<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखण्ड में किसानों की आय दोगुनी करने और कृषि को लाभकारी बनाने के लिए राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. परम्परागत खेती से हटकर नगदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हाल ही में मिलेट्स पॉलिसी, कीवी नीति और ड्रैगन फ्रूट खेती योजना को मंजूरी दी है. इन योजनाओं के तहत राज्य के तीन लाख सत्रह हजार से अधिक किसानों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि राज्य की कृषि व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखण्ड स्टेट मिलेट्स पॉलिसी के तहत राज्य सरकार ने 2030-31 तक कुल 134.89 करोड़ रुपये की कार्ययोजना को मंजूरी दी है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य मण्डुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी एवं चीना जैसी मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करना है. इसके अंतर्गत किसानों को बीज और जैविक उर्वरक पर 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा. साथ ही, पंक्ति बुवाई करने पर 4000 रुपये प्रति हैक्टेयर तथा सीधी बुवाई करने पर 2000 रुपये प्रति हैक्टेयर की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/cxdAoGliEYM?si=dJCHajfnPbXvlpDY” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मिलेट्स प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना का निर्णय</strong><br />सरकार ने प्रत्येक विकासखण्ड में मिलेट्स प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना का भी निर्णय लिया है, ताकि उत्पादित अनाज का मूल्यवर्धन हो सके और किसानों को बेहतर बाजार मूल्य मिल सके. उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों और कृषक समूहों को विकासखण्ड स्तर पर प्रतिवर्ष पुरस्कृत भी किया जाएगा. योजना के तहत राज्य के 11 पर्वतीय जिलों में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने पर जोर रहेगा. इसके अलावा सरकार द्वारा श्रीअन्न फूड पार्क की भी स्थापना की जाएगी, जो उत्पादों के प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग का बड़ा केंद्र बनेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कीवी की खेती बनेगी किसानों की नयी पहचान</strong><br />उत्तराखण्ड की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां कीवी उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल हैं. इसे देखते हुए सरकार ने कीवी नीति लागू की है. इसके अंतर्गत वर्ष 2030-31 तक कीवी उद्यानों की स्थापना के लिए प्रति एकड़ लागत का 70 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा, जबकि शेष 30 प्रतिशत राशि किसानों को स्वयं वहन करनी होगी. कुल 894 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसमें 3500 हेक्टेयर भूमि पर कीवी बाग लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इससे लगभग 17500 किसानों को सीधा लाभ मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वर्तमान में राज्य के लगभग 683 हेक्टेयर क्षेत्र में 382 मैट्रिक टन कीवी उत्पादन हो रहा है. योजना के सफल क्रियान्वयन से न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों को उच्च मूल्य वाली फसल उगाने का अवसर मिलेगा. यह नीति हरिद्वार और उधमसिंह नगर को छोड़कर शेष 11 जिलों में लागू होगी. सरकार का मानना है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखण्ड देश के प्रमुख कीवी उत्पादक राज्यों में शुमार होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ड्रैगन फ्रूट से होगी बंजर भूमि की हरियाली</strong><br />ड्रैगन फ्रूट, जिसे ‘कमलम’ भी कहा जाता है, अब उत्तराखण्ड के किसानों के लिए आमदनी का नया जरिया बनने जा रहा है. ड्रैगन फ्रूट खेती योजना के तहत उधमसिंहनगर, हरिद्वार, नैनीताल, बागेश्वर, पौड़ी, देहरादून और टिहरी जिलों में वैज्ञानिक पद्धति से ड्रैगन फ्रूट उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा. इस योजना पर वर्ष 2027-28 तक कुल 15 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और लगभग 450 किसान लाभांवित होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ड्रैगन फ्रूट उद्यान स्थापना के लिए प्रति एकड़ 8 लाख रुपये की लागत निर्धारित की गई है, जिसमें से 80 प्रतिशत राशि सरकार वहन करेगी जबकि 20 प्रतिशत हिस्सा किसानों को खुद वहन करना होगा. वर्तमान में राज्य में लगभग 35 एकड़ क्षेत्र में 70 मैट्रिक टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन हो रहा है. योजना के तहत खेती के क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में कई गुना वृद्धि की उम्मीद है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार का लक्ष्य – किसानों की आय बढ़ाना</strong><br />राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इन योजनाओं का उद्देश्य केवल किसानों की आय बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि कृषि में विविधता लाकर जलवायु परिवर्तन के खतरों से भी मुकाबला करना है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तराखण्ड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में मोटे अनाज, कीवी और ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलों की खेती किसानों के लिए एक स्थायी समाधान है. इससे उन्हें बाजार की मांग के अनुरूप फसल उत्पादन का अवसर मिलेगा और वैश्विक बाजारों में भी अपनी पहचान बनाने का रास्ता खुलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रशासनिक तैयारियां भी तेज</strong><br />इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कृषि और उद्यान विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. किसानों को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएंगे, तकनीकी सहायता दी जाएगी और विपणन के लिए उचित प्लेटफॉर्म मुहैया कराए जाएंगे. साथ ही योजनाओं के सुचारु क्रियान्वयन के लिए निगरानी तंत्र भी स्थापित किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं किसानों का कहना है कि यदि योजनाओं को सही तरीके से जमीन पर उतारा गया तो आने वाले समय में उत्तराखण्ड कृषि क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा. विशेष रूप से युवा किसान नगदी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे राज्य में कृषि का परिदृश्य तेजी से बदलने की उम्मीद है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/hamirpur-news-groom-was-gifted-a-blue-drum-by-his-friends-on-stage-ann-2927615″><strong>दूल्हे को स्टेज पर दोस्तों ने गिफ्ट किया नीला ड्रम, तस्वीरें वायरल, लोग बोले- यह गंदा मजाक</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखण्ड में किसानों की आय दोगुनी करने और कृषि को लाभकारी बनाने के लिए राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. परम्परागत खेती से हटकर नगदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हाल ही में मिलेट्स पॉलिसी, कीवी नीति और ड्रैगन फ्रूट खेती योजना को मंजूरी दी है. इन योजनाओं के तहत राज्य के तीन लाख सत्रह हजार से अधिक किसानों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि राज्य की कृषि व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखण्ड स्टेट मिलेट्स पॉलिसी के तहत राज्य सरकार ने 2030-31 तक कुल 134.89 करोड़ रुपये की कार्ययोजना को मंजूरी दी है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य मण्डुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी एवं चीना जैसी मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करना है. इसके अंतर्गत किसानों को बीज और जैविक उर्वरक पर 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा. साथ ही, पंक्ति बुवाई करने पर 4000 रुपये प्रति हैक्टेयर तथा सीधी बुवाई करने पर 2000 रुपये प्रति हैक्टेयर की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/cxdAoGliEYM?si=dJCHajfnPbXvlpDY” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मिलेट्स प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना का निर्णय</strong><br />सरकार ने प्रत्येक विकासखण्ड में मिलेट्स प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना का भी निर्णय लिया है, ताकि उत्पादित अनाज का मूल्यवर्धन हो सके और किसानों को बेहतर बाजार मूल्य मिल सके. उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों और कृषक समूहों को विकासखण्ड स्तर पर प्रतिवर्ष पुरस्कृत भी किया जाएगा. योजना के तहत राज्य के 11 पर्वतीय जिलों में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने पर जोर रहेगा. इसके अलावा सरकार द्वारा श्रीअन्न फूड पार्क की भी स्थापना की जाएगी, जो उत्पादों के प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग का बड़ा केंद्र बनेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कीवी की खेती बनेगी किसानों की नयी पहचान</strong><br />उत्तराखण्ड की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां कीवी उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल हैं. इसे देखते हुए सरकार ने कीवी नीति लागू की है. इसके अंतर्गत वर्ष 2030-31 तक कीवी उद्यानों की स्थापना के लिए प्रति एकड़ लागत का 70 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा, जबकि शेष 30 प्रतिशत राशि किसानों को स्वयं वहन करनी होगी. कुल 894 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसमें 3500 हेक्टेयर भूमि पर कीवी बाग लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इससे लगभग 17500 किसानों को सीधा लाभ मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वर्तमान में राज्य के लगभग 683 हेक्टेयर क्षेत्र में 382 मैट्रिक टन कीवी उत्पादन हो रहा है. योजना के सफल क्रियान्वयन से न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों को उच्च मूल्य वाली फसल उगाने का अवसर मिलेगा. यह नीति हरिद्वार और उधमसिंह नगर को छोड़कर शेष 11 जिलों में लागू होगी. सरकार का मानना है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखण्ड देश के प्रमुख कीवी उत्पादक राज्यों में शुमार होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ड्रैगन फ्रूट से होगी बंजर भूमि की हरियाली</strong><br />ड्रैगन फ्रूट, जिसे ‘कमलम’ भी कहा जाता है, अब उत्तराखण्ड के किसानों के लिए आमदनी का नया जरिया बनने जा रहा है. ड्रैगन फ्रूट खेती योजना के तहत उधमसिंहनगर, हरिद्वार, नैनीताल, बागेश्वर, पौड़ी, देहरादून और टिहरी जिलों में वैज्ञानिक पद्धति से ड्रैगन फ्रूट उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा. इस योजना पर वर्ष 2027-28 तक कुल 15 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और लगभग 450 किसान लाभांवित होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ड्रैगन फ्रूट उद्यान स्थापना के लिए प्रति एकड़ 8 लाख रुपये की लागत निर्धारित की गई है, जिसमें से 80 प्रतिशत राशि सरकार वहन करेगी जबकि 20 प्रतिशत हिस्सा किसानों को खुद वहन करना होगा. वर्तमान में राज्य में लगभग 35 एकड़ क्षेत्र में 70 मैट्रिक टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन हो रहा है. योजना के तहत खेती के क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में कई गुना वृद्धि की उम्मीद है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार का लक्ष्य – किसानों की आय बढ़ाना</strong><br />राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इन योजनाओं का उद्देश्य केवल किसानों की आय बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि कृषि में विविधता लाकर जलवायु परिवर्तन के खतरों से भी मुकाबला करना है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तराखण्ड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में मोटे अनाज, कीवी और ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलों की खेती किसानों के लिए एक स्थायी समाधान है. इससे उन्हें बाजार की मांग के अनुरूप फसल उत्पादन का अवसर मिलेगा और वैश्विक बाजारों में भी अपनी पहचान बनाने का रास्ता खुलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रशासनिक तैयारियां भी तेज</strong><br />इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कृषि और उद्यान विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. किसानों को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएंगे, तकनीकी सहायता दी जाएगी और विपणन के लिए उचित प्लेटफॉर्म मुहैया कराए जाएंगे. साथ ही योजनाओं के सुचारु क्रियान्वयन के लिए निगरानी तंत्र भी स्थापित किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं किसानों का कहना है कि यदि योजनाओं को सही तरीके से जमीन पर उतारा गया तो आने वाले समय में उत्तराखण्ड कृषि क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा. विशेष रूप से युवा किसान नगदी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे राज्य में कृषि का परिदृश्य तेजी से बदलने की उम्मीद है.</p>
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मिलेट्स, कीवी और ड्रैगन फ्रूट से बढ़ेगी उत्तराखंड के किसानों की आय, जानें सरकार का प्लान
