महाराष्ट्र रिजल्ट, अखिलेश को गठबंधन इग्नोर नहीं कर पाएगा:2 सीटें जीतकर दिया मैसेज; झारखंड में 11 सीटों पर नोटा से भी कम वोट

महाराष्ट्र रिजल्ट, अखिलेश को गठबंधन इग्नोर नहीं कर पाएगा:2 सीटें जीतकर दिया मैसेज; झारखंड में 11 सीटों पर नोटा से भी कम वोट

समाजवादी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के बाद महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतारे। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी अपनी साख बचाने में कामयाब रही। पार्टी ने यहां अपनी दोनों सीटें जीत लीं। यहां जिस तरह का रिजल्ट आया और इंडी गठबंधन का हश्र हुआ, उससे एक बात तो साफ है कि अखिलेश यादव को कांग्रेस और गठबंधन के साथी इग्नोर नहीं कर सकते। समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में 12 सीटों की मांग कर रही थी। लेकिन समझौता न होने पर सपा ने 9 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए। हालांकि, बाद में सपा ने चार उम्मीदवारों को बैठा दिया और पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। इन पांच में से दो सीटों पर सपा को जीत हासिल हुई। अबू आसिम आजमी ने मानखुर्द शिवाजीनगर से जीते तो वहीं भिवंडी ईस्ट से रईस अख्तर को बड़ी जीत मिली। मुस्लिम वोटों के बिखराव के कारण औरंगाबाद ईस्ट में भाजपा को जीत नसीब हुई। यहां AIMIM के इम्तियाज जलील दूसरे नंबर पर रहे। वह 2162 वोटों से भाजपा से पीछे रह गए। समाजवादी पार्टी के गफ्फार कादरी को यहां 5943 वोट मिले। कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर, जबकि सपा पांचवें नंबर पर रही। 2 सीटों पर महाविकास अघाड़ी के साथ लड़े, बाकी सीटों पर अकेले
सपा महाराष्ट्र में उन दो सीटों पर महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी, जहां उसके पहले से विधायक थे। यानी मानखुर्द शिवाजीनगर और भिवंडी ईस्ट में महाविकास अघाड़ी ने और कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। जबकि, समाजवादी पार्टी ने सात और सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए थे। जिन 9 सीटों पर सपा ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, उनमें से 2 पर सपा, 4 पर भाजपा, एक–एक पर शिवसेना, शिवसेना यूबीटी और AIMIM ने जीत हासिल की। मानखुर्द शिवाजीनगर और भिवंडी ईस्ट में जीत के अलावा भिवंडी वेस्ट में सपा दूसरे नंबर पर रही। यहां रियाज आजमी दूसरे नंबर पर रहे, जबकि एनसीपी शरद पवार की पार्टी चौथे नंबर पर रही। यहां भी जीत भाजपा की हुई। सपा दो सीटों पर तीसरे नंबर पर भी रही। झारखंड की 20 में से 11 सीटों पर सपा को मिले नोटा से भी कम वोट
झारखंड में समाजवादी पार्टी ने 21 प्रत्याशी उतारे थे। एक प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया था, जिसके बाद 20 सीटों पर सपा ने चुनाव लड़ा। इन 20 में से 11 सीटों पर सपा को नोटा से भी कम वोट मिले। चार सीटों पर सपा तीसरे नंबर पर रही। सपा को सबसे अधिक 47039 वोट पकौड़ विधानसभा में मिले। जबकि सबसे कम 288 वोट सारथ में मिले। सपा को झारखंड में कुल 130432 वोट मिले। जो झारखंड में पड़े वोटों में शेयर में 0.73 प्रतिशत था। सपा ने जिन 20 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 7 सीटें भाजपा और उसके सहयोगी जेडीयू के खाते में गईं। जबकि बाकी सीटें इंडी गठबंधन के खाते में गईं। कई सीटें ऐसी रहीं, जहां समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस का वोट काटने का काम किया। मसलन गढ़वा में भाजपा की जीत 16753 वोटों से हुई। वहां सपा काे 8096 वोट मिले। इसी तरह बरही में भाजपा की जीत 49 हजार से अधिक मतों से हुई। वहां सपा को 23629 वोट मिले। कुछ सीटें ऐसी भी रहीं, जहां कांग्रेस सपा को मिले वोटों की वजह से हारते–हारते बची। मसलन छतरपुर में कांग्रेस की जीत महज 736 वोटों से हुई। यहां सपा ने 4594 वोट हासिल किए। सपा ने दर्ज कराई अपनी उपस्थिति
कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही। हालांकि, इससे पहले भी समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र में कई प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन इस बार जिस तरह से भाजपा और उसके सहयोगियों ने महाराष्ट्र में जीत हासिल की है। इन सबके बीच सपा की जीत के मायने निकाले जा रहे हैं। इससे इंडी गठबंधन में अखिलेश यादव को पूरी तरह से इग्नोर करने की कोशिश शायद अब न हो। सपा-कांग्रेस एक दूसरे को नहीं कर सकते नजरअंदाज
राजनैतिक विश्लेषक राजेंद्र कुमार कहते हैं कि यूपी का उपचुनाव हो या महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव, दोनों चुनाव से स्पष्ट है कि सपा-कांग्रेस एक दूसरे को आने वाले चुनावों में नजरअंदाज नहीं कर सकते। महाराष्ट्र में सपा अपनी पुरानी सीटों को बचाने में कामयाब रही और एक सीट पर वह दूसरे नंबर पर रही। वहीं यूपी उप चुनाव में कांग्रेस के साथ दिखाई न देने से वोटों का बंटवारा हुआ, जिसका खामियाजा सपा को मीरापुर, मझवां और फूलपुर जैसी सीट पर उठाना पड़ा। कांग्रेस का सक्रिय योगदान रहता या सपा ने लिया होता तो नतीजे शायद सपा के पक्ष में होते। सिद्धार्थ कलहंस का कहना है कि सपा और कांग्रेस दोनों को चुनाव के नतीजों ने दबाव में ला दिया है। सपा ने कांग्रेस को कम आंका और साझा प्रचार तक नहीं किया। वहीं कांग्रेस को हरियाणा, मध्यप्रदेश और अब महाराष्ट्र की हार ने दबाव में ला दिया है। महाराष्ट्र में सपा को कम आंका गया, लेकिन उसका प्रदर्शन उसके बाकी सहयोगियों के मुकाबले बेहतर ही रहा। बसपा ने महाराष्ट्र में 237 सीटों पर खड़े किए थे प्रत्याशी
बसपा ने महाराष्ट्र में 237 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। उसे एक भी सीट जीतने में कामयाबी नहीं मिली। हालांकि, बसपा को करीब 311781 वोट मिले। महाराष्ट्र में पड़े वोटों में बसपा का शेयर करीब 0.48 था। वहीं सपा ने नौ सीटों पर प्रत्याशी उतार कर न सिर्फ दो सीटें जीतीं, बल्कि 247350 वोट पाने में भी कामयाब रही। सपा का वोट शेयर 0.38 रहा। बसपा ने झारखंड में 61 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जहां उसे 139801 वोट मिले। बसपा का वोट शेयर 0.78 प्रतिशत रहा। मायावती के वोट बैंक को लेकर भास्कर की यह कवरेज पढ़ें… उत्तर प्रदेश में 14 साल बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ रही बसपा अपने परंपरागत वोट हासिल करने में भी नाकाम नजर आई। 12 साल पहले पूर्ण बहुमत से सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी मात्र दो सीटों पर ही अपनी जमानत बचा सकी। बाकी सात सीटों पर उसके उम्मीदवार सपा और भाजपा के उम्मीदवारों के आसपास भी नजर नहीं आए। पढ़ें पूरी खबर… समाजवादी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के बाद महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतारे। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी अपनी साख बचाने में कामयाब रही। पार्टी ने यहां अपनी दोनों सीटें जीत लीं। यहां जिस तरह का रिजल्ट आया और इंडी गठबंधन का हश्र हुआ, उससे एक बात तो साफ है कि अखिलेश यादव को कांग्रेस और गठबंधन के साथी इग्नोर नहीं कर सकते। समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में 12 सीटों की मांग कर रही थी। लेकिन समझौता न होने पर सपा ने 9 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए। हालांकि, बाद में सपा ने चार उम्मीदवारों को बैठा दिया और पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। इन पांच में से दो सीटों पर सपा को जीत हासिल हुई। अबू आसिम आजमी ने मानखुर्द शिवाजीनगर से जीते तो वहीं भिवंडी ईस्ट से रईस अख्तर को बड़ी जीत मिली। मुस्लिम वोटों के बिखराव के कारण औरंगाबाद ईस्ट में भाजपा को जीत नसीब हुई। यहां AIMIM के इम्तियाज जलील दूसरे नंबर पर रहे। वह 2162 वोटों से भाजपा से पीछे रह गए। समाजवादी पार्टी के गफ्फार कादरी को यहां 5943 वोट मिले। कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर, जबकि सपा पांचवें नंबर पर रही। 2 सीटों पर महाविकास अघाड़ी के साथ लड़े, बाकी सीटों पर अकेले
सपा महाराष्ट्र में उन दो सीटों पर महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी, जहां उसके पहले से विधायक थे। यानी मानखुर्द शिवाजीनगर और भिवंडी ईस्ट में महाविकास अघाड़ी ने और कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। जबकि, समाजवादी पार्टी ने सात और सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए थे। जिन 9 सीटों पर सपा ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, उनमें से 2 पर सपा, 4 पर भाजपा, एक–एक पर शिवसेना, शिवसेना यूबीटी और AIMIM ने जीत हासिल की। मानखुर्द शिवाजीनगर और भिवंडी ईस्ट में जीत के अलावा भिवंडी वेस्ट में सपा दूसरे नंबर पर रही। यहां रियाज आजमी दूसरे नंबर पर रहे, जबकि एनसीपी शरद पवार की पार्टी चौथे नंबर पर रही। यहां भी जीत भाजपा की हुई। सपा दो सीटों पर तीसरे नंबर पर भी रही। झारखंड की 20 में से 11 सीटों पर सपा को मिले नोटा से भी कम वोट
झारखंड में समाजवादी पार्टी ने 21 प्रत्याशी उतारे थे। एक प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया था, जिसके बाद 20 सीटों पर सपा ने चुनाव लड़ा। इन 20 में से 11 सीटों पर सपा को नोटा से भी कम वोट मिले। चार सीटों पर सपा तीसरे नंबर पर रही। सपा को सबसे अधिक 47039 वोट पकौड़ विधानसभा में मिले। जबकि सबसे कम 288 वोट सारथ में मिले। सपा को झारखंड में कुल 130432 वोट मिले। जो झारखंड में पड़े वोटों में शेयर में 0.73 प्रतिशत था। सपा ने जिन 20 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 7 सीटें भाजपा और उसके सहयोगी जेडीयू के खाते में गईं। जबकि बाकी सीटें इंडी गठबंधन के खाते में गईं। कई सीटें ऐसी रहीं, जहां समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस का वोट काटने का काम किया। मसलन गढ़वा में भाजपा की जीत 16753 वोटों से हुई। वहां सपा काे 8096 वोट मिले। इसी तरह बरही में भाजपा की जीत 49 हजार से अधिक मतों से हुई। वहां सपा को 23629 वोट मिले। कुछ सीटें ऐसी भी रहीं, जहां कांग्रेस सपा को मिले वोटों की वजह से हारते–हारते बची। मसलन छतरपुर में कांग्रेस की जीत महज 736 वोटों से हुई। यहां सपा ने 4594 वोट हासिल किए। सपा ने दर्ज कराई अपनी उपस्थिति
कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही। हालांकि, इससे पहले भी समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र में कई प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन इस बार जिस तरह से भाजपा और उसके सहयोगियों ने महाराष्ट्र में जीत हासिल की है। इन सबके बीच सपा की जीत के मायने निकाले जा रहे हैं। इससे इंडी गठबंधन में अखिलेश यादव को पूरी तरह से इग्नोर करने की कोशिश शायद अब न हो। सपा-कांग्रेस एक दूसरे को नहीं कर सकते नजरअंदाज
राजनैतिक विश्लेषक राजेंद्र कुमार कहते हैं कि यूपी का उपचुनाव हो या महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव, दोनों चुनाव से स्पष्ट है कि सपा-कांग्रेस एक दूसरे को आने वाले चुनावों में नजरअंदाज नहीं कर सकते। महाराष्ट्र में सपा अपनी पुरानी सीटों को बचाने में कामयाब रही और एक सीट पर वह दूसरे नंबर पर रही। वहीं यूपी उप चुनाव में कांग्रेस के साथ दिखाई न देने से वोटों का बंटवारा हुआ, जिसका खामियाजा सपा को मीरापुर, मझवां और फूलपुर जैसी सीट पर उठाना पड़ा। कांग्रेस का सक्रिय योगदान रहता या सपा ने लिया होता तो नतीजे शायद सपा के पक्ष में होते। सिद्धार्थ कलहंस का कहना है कि सपा और कांग्रेस दोनों को चुनाव के नतीजों ने दबाव में ला दिया है। सपा ने कांग्रेस को कम आंका और साझा प्रचार तक नहीं किया। वहीं कांग्रेस को हरियाणा, मध्यप्रदेश और अब महाराष्ट्र की हार ने दबाव में ला दिया है। महाराष्ट्र में सपा को कम आंका गया, लेकिन उसका प्रदर्शन उसके बाकी सहयोगियों के मुकाबले बेहतर ही रहा। बसपा ने महाराष्ट्र में 237 सीटों पर खड़े किए थे प्रत्याशी
बसपा ने महाराष्ट्र में 237 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। उसे एक भी सीट जीतने में कामयाबी नहीं मिली। हालांकि, बसपा को करीब 311781 वोट मिले। महाराष्ट्र में पड़े वोटों में बसपा का शेयर करीब 0.48 था। वहीं सपा ने नौ सीटों पर प्रत्याशी उतार कर न सिर्फ दो सीटें जीतीं, बल्कि 247350 वोट पाने में भी कामयाब रही। सपा का वोट शेयर 0.38 रहा। बसपा ने झारखंड में 61 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जहां उसे 139801 वोट मिले। बसपा का वोट शेयर 0.78 प्रतिशत रहा। मायावती के वोट बैंक को लेकर भास्कर की यह कवरेज पढ़ें… उत्तर प्रदेश में 14 साल बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ रही बसपा अपने परंपरागत वोट हासिल करने में भी नाकाम नजर आई। 12 साल पहले पूर्ण बहुमत से सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी मात्र दो सीटों पर ही अपनी जमानत बचा सकी। बाकी सात सीटों पर उसके उम्मीदवार सपा और भाजपा के उम्मीदवारों के आसपास भी नजर नहीं आए। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर