करते हैं, उधर वाले भी इधर करते हैं। कुछ लोग अगर आ गए होंगे, तो कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि बाहर से आकर किसी ने यहां जमीन नहीं खरीदी। सीमा पर एसएसबी के जवान मुस्तैद हैं, वे किसी घुसपैठिए को आने ही नहीं देंगे। हमारे गांव में 10 साल में बढ़ गई मुस्लिम आबादी
हम यहां से सोनपुर कला गांव साइड पहुंचे। यहां गांव में पेड़ के नीचे 4-5 लोग बैठे मिले। हमने पूछा कि क्या आपके गांव में भी मुस्लिम वर्ग की आबादी बढ़ी? पहले तो वह कैमरे के आगे बोलने को तैयार नहीं हुए। कुछ देर बाद लल्लू कहते हैं- हम कतहिया में रहते हैं। 10 साल पहले हमारे गांव में दो घर मुस्लिम के थे, अब 5-6 घर हो गए हैं। कोई भी बाहर से नहीं आया। उनके घर में लोग ही बहुत ज्यादा हैं। यहां बैठे लोग यह मानते हैं कि आसपास मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। हम यहां से निकलकर जमुनहा पहुंचे। यहां के लोग कहते हैं कि यहां करीब साढ़े तीन हजार वोटर हैं। 15 साल पहले यहां हिंदू वोटरों की संख्या ज्यादा थी, लेकिन आज दोनों की बराबर हो गई है। यहां प्रधान भी 4 बार से मुस्लिम वर्ग के ही हो रहे हैं। इसके पीछे की वजह जानने के लिए हम कस्बे में ही जिला पंचायत सदस्य हरीश गांधी के पास पहुंचे। वह सीधे कहते हैं- मुस्लिम लोगों की मानसिकता है कि आबादी बढ़ाओ और कब्जा कर लो। हरीश कहते हैं- हमारे यहां की मुस्लिम बिरादरी हर सरकारी स्कीम का फायदा ले रही है। बच्चा पैदा करने के लिए तो सरकार खुद प्रोत्साहन दे रही है। पेट में बच्चा आ गया, तब आंगनबाड़ी से मदद मिलती है। बच्चा पैदा हुआ, तो 6 हजार रुपए मिल गए। उसके पालन-पोषण के लिए राशन मिल ही रहा। थोड़ा और बड़ा होगा तो वह मदरसा चला जाएगा, वहां भी पैसा लगना नहीं है। इसलिए उसकी कोई चिंता की बात ही नहीं। हरीश से हमने पूछा कि क्या यहां नेपाल के लोग भी आए? क्या उन्हें नागरिकता मिल गई? वह कहते हैं- यहां अक्सर ऐसा होता है कि वोट की लालच में तमाम प्रतिनिधि बाहर से आए लोगों का आधार कार्ड बनवा देते हैं। उन्हें वोटिंग का अधिकार दिलवा देते हैं। जबकि नेपाल में आप पूरा जीवन रह जाइए, वहां नागरिकता नहीं मिल पाएगी। नेपाल से आकर इधर बस गए, बोले- जमीन पहले से थी
हम बहराइच जिले के नवाबगंज इलाके में पहुंचे। यहां सागर गांव है। इसी के बगल एक नया पुरवा बस गया है। इसे खाले पुरवा नाम दिया है। 10 से ज्यादा घर हैं, सभी नेपाली हैं। हम लोगों से मिले, लेकिन कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ। हमारी मुलाकात गांव के एकदम किनारे काशीराम से हुई। हमने उनसे पूछा- आप यहां कब आए? वह कहते हैं- हम तो बहुत पहले आ गए थे। हमारे पूर्वजों की यहीं जमीन थी। वह भी यहीं रहते थे। हमारा यहां आधार कार्ड बना है, हम वोट भी देते हैं। राशन भी फ्री में मिलता है। बगल में गुलरिया गांव है। यहां नेपाली नागरिक बांकेलाल मिले। वह कहते हैं- पिछले कुछ सालों में बाढ़ आई तो नेपाल की तरफ कटान बढ़ गई। इसके बाद बहुत सारे लोग इधर ही आकर बस गए। हम तो उधर ही रहते हैं, लेकिन हमारी तरफ से बहुत सारे लोग इधर आकर रहते हैं। आज बाजार थी, इसलिए आए थे। पास खड़े किसान दिनेश यादव कहते हैं भी कहते हैं कि बहुत से लोग उधर से इधर आए हैं। सिस्टम कमजोर, इसलिए बाहरी यहां आकर बस रहे
मल्हीपुर में पहले जिला पंचायत सदस्य रहे प्रहलाद सिंह कहते हैं- क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम वर्ग के लोग यहां आकर बसे हैं। बहुत सारे लोगों ने अपनी बेटियों की शादी नेपाल में की। बाद में वे यहीं आकर बस गए। जब आसपास के लोग पूछते हैं कि कहां से आए, तो उनके घरवाले आसपास के जिलों का नाम बता देते हैं। प्रहलाद सिंह प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हैं। कहते हैं- हमारे मल्हीपुर में आधार कार्ड बनाने का ठेका एक नेपाली व्यक्ति को मिल गया था। सोचिए, उसने कितने लोगों का फर्जी आधार कार्ड बनाया होगा। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा की फ्रेंचाइजी भी नेपाली व्यक्ति को मिली। वह 90 लाख रुपए की ठगी करके यहां से भाग गया। इसी तरह यहीं हाजी ट्रेडर्स नाम से भट्ठा समेत कई बिजनेस चलता है। सब बाहरी हैं, लेकिन यहां आकर रह रहे और बिजनेस कर रहे हैं। 100 से ज्यादा गांव में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक
भारत-नेपाल सीमा से यूपी के जो 7 जिले जुड़े हैं, उनमें सीमा से 15 किलोमीटर के एरिया में कुल 1047 गांव हैं। 116 गांव ऐसे हैं, जिनमें पिछले 10 सालों में मुस्लिम आबादी 50% तक बढ़ गई। यहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। 303 गांव ऐसे हैं, जहां पिछले 10 सालों में मुस्लिम आबादी 30 से 50% तक बढ़ी है। यही कारण है कि यहां 2018 में मस्जिद-मदरसों की जो संख्या 1348 थी, वह 2022 में हुए सर्वे में 1688 पहुंच गई। इस वक्त 1800 के ऊपर हो जाने का अनुमान है। 2001 में जब जनगणना हुई, तब यूपी की कुल आबादी 15 करोड़ 32 लाख थी। उस वक्त प्रदेश में 80.61% हिंदू आबादी और 18.50% मुस्लिम आबादी थी। 2011 में फिर से जनगणना हुई। उस वक्त यूपी की आबादी 19 करोड़ 98 लाख पहुंच गई। हिंदुओं की आबादी 79.73% (15.9 करोड़) और मुस्लिम आबादी 19.26% (3.84 करोड़) पहुंच गई। मतलब हिंदुओं की आबादी घटी और मुस्लिम आबादी में इजाफा हुआ। मुजफ्फरनगर में 10 सालों के बीच 3.20% हिंदू आबादी घट गई। जनगणना के इसी ट्रेंड को मानें, तो 2025 तक यूपी की आबादी 25 करोड़ पार कर चुकी है। हिंदू आबादी के मुकाबले यूपी में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। हालांकि इसका क्लियर आंकड़ा अभी सामने नहीं आएगा। अगले साल जब गणना होगी, तब संख्या पता चल सकेगी। सीमा पर बढ़ती मुस्लिम आबादी पर तमाम अफसर मुहर लगाते हैं। मौजूदा अधिकारी बढ़ती आबादी, बढ़ते मदरसों के बीच सीमा पर भी कड़ी नजर जमाए हुए हैं। ————————– ये खबर भी पढ़ें… राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल, क्यों सरकार पेश नहीं कर पाई सबूत; क्या भारत में रहते कोई दूसरे देश का नागरिक बन सकता है इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताने वाले केस को बंद कर दिया। बता दें, दो देशों की नागरिकता मामले में राहुल गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में केस चल रहा था। इस याचिका में राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती दी गई थी। क्या राहुल गांधी के पास दोहरी नागरिकता है? उनके पास और किस देश की नागरिकता होने का सवाल उठाया जाता है? भारत में नागरिकता को लेकर क्या नियम हैं? पढ़ें पूरी खबर ‘हमारे क्षेत्र में बहुत सारे लोगों ने अपनी बेटियों की शादी नेपाल में की। शादी के बाद उधर से लोग इधर आ गए। यहां आधार कार्ड बनवा लिया। फिर जमीन खरीद ली। हमारे बगल भगवानपुरवा गांव में भी कई लोग उधर से आए हैं। यहीं दुकान वगैरह चला रहे हैं। लोगों के इधर आने के पीछे माओवादी भी एक बड़ी वजह हैं। उन्होंने उधर हमला किया, तो लोग बड़ी संख्या में इधर आकर बस गए।’ यह कहना है श्रावस्ती जिले के किसान बुधई गुप्ता का। बुधई का गांव भारत-नेपाल सीमा के एकदम किनारे बसा है। इन हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग बाहर से आकर बस गए हैं। इनमें हिंदू भी हैं और मुस्लिम भी। नेपाल से जुड़े यूपी के 7 जिलों में बॉर्डर एरिया पर मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी। इसके पीछे कई कारण निकलकर सामने आए। दैनिक भास्कर की टीम ने इन इलाकों से ग्राउंड रिपोर्ट की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट… सिर्फ मुस्लिम नहीं, एससी भी पैदा कर रहे ज्यादा बच्चे
भारत-नेपाल सीमा से यूपी के 7 जिले जुड़ते हैं। इनमें बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, महराजगंज और पीलीभीत शामिल हैं। इन जिलों से नेपाल की 551 किलोमीटर सीमा टच करती है। इस वक्त यूपी सरकार के आदेश पर स्थानीय प्रशासन इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण हटाने में जुटा है। खासतौर पर मदरसे-मस्जिद फोकस में हैं। 350 से ज्यादा अवैध धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई हुई। एक बात और सामने आई कि इन इलाकों में मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है। हम भारत-नेपाल की रुपईडीहा सीमा पर पहुंचे। यहां एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के जवान जांच-पड़ताल करके लोगों को अंदर और बाहर जाने दे रहे थे। इस बॉर्डर से हर दिन करीब 35 हजार लोग आते-जाते हैं। यहीं से करीब 10 किलोमीटर श्रावस्ती की तरफ चलने पर नूरी चौराहा पड़ता है। यहां हमें किसान शकील अहमद मिले। हमारा सवाल था कि क्या वजह है भारत-नेपाल सीमा पर मुस्लिम आबादी बढ़ रही? शकील कहते हैं- एससी वर्ग के लोग भी तो 7-7 बच्चे पैदा कर रहे हैं। हमने पूछा कि क्या आपके क्षेत्र में नेपाल से भी आकर लोग रह रहे? शकील इसके जवाब में कहते हैं- भारत-नेपाल के लोगों का रिश्ता रोटी-बेटी का है। कई लोग बेटियों की उधर शादियां करते हैं, उधर वाले भी इधर करते हैं। कुछ लोग अगर आ गए होंगे, तो कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि बाहर से आकर किसी ने यहां जमीन नहीं खरीदी। सीमा पर एसएसबी के जवान मुस्तैद हैं, वे किसी घुसपैठिए को आने ही नहीं देंगे। हमारे गांव में 10 साल में बढ़ गई मुस्लिम आबादी
हम यहां से सोनपुर कला गांव साइड पहुंचे। यहां गांव में पेड़ के नीचे 4-5 लोग बैठे मिले। हमने पूछा कि क्या आपके गांव में भी मुस्लिम वर्ग की आबादी बढ़ी? पहले तो वह कैमरे के आगे बोलने को तैयार नहीं हुए। कुछ देर बाद लल्लू कहते हैं- हम कतहिया में रहते हैं। 10 साल पहले हमारे गांव में दो घर मुस्लिम के थे, अब 5-6 घर हो गए हैं। कोई भी बाहर से नहीं आया। उनके घर में लोग ही बहुत ज्यादा हैं। यहां बैठे लोग यह मानते हैं कि आसपास मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। हम यहां से निकलकर जमुनहा पहुंचे। यहां के लोग कहते हैं कि यहां करीब साढ़े तीन हजार वोटर हैं। 15 साल पहले यहां हिंदू वोटरों की संख्या ज्यादा थी, लेकिन आज दोनों की बराबर हो गई है। यहां प्रधान भी 4 बार से मुस्लिम वर्ग के ही हो रहे हैं। इसके पीछे की वजह जानने के लिए हम कस्बे में ही जिला पंचायत सदस्य हरीश गांधी के पास पहुंचे। वह सीधे कहते हैं- मुस्लिम लोगों की मानसिकता है कि आबादी बढ़ाओ और कब्जा कर लो। हरीश कहते हैं- हमारे यहां की मुस्लिम बिरादरी हर सरकारी स्कीम का फायदा ले रही है। बच्चा पैदा करने के लिए तो सरकार खुद प्रोत्साहन दे रही है। पेट में बच्चा आ गया, तब आंगनबाड़ी से मदद मिलती है। बच्चा पैदा हुआ, तो 6 हजार रुपए मिल गए। उसके पालन-पोषण के लिए राशन मिल ही रहा। थोड़ा और बड़ा होगा तो वह मदरसा चला जाएगा, वहां भी पैसा लगना नहीं है। इसलिए उसकी कोई चिंता की बात ही नहीं। हरीश से हमने पूछा कि क्या यहां नेपाल के लोग भी आए? क्या उन्हें नागरिकता मिल गई? वह कहते हैं- यहां अक्सर ऐसा होता है कि वोट की लालच में तमाम प्रतिनिधि बाहर से आए लोगों का आधार कार्ड बनवा देते हैं। उन्हें वोटिंग का अधिकार दिलवा देते हैं। जबकि नेपाल में आप पूरा जीवन रह जाइए, वहां नागरिकता नहीं मिल पाएगी। नेपाल से आकर इधर बस गए, बोले- जमीन पहले से थी
हम बहराइच जिले के नवाबगंज इलाके में पहुंचे। यहां सागर गांव है। इसी के बगल एक नया पुरवा बस गया है। इसे खाले पुरवा नाम दिया है। 10 से ज्यादा घर हैं, सभी नेपाली हैं। हम लोगों से मिले, लेकिन कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ। हमारी मुलाकात गांव के एकदम किनारे काशीराम से हुई। हमने उनसे पूछा- आप यहां कब आए? वह कहते हैं- हम तो बहुत पहले आ गए थे। हमारे पूर्वजों की यहीं जमीन थी। वह भी यहीं रहते थे। हमारा यहां आधार कार्ड बना है, हम वोट भी देते हैं। राशन भी फ्री में मिलता है। बगल में गुलरिया गांव है। यहां नेपाली नागरिक बांकेलाल मिले। वह कहते हैं- पिछले कुछ सालों में बाढ़ आई तो नेपाल की तरफ कटान बढ़ गई। इसके बाद बहुत सारे लोग इधर ही आकर बस गए। हम तो उधर ही रहते हैं, लेकिन हमारी तरफ से बहुत सारे लोग इधर आकर रहते हैं। आज बाजार थी, इसलिए आए थे। पास खड़े किसान दिनेश यादव कहते हैं भी कहते हैं कि बहुत से लोग उधर से इधर आए हैं। सिस्टम कमजोर, इसलिए बाहरी यहां आकर बस रहे
मल्हीपुर में पहले जिला पंचायत सदस्य रहे प्रहलाद सिंह कहते हैं- क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम वर्ग के लोग यहां आकर बसे हैं। बहुत सारे लोगों ने अपनी बेटियों की शादी नेपाल में की। बाद में वे यहीं आकर बस गए। जब आसपास के लोग पूछते हैं कि कहां से आए, तो उनके घरवाले आसपास के जिलों का नाम बता देते हैं। प्रहलाद सिंह प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हैं। कहते हैं- हमारे मल्हीपुर में आधार कार्ड बनाने का ठेका एक नेपाली व्यक्ति को मिल गया था। सोचिए, उसने कितने लोगों का फर्जी आधार कार्ड बनाया होगा। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा की फ्रेंचाइजी भी नेपाली व्यक्ति को मिली। वह 90 लाख रुपए की ठगी करके यहां से भाग गया। इसी तरह यहीं हाजी ट्रेडर्स नाम से भट्ठा समेत कई बिजनेस चलता है। सब बाहरी हैं, लेकिन यहां आकर रह रहे और बिजनेस कर रहे हैं। 100 से ज्यादा गांव में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक
भारत-नेपाल सीमा से यूपी के जो 7 जिले जुड़े हैं, उनमें सीमा से 15 किलोमीटर के एरिया में कुल 1047 गांव हैं। 116 गांव ऐसे हैं, जिनमें पिछले 10 सालों में मुस्लिम आबादी 50% तक बढ़ गई। यहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। 303 गांव ऐसे हैं, जहां पिछले 10 सालों में मुस्लिम आबादी 30 से 50% तक बढ़ी है। यही कारण है कि यहां 2018 में मस्जिद-मदरसों की जो संख्या 1348 थी, वह 2022 में हुए सर्वे में 1688 पहुंच गई। इस वक्त 1800 के ऊपर हो जाने का अनुमान है। 2001 में जब जनगणना हुई, तब यूपी की कुल आबादी 15 करोड़ 32 लाख थी। उस वक्त प्रदेश में 80.61% हिंदू आबादी और 18.50% मुस्लिम आबादी थी। 2011 में फिर से जनगणना हुई। उस वक्त यूपी की आबादी 19 करोड़ 98 लाख पहुंच गई। हिंदुओं की आबादी 79.73% (15.9 करोड़) और मुस्लिम आबादी 19.26% (3.84 करोड़) पहुंच गई। मतलब हिंदुओं की आबादी घटी और मुस्लिम आबादी में इजाफा हुआ। मुजफ्फरनगर में 10 सालों के बीच 3.20% हिंदू आबादी घट गई। जनगणना के इसी ट्रेंड को मानें, तो 2025 तक यूपी की आबादी 25 करोड़ पार कर चुकी है। हिंदू आबादी के मुकाबले यूपी में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। हालांकि इसका क्लियर आंकड़ा अभी सामने नहीं आएगा। अगले साल जब गणना होगी, तब संख्या पता चल सकेगी। सीमा पर बढ़ती मुस्लिम आबादी पर तमाम अफसर मुहर लगाते हैं। मौजूदा अधिकारी बढ़ती आबादी, बढ़ते मदरसों के बीच सीमा पर भी कड़ी नजर जमाए हुए हैं। ————————– ये खबर भी पढ़ें… राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल, क्यों सरकार पेश नहीं कर पाई सबूत; क्या भारत में रहते कोई दूसरे देश का नागरिक बन सकता है इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताने वाले केस को बंद कर दिया। बता दें, दो देशों की नागरिकता मामले में राहुल गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में केस चल रहा था। इस याचिका में राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती दी गई थी। क्या राहुल गांधी के पास दोहरी नागरिकता है? उनके पास और किस देश की नागरिकता होने का सवाल उठाया जाता है? भारत में नागरिकता को लेकर क्या नियम हैं? पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
भारत-नेपाल सीमा पर मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी:बड़ी संख्या में नेपाली इधर बस गए; नेता वोट के लालच में आधार बनवा रहे
