महाकुंभ की यादों को सजोएगी यूपी सरकार, यूपी के सभी 75 जिलों में लगाए जाएंगे त्रिवेणी वन

महाकुंभ की यादों को सजोएगी यूपी सरकार, यूपी के सभी 75 जिलों में लगाए जाएंगे त्रिवेणी वन

<p style=”text-align: justify;”><strong>UP Triveni</strong> <strong>Van</strong> <strong>Abhiyan</strong><strong>:</strong> उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पर्यावरण को बचाने और महाकुम्भ की यादों को हमेशा ताजा रखने के लिए बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 जून को अयोध्या से &lsquo;त्रिवेणी वन&rsquo; की शुरुआत कर दी. इस योजना के तहत सभी 75 जिलों में त्रिवेणी वन लगाए जाएंगे. ये जंगल नदियों के किनारे बसाए जाएंगे और इनमें नीम, पीपल और बरगद के पौधे रोपे जाएंगे. यह अभियान &lsquo;पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ महाभियान-2025&rsquo; के तहत चलाया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सरकार ने इस साल 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए वन विभाग ने अपनी नर्सरियों में 52.33 करोड़ पौधे तैयार किए हैं. इनमें 5.75 करोड़ औषधीय पौधे हैं. नीम, पीपल और बरगद के पौधों की संख्या भी लाखों में है. नीम के करीब 52 लाख, बरगद के 29 लाख और पीपल के 29 लाख पौधे तैयार किए गए हैं. इन पौधों को लगाने के बाद सरकार का पूरा ध्यान इनके संरक्षण पर भी रहेगा, ताकि ये लंबे समय तक हरे-भरे रहें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अध्यात्मिक महत्व से जोड़ा जा रहा अभियान </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>त्रिवेणी वन का आध्यात्मिक महत्व भी बहुत बड़ा है. जैसे नदियों में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम त्रिवेणी कहलाता है, वैसे ही ये तीन पौधे मिलकर एक पवित्र संगम बनाते हैं. नीम, पीपल और बरगद के पेड़ न केवल हवा को साफ करते हैं बल्कि जमीन की उर्वरता को भी बढ़ाते हैं. पुराने समय से इन पेड़ों को शुभ और सेहत के लिए फायदेमंद माना गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> ने कहा कि त्रिवेणी वन न सिर्फ पेड़ों का संगम होगा, बल्कि यह लोगों को प्रकृति से जोड़ने का भी जरिया बनेगा. महाकुम्भ की यादों को सहेजने और पर्यावरण को बचाने का यह अनूठा तरीका है. अयोध्या में हुई शुरुआत के बाद जुलाई में होने वाले पौधरोपण महाभियान में हर जिले में त्रिवेणी वन लगाए जाएंगे. अफसरों को इसके संरक्षण और देखभाल पर भी ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रोजगार भी मिलेगा </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वन विभाग के प्रमुख सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि हर साल एक खास वन बसाने की परंपरा है. इस बार त्रिवेणी वन की बारी आई है. ये पेड़ न सिर्फ हरियाली देंगे, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेंगे. पेड़ लगाने का यह काम लोगों को रोजगार भी देगा. खास बात यह है कि ये पौधे गर्मी में छाया देते हैं और बारिश में जमीन को कटने से भी बचाते हैं. इसके अलावा ये पक्षियों और कीड़ों के लिए भी घर बनेंगे, जिससे जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश ने पर्यावरण बचाने के काम में तेजी लाई है. हाल के सालों में करोड़ों पौधे लगाए गए हैं. इससे जंगल बढ़े हैं और प्रदूषण भी कम हुआ है. त्रिवेणी वन योजना इसी कड़ी में नया कदम है. जब हर जिले में ये पेड़ बड़े होंगे, तो ये याद दिलाएंगे कि प्रकृति को बचाना सबकी जिम्मेदारी है. इस योजना से यूपी का हर जिला हरा-भरा होगा और महाकुम्भ की यादें भी लोगों के दिल में हमेशा जिंदा रहेंगी.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UP Triveni</strong> <strong>Van</strong> <strong>Abhiyan</strong><strong>:</strong> उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पर्यावरण को बचाने और महाकुम्भ की यादों को हमेशा ताजा रखने के लिए बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 जून को अयोध्या से &lsquo;त्रिवेणी वन&rsquo; की शुरुआत कर दी. इस योजना के तहत सभी 75 जिलों में त्रिवेणी वन लगाए जाएंगे. ये जंगल नदियों के किनारे बसाए जाएंगे और इनमें नीम, पीपल और बरगद के पौधे रोपे जाएंगे. यह अभियान &lsquo;पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ महाभियान-2025&rsquo; के तहत चलाया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सरकार ने इस साल 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए वन विभाग ने अपनी नर्सरियों में 52.33 करोड़ पौधे तैयार किए हैं. इनमें 5.75 करोड़ औषधीय पौधे हैं. नीम, पीपल और बरगद के पौधों की संख्या भी लाखों में है. नीम के करीब 52 लाख, बरगद के 29 लाख और पीपल के 29 लाख पौधे तैयार किए गए हैं. इन पौधों को लगाने के बाद सरकार का पूरा ध्यान इनके संरक्षण पर भी रहेगा, ताकि ये लंबे समय तक हरे-भरे रहें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अध्यात्मिक महत्व से जोड़ा जा रहा अभियान </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>त्रिवेणी वन का आध्यात्मिक महत्व भी बहुत बड़ा है. जैसे नदियों में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम त्रिवेणी कहलाता है, वैसे ही ये तीन पौधे मिलकर एक पवित्र संगम बनाते हैं. नीम, पीपल और बरगद के पेड़ न केवल हवा को साफ करते हैं बल्कि जमीन की उर्वरता को भी बढ़ाते हैं. पुराने समय से इन पेड़ों को शुभ और सेहत के लिए फायदेमंद माना गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> ने कहा कि त्रिवेणी वन न सिर्फ पेड़ों का संगम होगा, बल्कि यह लोगों को प्रकृति से जोड़ने का भी जरिया बनेगा. महाकुम्भ की यादों को सहेजने और पर्यावरण को बचाने का यह अनूठा तरीका है. अयोध्या में हुई शुरुआत के बाद जुलाई में होने वाले पौधरोपण महाभियान में हर जिले में त्रिवेणी वन लगाए जाएंगे. अफसरों को इसके संरक्षण और देखभाल पर भी ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रोजगार भी मिलेगा </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वन विभाग के प्रमुख सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि हर साल एक खास वन बसाने की परंपरा है. इस बार त्रिवेणी वन की बारी आई है. ये पेड़ न सिर्फ हरियाली देंगे, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेंगे. पेड़ लगाने का यह काम लोगों को रोजगार भी देगा. खास बात यह है कि ये पौधे गर्मी में छाया देते हैं और बारिश में जमीन को कटने से भी बचाते हैं. इसके अलावा ये पक्षियों और कीड़ों के लिए भी घर बनेंगे, जिससे जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश ने पर्यावरण बचाने के काम में तेजी लाई है. हाल के सालों में करोड़ों पौधे लगाए गए हैं. इससे जंगल बढ़े हैं और प्रदूषण भी कम हुआ है. त्रिवेणी वन योजना इसी कड़ी में नया कदम है. जब हर जिले में ये पेड़ बड़े होंगे, तो ये याद दिलाएंगे कि प्रकृति को बचाना सबकी जिम्मेदारी है. इस योजना से यूपी का हर जिला हरा-भरा होगा और महाकुम्भ की यादें भी लोगों के दिल में हमेशा जिंदा रहेंगी.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड 20 लाख की डायमंड ज्वेलरी से भरा बैग लेकर भागा बंदर, घंटों की भागा-दोड़ी के बाद हुआ यह!