’मैं महाप्रसादम् तैयार कर रही थी। अचानक नोटिस आ गया कि लड्डू नहीं लिए जाएंगे। हमारे साथ ऐसी भी महिलाएं हैं, जिनके पति और बेटे की कैंसर से मौत हो चुकी है।’ यह कहना है महाप्रसादम् बनाने वाली संस्था बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह की सुनीता जायसवाल का। जिन्हें काशी के सांसद नरेंद्र मोदी और UP के सीएम योगी तक शाबाशी दे चुके हैं। दरअसल, काशी विश्वनाथ मंदिर में महाप्रसादम् बनाने का जिम्मा अब अमूल कंपनी संभालने वाली है। उसी के प्लांट में ही प्रसाद तैयार किया जाएगा। अब तक महाप्रसादम् 2 संस्थाएं मिलकर तैयार कर रही थीं। दैनिक भास्कर ने इनमें से एक संस्था बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बात की। सामने आया कि मंदिर न्यास के फैसले के बाद महिलाओं के सामने रोटी, कपड़ा, मकान और इलाज का संकट खड़ा हो गया है। अब महिलाएं अपने बच्चों की पढ़ाई तक के लिए परेशान हैं। पढ़िए महिलाओं ने क्या-कुछ कहा…
सुनीता बोलीं- मैं 2 बार PM से मिली टीम की सबसे पहले मुलाकात समूह की अध्यक्ष सुनीता जायसवाल से हुई। वह 2 बार PM नरेंद्र मोदी से मिल चुकी हैं। उन्होंने कहा- काउंटर पर 3-4 क्विंटल लड्डुओं की सेल थी। 3 दिन पहले अचानक 2 बजे सूचना दी गई कि काउंटर हटा दीजिए। PM ने कहा था- आप अच्छा कर रही हैं
सुनीता ने कहा- हमारी PM मोदी से मुलाकात करखियांव में अमूल की ओपनिंग के दौरान हुई थी। उन्होंने हमसे बातचीत की। PM ने हमसे पूछा तो हमने बताया कि हम काशी विश्वनाथ धाम में महाप्रसादम् बनाते हैं। उन्होंने कहा- आप बहुत अच्छा कर रही हैं। अब अधिकारियों ने हमारे हाथ काट दिए हैं। अधिकारी कहते हैं कि ऊपर से आदेश है, लेकिन यह नहीं बताते कि कहां का आदेश है, हम वहीं जाकर गुहार लगाएं। बताया गया कि PMO से आदेश है कि प्रसादम् नहीं बनाना है। हमारी समझ में नहीं आ रहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय का आदेश है कि अधिकारियों का ही आदेश है। हमें इसका जवाब चाहिए। मंदिर गए लेकिन किसी ने नहीं सुनी
प्रसाद बनाने वाली महिलाएं बीते शनिवार को कमिश्नर और सीईओ से मिलीं, लेकिन कोई आश्वासन नहीं मिला। उनका कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। दिवाली और देव दीपावली को लेकर हमने पूरी तैयारी कर ली थी। लाखों रुपए का माल एडवांस में मंगा लिया था। 5 लाख डिब्बे भी तैयार करा लिए थे। हमारा 3 क्विंटल प्रसाद भी तैयार है। इसके अलावा खोया, बेसन घी आदि तैयार पड़ा है। महाप्रसाद बंद होने पर समूह की अन्य महिलाएं की बात पढ़िए… ‘पति की कैंसर से मौत के बाद बिखर गई दुनिया’
स्वयं सहायता समूह में महाप्रसाद बनाने वाली किरन कुमारी की आंखें नम हैं। किरन के पति कई साल कैंसर से जूझते रहे। फिर कुछ साल पहले उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनकी दुनिया बिखर गई। तब उन्हें बेला पापड़ सहायता समूह ने सहारा दिया। किसी तरह जिंदगी पटरी पर तो आई लेकिन अब अचानक फिर से किरन के पास रोजगार नहीं है। पांच साल से इसी काम में दिन-रात लगी रहती थीं। उनका कहना है कि अब कैसे जिएंगे और बच्चों का भरण-पोषण कैसे होगा। इस उम्र में अब कोई दूसरा काम भी नहीं कर सकते। पूनम के पति कैंसर से मरे, अब बेरोजगार होने से परेशान
लहरतारा में रहने वाली पूनम के पति की शादी के कुछ साल बाद ही मौत हो गई। तब उसने भी जान देने की कोशिश की थी। परिजनों ने समझाया। वह स्वयं सहायता समूह से जुड़ी और फिर नई जिंदगी मिली। कभी हार नहीं मानी, लेकिन मंदिर के फैसले ने उसके हौसले भी तोड़ दिए। अब उसके पास गुजर-बसर करने और बच्चों को पढ़ाने का कोई जरिया नहीं। परिवार से अलग रहने वाली पूनम अगले महीने का किराया देने में भी सक्षम नहीं है। दीपावली के उल्लास की तैयारी करने से पहले ही उसके जीवन में अंधेरा छा गया। ‘मीरा ने हादसे में खोया पति, बेटा भी नहीं बचा’
समूह में काम करने वाली मीरा अपने भाग्य को कोस रही हैं। कुछ साल पहले सड़क हादसे में पति की मौत ने सुहाग छीन लिया। 1 साल पहले कैंसर ने बेटे की जिंदगी ले ली। फिर वह प्रसाद बनाने के रोजगार से जुड़ीं। अब यह भी छिन गया। वह कहती हैं- अब जीवन कैसे चलेगा। भागवंती को बेटे-बहू ने घर से निकाला
वाराणसी के एक गांव में रहने वाली भागवंती को 4 साल पहले उनके बेटे-बहू ने घर से निकाल दिया। कई दिन रिश्तेदारों के यहां गुजारे। कई बार मरने की बात सोची। मगर उन्होंने बढ़ती उम्र में भी स्वाभिमान से जीने का संकल्प लिया। इसके बाद महिलाओं के समूह बेला पापड़ से जुड़ीं तो जीवन को नई ऊर्जा मिली। अब 3 साल से भागवंती का बसेरा समूह का कारखाना ही है। सुबह से लेकर रात तक पूरी मेहनत से काम करने वाली महिलाओं में शामिल भागवंती ने अपने घर की ओर पलटकर नहीं देखा। अब रोजगार, कारोबार बंद होने के बाद वे सहम गई हैं। अपनी जिंदगी में फिर बेटे-बहू के पास नहीं जाना चाहती हैं। वहीं सुमन को भी दर-दर की ठोकरें खाने का डर भी सता रहा है। लीवर के इन्फेक्शन ने ली कुमारी के पति की जान
समूह की छोटी महिला सदस्य कुमारी महज 38 साल की हैं। लेकिन पति की मौत का दर्द झेल चुकी हैं। आर्थिक तंगी के चलते इलाज नहीं करवा सकीं। अब महाप्रसादम् तैयार करने वाली समूह की महिलाएं ही उनका परिवार हैं। घर पर बच्चे उनका जीवन। किराये के मकान में रहने वाली कुमारी का कहना है कि रोजगार नहीं होगा। यहां की महिलाओं का साथ भी छूट जाएगा। हमें मकान भी छोड़ना होगा। बिना पैसे के बच्चे पढ़ नहीं पाए तो स्कूल भी बंद कराना होगा। लाखों का माल डंप, तैयार प्रसाद का कोई मोल नहीं
समूह में काम संभालने वाले विनोद जायसवाल ने बताया- हमने त्योहारों और शादी की लगन को देखते हुए तैयारी कर ली थी। त्योहारों पर कमी ना पड़े, इसलिए पूर्णिमा, प्रदोष और दीपावली तक सप्लाई का पूरा स्टॉक रख लिया था। देव दीपावली के लिए अलग से तैयारी थी, पांच लाख डिब्बे मंगा लिए हैं। एडवांस घी, आटा, बेसन और चीनी मंगाया था। कई महिलाओं को 1-2 महीने का एडवांस पैसा दिया गया है। आज और कल इन्हें बैठाकर ही पैसा देना है। हमारे पास रखे पांच लाख छपे डिब्बे बर्बाद हो गए हैं। मंदिर का फोटो छपा है, इसलिए हम इन्हें फेंक नहीं सकते। महिलाओं की बात पढ़िए… अब तक प्रसादम् की चली आ रही व्यवस्था को समझिए… 2 संस्थाओं के पास था प्रसादम् बनाने का जिम्मा
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास (प्रबंधन) ने यहां महा प्रसाद यानी लड्डू-पेड़ा तैयार करने की जिम्मेदारी 2 संस्थाओं को दी है। इसमें पहली और प्रमुख संस्था महालक्ष्मी ट्रेडर्स है। दूसरी संस्था बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह है। दोनों मिलकर हर दिन करीब 1 हजार किलो महा प्रसाद तैयार करते हैं। भास्कर टीम मंदिर से करीब 1.5 किमी दूर महालक्ष्मी ट्रेडर्स के मालिक अशोक कुमार सेठ के घर पहुंची। इन्होंने घर पर ही कारखाना बनाया हुआ है। यहां एक शिफ्ट में 16-20 महिला-पुरुष महा प्रसाद तैयार करते रहे हैं।
मंदिर ने बदली प्रसाद की निर्माण एजेंसी
काशी विश्वनाथ में महाप्रसादम् की व्यवस्था बदल दी गई। अब गुजरात की कंपनी अमूल महाप्रसादम् तैयार करेगी। मंदिर प्रशासन ने 5 साल बाद प्रसाद तैयार करने वाली संस्थाओं से काम ले लिया है। मंदिर में प्रसादम् को बदलने की तैयारी कई दिनों से चल रही थी। लेकिन संस्थाओं को आधिकारिक सूचना 24 घंटे पहले ही दी गई। मंदिर में संस्थाओं के लड्डू के अलावा लाल पेड़ा भी बिकता था। अब अमूल को काम मिलने के बाद कारीगर परेशान हैं और इसे फिर संस्थाओं को देने की बात कह रहे हैं। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा का कहना है कि मंदिर की ओर से निर्माण करने वालों को बताया गया था, तब यह प्रसाद स्टैंडर्ड लेवल पर नहीं था। लड्डू को आवंटित दुकान पर मिठाई के रूप में बेच सकते हैं, लेकिन प्रसाद के रूप में नहीं बिकेगी। SDM बोले- कई बार मौखिक सूचना दी कि काउंटर नहीं लगेगा
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास एसडीएम शंभूशरण ने कहा – बेला पापड़ समूह को प्रोत्साहन के लिए मंदिर में महाप्रसाद बनाने और बेचने का स्टॉल दिया गया था। मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता और स्टैंडर्ड मेंटेन करने के लिए मंदिर न्यास ने अब अमूल से प्रसाद निर्माण का एग्रीमेंट कर लिया है। अब केवल अमूल का निर्मित प्रसाद ही श्रद्धालुओं को अधिकृत स्थानों पर मिलेगा। थ्री-आई एजेंसी और बेला पापड़ समूह को पहले ही कई बार मौखिक सूचना दी गई थी कि मंदिर परिसर में उनका कोई काउंटर नहीं लगेगा। ’मैं महाप्रसादम् तैयार कर रही थी। अचानक नोटिस आ गया कि लड्डू नहीं लिए जाएंगे। हमारे साथ ऐसी भी महिलाएं हैं, जिनके पति और बेटे की कैंसर से मौत हो चुकी है।’ यह कहना है महाप्रसादम् बनाने वाली संस्था बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह की सुनीता जायसवाल का। जिन्हें काशी के सांसद नरेंद्र मोदी और UP के सीएम योगी तक शाबाशी दे चुके हैं। दरअसल, काशी विश्वनाथ मंदिर में महाप्रसादम् बनाने का जिम्मा अब अमूल कंपनी संभालने वाली है। उसी के प्लांट में ही प्रसाद तैयार किया जाएगा। अब तक महाप्रसादम् 2 संस्थाएं मिलकर तैयार कर रही थीं। दैनिक भास्कर ने इनमें से एक संस्था बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बात की। सामने आया कि मंदिर न्यास के फैसले के बाद महिलाओं के सामने रोटी, कपड़ा, मकान और इलाज का संकट खड़ा हो गया है। अब महिलाएं अपने बच्चों की पढ़ाई तक के लिए परेशान हैं। पढ़िए महिलाओं ने क्या-कुछ कहा…
सुनीता बोलीं- मैं 2 बार PM से मिली टीम की सबसे पहले मुलाकात समूह की अध्यक्ष सुनीता जायसवाल से हुई। वह 2 बार PM नरेंद्र मोदी से मिल चुकी हैं। उन्होंने कहा- काउंटर पर 3-4 क्विंटल लड्डुओं की सेल थी। 3 दिन पहले अचानक 2 बजे सूचना दी गई कि काउंटर हटा दीजिए। PM ने कहा था- आप अच्छा कर रही हैं
सुनीता ने कहा- हमारी PM मोदी से मुलाकात करखियांव में अमूल की ओपनिंग के दौरान हुई थी। उन्होंने हमसे बातचीत की। PM ने हमसे पूछा तो हमने बताया कि हम काशी विश्वनाथ धाम में महाप्रसादम् बनाते हैं। उन्होंने कहा- आप बहुत अच्छा कर रही हैं। अब अधिकारियों ने हमारे हाथ काट दिए हैं। अधिकारी कहते हैं कि ऊपर से आदेश है, लेकिन यह नहीं बताते कि कहां का आदेश है, हम वहीं जाकर गुहार लगाएं। बताया गया कि PMO से आदेश है कि प्रसादम् नहीं बनाना है। हमारी समझ में नहीं आ रहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय का आदेश है कि अधिकारियों का ही आदेश है। हमें इसका जवाब चाहिए। मंदिर गए लेकिन किसी ने नहीं सुनी
प्रसाद बनाने वाली महिलाएं बीते शनिवार को कमिश्नर और सीईओ से मिलीं, लेकिन कोई आश्वासन नहीं मिला। उनका कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। दिवाली और देव दीपावली को लेकर हमने पूरी तैयारी कर ली थी। लाखों रुपए का माल एडवांस में मंगा लिया था। 5 लाख डिब्बे भी तैयार करा लिए थे। हमारा 3 क्विंटल प्रसाद भी तैयार है। इसके अलावा खोया, बेसन घी आदि तैयार पड़ा है। महाप्रसाद बंद होने पर समूह की अन्य महिलाएं की बात पढ़िए… ‘पति की कैंसर से मौत के बाद बिखर गई दुनिया’
स्वयं सहायता समूह में महाप्रसाद बनाने वाली किरन कुमारी की आंखें नम हैं। किरन के पति कई साल कैंसर से जूझते रहे। फिर कुछ साल पहले उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनकी दुनिया बिखर गई। तब उन्हें बेला पापड़ सहायता समूह ने सहारा दिया। किसी तरह जिंदगी पटरी पर तो आई लेकिन अब अचानक फिर से किरन के पास रोजगार नहीं है। पांच साल से इसी काम में दिन-रात लगी रहती थीं। उनका कहना है कि अब कैसे जिएंगे और बच्चों का भरण-पोषण कैसे होगा। इस उम्र में अब कोई दूसरा काम भी नहीं कर सकते। पूनम के पति कैंसर से मरे, अब बेरोजगार होने से परेशान
लहरतारा में रहने वाली पूनम के पति की शादी के कुछ साल बाद ही मौत हो गई। तब उसने भी जान देने की कोशिश की थी। परिजनों ने समझाया। वह स्वयं सहायता समूह से जुड़ी और फिर नई जिंदगी मिली। कभी हार नहीं मानी, लेकिन मंदिर के फैसले ने उसके हौसले भी तोड़ दिए। अब उसके पास गुजर-बसर करने और बच्चों को पढ़ाने का कोई जरिया नहीं। परिवार से अलग रहने वाली पूनम अगले महीने का किराया देने में भी सक्षम नहीं है। दीपावली के उल्लास की तैयारी करने से पहले ही उसके जीवन में अंधेरा छा गया। ‘मीरा ने हादसे में खोया पति, बेटा भी नहीं बचा’
समूह में काम करने वाली मीरा अपने भाग्य को कोस रही हैं। कुछ साल पहले सड़क हादसे में पति की मौत ने सुहाग छीन लिया। 1 साल पहले कैंसर ने बेटे की जिंदगी ले ली। फिर वह प्रसाद बनाने के रोजगार से जुड़ीं। अब यह भी छिन गया। वह कहती हैं- अब जीवन कैसे चलेगा। भागवंती को बेटे-बहू ने घर से निकाला
वाराणसी के एक गांव में रहने वाली भागवंती को 4 साल पहले उनके बेटे-बहू ने घर से निकाल दिया। कई दिन रिश्तेदारों के यहां गुजारे। कई बार मरने की बात सोची। मगर उन्होंने बढ़ती उम्र में भी स्वाभिमान से जीने का संकल्प लिया। इसके बाद महिलाओं के समूह बेला पापड़ से जुड़ीं तो जीवन को नई ऊर्जा मिली। अब 3 साल से भागवंती का बसेरा समूह का कारखाना ही है। सुबह से लेकर रात तक पूरी मेहनत से काम करने वाली महिलाओं में शामिल भागवंती ने अपने घर की ओर पलटकर नहीं देखा। अब रोजगार, कारोबार बंद होने के बाद वे सहम गई हैं। अपनी जिंदगी में फिर बेटे-बहू के पास नहीं जाना चाहती हैं। वहीं सुमन को भी दर-दर की ठोकरें खाने का डर भी सता रहा है। लीवर के इन्फेक्शन ने ली कुमारी के पति की जान
समूह की छोटी महिला सदस्य कुमारी महज 38 साल की हैं। लेकिन पति की मौत का दर्द झेल चुकी हैं। आर्थिक तंगी के चलते इलाज नहीं करवा सकीं। अब महाप्रसादम् तैयार करने वाली समूह की महिलाएं ही उनका परिवार हैं। घर पर बच्चे उनका जीवन। किराये के मकान में रहने वाली कुमारी का कहना है कि रोजगार नहीं होगा। यहां की महिलाओं का साथ भी छूट जाएगा। हमें मकान भी छोड़ना होगा। बिना पैसे के बच्चे पढ़ नहीं पाए तो स्कूल भी बंद कराना होगा। लाखों का माल डंप, तैयार प्रसाद का कोई मोल नहीं
समूह में काम संभालने वाले विनोद जायसवाल ने बताया- हमने त्योहारों और शादी की लगन को देखते हुए तैयारी कर ली थी। त्योहारों पर कमी ना पड़े, इसलिए पूर्णिमा, प्रदोष और दीपावली तक सप्लाई का पूरा स्टॉक रख लिया था। देव दीपावली के लिए अलग से तैयारी थी, पांच लाख डिब्बे मंगा लिए हैं। एडवांस घी, आटा, बेसन और चीनी मंगाया था। कई महिलाओं को 1-2 महीने का एडवांस पैसा दिया गया है। आज और कल इन्हें बैठाकर ही पैसा देना है। हमारे पास रखे पांच लाख छपे डिब्बे बर्बाद हो गए हैं। मंदिर का फोटो छपा है, इसलिए हम इन्हें फेंक नहीं सकते। महिलाओं की बात पढ़िए… अब तक प्रसादम् की चली आ रही व्यवस्था को समझिए… 2 संस्थाओं के पास था प्रसादम् बनाने का जिम्मा
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास (प्रबंधन) ने यहां महा प्रसाद यानी लड्डू-पेड़ा तैयार करने की जिम्मेदारी 2 संस्थाओं को दी है। इसमें पहली और प्रमुख संस्था महालक्ष्मी ट्रेडर्स है। दूसरी संस्था बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह है। दोनों मिलकर हर दिन करीब 1 हजार किलो महा प्रसाद तैयार करते हैं। भास्कर टीम मंदिर से करीब 1.5 किमी दूर महालक्ष्मी ट्रेडर्स के मालिक अशोक कुमार सेठ के घर पहुंची। इन्होंने घर पर ही कारखाना बनाया हुआ है। यहां एक शिफ्ट में 16-20 महिला-पुरुष महा प्रसाद तैयार करते रहे हैं।
मंदिर ने बदली प्रसाद की निर्माण एजेंसी
काशी विश्वनाथ में महाप्रसादम् की व्यवस्था बदल दी गई। अब गुजरात की कंपनी अमूल महाप्रसादम् तैयार करेगी। मंदिर प्रशासन ने 5 साल बाद प्रसाद तैयार करने वाली संस्थाओं से काम ले लिया है। मंदिर में प्रसादम् को बदलने की तैयारी कई दिनों से चल रही थी। लेकिन संस्थाओं को आधिकारिक सूचना 24 घंटे पहले ही दी गई। मंदिर में संस्थाओं के लड्डू के अलावा लाल पेड़ा भी बिकता था। अब अमूल को काम मिलने के बाद कारीगर परेशान हैं और इसे फिर संस्थाओं को देने की बात कह रहे हैं। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा का कहना है कि मंदिर की ओर से निर्माण करने वालों को बताया गया था, तब यह प्रसाद स्टैंडर्ड लेवल पर नहीं था। लड्डू को आवंटित दुकान पर मिठाई के रूप में बेच सकते हैं, लेकिन प्रसाद के रूप में नहीं बिकेगी। SDM बोले- कई बार मौखिक सूचना दी कि काउंटर नहीं लगेगा
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास एसडीएम शंभूशरण ने कहा – बेला पापड़ समूह को प्रोत्साहन के लिए मंदिर में महाप्रसाद बनाने और बेचने का स्टॉल दिया गया था। मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता और स्टैंडर्ड मेंटेन करने के लिए मंदिर न्यास ने अब अमूल से प्रसाद निर्माण का एग्रीमेंट कर लिया है। अब केवल अमूल का निर्मित प्रसाद ही श्रद्धालुओं को अधिकृत स्थानों पर मिलेगा। थ्री-आई एजेंसी और बेला पापड़ समूह को पहले ही कई बार मौखिक सूचना दी गई थी कि मंदिर परिसर में उनका कोई काउंटर नहीं लगेगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर