महाकुंभ में सबसे कम उम्र के महामंडलेश्वर बने सियाराम:13 साल में घर-परिवार छोड़ बने संन्यासी, दिगंबर अनी अखाड़े में हुआ पट्‌टाभिषेक

महाकुंभ में सबसे कम उम्र के महामंडलेश्वर बने सियाराम:13 साल में घर-परिवार छोड़ बने संन्यासी, दिगंबर अनी अखाड़े में हुआ पट्‌टाभिषेक

कुंभनगरी प्रयागराज में सभी अखाड़ों में महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत और संन्यासी बनाए जाने का क्रम जारी है। अभी तक जो भी महामंडलेश्वर बने हैं, उनकी उम्र 30 साल से ज्यादा ही रही है। लेकिन दिगंबर अनी अखाड़े में सबसे कम उम्र के महामंडलेश्वर बनाए गए हैं। महज 18 बरस की उम्र में ही सियाराम दास महाराज को महामंडलेश्वर पद की उपाधि दे दी गई। अब इनका पूरा नाम महामंडलेश्वर सियाराम दास हो चुका है। बताते हैं कि जब इनकी उम्र महज 13 साल थी, तभी घर-परिवार को छोड़कर संन्यास जीवन में आ गए थे। टाटंबरी बाबा ने बनाया अपना उत्तराधिकारी
महामंडलेश्वर बनने वाले सियाराम दास मूलरूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। किशोरावस्था में ही वह दिगंबर अनी अखाड़े के श्रीमहंत रामदास महाराज टाटंबरी बाबा के शिष्य बन गए थे। छोटी-सी उम्र में इतना तेज देखकर टाटंबरी महाराज के सबसे प्रिय शिष्य बन गए। अब महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनाया गया और बाबा ने अपना उत्तराधिकारी भी बना दिया। संन्यास में आने के बाद ही इनका पिंडदान आदि कराया गया था। लंबी जटा में यह पूरी तरह से साधु के वेश में दिखते हैं। साधु परंपरा को अच्छे से समझते हैं सियाराम दास
स्वामी ध्रुवदास महाराज ने बताया- भले ही सियाराम दास की उम्र अभी कम है, लेकिन साधु परंपरा को अच्छी तरह समझते हैं। यह महाकुंभ मेले में सबसे कम उम्र के महामंडलेश्वर बने हैं। महामंडलेश्वर बनने के बाद सियाराम दास ने कहा- हमें महामंडलेश्वर बनाया गया है, इस पद की गरिमा का हमेशा ख्याल रखूंगा। टाटंबरी बाबा ने कहा- विद्वान नहीं, इसे साधु बनाना है
जब 13 साल की उम्र में सियाराम दास टाटंबरी बाबा के पास पहुंचे, तो लोगों ने पढ़ाने की बात कहीं। लेकिन टाटंबरी बाबा ने कहा, यह बालक बहुत तेज है, इसे साधु बनाना है न कि विद्वान। वह लगातार अपने साथ रखकर सियाराम दास को धर्म अध्यात्म का ज्ञान कराते रहे। इसी क्रम में आज उन्होंने अपने प्रिय शिष्य को महामंडलेश्वर बना दिया। 500 से ज्यादा संतों की मौजूदगी में भव्य पट्‌टाभिषेक का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां महामंडलेश्वर स्वामी राम संतोष दास महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी वैष्णव दास महाराज, स्वामी ध्रुवदास महाराज, स्वामी भागवत दास महाराज, स्वामी गोपाल महाराज सहित बड़ी संख्या में तीनों अनी अखाड़ों के संत, महात्मा और शिष्य पट्टाभिषेक कार्यक्रम में शामिल हुए। कुंभनगरी प्रयागराज में सभी अखाड़ों में महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत और संन्यासी बनाए जाने का क्रम जारी है। अभी तक जो भी महामंडलेश्वर बने हैं, उनकी उम्र 30 साल से ज्यादा ही रही है। लेकिन दिगंबर अनी अखाड़े में सबसे कम उम्र के महामंडलेश्वर बनाए गए हैं। महज 18 बरस की उम्र में ही सियाराम दास महाराज को महामंडलेश्वर पद की उपाधि दे दी गई। अब इनका पूरा नाम महामंडलेश्वर सियाराम दास हो चुका है। बताते हैं कि जब इनकी उम्र महज 13 साल थी, तभी घर-परिवार को छोड़कर संन्यास जीवन में आ गए थे। टाटंबरी बाबा ने बनाया अपना उत्तराधिकारी
महामंडलेश्वर बनने वाले सियाराम दास मूलरूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। किशोरावस्था में ही वह दिगंबर अनी अखाड़े के श्रीमहंत रामदास महाराज टाटंबरी बाबा के शिष्य बन गए थे। छोटी-सी उम्र में इतना तेज देखकर टाटंबरी महाराज के सबसे प्रिय शिष्य बन गए। अब महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनाया गया और बाबा ने अपना उत्तराधिकारी भी बना दिया। संन्यास में आने के बाद ही इनका पिंडदान आदि कराया गया था। लंबी जटा में यह पूरी तरह से साधु के वेश में दिखते हैं। साधु परंपरा को अच्छे से समझते हैं सियाराम दास
स्वामी ध्रुवदास महाराज ने बताया- भले ही सियाराम दास की उम्र अभी कम है, लेकिन साधु परंपरा को अच्छी तरह समझते हैं। यह महाकुंभ मेले में सबसे कम उम्र के महामंडलेश्वर बने हैं। महामंडलेश्वर बनने के बाद सियाराम दास ने कहा- हमें महामंडलेश्वर बनाया गया है, इस पद की गरिमा का हमेशा ख्याल रखूंगा। टाटंबरी बाबा ने कहा- विद्वान नहीं, इसे साधु बनाना है
जब 13 साल की उम्र में सियाराम दास टाटंबरी बाबा के पास पहुंचे, तो लोगों ने पढ़ाने की बात कहीं। लेकिन टाटंबरी बाबा ने कहा, यह बालक बहुत तेज है, इसे साधु बनाना है न कि विद्वान। वह लगातार अपने साथ रखकर सियाराम दास को धर्म अध्यात्म का ज्ञान कराते रहे। इसी क्रम में आज उन्होंने अपने प्रिय शिष्य को महामंडलेश्वर बना दिया। 500 से ज्यादा संतों की मौजूदगी में भव्य पट्‌टाभिषेक का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां महामंडलेश्वर स्वामी राम संतोष दास महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी वैष्णव दास महाराज, स्वामी ध्रुवदास महाराज, स्वामी भागवत दास महाराज, स्वामी गोपाल महाराज सहित बड़ी संख्या में तीनों अनी अखाड़ों के संत, महात्मा और शिष्य पट्टाभिषेक कार्यक्रम में शामिल हुए।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर