मंडी जिले के लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में डॉक्टरों की लापरवाही का मामल सामने आया है। डॉक्टरों पर आरोप है कि उन्होंने प्रसूति के बाद क्रॉस टांके लगा दिए हैं। जिसे महिला को फिर से सर्जरी करवाने की नौबत आ गई। परमजीत कौर पत्नी संता सिंह निवासी गोहर की 14 जुलाई को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में नॉर्मल डिलीवरी हुई। परमजीत कौर ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया। डिलीवरी के बाद प्रसूती कक्ष में चिकित्सकों ने परमजीत कौर को कुछ टांके क्रॉस टांके लगा दिए। डेढ़ महीने बाद भी कम नहीं हुआ दर्द लगभग डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी परमजीत कौर की तकलीफ कम नहीं हुई तो उन्होंने एक निजी चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सक से चैक अप करवाया। उन्होंने बताया कि आपके टांके ही गलत तरीके से लगाए गए हैं। आपको पुनः सर्जरी करवानी पड़ेगी। सर्जरी के लिए दो दिन होना पड़ेगा भर्ती इस बारे में जब पीड़िता ने लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेर चौक में चिकित्सकों से परामर्श किया। तो उन्होंने बताया कि उनके टांके गलत लग गए हैं। उनको फिर से सर्जरी करवानी पड़ेगी। जिसके लिए उनको दो दिन के लिए दाखिल होना पड़ेगा। पीड़िता का कहना है कि वह डेढ़ महीने के बच्चे को अकेले कैसे छोड़ सकती है। जबकि बच्चा मदर फीड लेता है। बड़ी हैरानी और दुख की बात है कि इतने बड़े मेडिकल कॉलेज में इस तरह की लापरवाही होगी, तो लोग कैसे विश्वास करेंगे। पीड़िता के घर वालों का कहना है इस तरह की लापरवाही करने वालों के खिलाफ मेडिकल कॉलेज प्रशासन सख्ती के साथ कार्रवाई करे। ताकि भविष्य में किसी और के साथ इस तरह की लापरवाही की घटना न घटे। अधीक्षक बोले- इस मामले में शिकायत नहीं मिली मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक की चिकित्सा अधीक्षक डॉ दीपाली शर्मा ने कहा कि शिकायतकर्ता अस्पताल प्रबंधन को अगर शिकायत करता है। तो इस मामले की वास्तविकता जानकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ डीके वर्मा ने कहा कि इस प्रकार की कोई भी शिकायत अभी तक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन को नहीं मिली है। शिकायत आने पर मामले की जांच करवाई जाएगी। मंडी जिले के लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में डॉक्टरों की लापरवाही का मामल सामने आया है। डॉक्टरों पर आरोप है कि उन्होंने प्रसूति के बाद क्रॉस टांके लगा दिए हैं। जिसे महिला को फिर से सर्जरी करवाने की नौबत आ गई। परमजीत कौर पत्नी संता सिंह निवासी गोहर की 14 जुलाई को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में नॉर्मल डिलीवरी हुई। परमजीत कौर ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया। डिलीवरी के बाद प्रसूती कक्ष में चिकित्सकों ने परमजीत कौर को कुछ टांके क्रॉस टांके लगा दिए। डेढ़ महीने बाद भी कम नहीं हुआ दर्द लगभग डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी परमजीत कौर की तकलीफ कम नहीं हुई तो उन्होंने एक निजी चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सक से चैक अप करवाया। उन्होंने बताया कि आपके टांके ही गलत तरीके से लगाए गए हैं। आपको पुनः सर्जरी करवानी पड़ेगी। सर्जरी के लिए दो दिन होना पड़ेगा भर्ती इस बारे में जब पीड़िता ने लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेर चौक में चिकित्सकों से परामर्श किया। तो उन्होंने बताया कि उनके टांके गलत लग गए हैं। उनको फिर से सर्जरी करवानी पड़ेगी। जिसके लिए उनको दो दिन के लिए दाखिल होना पड़ेगा। पीड़िता का कहना है कि वह डेढ़ महीने के बच्चे को अकेले कैसे छोड़ सकती है। जबकि बच्चा मदर फीड लेता है। बड़ी हैरानी और दुख की बात है कि इतने बड़े मेडिकल कॉलेज में इस तरह की लापरवाही होगी, तो लोग कैसे विश्वास करेंगे। पीड़िता के घर वालों का कहना है इस तरह की लापरवाही करने वालों के खिलाफ मेडिकल कॉलेज प्रशासन सख्ती के साथ कार्रवाई करे। ताकि भविष्य में किसी और के साथ इस तरह की लापरवाही की घटना न घटे। अधीक्षक बोले- इस मामले में शिकायत नहीं मिली मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक की चिकित्सा अधीक्षक डॉ दीपाली शर्मा ने कहा कि शिकायतकर्ता अस्पताल प्रबंधन को अगर शिकायत करता है। तो इस मामले की वास्तविकता जानकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ डीके वर्मा ने कहा कि इस प्रकार की कोई भी शिकायत अभी तक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन को नहीं मिली है। शिकायत आने पर मामले की जांच करवाई जाएगी। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
सोलन में अवैध अतिक्रमण पर चला बुलडोजर:प्रशासन ने कई बार दी थी चेतावनी, मुआवजा लेने के बाद भी NHAI के जमीन पर किए कब्जा
सोलन में अवैध अतिक्रमण पर चला बुलडोजर:प्रशासन ने कई बार दी थी चेतावनी, मुआवजा लेने के बाद भी NHAI के जमीन पर किए कब्जा हिमाचल के सोलन में एनएच-5 पर बढ़ती अतिक्रमण की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए एनएचएआई (National Highways Authority of India) की टीम ने आज रबोन के समीप बड़ी कार्रवाई अमल में लाई, इस दौरान उन्होंने हाईवे किनारे बने भवनों की नाप-नपाई की ओर जो भवन अवैध रूप से बनाए गए है, उन्हें तुरंत प्रभाव से तोड़ने के निर्देश भी दिए और जिन लोगों ने आदेश की अनुपालन नहीं की उन भवनों पर NHAI ने पीला पंजा चला दिया। पहले भी प्रशासन ने हटाया था अतिक्रमण
बता दें कि फोरलेन निर्माण के बाद कुछ लोगों ने एक बार फिर से NHAI की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया था और कुछ महीने पहले भी उन्हें तुरंत प्रभाव से अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए गए थे। कई जगह लोगों ने मुआवजा लेने के बाद बची जमीन पर निर्माण कर दिया था। कुछ सप्ताह पहले भी जिला प्रशासन ने इस जगह से अतिक्रमण हटाया था मगर फिर भी कुछ गिने-चुने लोग अभी भी नहीं मान रहे और मुआवजा लेने के बावजूद भी NHAI की जमीन पर अवैध भवनों का निर्माण कर रहे हैं। NHAI पुलिस बल व प्रशासन की टीम मौके पर रही मौजूद
कुछ समय पहले ही NHAI की टीम ने शिमला से लेकर सोलन तक कई बार अवैध रूप से बनाई गई रेहड़ी फड़ी व अवैध रूप से भवनों को हटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन फिर भी कुछ गिने चुने लोग मुआवजा लेने के बावजूद भी सरकारी भूमि पर ही कब्जा कर रहे हैं जिनके खिलाफ गुरुवार को करवाई की गई है। वहीं जितने भी भवन NHAI की जमीन पर बने हुए थे उन्हें भी तोड़ दिया गया। इस दौरान जिला प्रशासन पुलिस, NHAI की पूरी टीम मौके पर मौजूद रही।
हिमाचल में हाटी समुदाय से जुड़ा मुद्दा फिर गरमाया:कानून बनने के बाद भी लोगों को नहीं मिल रहा लाभ, हाईकोर्ट में लटका मामला
हिमाचल में हाटी समुदाय से जुड़ा मुद्दा फिर गरमाया:कानून बनने के बाद भी लोगों को नहीं मिल रहा लाभ, हाईकोर्ट में लटका मामला हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर के गिरी पार हाटी समुदाय के करीब तीन लाख लोगों से जुड़ा अनुसूचित जनजाति का मामला एक बार फिर गरमा गया है। यह मामला हिमाचल हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हाटी समुदाय के लोग इसको जल्दी निपटाने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक साल से ज्यादा का समय केंद्र से कानून बनने के बाद भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर हाटी समुदाय का एक प्रतिनिधि मंडल मंगलवार देर शाम कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान से मिला। जिसके बाद मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के साथ हिमाचल हाईकोर्ट में महाधिवक्ता के साथ एक संयुक्त बैठक की। इस बैठक में उन्होंने हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति से जुड़े मामले को हाईकोर्ट से जल्द निपटाने को लेकर चर्चा की। मामले का जल्द निपटारा करने की मांग
कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा देने को लेकर सरकार का पक्ष साफ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मामले में असमंजस की स्थिति केंद्र सरकार की अधिसूचना की वजह से हुई। उन्होंने कहा कि केंद्र का जैसे ही इस मामले में स्पष्टीकरण आया, हिमाचल सरकार ने 24 घंटे के भीतर उसको लागू किया। मगर मामला कोर्ट पहुंच गया जिसके कारण यह लंबित हो गया और इसके लिए उन्होंने लोगों के साथ मिलकर एडवोकेट जनरल से बैठक की है। उनसे आग्रह किया कि इस मामले को जल्द से जल्द निपटाया जाए। मंत्री ने कहा कि इसके लिए एक अच्छा वकील हायर करेंगे, जो मजबूती से हाटी समुदाय का पक्ष रखेंगे, सरकार पूरी मदद करेगी। मंत्री हर्षवर्धन ने भाजपा पर बोला हमला
इस दौरान मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने भाजपा पर भी जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस मामले को हाई जैक करने का प्रयास किया। लेकिन यह मामला राजनीतिक नहीं है, सभी लोगों ने इसके लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय हाटी संघर्ष समिति आज भाजपा का पिट्ठू बनी हुई है। समिति जनता से हाटी के नाम पर इसलिए पैसे इकट्ठे कर रही है कि सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि समिति के लोग सुप्रीम कोर्ट की बात सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी राजनीति चमकानी है। परंतु हाटी कल्याण मंच इस लड़ाई को हाईकोर्ट में मजबूती से लड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई के लिए बहुत लोगों ने काम किया है जो आज इस दुनिया में नहीं हैं वह उन्हें नमन करता है। कैबिनेट मंत्री ने दिया मदद का आश्वासन
वहीं हाटी कल्याण मंच गिरी पार के अध्यक्ष प्रताप सिंह तोमर ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा देने के मामले की वर्तमान स्थिति को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा लागू करने को लेकर हाईकोर्ट के स्टे को हटाया जाए। इसको लेकर हाईकोर्ट में एडवोकेट जनरल के साथ विस्तृत रूप से चर्चा की। प्रताप सिंह तोमर ने कहा कि कैबिनेट मंत्री की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया है, कि इस मामले में सरकार हाटी समुदाय की पूरी तरह से मदद करने का प्रयास करेगी। 21 नवंबर को मामले की होगी सुनवाई
वहीं हिमाचल हाईकोर्ट में महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदेश में लागू करने के मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। अनूप ने बताया कि आज एक प्रतिनिधि मंडल ने उनसे मुलाकात की है। वह दलीलों के जरिए जल्द से जल्द इस मामले का निपटारा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि 21 नवंबर को इस मामले में सुनवाई होनी है। मगर सरकार न्यायालय से दरख़्वास्त करेगी कि जल्द से जल्द मामले को सुना जाए। क्या है मामला.?
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग 1967, यानी 55 सालों से उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजाति दर्जा मिलने के बाद से उसी तर्ज पर जनजाति दर्जे की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को 14 सितंबर 2022 को अपनी मंजूरी दी थी। उसके बाद 16 दिसंबर 2022 को यह बिल लोकसभा से पारित हुआ और जुलाई 2023 में राज्यसभा से भी पारित हो गया। बाद में इसे राष्ट्रपति के लिए भेजा गया था, जहां 9 दिनों में ही राष्ट्रपति ने भी विधेयक पर मुहर लगा दी। लेकिन फिर मामला हाईकोर्ट पहुंच गया और तब से लंबित पड़ा है। इसका लाभ लोगों को नही मिल रहा है। बता दें कि सिरमौर जिले के हाटी समुदाय में करीब तीन लाख लोग, शिलाई, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद और पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों में रहते हैं। जिला सिरमौर की कुल 269 पंचायतों में से ट्रांसगिरी में 154 पंचायतें आती हैं। इन 154 पंचायतों की 14 जातियों तथा उप जातियों को एसटी संशोधित विधेयक में शामिल किया गया है।
राजेश शर्मा ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन:मनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे नेता; CM की पत्नी ने प्रचार अभियान का किया आगाज
राजेश शर्मा ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन:मनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे नेता; CM की पत्नी ने प्रचार अभियान का किया आगाज हिमाचल प्रदेश की देहरा विधानसभा सीट पर बगावत के संकेत दे चुके डॉ. राजेश शर्मा को मनाने की जिम्मेदारी पार्टी ने कृषि मंत्री चंद्र कुमार को सौंपी है। लेकिन अब कोई भी नेता राजेश शर्मा से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री सुक्खू समेत कांग्रेस नेताओं पर दबाव बनाकर मानसिक रूप से परेशान करने का आरोप लगाया है। राजेश शर्मा ने कहा कि अगर उनकी मौत भी हार्ट अटैक से होती है तो इसके लिए मुख्यमंत्री सुक्खू ही जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि कई प्रभावशाली लोग उन पर दबाव बना रहे हैं। उन्हें अपना कारोबार बंद करने की धमकी दी जा रही है। इससे डरे कांग्रेस नेता राजेश शर्मा से बात नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में जब कृषि मंत्री चंद्र कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह जल्द ही राजेश शर्मा से बात करेंगे। उन्हें पूरा विश्वास है कि राजेश शर्मा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि राजेश शर्मा कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री की पत्नी कमलेश ठाकुर को टिकट दिया है। कांग्रेस एक बार देहरा से राजेश शर्मा को टिकट भी दे चुकी है। राजेश से तार भिड़ाने लगी बीजेपी बेशक, राजेश शर्मा के तल्ख तेवर के बाद कांग्रेस नेता उनसे बात नहीं कर पा रहे। मगर भारतीय जनता पार्टी के नेता राजेश शर्मा से तार भिड़ाने की कोशिश कर रहे हैं। बीती शाम को पूर्व मंत्री विपिन सिंह परमार, देहरा सीट से बीजेपी प्रत्याशी होशियार सिंह, बीजेपी विधायक राकेश जम्वाल राजेश शर्मा का कुशल क्षेम जानने सिविल अस्पताल पहुंचे, क्योंकि पिछले कल बीपी कम होने के बाद होशियार सिंह अस्पताल में भर्ती हो गए थे। CM की पत्नी प्रचार को देहरा पहुंची इस बीच मुख्यमंत्री सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर आज चुनाव प्रचार के लिए देहरा पहुंच गईं। नामांकन भरने से एक दिन पहले उनका जगह-जगह जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान उन्होंने ठाकुरद्वारा लक्ष्मीनारायण मंदिर चनौर में माथा टेकने के बाद प्रचार अभियान का आगाज किया। बाद में उन्होने माता बगलामुखी मंदिर में भी अपना शीश नवाया। कांग्रेस देहरा सीट से कमलेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। देहरा, कमलेश ठाकुर का माइका है। इस सीट को कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई। इसलिए पार्टी ने मुख्यमंत्री की पत्नी पर दांव खेला है। उनको टिकट देने की वजह से ही राजेश शर्मा ने खुले तौर पर बागी तेवर दिखाए हैं। राजेश शर्मा पिछले कल अपने समर्थकों के बीच फूट फूट कर रोए और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया। 2022 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ चुके डॉ. राजेश देहरा से डॉ. राजेश का टिकट पहले से तय माना जा रहा था। साल 2022 में पार्टी ने राजेश को ही टिकट दिया था। हालांकि तब वह निर्दलीय होशियार से चुनाव हार गए थे। इस बार पार्टी हाईकमान ने कभी नहीं जीत पाने वाली देहरा सीट को जीतने के लिए सीएम की पत्नी पर दांव खेला है। इससे पहले एक बार वह कांगड़ा सीट से भी निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं।