यूपी सरकार और भाजपा के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था कि 15 अक्टूबर को मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने अयोध्या के मिल्कीपुर में उपचुनाव की घोषणा नहीं की। उस पर दूसरा झटका तब लगा, जब यह पता चला कि भाजपा के ही बाबा गोरखनाथ की ओर से दायर चुनाव याचिका के चलते मिल्कीपुर में फिलहाल उपचुनाव नहीं होगा। इस घटना ने बीते 3 महीने से मिल्कीपुर में चुनावी तैयारी कर रहे सरकार और सत्तारूढ़ दल ही नहीं, जनता के बीच भी प्रशासनिक मशीनरी की सजगता की पोल खोल दी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है। सवाल उठता है, क्या भाजपा की रणनीति थी या उसकी बड़ी चूक थी? पढ़िए सिलसिलेवार सब कुछ… यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों के ऐलान का सभी को इंतजार था। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजीव कुमार ने मंगलवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के आखिर में विधानसभा उपचुनाव की घोषणा की। उन्होंने कहा, एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर याचिका लंबित होने से चुनाव नहीं कराया जा रहा। आयोग की वेबसाइट पर जो प्रेस नोट जारी हुआ, तो उसमें मिल्कीपुर का नाम शामिल नहीं था। उपचुनाव की सबसे हॉट सीट मिल्कीपुर का नाम शामिल नहीं होने से शासन, सत्ता और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा की पड़ताल में सामने आया कि भाजपा के बाबा गोरखनाथ की चुनाव याचिका के कारण मिल्कीपुर में उपचुनाव घोषित नहीं हुआ। जिला निर्वाचन अधिकारी और सीईओ को पता तक नहीं था
अयोध्या के जिला निर्वाचन अधिकारी और जिलाधिकारी चंद्रविजय सिंह को भी बाबा गोरखनाथ की ओर से दायर याचिका की भनक तक नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग की ओर से जब मिल्कीपुर में उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई, तो वह भी अनजान थे। अगर जिलाधिकारी को मामले की जानकारी होती, तो वह पहले ही सरकार को इसकी सूचना देते। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा को भी मिल्कीपुर सीट पर दायर याचिका की जानकारी नहीं दी थी। रिणवा भी मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस देख रहे थे। इसी दौरान जब पता चला कि मिल्कीपुर में चुनाव नहीं होगा, तो वह भी चौंक गए। प्रभारी मंत्री को भी नहीं पता
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही अयोध्या के प्रभारी मंत्री हैं। उपचुनाव में सीएम योगी ने मिल्कीपुर सीट का प्रभारी भी शाही को ही बनाया है। शाही हर महीने में दो से तीन बार अयोध्या का दौरा कर रहे हैं। इसके बाद भी वह भी इससे वाकिफ नहीं थे कि मिल्कीपुर में भाजपा के ही बाबा गोरखनाथ ने कोई याचिका दायर की है। जिसकी वजह से वहां उपचुनाव फिलहाल नहीं होगा। कई मंत्री भी कर चुके मिल्कीपुर में प्रवास
सरकार और संगठन ने मिल्कीपुर के एक-एक वोट को साधने की रणनीति बनाई। सरकार ने सभी जातियों के मंत्रियों को मिल्कीपुर में उतारा। योगी सरकार के मंत्री गिरीश यादव, मयंकेश्वर शरण सिंह, सतीश शर्मा सहित अन्य कई मंत्री मिल्कीपुर में कई दिनों तक प्रवास कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव की तैयारी का आगाज ही मिल्कीपुर से किया था। सीएम ने अयोध्या पहुंचकर भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ वहां चुनावी तैयारी पर बात की। दो महीने में सीएम योगी 3 बार मिल्कीपुर का चुनावी दौरा कर चुके हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह सहित अन्य नेता भी मिल्कीपुर में चुनावी दौरा कर चुके हैं। जानकारों का मानना है कि सरकार और भाजपा के नेताओं के लिए यह एक सबक और सबब है। पूरी सरकार और संगठन बीते तीन महीने से चुनावी तैयारी में जुटे हैं। लेकिन यह पता नहीं है कि जिस मिल्कीपुर सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है, वहां उपचुनाव में ही पेंच फंसा है। इसलिए महत्वपूर्ण है मिल्कीपुर
लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अयोध्या) सीट से सपा ने भाजपा को शिकस्त दी। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के बाद भी भाजपा की हार से पूरे देश में गलत संदेश गया। फैजाबाद से सपा के सांसद अवधेश प्रसाद पासी ही मिल्कीपुर से विधायक थे। उनके इस्तीफा देने के बाद ही खाली हुई सीट पर उपचुनाव का इंतजार है। भाजपा मिल्कीपुर का उपचुनाव जीतकर प्रदेश और देश में संदेश देना चाहती है कि अयोध्या में राष्ट्रवाद की लहर बरकरार है। साथ ही दलित और पिछड़े मतदाता उनके साथ है। मिल्कीपुर उपचुनाव जीतकर भाजपा प्रदेश में फिर से भगवा माहौल खड़ा करना चाहती है। बाबा गोरखनाथ ही टिकट के मजबूत दावेदार
मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा की ओर से बाबा गोरखनाथ ही टिकट के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। बाबा गोरखनाथ ने 2017 में मिल्कीपुर से चुनाव जीता था। 2022 में वह अवधेश प्रसाद से चुनाव हार गए। बाबा गोरखनाथ की ओर से दायर याचिका के कारण ही उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई। सरकार और संगठन की बीते 3 महीने से चली आ रही तैयारी फलीभूत नहीं हुई। बड़ा सवाल- क्या चुनाव टालना रणनीति या बड़ी चूक
मिल्कीपुर सीट पर चुनाव नहीं घोषित होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इशारों में भाजपा और योगी सरकार पर तंज कसा। उन्होंने X पर पोस्ट लिखा- जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है। उन्होंने इस पोस्ट में न तो मिल्कीपुर सीट का नाम लिया और न ही भाजपा का। लेकिन, सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या बीजेपी ने जानबूझकर ऐसा किया? हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर बीजेपी को पहले से पता होता तो वहां करोड़ों रुपए के शिलान्यास उद्घाटन नहीं करती। खुद सीएम वहां पर दौरे कर रहे थे। मंत्री रात-दिन कैंपेनिंग में जुटे थे। यह एक चूक ही है। अब आगे क्या: याचिका वापस लेने से निकलेगी चुनावी राह
बाबा गोरखनाथ के वकील ने हाईकोर्ट में दायर चुनाव याचिका वापस लेने की घोषणा की है। हाईकोर्ट से याचिका वापसी की अर्जी स्वीकार होने के बाद अब भारत निर्वाचन आयोग तय करेगा कि मिल्कीपुर में भी उपचुनाव 13 नवंबर को ही कराया जाए या अन्य किसी तिथि पर। यूपी सरकार और भाजपा के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था कि 15 अक्टूबर को मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने अयोध्या के मिल्कीपुर में उपचुनाव की घोषणा नहीं की। उस पर दूसरा झटका तब लगा, जब यह पता चला कि भाजपा के ही बाबा गोरखनाथ की ओर से दायर चुनाव याचिका के चलते मिल्कीपुर में फिलहाल उपचुनाव नहीं होगा। इस घटना ने बीते 3 महीने से मिल्कीपुर में चुनावी तैयारी कर रहे सरकार और सत्तारूढ़ दल ही नहीं, जनता के बीच भी प्रशासनिक मशीनरी की सजगता की पोल खोल दी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है। सवाल उठता है, क्या भाजपा की रणनीति थी या उसकी बड़ी चूक थी? पढ़िए सिलसिलेवार सब कुछ… यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों के ऐलान का सभी को इंतजार था। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजीव कुमार ने मंगलवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के आखिर में विधानसभा उपचुनाव की घोषणा की। उन्होंने कहा, एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर याचिका लंबित होने से चुनाव नहीं कराया जा रहा। आयोग की वेबसाइट पर जो प्रेस नोट जारी हुआ, तो उसमें मिल्कीपुर का नाम शामिल नहीं था। उपचुनाव की सबसे हॉट सीट मिल्कीपुर का नाम शामिल नहीं होने से शासन, सत्ता और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा की पड़ताल में सामने आया कि भाजपा के बाबा गोरखनाथ की चुनाव याचिका के कारण मिल्कीपुर में उपचुनाव घोषित नहीं हुआ। जिला निर्वाचन अधिकारी और सीईओ को पता तक नहीं था
अयोध्या के जिला निर्वाचन अधिकारी और जिलाधिकारी चंद्रविजय सिंह को भी बाबा गोरखनाथ की ओर से दायर याचिका की भनक तक नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग की ओर से जब मिल्कीपुर में उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई, तो वह भी अनजान थे। अगर जिलाधिकारी को मामले की जानकारी होती, तो वह पहले ही सरकार को इसकी सूचना देते। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा को भी मिल्कीपुर सीट पर दायर याचिका की जानकारी नहीं दी थी। रिणवा भी मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस देख रहे थे। इसी दौरान जब पता चला कि मिल्कीपुर में चुनाव नहीं होगा, तो वह भी चौंक गए। प्रभारी मंत्री को भी नहीं पता
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही अयोध्या के प्रभारी मंत्री हैं। उपचुनाव में सीएम योगी ने मिल्कीपुर सीट का प्रभारी भी शाही को ही बनाया है। शाही हर महीने में दो से तीन बार अयोध्या का दौरा कर रहे हैं। इसके बाद भी वह भी इससे वाकिफ नहीं थे कि मिल्कीपुर में भाजपा के ही बाबा गोरखनाथ ने कोई याचिका दायर की है। जिसकी वजह से वहां उपचुनाव फिलहाल नहीं होगा। कई मंत्री भी कर चुके मिल्कीपुर में प्रवास
सरकार और संगठन ने मिल्कीपुर के एक-एक वोट को साधने की रणनीति बनाई। सरकार ने सभी जातियों के मंत्रियों को मिल्कीपुर में उतारा। योगी सरकार के मंत्री गिरीश यादव, मयंकेश्वर शरण सिंह, सतीश शर्मा सहित अन्य कई मंत्री मिल्कीपुर में कई दिनों तक प्रवास कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव की तैयारी का आगाज ही मिल्कीपुर से किया था। सीएम ने अयोध्या पहुंचकर भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ वहां चुनावी तैयारी पर बात की। दो महीने में सीएम योगी 3 बार मिल्कीपुर का चुनावी दौरा कर चुके हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह सहित अन्य नेता भी मिल्कीपुर में चुनावी दौरा कर चुके हैं। जानकारों का मानना है कि सरकार और भाजपा के नेताओं के लिए यह एक सबक और सबब है। पूरी सरकार और संगठन बीते तीन महीने से चुनावी तैयारी में जुटे हैं। लेकिन यह पता नहीं है कि जिस मिल्कीपुर सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है, वहां उपचुनाव में ही पेंच फंसा है। इसलिए महत्वपूर्ण है मिल्कीपुर
लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अयोध्या) सीट से सपा ने भाजपा को शिकस्त दी। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के बाद भी भाजपा की हार से पूरे देश में गलत संदेश गया। फैजाबाद से सपा के सांसद अवधेश प्रसाद पासी ही मिल्कीपुर से विधायक थे। उनके इस्तीफा देने के बाद ही खाली हुई सीट पर उपचुनाव का इंतजार है। भाजपा मिल्कीपुर का उपचुनाव जीतकर प्रदेश और देश में संदेश देना चाहती है कि अयोध्या में राष्ट्रवाद की लहर बरकरार है। साथ ही दलित और पिछड़े मतदाता उनके साथ है। मिल्कीपुर उपचुनाव जीतकर भाजपा प्रदेश में फिर से भगवा माहौल खड़ा करना चाहती है। बाबा गोरखनाथ ही टिकट के मजबूत दावेदार
मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा की ओर से बाबा गोरखनाथ ही टिकट के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। बाबा गोरखनाथ ने 2017 में मिल्कीपुर से चुनाव जीता था। 2022 में वह अवधेश प्रसाद से चुनाव हार गए। बाबा गोरखनाथ की ओर से दायर याचिका के कारण ही उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई। सरकार और संगठन की बीते 3 महीने से चली आ रही तैयारी फलीभूत नहीं हुई। बड़ा सवाल- क्या चुनाव टालना रणनीति या बड़ी चूक
मिल्कीपुर सीट पर चुनाव नहीं घोषित होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इशारों में भाजपा और योगी सरकार पर तंज कसा। उन्होंने X पर पोस्ट लिखा- जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है। उन्होंने इस पोस्ट में न तो मिल्कीपुर सीट का नाम लिया और न ही भाजपा का। लेकिन, सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या बीजेपी ने जानबूझकर ऐसा किया? हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर बीजेपी को पहले से पता होता तो वहां करोड़ों रुपए के शिलान्यास उद्घाटन नहीं करती। खुद सीएम वहां पर दौरे कर रहे थे। मंत्री रात-दिन कैंपेनिंग में जुटे थे। यह एक चूक ही है। अब आगे क्या: याचिका वापस लेने से निकलेगी चुनावी राह
बाबा गोरखनाथ के वकील ने हाईकोर्ट में दायर चुनाव याचिका वापस लेने की घोषणा की है। हाईकोर्ट से याचिका वापसी की अर्जी स्वीकार होने के बाद अब भारत निर्वाचन आयोग तय करेगा कि मिल्कीपुर में भी उपचुनाव 13 नवंबर को ही कराया जाए या अन्य किसी तिथि पर। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर