मैनपुरी में महंत के दाह संस्कार के लिए खूनी संघर्ष:दो गुटों में जमकर चले लाठी-डंडे; पुलिस का लाठीचार्ज, करोड़ों की जमीन पर विवाद मैनपुरी में रामजानकी मंदिर के महंत की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए बवाल हो गया। दो गुट आमने-सामने आ गए। जमकर लाठी-डंडे और ईंट-पत्थर चले। इस झड़प में कई लोग घायल हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने लाठी चार्ज कर हालात को काबू में किया। पुलिस ने 12 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। साथ ही 24 घंटे से रखे महंत के शव का अंतिम संस्कार कराया। तनाव को देखते हुए मंदिर के आसपास पुलिस तैनात है। विवाद की वजह 18 बीघा जमीन है, जिसकी कीमत करोड़ों में है। विरोधी गुट कब्जा करना चाहता है। मौजूदा महंत रघुनंदन दास को पुलिस ने मंदिर परिसर से बाहर कर दिया। देखिए 3 तस्वीरें… महंत की मौत के बाद भड़का विवाद
किशनी थाना क्षेत्र में जटपुरा चौराहे पर राम जानकी मंदिर है। मंदिर के पूर्व सर्वराकार (महंत) सुरेंद्र दास की दो दिन पहले गुरुवार को मौत हो गई थी। उनके समर्थकों का आरोप है कि मौजूदा महंत रघुनंदन दास ने भूमाफियाओं के साथ मिलकर बाबा को प्रताड़ित किया। जिससे उनकी मौत हार्टअटैक से हुई। इसके बाद सुरेंद्र दास के समर्थकों ने शव को मंदिर के बाहर रख धरना शुरू कर दिया। अंतिम संस्कार मंदिर परिसर में करने की मांग करने लगे। दूसरी ओर, रघुनंदन दास पक्ष ने महंत का शव मंदिर के आसपास रखने से इनकार कर दिया। जिसके बाद विवाद गहराता गया और बात हाथापाई तक पहुंच गई। शनिवार को लाठियों और पत्थरों से हुई झड़प में सुरेंद्र दास के कई अनुयायी घायल हुए। जिनमें मुखिया यादव, रणवीर यादव और सुभाष यादव शामिल हैं। आरोप- बाबा रघुनंदन दास कब्जा करना चाहते
जानकारी के मुताबिक, मंदिर से सटी जमीन की कीमत करोड़ों रुपए में आंकी जा रही है। इस जमीन पर कब्जे को लेकर दोनों पक्षों में लंबे समय से तनातनी चली आ रही थी। सुरेंद्र दास के अनुयायियों का आरोप है कि भूमाफिया कथित बाबा रघुनंदन दास जमीन पर कब्जे के लिए ट्रस्ट को दरकिनार कर खुद को मंदिर का सर्वराकार घोषित कराना चाहते हैं। बिना सहमति के हुआ भागवत कथा का आयोजन
बाबा सुरेंद्र दास के समर्थकों ने बताया, 5 जून को ट्रस्ट की सहमति के बिना मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा और भंडारा हुआ था। इस आयोजन में रघुनंदन दास को जबरन ‘महामंडलेश्वर’ के रूप में स्थापित करने की कोशिश की गई। बताया गया कि उनके खिलाफ पहले से कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसके बावजूद उन्हें मंदिर की जिम्मेदारी सौंपने का प्रयास किया गया। महंत सुरेंद्र दास मंदिर के बाहर किया गया अंतिम संस्कार
जैसे ही तनाव की सूचना मिली, एसडीएम गोपाल शर्मा, तहसीलदार घासीराम और थाना प्रभारी ललित भाटी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। प्रशासन की मौजूदगी में सुरेंद्र दास के अनुयायियों ने चार बीघा जमीन की फर्द दिखाकर मंदिर से जुड़ाव सिद्ध किया। जिसके बाद मंदिर परिसर से सटे स्थान पर उनका अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिली। हालांकि, समाधि की जगह चिता देकर अंतिम संस्कार किए जाने पर कुछ लोगों में असंतोष रहा। झड़प के बाद पुलिस की सख्ती
पुलिस ने झड़प में शामिल दोनों पक्षों के 12 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। थाना प्रभारी ललित भाटी ने बताया, शांति व्यवस्था बिगाड़ने वालों की पहचान की जा रही है। वैधानिक धाराओं में कार्रवाई की जा रही है। थाना प्रभारी ललित भाटी ने समय रहते मोर्चा संभालते हुए तनाव को बढ़ने से रोका। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने न केवल थाना फोर्स को एक्टिव किया। बल्कि सीओ भोगांव से अतिरिक्त बल की मांग भी की। उनके प्रयासों से स्थिति बेकाबू नहीं हुई और शांतिपूर्वक अंतिम संस्कार कराया गया। वर्चस्व की लड़ाई में 24 घंटे रखा रहा शव
महंत सुरेंद्र दास का निधन गुरुवार रात को हो गया था। शुक्रवार को उनके अनुयायी शव को आश्रम के भीतर अंत्येष्टि के लिए ले जाने लगे। लेकिन रघुनंदन दास के पक्ष ने आश्रम में ताला लगा दिया और अंदर मौजूद लोगों ने शव को भीतर लाने से मना कर दिया। इस घटना से तनाव पैदा हो गया। अनुयायी आश्रम के बाहर ही धरने पर बैठ गए। आश्रम के भीतर ही अंत्येष्टि की मांग पर अड़े रहे। जिससे शुक्रवार को शव का अंतिम संस्कार नहीं हो सका था। महंत के शिष्यों ने आरोप लगाया है कि आश्रम और उससे लगी 18 बीघा भूमि पर कब्जे की साजिश के चलते ही महंत ने प्राण त्यागे हैं। उन्होंने एक हिस्ट्रीशीटर के आश्रम में मौजूद होने का भी आरोप लगाया। जिसके खिलाफ शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। BJP नेताओं के हस्तक्षेप से बढ़ा विवाद
किशनी क्षेत्र में यह विवादित जमीन करीब 18 बीघा की है। पांच साल से अधिक समय से इस जमीन पर विवाद चल रहा है। इसी विवाद के चलते तहसीलदार किशनी को रामजानकी आश्रम के ट्रस्ट का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। वहीं क्षेत्र के कुछ BJP नेताओं की शुरुआत से ही इस मामले में रुचि रही और वे एक पक्ष को बढ़ावा देते रहे। जिसके चलते विवाद बढ़ता चला गया। बताया जा रहा है कि महंत सुरेंद्र दास की मौत के बाद भी जब उनके अनुयायी शव की आश्रम के भीतर अंत्येष्टि की मांग पर अड़े थे, तो कुछ भाजपा नेताओं ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर फोन कर दबाव भी बनाया। इस बेशकीमती जमीन पर व्यवसायिक उपयोग के लिए दुकानें बनवाना चाहते हैं। महंत सुरेंद्र दास ने कराया था आश्रम का नवनिर्माण
दिवंगत महंत सुरेंद्र दास के अनुयायियों के अनुसार, महंत ने वर्ष 1960 में तपस्वी जीवन अपनाकर इस जर्जर पुराने आश्रम में प्रवेश किया था और तभी से इसका संरक्षण व नवनिर्माण कराया था। अनुयायियों का कहना है कि आश्रम की करीब 18 बीघा भूमि पर लगातार कुछ अराजक तत्वों द्वारा कब्जे की कोशिश की जा रही है। ————————————– यह भी पढ़ें…. जिसने मेरे पति की जान ली, उसे जमानत क्यों:लखनऊ में मृतक की पत्नी बोलीं- क्या जान लेना इतना आसान; वकील का जवाब- यह मर्डर नहीं ‘जिसने मेरे पति की जान ली, उसे जमानत क्यों मिली? क्या जान लेना इतना आसान होता है, वह तो मेरे पति को रौंदकर चली गई, अब मैं कहां जाऊं, क्या करूं?’ सरोज पांडेय रोते-चीखते यह बातें कहती हैं, फिर एकदम शांत हो जाती हैं। 4 दिन पहले उनके पति रविंद्र पांडेय को एक ब्रेजा कार ने कुचल दिया था। पढ़ें पूरी खबर…