महाराष्ट्र में फिर बनेगी अविभाजित शिवसेना? इस नेता ने कहा, ‘साथ आएं राज-उद्धव ठाकरे और शिंदे’

महाराष्ट्र में फिर बनेगी अविभाजित शिवसेना? इस नेता ने कहा, ‘साथ आएं राज-उद्धव ठाकरे और शिंदे’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Politics:</strong> महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के नेता गजानन कीर्तिकर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र के असंख्य शिवसैनिकों की यह इच्छा है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आएं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और राज ठाकरे की एमएनएस को भी एक साथ आना चाहिए. अखंड शिवसेना का पुनर्गठन होना चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिवसेना नेता और बालासाहेब के पुराने शिवसैनिक गजानन कीर्तिकर ने कहा, ”बालासाहेब ठाकरे के जीवित रहते हुए भी राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को एक करने की कोशिश हुई थी लेकिन शिवसेना का विभाजन हो गया. शिवसेना और मनसे के अलग-अलग होने से शिवसेना को नुकसान हुआ. अब समय है कि ये दोनों एक साथ आएं. ठाकरे नाम एक ब्रांड है, और वह ब्रांड बना रहना चाहिए. ऐसी इच्छा पुराने शिवसैनिकों की है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गजानान कीर्तिकर ने क्या कहा?&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शिंदे गुट के नेता गजानन कीर्तिकर ने कहा, &ldquo;क्या ये दोनों (उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे) साथ आएंगे? यह नहीं मालूम, लेकिन सुना है कि दोनों ने कुछ शर्तें रखी हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा है कि राज ठाकरे को महायुति (बीजेपी गठबंधन) छोड़ना चाहिए, तो वहीं राज ने कहा है कि उद्धव को कांग्रेस का साथ छोड़ना चाहिए. दोनों की बातें सही हैं.&rdquo; गजानन कीर्तिकर ने लोकसभा चुनाव के दौरान एकनाथ शिंदे की शिवसेना के लिए प्रचार भी किया था और शिंदे की उपस्थिति में शिवसेना में दोबारा एंट्री ली थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आज दो शिवसेना</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>1. उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी), जो एमवीए के साथ है. एमवीए में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की पार्टी एनसीपी (SP) है.&nbsp;<br />2. एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी शिवसेना जो महायुति के साथ है. इसमें बीजेपी, शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’बीजेपी के साथ होने की वजह से कई अड़चनें'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कीर्तिकर ने कहा, ”एकनाथ शिंदे, शिवसेना प्रमुख बालासाहेब की विचारधारा को लेकर ही पार्टी से बाहर निकले थे&mdash;जैसे हिंदुत्व, आक्रमक शैली, राष्ट्रीयता और मराठी लोगों का सर्वांगीण विकास लेकिन बीजेपी के साथ होने की वजह से आगे बढ़ने में उन्हें कई अड़चनें आती हैं. दोनों (उद्धव-राज) की शर्तें सही हैं, क्योंकि ये बाधाएं हैं जो अखंड शिवसेना बनने से रोक रही हैं. जब तक ये दूर नहीं होतीं, तब तक मजबूत शिवसेना नहीं बन पाएगी.&rdquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एनडीए (NDA) में पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना थी, फिर उन्होंने साथ छोड़ा, और फिर एकनाथ शिंदे ने उसमें प्रवेश किया. दोनों बालासाहेब की विचारधारा को आगे ले जाने की बात करते हैं. लेकिन मतदाता और कार्यकर्ता बालासाहेब की शिवसेना को जानते हैं, न कि बीजेपी या कांग्रेस प्रेरित शिवसेना को. इसलिए अगर असली शिवसेना को फिर से स्थापित करना है, तो इन तीनों को (राज-उद्धव-शिंदे) अपने-अपने गठबंधन छोड़ने होंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’राज-उद्धव और शिंदे एक होते हैं तो शिवसेना मजबूत होगी'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>गजानन कीर्तिकर ने ये भी कहा, ”बालासाहेब खुद चाहते थे कि राज और उद्धव एक हों. उन्हें इस विभाजन के खतरे की पहले से जानकारी थी. आज अगर राज और उद्धव एक होने का रुख ले रहे हैं, तो वह अच्छा संकेत है लेकिन अगर हम फिर से बालासाहेब की प्रचंड, प्रभावशाली शिवसेना देखना चाहते हैं, तो उसमें <a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a> को भी शामिल होना चाहिए. अगर राज, उद्धव और शिंदे तीनों एक साथ आते हैं, तभी एक मजबूत शिवसेना दिखाई देगी. ये जरूरत महाराष्ट्र और शिवसैनिकों की है.&rdquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Politics:</strong> महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के नेता गजानन कीर्तिकर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र के असंख्य शिवसैनिकों की यह इच्छा है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आएं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और राज ठाकरे की एमएनएस को भी एक साथ आना चाहिए. अखंड शिवसेना का पुनर्गठन होना चाहिए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिवसेना नेता और बालासाहेब के पुराने शिवसैनिक गजानन कीर्तिकर ने कहा, ”बालासाहेब ठाकरे के जीवित रहते हुए भी राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को एक करने की कोशिश हुई थी लेकिन शिवसेना का विभाजन हो गया. शिवसेना और मनसे के अलग-अलग होने से शिवसेना को नुकसान हुआ. अब समय है कि ये दोनों एक साथ आएं. ठाकरे नाम एक ब्रांड है, और वह ब्रांड बना रहना चाहिए. ऐसी इच्छा पुराने शिवसैनिकों की है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गजानान कीर्तिकर ने क्या कहा?&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शिंदे गुट के नेता गजानन कीर्तिकर ने कहा, &ldquo;क्या ये दोनों (उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे) साथ आएंगे? यह नहीं मालूम, लेकिन सुना है कि दोनों ने कुछ शर्तें रखी हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा है कि राज ठाकरे को महायुति (बीजेपी गठबंधन) छोड़ना चाहिए, तो वहीं राज ने कहा है कि उद्धव को कांग्रेस का साथ छोड़ना चाहिए. दोनों की बातें सही हैं.&rdquo; गजानन कीर्तिकर ने लोकसभा चुनाव के दौरान एकनाथ शिंदे की शिवसेना के लिए प्रचार भी किया था और शिंदे की उपस्थिति में शिवसेना में दोबारा एंट्री ली थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आज दो शिवसेना</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>1. उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी), जो एमवीए के साथ है. एमवीए में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की पार्टी एनसीपी (SP) है.&nbsp;<br />2. एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी शिवसेना जो महायुति के साथ है. इसमें बीजेपी, शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’बीजेपी के साथ होने की वजह से कई अड़चनें'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कीर्तिकर ने कहा, ”एकनाथ शिंदे, शिवसेना प्रमुख बालासाहेब की विचारधारा को लेकर ही पार्टी से बाहर निकले थे&mdash;जैसे हिंदुत्व, आक्रमक शैली, राष्ट्रीयता और मराठी लोगों का सर्वांगीण विकास लेकिन बीजेपी के साथ होने की वजह से आगे बढ़ने में उन्हें कई अड़चनें आती हैं. दोनों (उद्धव-राज) की शर्तें सही हैं, क्योंकि ये बाधाएं हैं जो अखंड शिवसेना बनने से रोक रही हैं. जब तक ये दूर नहीं होतीं, तब तक मजबूत शिवसेना नहीं बन पाएगी.&rdquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एनडीए (NDA) में पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना थी, फिर उन्होंने साथ छोड़ा, और फिर एकनाथ शिंदे ने उसमें प्रवेश किया. दोनों बालासाहेब की विचारधारा को आगे ले जाने की बात करते हैं. लेकिन मतदाता और कार्यकर्ता बालासाहेब की शिवसेना को जानते हैं, न कि बीजेपी या कांग्रेस प्रेरित शिवसेना को. इसलिए अगर असली शिवसेना को फिर से स्थापित करना है, तो इन तीनों को (राज-उद्धव-शिंदे) अपने-अपने गठबंधन छोड़ने होंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’राज-उद्धव और शिंदे एक होते हैं तो शिवसेना मजबूत होगी'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>गजानन कीर्तिकर ने ये भी कहा, ”बालासाहेब खुद चाहते थे कि राज और उद्धव एक हों. उन्हें इस विभाजन के खतरे की पहले से जानकारी थी. आज अगर राज और उद्धव एक होने का रुख ले रहे हैं, तो वह अच्छा संकेत है लेकिन अगर हम फिर से बालासाहेब की प्रचंड, प्रभावशाली शिवसेना देखना चाहते हैं, तो उसमें <a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a> को भी शामिल होना चाहिए. अगर राज, उद्धव और शिंदे तीनों एक साथ आते हैं, तभी एक मजबूत शिवसेना दिखाई देगी. ये जरूरत महाराष्ट्र और शिवसैनिकों की है.&rdquo;</p>
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