महाकुंभ के बाद दुनिया के देश क्यों मांग रहे ‘संगमजल’:अमेरिका-रूस को 30 हजार लीटर चाहिए, प्रयागराज की 3700 महिलाएं कर रही पैंकेजिंग, पढ़िए प्रोसेस

महाकुंभ के बाद दुनिया के देश क्यों मांग रहे ‘संगमजल’:अमेरिका-रूस को 30 हजार लीटर चाहिए, प्रयागराज की 3700 महिलाएं कर रही पैंकेजिंग, पढ़िए प्रोसेस

महाकुंभ 2025 के बाद संगम जल की विदेशों में डिमांड बढ़ी है। महाकुंभ खत्म होने के 41 दिन में जर्मनी, भूटान, नेपाल को 2400 लीटर संगम का जल भेजा जा चुका है। अमेरिका और रूस से 15-15 हजार लीटर संगम जल की डिमांड आई है। इसे पूरा करने के लिए स्वयं सहायता समूह की 3700 महिलाएं मेहनत कर रही हैं। आस्था के साथ रोजगार को बढ़ाने का यह प्रयास 2019 के अर्द्धकुंभ के बाद से शुरू हुआ। मगर 2023 तक संगम जल की डिमांड नहीं थी। फिर विदेशों तक हुए महाकुंभ के प्रचार-प्रसार का फायदा मिला। अब 18 गांवों की महिलाएं बोतलों में गंगाजल तैयार कर रही हैं। ये महिलाएं कौन हैं? कैसे समूह से जुड़ीं? विदेश में रहने वाले लोगों को संगम जल क्यों चाहिए? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम प्रयागराज शहर से 15 Km दूर जसरा विकासखंड पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… फायर टेंडर गंगा जल लेकर आते हैं, फिर प्रॉसेस कर पैक करते हैं
गांव के लोग हमें एक 3 कमरे के मकान तक लेकर गए। यहां हमारी मुलाकात NRLM यानी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की ब्लॉक मिशन प्रबंधक नमिता सिंह से हुई। वह नारी शक्ति महिला प्रेरणा संकुल स्तरीय समिति चलाती हैं। हमने उनसे 2 सवाल किए। पहला- गंगा जल आपके इस प्लांट तक कैसे पहुंचता है? दूसरा – क्या गंगा जल को प्यूरीफाइड करके मांगा जाता है? नमिता ने कहा- यह स्वयं सहायता समूह है। अग्निशमन विभाग के टेंडर बड़े-बड़े कंटेनर में गंगाजल हमारे ब्लॉक के प्लांट तक लाते हैं। फिर उन्हें ड्रम में स्टोर किया जाता है। इसके लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। अगर कोई गंगा जल को भी प्यूरीफाइड करने के लिए कहता है तो उसका एक प्लांट हमारे पास है। हम गंगा जल को प्रोसेस करने के बाद सप्लाई देते हैं। वैसे ऐसे ऑर्डर बहुत कम होते हैं। 2 तरह की बोतलें, 40% सब्सिडी मिलती है
मिशन की तरफ से हमें 2 तरह की बोतल दी जाती हैं। एक कांच और दूसरी प्लास्टिक की। यह पूरी तरह से डिमांड पर निर्भर करता है कि कस्टमर हमसे गंगा जल किस बोतल में चाहते हैं। पैकेजिंग के बाद संगम जल के लेबल लगाए जाते हैं। NRLM योजना के तहत विभाग ओपन मार्केट से बोतल खरीदने पर समूह को 40% तक सब्सिडी मिल रही है। यूपी के 75 जिलों को भेजा, अब विदेशों से डिमांड
हमने उनसे पूछा- गंगा जल की पैकेजिंग कर भेजने की शुरुआत कब से हुई? नमिता ने कहा- 2019 के अर्द्धकुंभ के बाद से ही गंगा सेवा संस्थान गंगाजल को बोतल में पैक कर सप्लाई का काम कर रहा था। मगर हमारे पास डिमांड नहीं थी। आप सोचिए कि 2023 में पूरे साल में डिमांड शून्य हो गई। फिर 2024 में थोड़ी डिमांड बढ़ी। 15000 ML गंगाजल भेजा जा सका। अब 2025 महाकुंभ के दौरान 66.23 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। इसके बावजूद बहुत से लोग ऐसे हैं, जो महाकुंभ में प्रयागराज नहीं पहुंच सके। महाकुंभ के बाद CM योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सभी 75 जिलों में संगम का पवित्र जल भेजने के आदेश दिए थे। NRLM उपायुक्त राजीव कुमार सिंह ने यह टास्क हमको दिया। अब विदेशों से त्रिवेणी जल की डिमांड आ रही है। पहला ऑर्डर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े से मिला
हमने पूछा कि महाकुंभ के बाद संगम जल का पहला बड़ा ऑर्डर कहां से मिला? नमिता ने बताया श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज के जरिए 1000 लीटर त्रिवेणी जल का बड़ा ऑर्डर आया। अब महामंडलेश्वर के जरिए ही अमेरिका से 15000 लीटर संगम जल का बड़ा ऑर्डर मिला है। इतना ही त्रिवेणी का जल रूस भेजा जाना है। इन दोनों बड़े ऑर्डर पर हमारी महिलाएं काम कर रही हैं। नेपाल, भूटान, जर्मनी को पहले ही त्रिवेणी जल की सप्लाई की जा चुकी है। इन देशों से डिमांड आई अब सवाल ये भी उठता है कि अमेरिका, रूस समेत इन देशों में संगम जल का उपयोग क्या होगा? दरअसल, इन देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग प्रयागराज नहीं पहुंच सके। इसलिए अब संगम का जल मंगवाकर अपने पूजा घर में रख रहे हैं। स्नान करने के लिए भी गंगा जल का इस्तेमाल कर रहे हैं। 30 हजार लीटर गंगा जल घरों तक पहुंचाया गया
नमिता सिंह कहती हैं- महाकुंभ के बाद से अब तक महिला समूह के जरिए 30 हजार लीटर त्रिवेणी जल को देश के कोने-कोने में भेजा है। कुछ ऑर्डर का 5 लाख रुपए पेमेंट भी मिला है। बाकी पेमेंट का बिल भेजा गया है। धीरे-धीरे संगम जल एक ब्रांड बन गया। इसकी मांग देशभर से आने लगी है। इसके ट्रांसपोर्टेशन का खर्च खरीदने वाले को उठाना होता है। संगम जल से 18 गांव की तस्वीर बदल गई
नमिता सिंह बताती हैं- इस पहल से जसरा विकासखंड के 18 गांवों की तस्वीर बदल गई। करीब 3,744 महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। इनमें से अधिकतर महिलाएं निषाद-मल्लाह समुदाय से हैं, जो जल से जुड़ी परंपराओं को भली-भांति समझती हैं। ये महिलाएं संगम जल की पैकेजिंग का काम कर रही हैं। होली से पहले शिव शंभू ग्रुप से भी ऑर्डर मिला था। इसका पेमेंट आने पर महिलाओं को लगभग 80,000 रुपए का मेहनताना बांटा गया। कुछ महिलाओं को हाल ही में 40 लाख रुपए तक का पेमेंट भी मिला है। 2019 में शुरू किया समूह, धीरे-धीरे महिलाएं जुड़ी
नमिता सिंह बताती हैं- मैंने 2019 में नारी शक्ति महिला प्रेरणा संकुल स्तरीय समिति बनाकर काम शुरू किया था। मेरा उद्देश्य था कि गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए। वह केवल चूल्हा-चौका तक सीमित न रहें, बल्कि समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारें। इसको लेकर हमने गांव-गांव जाकर संपर्क किया। अब 18 गांव की महिलाएं हमारे साथ जुड़ी हैं। अब काम करने वाली महिलाओं की बात… …….. ये पढ़ें : ‘महाकुंभ का महाजाम’ खत्म होने की इनसाइड स्टोरी:खेतों में बने होल्डिंग्स पॉइंट, LED से ‘संगम’ दर्शन; ऐसे तोड़ा भीड़ का चक्रव्यूह महाकुंभ में माघ पूर्णिमा से ठीक दो दिन पहले 30-40 किलोमीटर का लंबा जाम लग गया। हालात बिगड़ गए। हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर प्रयागराज पहुंचे ज्यादातर श्रद्धालुओं को गाड़ियों में 5-8 घंटे तक ‘रोड अरेस्ट’ रहना पड़ा। दैनिक भास्कर ने महाकुंभ के इस ‘महाजाम’ को ड्रोन कैमरे से दिखाया। इस महाजाम को अभी 24 घंटे का समय भी नहीं बीता था कि मेला प्रशासन की ओर से कुछ वीडियो जारी किए गए। कहा गया कि पूरा शहर जाम मुक्त हो गया है। पढ़िए पूरी खबर… महाकुंभ 2025 के बाद संगम जल की विदेशों में डिमांड बढ़ी है। महाकुंभ खत्म होने के 41 दिन में जर्मनी, भूटान, नेपाल को 2400 लीटर संगम का जल भेजा जा चुका है। अमेरिका और रूस से 15-15 हजार लीटर संगम जल की डिमांड आई है। इसे पूरा करने के लिए स्वयं सहायता समूह की 3700 महिलाएं मेहनत कर रही हैं। आस्था के साथ रोजगार को बढ़ाने का यह प्रयास 2019 के अर्द्धकुंभ के बाद से शुरू हुआ। मगर 2023 तक संगम जल की डिमांड नहीं थी। फिर विदेशों तक हुए महाकुंभ के प्रचार-प्रसार का फायदा मिला। अब 18 गांवों की महिलाएं बोतलों में गंगाजल तैयार कर रही हैं। ये महिलाएं कौन हैं? कैसे समूह से जुड़ीं? विदेश में रहने वाले लोगों को संगम जल क्यों चाहिए? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम प्रयागराज शहर से 15 Km दूर जसरा विकासखंड पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… फायर टेंडर गंगा जल लेकर आते हैं, फिर प्रॉसेस कर पैक करते हैं
गांव के लोग हमें एक 3 कमरे के मकान तक लेकर गए। यहां हमारी मुलाकात NRLM यानी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की ब्लॉक मिशन प्रबंधक नमिता सिंह से हुई। वह नारी शक्ति महिला प्रेरणा संकुल स्तरीय समिति चलाती हैं। हमने उनसे 2 सवाल किए। पहला- गंगा जल आपके इस प्लांट तक कैसे पहुंचता है? दूसरा – क्या गंगा जल को प्यूरीफाइड करके मांगा जाता है? नमिता ने कहा- यह स्वयं सहायता समूह है। अग्निशमन विभाग के टेंडर बड़े-बड़े कंटेनर में गंगाजल हमारे ब्लॉक के प्लांट तक लाते हैं। फिर उन्हें ड्रम में स्टोर किया जाता है। इसके लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। अगर कोई गंगा जल को भी प्यूरीफाइड करने के लिए कहता है तो उसका एक प्लांट हमारे पास है। हम गंगा जल को प्रोसेस करने के बाद सप्लाई देते हैं। वैसे ऐसे ऑर्डर बहुत कम होते हैं। 2 तरह की बोतलें, 40% सब्सिडी मिलती है
मिशन की तरफ से हमें 2 तरह की बोतल दी जाती हैं। एक कांच और दूसरी प्लास्टिक की। यह पूरी तरह से डिमांड पर निर्भर करता है कि कस्टमर हमसे गंगा जल किस बोतल में चाहते हैं। पैकेजिंग के बाद संगम जल के लेबल लगाए जाते हैं। NRLM योजना के तहत विभाग ओपन मार्केट से बोतल खरीदने पर समूह को 40% तक सब्सिडी मिल रही है। यूपी के 75 जिलों को भेजा, अब विदेशों से डिमांड
हमने उनसे पूछा- गंगा जल की पैकेजिंग कर भेजने की शुरुआत कब से हुई? नमिता ने कहा- 2019 के अर्द्धकुंभ के बाद से ही गंगा सेवा संस्थान गंगाजल को बोतल में पैक कर सप्लाई का काम कर रहा था। मगर हमारे पास डिमांड नहीं थी। आप सोचिए कि 2023 में पूरे साल में डिमांड शून्य हो गई। फिर 2024 में थोड़ी डिमांड बढ़ी। 15000 ML गंगाजल भेजा जा सका। अब 2025 महाकुंभ के दौरान 66.23 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। इसके बावजूद बहुत से लोग ऐसे हैं, जो महाकुंभ में प्रयागराज नहीं पहुंच सके। महाकुंभ के बाद CM योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सभी 75 जिलों में संगम का पवित्र जल भेजने के आदेश दिए थे। NRLM उपायुक्त राजीव कुमार सिंह ने यह टास्क हमको दिया। अब विदेशों से त्रिवेणी जल की डिमांड आ रही है। पहला ऑर्डर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े से मिला
हमने पूछा कि महाकुंभ के बाद संगम जल का पहला बड़ा ऑर्डर कहां से मिला? नमिता ने बताया श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज के जरिए 1000 लीटर त्रिवेणी जल का बड़ा ऑर्डर आया। अब महामंडलेश्वर के जरिए ही अमेरिका से 15000 लीटर संगम जल का बड़ा ऑर्डर मिला है। इतना ही त्रिवेणी का जल रूस भेजा जाना है। इन दोनों बड़े ऑर्डर पर हमारी महिलाएं काम कर रही हैं। नेपाल, भूटान, जर्मनी को पहले ही त्रिवेणी जल की सप्लाई की जा चुकी है। इन देशों से डिमांड आई अब सवाल ये भी उठता है कि अमेरिका, रूस समेत इन देशों में संगम जल का उपयोग क्या होगा? दरअसल, इन देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग प्रयागराज नहीं पहुंच सके। इसलिए अब संगम का जल मंगवाकर अपने पूजा घर में रख रहे हैं। स्नान करने के लिए भी गंगा जल का इस्तेमाल कर रहे हैं। 30 हजार लीटर गंगा जल घरों तक पहुंचाया गया
नमिता सिंह कहती हैं- महाकुंभ के बाद से अब तक महिला समूह के जरिए 30 हजार लीटर त्रिवेणी जल को देश के कोने-कोने में भेजा है। कुछ ऑर्डर का 5 लाख रुपए पेमेंट भी मिला है। बाकी पेमेंट का बिल भेजा गया है। धीरे-धीरे संगम जल एक ब्रांड बन गया। इसकी मांग देशभर से आने लगी है। इसके ट्रांसपोर्टेशन का खर्च खरीदने वाले को उठाना होता है। संगम जल से 18 गांव की तस्वीर बदल गई
नमिता सिंह बताती हैं- इस पहल से जसरा विकासखंड के 18 गांवों की तस्वीर बदल गई। करीब 3,744 महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। इनमें से अधिकतर महिलाएं निषाद-मल्लाह समुदाय से हैं, जो जल से जुड़ी परंपराओं को भली-भांति समझती हैं। ये महिलाएं संगम जल की पैकेजिंग का काम कर रही हैं। होली से पहले शिव शंभू ग्रुप से भी ऑर्डर मिला था। इसका पेमेंट आने पर महिलाओं को लगभग 80,000 रुपए का मेहनताना बांटा गया। कुछ महिलाओं को हाल ही में 40 लाख रुपए तक का पेमेंट भी मिला है। 2019 में शुरू किया समूह, धीरे-धीरे महिलाएं जुड़ी
नमिता सिंह बताती हैं- मैंने 2019 में नारी शक्ति महिला प्रेरणा संकुल स्तरीय समिति बनाकर काम शुरू किया था। मेरा उद्देश्य था कि गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए। वह केवल चूल्हा-चौका तक सीमित न रहें, बल्कि समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारें। इसको लेकर हमने गांव-गांव जाकर संपर्क किया। अब 18 गांव की महिलाएं हमारे साथ जुड़ी हैं। अब काम करने वाली महिलाओं की बात… …….. ये पढ़ें : ‘महाकुंभ का महाजाम’ खत्म होने की इनसाइड स्टोरी:खेतों में बने होल्डिंग्स पॉइंट, LED से ‘संगम’ दर्शन; ऐसे तोड़ा भीड़ का चक्रव्यूह महाकुंभ में माघ पूर्णिमा से ठीक दो दिन पहले 30-40 किलोमीटर का लंबा जाम लग गया। हालात बिगड़ गए। हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर प्रयागराज पहुंचे ज्यादातर श्रद्धालुओं को गाड़ियों में 5-8 घंटे तक ‘रोड अरेस्ट’ रहना पड़ा। दैनिक भास्कर ने महाकुंभ के इस ‘महाजाम’ को ड्रोन कैमरे से दिखाया। इस महाजाम को अभी 24 घंटे का समय भी नहीं बीता था कि मेला प्रशासन की ओर से कुछ वीडियो जारी किए गए। कहा गया कि पूरा शहर जाम मुक्त हो गया है। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर