महाकुंभ में उत्तर- दक्षिण की संस्कृतियों का मिलन, काशी तमिल संगमम ने लगाई आस्था की डुबकी

महाकुंभ में उत्तर- दक्षिण की संस्कृतियों का मिलन, काशी तमिल संगमम ने लगाई आस्था की डुबकी

<p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News Today:</strong> प्रयागराज महाकुंभ में इस बार सिर्फ आस्था ही नहीं बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों का अनोखा संगम भी देखने को मिल रहा है. काशी तमिल संगमम 3.0 के तहत तमिलनाडु से 200 श्रद्धालुओं का पहला समूह प्रयागराज पहुंचा है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाकुंभ प्रशासन और जिला अधिकारियों ने इन विशिष्ट अतिथियों का भव्य स्वागत किया. इसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई और आस्था के इस विराट आयोजन का हिस्सा बने. फिलहाल महाकुंभ में अब तक 53 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तर- दक्षिण की संस्कृति का संगम</strong><br />काशी और तमिलनाडु का संबंध प्राचीन काल से रहा है. तमिल संत तिरुवल्लुवर से लेकर आदिशंकराचार्य तक, कई संतों ने वाराणसी और दक्षिण भारत के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सेतु का निर्माण किया था. इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के तहत काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है. इस पहल का मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव को और मजबूत करना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाकुंभ में स्नान करने के बाद काशी तमिल संगमम के श्रद्धालु राम नगरी अयोध्या के लिए रवाना हुए. प्रशासन के अनुसार, अतिथियों को लेटे हुए हनुमान जी और शंकर विमान मंडपम में दर्शन कराए जाने की योजना थी, लेकिन महाकुंभ में उमड़े भारी जनसैलाब के कारण यह संभव नहीं हो सका. हालांकि, श्रद्धालु डिजिटल कुम्भ प्रदर्शनी देखकर बेहद खुश नजर आए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाकुंभ से अभिभूत तमिल श्रद्धालु</strong><br />तमिलनाडु के शोध छात्र नारायणमूर्ति ने कहा, “महाकुंभ सिर्फ उत्तर और दक्षिण भारत का मिलन का नहीं बल्कि यह पूरी दुनिया की आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है.” तमिलनाडु के परूंटी शहर से आए श्रीधर राधाकृष्णन ने कहा, “त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाना मेरे जीवन का सबसे अनमोल अनुभव रहा. महाकुंभ हमारी सांस्कृतिक एकता का सबसे बड़ा उदाहरण है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>काशी तमिल संगमम के पहले दल ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम और अन्य मंदिरों के दर्शन किए थे. प्रयागराज के बाद अब यह दल अयोध्या में रामलला के दर्शन करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’काशी तमिल संगमम’ का आगमन खास</strong><br />प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> की विशेष पहल से उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्ते और गहरे हो रहे हैं. यह संगम न सिर्फ धार्मिक आस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि देश की एकता और समरसता का भी प्रतीक बन गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाकुंभ में काशी तमिल संगमम के आगमन ने इस आयोजन को और खास बना दिया है. यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता को जोड़ने वाला एक अनूठा प्रयास है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”महाकुंभ में नहाने लायक नहीं है संगम का पानी, सामने आई ये वजह, CPCB ने NGT को दी रिपोर्ट” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/mahakumbh-2025-sangam-holy-water-is-not-suitable-for-bathing-cpcb-sent-a-report-to-ngt-2886796″ target=”_blank” rel=”noopener”>महाकुंभ में नहाने लायक नहीं है संगम का पानी, सामने आई ये वजह, CPCB ने NGT को दी रिपोर्ट</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News Today:</strong> प्रयागराज महाकुंभ में इस बार सिर्फ आस्था ही नहीं बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों का अनोखा संगम भी देखने को मिल रहा है. काशी तमिल संगमम 3.0 के तहत तमिलनाडु से 200 श्रद्धालुओं का पहला समूह प्रयागराज पहुंचा है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाकुंभ प्रशासन और जिला अधिकारियों ने इन विशिष्ट अतिथियों का भव्य स्वागत किया. इसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई और आस्था के इस विराट आयोजन का हिस्सा बने. फिलहाल महाकुंभ में अब तक 53 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तर- दक्षिण की संस्कृति का संगम</strong><br />काशी और तमिलनाडु का संबंध प्राचीन काल से रहा है. तमिल संत तिरुवल्लुवर से लेकर आदिशंकराचार्य तक, कई संतों ने वाराणसी और दक्षिण भारत के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सेतु का निर्माण किया था. इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के तहत काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है. इस पहल का मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव को और मजबूत करना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाकुंभ में स्नान करने के बाद काशी तमिल संगमम के श्रद्धालु राम नगरी अयोध्या के लिए रवाना हुए. प्रशासन के अनुसार, अतिथियों को लेटे हुए हनुमान जी और शंकर विमान मंडपम में दर्शन कराए जाने की योजना थी, लेकिन महाकुंभ में उमड़े भारी जनसैलाब के कारण यह संभव नहीं हो सका. हालांकि, श्रद्धालु डिजिटल कुम्भ प्रदर्शनी देखकर बेहद खुश नजर आए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाकुंभ से अभिभूत तमिल श्रद्धालु</strong><br />तमिलनाडु के शोध छात्र नारायणमूर्ति ने कहा, “महाकुंभ सिर्फ उत्तर और दक्षिण भारत का मिलन का नहीं बल्कि यह पूरी दुनिया की आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है.” तमिलनाडु के परूंटी शहर से आए श्रीधर राधाकृष्णन ने कहा, “त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाना मेरे जीवन का सबसे अनमोल अनुभव रहा. महाकुंभ हमारी सांस्कृतिक एकता का सबसे बड़ा उदाहरण है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>काशी तमिल संगमम के पहले दल ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम और अन्य मंदिरों के दर्शन किए थे. प्रयागराज के बाद अब यह दल अयोध्या में रामलला के दर्शन करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’काशी तमिल संगमम’ का आगमन खास</strong><br />प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> की विशेष पहल से उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्ते और गहरे हो रहे हैं. यह संगम न सिर्फ धार्मिक आस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि देश की एकता और समरसता का भी प्रतीक बन गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाकुंभ में काशी तमिल संगमम के आगमन ने इस आयोजन को और खास बना दिया है. यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता को जोड़ने वाला एक अनूठा प्रयास है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”महाकुंभ में नहाने लायक नहीं है संगम का पानी, सामने आई ये वजह, CPCB ने NGT को दी रिपोर्ट” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/mahakumbh-2025-sangam-holy-water-is-not-suitable-for-bathing-cpcb-sent-a-report-to-ngt-2886796″ target=”_blank” rel=”noopener”>महाकुंभ में नहाने लायक नहीं है संगम का पानी, सामने आई ये वजह, CPCB ने NGT को दी रिपोर्ट</a></strong></p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड यूपी बजट सत्र के पहले दिन सपा MLAs का अनोखा विरोध, किसी ने पहनी बेड़ियां, तो कोई साइकिल से लाया अस्थि कलश