प्रयागराज के जिस मदरसे में नकली नोट छापने, बच्चों के ब्रेन वॉश किए जाने का खुलासा हुआ था अब उसका मामला सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिट तक पहुंचा है। असल में मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम बुल्डोजर एक्शन की तैयारी थी। प्राधिकरण ने मदरसा कमेटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। पीडीए ने दो नोटिसें गेट पर चस्पा किया कि 18 सितंबर तक जवाब दाखिल करें अन्यथा अवैध निर्माण ध्वस्त किया जाएगा। मदरसा कमेटी ने तय वक्त पर अपना जवाब और दस्तावेज पीडीए को सौंप दिया है। साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को सारे जवाब की कॉपी भेजी है। मस्जिद 300 साल, मदरसा 1940 का मदरसा कमेटी ने अपना जवाब 100 पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट तैयार कर दिया है। इसमें पुराने नक्शे और अन्य दस्तावेज हैं। कमेटी ने कहा है कि मदरसा कैंपस का सभी निर्माण पूरी तरह वैध है। सभी निर्माण विकास प्राधिकरण समेत दूसरे सरकारी विभागों की अनुमति के बाद हुए हैं। मदरसा परिसर में स्थित मस्जिद ए आज़म 300 साल से ज्यादा पुरानी है। मदरसे की स्थापना 84 साल पहले 1940 में की गई थी। पीडीए तब कहां था उस वक्त निर्माण के लिए ब्रिटिश हुकूमत से मंजूरी ली गई थी। देश की आजादी के बाद 1952 में नगर पालिका परिषद से नक्शा पास कराया गया था। उस वक्त प्रयागराज विकास प्राधिकरण अस्तित्व में नहीं था। विकास प्राधिकरण 1973 में अस्तित्व में आया है। इसके बाद 1981 में विकास प्राधिकरण से भी नगर पालिका के नक्शे को मंजूरी दिलाई गई थी। मदरसा कमेटी ने अपने इन सभी दावों के दस्तावेज भी विकास प्राधिकरण के जवाब के साथ दाखिल किए है। कहा गया है कि इन सभी दस्तावेजों के परीक्षण के बाद भी अगर कोई आपत्ति या शंका है तो मदरसा अन्य डॉक्यूमेंट भी देने को तैयार है। कहा गया है कि अगर इसके बावजूद कोई सवाल या शंका है तो प्राधिकरण उस हिस्से का निरीक्षण और परीक्षण कर दस्तावेजों की जांच कर सकता है। मदरसा हर तरह से सहयोग करने को तैयार है। जवाब के जरिए कहा गया है कि मदरसे की सील को खोल दिया जाना चाहिए। यहां रोजाना पांच वक्त नमाज होती थी। सील होने की वजह से नमाज बंद है। इसके अलावा यहां पढ़ने वाले 100 से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई भी बंद है। अब पीडीए कमेटी से हासिल दस्तावेजों की जांच कर रहा है। जांच के बाद ही पीडीए इस पर आगे की कार्रवाई करेगा। मदरसा कमेटी के लोगों ने दस्तावेजों को सौंपने के साथ ही पीडीए पहुंच अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी दलीलें दी हैं। 4 सितंबर को सील हुआ था मदरसा प्रयागराज के इस मदरसे में 27 अगस्त को नकली नोट छापने का मामला खुला था। पुलिस ने प्रिंसिपल समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अवैध निर्माण की शिकायत होने पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने इसे 4 सितंबर को सील कर दिया था। तब से यह मदरसा बंद चल रहा है। प्रयागराज के जिस मदरसे में नकली नोट छापने, बच्चों के ब्रेन वॉश किए जाने का खुलासा हुआ था अब उसका मामला सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिट तक पहुंचा है। असल में मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम बुल्डोजर एक्शन की तैयारी थी। प्राधिकरण ने मदरसा कमेटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। पीडीए ने दो नोटिसें गेट पर चस्पा किया कि 18 सितंबर तक जवाब दाखिल करें अन्यथा अवैध निर्माण ध्वस्त किया जाएगा। मदरसा कमेटी ने तय वक्त पर अपना जवाब और दस्तावेज पीडीए को सौंप दिया है। साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को सारे जवाब की कॉपी भेजी है। मस्जिद 300 साल, मदरसा 1940 का मदरसा कमेटी ने अपना जवाब 100 पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट तैयार कर दिया है। इसमें पुराने नक्शे और अन्य दस्तावेज हैं। कमेटी ने कहा है कि मदरसा कैंपस का सभी निर्माण पूरी तरह वैध है। सभी निर्माण विकास प्राधिकरण समेत दूसरे सरकारी विभागों की अनुमति के बाद हुए हैं। मदरसा परिसर में स्थित मस्जिद ए आज़म 300 साल से ज्यादा पुरानी है। मदरसे की स्थापना 84 साल पहले 1940 में की गई थी। पीडीए तब कहां था उस वक्त निर्माण के लिए ब्रिटिश हुकूमत से मंजूरी ली गई थी। देश की आजादी के बाद 1952 में नगर पालिका परिषद से नक्शा पास कराया गया था। उस वक्त प्रयागराज विकास प्राधिकरण अस्तित्व में नहीं था। विकास प्राधिकरण 1973 में अस्तित्व में आया है। इसके बाद 1981 में विकास प्राधिकरण से भी नगर पालिका के नक्शे को मंजूरी दिलाई गई थी। मदरसा कमेटी ने अपने इन सभी दावों के दस्तावेज भी विकास प्राधिकरण के जवाब के साथ दाखिल किए है। कहा गया है कि इन सभी दस्तावेजों के परीक्षण के बाद भी अगर कोई आपत्ति या शंका है तो मदरसा अन्य डॉक्यूमेंट भी देने को तैयार है। कहा गया है कि अगर इसके बावजूद कोई सवाल या शंका है तो प्राधिकरण उस हिस्से का निरीक्षण और परीक्षण कर दस्तावेजों की जांच कर सकता है। मदरसा हर तरह से सहयोग करने को तैयार है। जवाब के जरिए कहा गया है कि मदरसे की सील को खोल दिया जाना चाहिए। यहां रोजाना पांच वक्त नमाज होती थी। सील होने की वजह से नमाज बंद है। इसके अलावा यहां पढ़ने वाले 100 से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई भी बंद है। अब पीडीए कमेटी से हासिल दस्तावेजों की जांच कर रहा है। जांच के बाद ही पीडीए इस पर आगे की कार्रवाई करेगा। मदरसा कमेटी के लोगों ने दस्तावेजों को सौंपने के साथ ही पीडीए पहुंच अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी दलीलें दी हैं। 4 सितंबर को सील हुआ था मदरसा प्रयागराज के इस मदरसे में 27 अगस्त को नकली नोट छापने का मामला खुला था। पुलिस ने प्रिंसिपल समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। अवैध निर्माण की शिकायत होने पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने इसे 4 सितंबर को सील कर दिया था। तब से यह मदरसा बंद चल रहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Uttarakhand News: केदारनाथ घाटी समेत हिमालय पर मंडराया नया खतरा, प्रशासन 13 ग्लेशियर झीलों की करवाएगा स्टडी
Uttarakhand News: केदारनाथ घाटी समेत हिमालय पर मंडराया नया खतरा, प्रशासन 13 ग्लेशियर झीलों की करवाएगा स्टडी <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड की केदारनाथ घाटी समेत उत्तराखंड के हिमालय पर नया खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है. क्योंकि मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की है जिसमें बादल फटने और फ्लड की चेतावनी दी गई है, साथी उत्तराखंड सरकार ने ग्लेशियरों की स्टडी के लिए एक टीम बनाने का भी फैसला किया था क्योंकि उत्तराखंड में ग्लेशियरों की पिघलने की क्षमता दोगुनी हो गई है ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं.इसको लेकर राज्य सरकार अभी से इस सब पर स्टडी कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें कि केदारनाथ धाम के ऊपर मौजूद सुमेरु पर्वत से 30 जून 2024 को हिमस्खलन हुआ था. जिसकी तस्वीर सामने आए थी. जिसे एबीपी लाइव ने भी प्रमुखता से दिखाया था. उसे पिछले साल भी ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला था. हर साल ऐसे ही नजर देखने को मिल रहे है. इस सब को देखकर लगता है कि कहीं ऐसा ना हो कि इस बार आपदा पानी के बजाय पहाड़ से गिरने वाले बर्फ के रूप में सामने आए. केदारनाथ घाटी नहीं बल्कि ऐसे कई इलाके हैं जो इस खतरनाक हादसे के शिकार हो सकते हैं. इसको लेकर राज्य सरकार ने एक स्टडी करने का फैसला लिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ग्लेशियर झीलों की हो रही स्टडी</strong><br />आपको बता दे कि राज्य सरकार ऊंचाई पर मौजूद ग्लेशियर झीलों की स्टडी करवा रही है. ताकि उनसे होने वाले खतरों की तैयारी पहले से की जा सके. इन झीलों के टूटने या फटने पर निचले इलाकों में 2013 जैसी आपदा ना आए. इससे पहले ही उसके इंतजाम कर लिए जाए. इसको लेकर स्टडी कराई जा रही है. वाडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर साईं ने एबीपी लाइव को बताया था, कि उत्तराखंड में मौजूद ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इनके पिघलने से कई जिले बन चुकी है. इन झीलों के टूटने या फिर फटने से निचले इलाकों में तबाही जैसा मंजर आ सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आईएमडी ने किया अलर्ट जारी</strong><br />इन झीलों की वजह से आने वाले समय में कभी भी आउटबर्स्ट फ्लड आने का खतरा बना हुआ है. उत्तराखंड राज्य डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट जिन 13 ग्लेशियर झीलों की स्टडी करने वाला है. उनमें से 5 ज्यादा खतरनाक है और इन्हें खतरनाक जोन में रखा गया है. इनमें से पिथौरागढ़ जिले के डर्मा,लसारीगघाटी,कुटियागटी घाटी, और चमोली जिले के धौली गंगा बेसिन में मौजूद वसुंधरा लाल हाई रिस्क में है. यह सभी झीले 0.02 से 0.50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली है. भारतीय मौसम विभाग विज्ञान केंद्र यानी आईएमडी ने चेतावनी जारी की है कि जुलाई महीने में पश्चिमी हिमालय में भारी बारिश हो सकती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2013 में केदारनाथ में हुआ था हादसा</strong><br /> उत्तराखंड में मौजूद यह सभी ग्लेशियर झीलें 4000 मी यानी 13,123 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर है. उत्तराखंड सरकार जो स्टडी करने जा रही है. यह स्टडी जुलाई के पहले हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद है. इससे इन ग्लेशियर झींलो सही ऊंचाई आकार और गहराई और खतरे का अंदाजा लगाया जा सकेगा. इन बर्फीली झीलों की स्टडी में भी अपने आप में खतरा होगा. ऐसे जिलों की वजह से उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में दो प्रमुख हादसे हुए हैं. पहले जून 2013 में केदारनाथ में हादसा हुआ था. जिसमें झील टूटने से फ्लड आया था. जिसमें 6000 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की जानकारी सामने है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड में कुल 1266 ग्लेशियर झील </strong><br />उत्तराखंड में इस प्रकार की कितनी जिले हैं. इसको लेकर के एक स्टडी वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी की एक रिपोर्ट में सामने आई थी. जिसका नाम ग्लेशियर लेक इन्वेंटरी आफ उत्तराखंड, इसमें उन सभी ग्लेशियर झीलों का जिक्र है, जो उत्तराखंड में काफी ऊंचाई पर है.यह सभी अलग-अलग बेसिन में ऊपर की तरफ है.अभी तक की जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में कुल मिलाकर 1266 ग्लेशियर झीलें मौजूद है इनमें 809 सुपर ग्लेशियर लैस है इसके बाद 214 रिसेप्शन मौर्य डेम्ड लेक्स,आइस डेम्ड लेक,ग्लेशियर इरोशन और कुछ अन्य भी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सभी झीलों की स्टडी के लिए भेजी जाएगी टीम</strong><br />फिलहाल प्रदेश का आपदा प्रबंधन विभाग इन सभी झीलों की एक स्टडी करने के लिए टीम भेजना वाला है. इस टीम का इन झीलों तक पहुंचना भी एक बड़ा काम होगा. क्योंकि ऐसे मौसम में इन झीलों की जानकारी लेना और रिपोर्ट तैयार करना विभाग के लिए कड़ी मेहनत का काम होगा. लेकिन इन सभी झींलो का निरीक्षण करना बेहद जरूरी है. क्योंकि आने वाले वक्त में इन झींलो से उत्पन्न होने वाले खतरे को मापना बेहद जरूरी है. इसको लेकर राज्य सरकार काफी कड़ाई से काम कर रही है. आने वाले खतरे को अभी से मापना समझदारी का काम है.</p>
हरियाणा में चार ट्रेनें रद्द:छह रेलगाड़ियों का बदला रूट; चार आंशिक रूप से रहेंगी रद्द, जयपुर स्टेशन पर कार्य के चलते यातायात प्रभावित
हरियाणा में चार ट्रेनें रद्द:छह रेलगाड़ियों का बदला रूट; चार आंशिक रूप से रहेंगी रद्द, जयपुर स्टेशन पर कार्य के चलते यातायात प्रभावित हरियाणा के रास्ते चलने वाली चार ट्रेनें 29 नवंबर से 13 जनवरी तक रद्द रहेंगी। जबकि छह रेलगाड़ियों का रूट बदला गया है। वहीं चार ट्रेनें आंशिक रूप से रद्द रहेंगी। इनमें ज्यादातर ट्रेनें रेवाड़ी जंक्शन होकर चलती हैं। उत्तर-पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार, जयपुर स्टेशन पर पुनर्विकास कार्य तल रहा है। इस दौरान प्लेटफार्म नं. 2 व 3 पर एयर कोनकोर्स निर्माण कार्य के कारण रेल यातायात प्रभावित रहेगा। रद्द रेलसेवाएं (प्रारंभिक स्टेशन से) 1. गाड़ी संख्या 04703, बठिंडा-जयपुर ट्रेन 29 नवंबर से 13 जनवरी तक (46 ट्रिप) रद्द रहेगी।
2. गाड़ी संख्या 04704, जयपुर-बठिंडा ट्रेन 29 नवंबर से 13 जनवरी तक (46 ट्रिप) रद्द रहेगी।
3. गाड़ी संख्या 09639, मदार-रेवाड़ी ट्रेन 29 नवंबर से 13 जनवरी तक (46 ट्रिप) रद्द रहेगी।
4. गाड़ी संख्या 09640, रेवाड़ी-मदार ट्रेन 29 नवंबर से 13 जनवरी तक (46 ट्रिप) रद्द रहेगी। मार्ग परिवर्तित रेलसेवाएं (प्रारंभिक स्टेशन से) 1. गाड़ी संख्या 20487, बाड़मेर-दिल्ली ट्रेन 28 नवंबर से 9 जनवरी तक (13 ट्रिप) बाड़मेर से प्रस्थान करने वाली ट्रेन परिवर्तित मार्ग फुलेरा-रींगस-रेवाड़ी होकर संचालित होगी एवं परिवर्तित मार्ग में यह ट्रेन रींगस, श्रीमाधोपुर, नीमकाथाना व नारनौल स्टेशन पर ठहराव करेगी।
2. गाड़ी संख्या 20488, दिल्ली-बाड़मेर ट्रेन 28 नवंबर से 10 जनवरी तक (13 ट्रिप) दिल्ली से प्रस्थान करने वाली ट्रेम परिवर्तित मार्ग रींगस-फुलेरा होकर संचालित होगी एवं परिवर्तित मार्ग में यह ट्रेन नारनौल, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, रींगस स्टेशन पर ठहराव करेगी।
3. गाड़ी संख्या 22995, दिल्ली-जोधपुर सुपरफास्ट ट्रेन 29 नवंबर से 13 जनवरी तक (46 ट्रिप) दिल्ली से प्रस्थान करने वाली ट्रेन परिवर्तित मार्ग रेवाड़ी-रींगस-फुलेरा होकर संचालित होगी एवं परिवर्तित मार्ग में यह रेलसेवा नारनौल, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, रींगस स्टेशन पर ठहराव करेगी।
4. गाड़ी संख्या 22996, जोधपुर-दिल्ली सुपरफास्ट ट्रेन 29 नवंबर से 13 जनवरी तक (46 ट्रिप) जोधपुर से प्रस्थान करने वाली ट्रेन परिवर्तित मार्ग फुलेरा-रींगस-रेवाडी होकर संचालित होगी एवं परिवर्तित मार्ग में यह रेलसेवा रींगस, श्रीमाधोपुर, नीमकाथाना, नारनौल स्टेशन पर ठहराव करेगी।
5. गाड़ी संख्या 15013, जैसलमेर-काठगोदाम ट्रेन 29 नवंबर से 13 जनवरी तक (46 ट्रिप) जैसलमेर से प्रस्थान करने वाली रेलसेवा परिवर्तित मार्ग फुलेरा-रींगस-रेवाडी होकर संचालित होगी एवं परिवर्तित मार्ग में यह रेलसेवा रींगस, श्रीमाधोपुर, नीमकाथाना, नारनौल स्टेशन पर ठहराव करेगी।
6. गाड़ी संख्या 15014, काठगोदाम-जैसलमेर ट्रेन 28 नवंबर से 12 जनवरी तक (46 ट्रिप) काठगोदाम से प्रस्थान करने वाली रेलसेवा परिवर्तित मार्ग रेवाडी-रींगस-फुलेरा होकर संचालित होगी एवं परिवर्तित मार्ग में यह रेलसेवा नारनौल, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, रींगस स्टेशन पर ठहराव करेगी। आंशिक रद्द रेलसेवाएं (प्रारम्भिक स्टेशन से) 1. गाड़ी संख्या 14715, हिसार-जयपुर ट्रेन 18 नवंबर से 12 जनवरी तक (56 ट्रिप) हिसार से प्रस्थान करेगी वह रेलसेवा खातीपुरा तक संचालित होगी। यह ट्रेन खातीपुरा-जयपुर स्टेशन के मध्य आंशिक रद्द रहेगी।
2. गाड़ी संख्या 14734, जयपुर-बठिंडा ट्रेन 19 नवंबर से 13 जनवरी तक (56 ट्रिप) जयपुर के स्थान पर खातीपुरा से प्रस्थान करेगी अर्थात् यह रेलसेवा जयपुर-खातीपुरा स्टेशनों के मध्य आंशिक रद्द रहेगी।
3. गाड़ी संख्या 14733, बठिंडा-जयपुर 28 नवंबर से 12 जनवरी तक (46 ट्रिप) बठिंडा से प्रस्थान करेगी वह खातीपुरा तक संचालित होगी। अर्थात् यह रेलसेवा खातीपुरा-जयपुर स्टेशनों के मध्य आंशिक रद्द रहेगी।
4. गाड़ी संख्या 14716, जयपुर-हिसार ट्रेन 29 नवंबर से 13 जनवरी तक (46 ट्रिप) जयपुर के स्थान पर खातीपुरा से संचालित होगी। अर्थात् यह रेलसेवा जयपुर-खातीपुरा स्टेशनों के मध्य आंशिक रद्द रहेगी।
पंजाब सीएम ही होना चाहिए यूनिवर्सिटी का चांसलर:मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति द्वारा वापस भेजे बिल पर रखी राय, जल्दी करेंगे मीटिंग
पंजाब सीएम ही होना चाहिए यूनिवर्सिटी का चांसलर:मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति द्वारा वापस भेजे बिल पर रखी राय, जल्दी करेंगे मीटिंग पंजाब सरकार द्वारा पास किए गए पंजाब यूनिवर्सिटी कानून संशोधन बिल 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा वापस किए जाने के बाद राजनीति गर्मा गई है। सीएम भगवंत मान का कहना है कि चुना हुआ मुख्यमंत्री ही यूनिवर्सिटी का चांसलर होना चाहिए। हम चाहते हैं कि चांसलर को चुनने का हक सिलेक्टेड को नहीं इलेक्टेड होना चाहिए। उन्होंने आखिर में कहा कि जब गवर्नर ने बिल पास नहीं करना होता है तो इस वह इस तरह ही करते हैं। वह बिल राष्ट्रपति को भेजते हैं, उसके बाद राष्ट्रपति कुछ समय के लिए अपने पास रखकर वापस भेजे देते हैं। जो बिल पास नहीं करना होता, उसे वापस करते हैं पंजाब के सीएम ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और केरल ने भी इस तरह का बिल पास किया था। उनकी दलील थी यूनिवर्सिटी का चांसलर चुना हुआ मुख्यमंत्री को होना चाहिए। राष्ट्रपति ने उन्हें बिल वापस कर दिया। उन्होंने कहा अगर हमें पंजाबी यूनिवर्सिटी का वीसी बनाना है, तो तीन नाम गवर्नर साहब को देंगे । वह उनमें से एक नाम को चुनेंगे। ऐसे में चुनाव किसने किया सिलेक्टेड ने या फिर इलेक्टेड ने । हमने एसजीपीसी का बिल भी पास कर भेजा था, लेकिन उसका भी कुछ नहीं हुआ है। इसका मतलब यह होता है कि गवर्नर ने जो बिल पास नहीं करना होता है वह उसे राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं। वह चार पांच महीने के बाद उसे वापस भेज देते है। इस मामले को लेकर मीटिंग करेंगे।