देश के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर केंद्र सरकार के फैसले का पंजाब के राजनीतिक दलों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार ने राजघाट के पास स्मारक बनाने और वहीं उनका अंतिम संस्कार करने की मांग की थी। यह मांग देश की परंपरा और पुराने रीति-रिवाजों के अनुरूप थी। हालांकि केंद्र सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है। सरकार के इस फैसले के चलते अब डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को सुबह 11:45 बजे निगम बोध घाट के सामान्य श्मशान घाट पर किया जाएगा। इस फैसले से कई राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नाराजगी और आश्चर्य है। सिख राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार का यह कदम सिख समुदाय के साथ अन्याय जैसा है। आलोचकों का आरोप है कि भाजपा सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह जैसे सम्मानित नेता के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है। अकाली दल प्रधान सुखबीर ने जताया विरोध अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने कहा कि ये फैसला चौंकाने वाला और अविश्वसनीय है। यह अत्यंत निंदनीय है कि केंद्र सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह जी के परिवार की उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने देश के इस महान नेता के अंतिम संस्कार और अंतिम क्रियाकर्म के लिए एक ऐतिहासिक और उपयुक्त स्मारक बनाने की जगह मांगी थी। यह स्थान राजघाट होना चाहिए था। यह पुरानी प्रथा और परंपरा के अनुरूप होता जो पहले से चली आ रही है। यह समझ से परे है कि सरकार इस महान नेता के प्रति ऐसा असम्मान क्यों दिखा रही है, जो सिख समुदाय के पहले और एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने का गौरव प्राप्त किया। कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक मतभेद ना रखे सरकार सुखबीर बादल ने कहा कि यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। भाजपा सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति इस स्तर तक जा सकती है। जहां वह डॉ. मनमोहन सिंह के वैश्विक कद को पूरी तरह नजरअंदाज कर रही है, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में आदर और सम्मान के पात्र हैं। डॉ. मनमोहन सिंह जी ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचाईयों तक पहुंचाया। कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह जी को हमेशा राजनीति और पार्टी सीमाओं से परे देखा गया है। वह पूरे राष्ट्र के हैं। डॉ. मनमोहन हमेशा पंजाब के मुद्दों पर संवेदनशील रहे सुखबीर बादल ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के साथ सिख और पंजाब से जुड़े मुद्दों पर बड़ी संवेदनशीलता और करुणा दिखाई। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से अपील करते हैं कि इस निंदनीय फैसले को बदला जाए। सुखजिंदर रंधावा- सिख समुदाय को सौतेले जैसा महसूस करवाया कांग्रेस सांसद व पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा- डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार और कांग्रेस पार्टी ने भारतीय सरकार से राजघाट के पास एक स्मारक बनाने के लिए स्थान देने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के महान कद और पुरानी परंपरा को नजरअंदाज करते हुए सिख समुदाय को सौतेले जैसा महसूस करवाया है। यह फैसला सिख समुदाय में असंतोष और निराशा पैदा कर सकता है। डॉ. दलजीत चीमा- भारत सरकार का निर्णय दुखद पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंहके परिवार की उस मांग को अस्वीकार करना, जिसमें उनके अंतिम संस्कार के लिए एक सम्मानजनक स्थल और स्मारक के निर्माण की बात थी, भारत सरकार का यह निर्णय अत्यंत दुखद है। सिख समुदाय से आने वाले पहले और एकमात्र प्रधानमंत्री के रूप में उनकी विरासत अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना कि अल्पसंख्यकों को सम्मान और मूल्यवान महसूस हो, हमारा नैतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार करें और राजघाट या अन्य समान रूप से सम्मानजनक स्थल पर डॉ. साहिब के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने के निर्देश जारी करें। देश के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर केंद्र सरकार के फैसले का पंजाब के राजनीतिक दलों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार ने राजघाट के पास स्मारक बनाने और वहीं उनका अंतिम संस्कार करने की मांग की थी। यह मांग देश की परंपरा और पुराने रीति-रिवाजों के अनुरूप थी। हालांकि केंद्र सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है। सरकार के इस फैसले के चलते अब डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को सुबह 11:45 बजे निगम बोध घाट के सामान्य श्मशान घाट पर किया जाएगा। इस फैसले से कई राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नाराजगी और आश्चर्य है। सिख राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार का यह कदम सिख समुदाय के साथ अन्याय जैसा है। आलोचकों का आरोप है कि भाजपा सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह जैसे सम्मानित नेता के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है। अकाली दल प्रधान सुखबीर ने जताया विरोध अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने कहा कि ये फैसला चौंकाने वाला और अविश्वसनीय है। यह अत्यंत निंदनीय है कि केंद्र सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह जी के परिवार की उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने देश के इस महान नेता के अंतिम संस्कार और अंतिम क्रियाकर्म के लिए एक ऐतिहासिक और उपयुक्त स्मारक बनाने की जगह मांगी थी। यह स्थान राजघाट होना चाहिए था। यह पुरानी प्रथा और परंपरा के अनुरूप होता जो पहले से चली आ रही है। यह समझ से परे है कि सरकार इस महान नेता के प्रति ऐसा असम्मान क्यों दिखा रही है, जो सिख समुदाय के पहले और एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने का गौरव प्राप्त किया। कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक मतभेद ना रखे सरकार सुखबीर बादल ने कहा कि यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। भाजपा सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति इस स्तर तक जा सकती है। जहां वह डॉ. मनमोहन सिंह के वैश्विक कद को पूरी तरह नजरअंदाज कर रही है, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में आदर और सम्मान के पात्र हैं। डॉ. मनमोहन सिंह जी ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचाईयों तक पहुंचाया। कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह जी को हमेशा राजनीति और पार्टी सीमाओं से परे देखा गया है। वह पूरे राष्ट्र के हैं। डॉ. मनमोहन हमेशा पंजाब के मुद्दों पर संवेदनशील रहे सुखबीर बादल ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के साथ सिख और पंजाब से जुड़े मुद्दों पर बड़ी संवेदनशीलता और करुणा दिखाई। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से अपील करते हैं कि इस निंदनीय फैसले को बदला जाए। सुखजिंदर रंधावा- सिख समुदाय को सौतेले जैसा महसूस करवाया कांग्रेस सांसद व पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा- डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार और कांग्रेस पार्टी ने भारतीय सरकार से राजघाट के पास एक स्मारक बनाने के लिए स्थान देने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के महान कद और पुरानी परंपरा को नजरअंदाज करते हुए सिख समुदाय को सौतेले जैसा महसूस करवाया है। यह फैसला सिख समुदाय में असंतोष और निराशा पैदा कर सकता है। डॉ. दलजीत चीमा- भारत सरकार का निर्णय दुखद पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंहके परिवार की उस मांग को अस्वीकार करना, जिसमें उनके अंतिम संस्कार के लिए एक सम्मानजनक स्थल और स्मारक के निर्माण की बात थी, भारत सरकार का यह निर्णय अत्यंत दुखद है। सिख समुदाय से आने वाले पहले और एकमात्र प्रधानमंत्री के रूप में उनकी विरासत अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना कि अल्पसंख्यकों को सम्मान और मूल्यवान महसूस हो, हमारा नैतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार करें और राजघाट या अन्य समान रूप से सम्मानजनक स्थल पर डॉ. साहिब के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने के निर्देश जारी करें। पंजाब | दैनिक भास्कर
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