भोले बाबा को ड्राइवर पर भी भरोसा नहीं:पूछता- कहां चलना है, जवाब देता- प्रभु जानें; घर टूटा-फूटा, आश्रम 20 बीघे का भोले बाबा उर्फ सूरज पाल का गांव बहादुर नगर। 20 बीघे में भव्य आश्रम। आश्रम के बाहर पांच हैंडपंप पर भीड़ लगी है। अनुयायियों को यकीन है कि पानी पीने से उन्हें कोई बीमारी नहीं होगी। हाथरस में सत्संग में मची भगदड़ के बाद से बाबा गायब है। अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन, बाबा के लिए आस्था उसके आश्रम के बाहर से ही दिख जाती है। दैनिक भास्कर की टीम बाबा के कासगंज जिले के पटियाली स्थित बहादुर नगर गांव पहुंची। बाबा का परिवार किस हालत में है? बाबा का रहस्य क्या है? यह सब जानने के लिए परिवार और कभी करीबी रहे लोगों से बातचीत की। बाबा के बारे में पढ़िए इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में… बाबा अपने ड्राइवर पर भी भरोसा नहीं करता
दैनिक भास्कर की टीम ने उन लोगों की तलाश की, जो पहले बाबा के करीबी रहे, लेकिन बाद में छोड़ दिया। हमारी मुलाकात पटियाली के पास स्थित गांव के एक व्यक्ति से हुई। पहले यह बाबा के ही साथ रहते थे। हम उनका नाम इसलिए नहीं लिख रहे, क्योंकि उन्हें बाबा और उनके समर्थकों से डर है। वह कहते हैं- भोले बाबा को किसी भी व्यक्ति पर भरोसा नहीं। उसके ड्राइवर को भी नहीं पता होता कि बाबा किस रास्ते से होकर कहां जाएगा? जब ड्राइवर पूछता कि कहां चलना है, तब बाबा जवाब देता था कि प्रभु जानें। बाबा के आसपास जो लोग होते वे भी हमेशा के लिए नहीं रहते, अक्सर उन्हें बदल दिया जाता था। हमने पूछा- बाबा ऐसा क्यों करता है? वह कहते हैं,-बाबा को अपनी जान का खतरा महसूस होता था। इसके अलावा वह कभी किसी गरीब भक्त से नहीं मिलता था। वह उन्हीं लोगों से मिलता, जिनसे उसका फायदा होता था। इनमें अधिकारी से लेकर बड़े नेता शामिल हैं। आम आदमी के सामने तो वह खुद को नारायण हरि साकार यानी भगवान बताता था। जबकि, हम लोग तो भगवान को निराकार मानते हैं। बाबा के आगे बढ़ने के तौर-तरीके क्या थे?
उस शख्स ने बताया- 2001 में भोले बाबा ने आश्रम बनाया। जब सत्संग शुरू किया, तब भीड़ नहीं आती थी। उस वक्त बाबा भीड़ के बीच अपने लोगों को बैठाता था। ये लोग अपनी-अपनी समस्या बताते और बाबा उसका तुरंत निदान बता देता। ऐसे लोग यह भी कहते कि उन्हें बाबा के बताए उपाय से फायदा मिला। इससे बाकी लोगों का भरोसा बढ़ने लगा। फिर हर मंगलवार को आने वाली भीड़ भी बढ़ने लगी। भोले बाबा आश्रम के बाहर लगे हैंडपंप से पानी पी लेने पर सब कुछ ठीक हो जाने की बात करने लगा था। इस वक्त आश्रम के बाहर 5 हैंडपंप एक लाइन से लगे हैं। इसके अलावा आश्रम के आसपास करीब 20 हैंडपंप लगे हैं। बाबा को इलाके के दूसरे धर्मगुरुओं से चिढ़
भोले बाबा के आश्रम से करीब 12 किलोमीटर दूर बाबा अनेक दास का आश्रम है। अनेक दास पहले गाड़ी चलाते थे। वह हर मंगलवार लोगों को भोले बाबा के आश्रम तक पहुंचाते थे। करीब 3 साल ऐसा करने के बाद उन्होंने गाड़ी चलाना बंद कर दिया। 2010 से उन्होंने भी आश्रम खोल लिया और हर सोमवार को उनके यहां भी भीड़ लगने लगी। अनेक दास कहते हैं- भोले बाबा को अपने इलाके में दूसरे धर्मगुरु पसंद नहीं। वह नहीं चाहता कि उसके भक्त किसी और आश्रम में जाएं। इसलिए हमारे यहां वो लोग कभी नहीं आए, जो भोले बाबा से जुड़े हैं। अब बाबा के महलनुमा आश्रम का रहस्य जानिए…
हमारी टीम भोले बाबा की जन्मस्थली पटियाली के बहादुरपुर गांव पहुंची। गांव के तमाम लोग आश्रम के सामने मौजूद थे। करीब 20 बीघे में फैला यह आश्रम 4 भागों में बंटा है। शुरुआत में करीब 500 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। उसी के सामने लोगों के ठहरने का इंतजाम है। इन दोनों जगहों पर हर व्यक्ति आराम से पहुंच सकता है। लेकिन बाकी जो दो भव्य आश्रम हैं, वहां एंट्री नहीं है। पास में भाई का मकान, वो बदहाल
हम आश्रम के सामने से होते हुए बाबा के उस घर तक पहुंच गए, जहां वह पैदा हुआ। 5 कमरों के इस घर में भोले बाबा के भाई राकेश कुमार परिवार के साथ रहते हैं। घर की हालत ठीक नहीं। दीवारें टूटी हैं। जो पंखा चल रहा था, उसकी रफ्तार बता रही थी कि 15 साल से बदला नहीं गया। भोले बाबा की बहन सोनकली भी अब यहीं रहने लगी हैं। हमें सोनकली के अलावा बाबा की भतीजी शीतल मिलीं। शीतल बताती हैं- जैसे हर परिवार में विवाद होता है, वैसे ही हमारे यहां भी है। भोले बाबा हम लोगों से कोई मतलब नहीं रखते। बचपन में पढ़ने में तेज था बाबा
भोले बाबा की बहन सोनकली से हमने पूछा कि सूरज पाल का व्यवहार बचपन में कैसा था? वह कहती हैं- सूरज पाल पढ़ने में तेज था, तभी तो नौकरी पाया। आगरा में नौकरी के वक्त उसका मन प्रभु में लग गया। इसके बाद वह उसी तरफ चला गया। हमने पूछा कि उसके बाद आप लोगों से कोई संपर्क नहीं रहा? वह कहती हैं- बाबा बनने के बाद उसका हम लोगों से कोई मतलब नहीं रहा। वह हम लोगों से मिलने कभी नहीं आया। बाबा से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… भोले बाबा दान नहीं लेता पर 100 करोड़ का मालिक: 24 से ज्यादा आश्रम, लग्जरी कारों का काफिला 100 करोड़ से ज्यादा के आश्रम और जमीन। लग्जरी कारों का काफिला। आलीशान आश्रम और 80 सेवादार। यह शान-ओ-शौकत है भोले बाबा की। उस पर बाबा का दावा यह कि वह एक पैसे भी दान नहीं लेता। भोले बाबा उर्फ सूरज पाल की असली कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। भोले बाबा के हाथरस सत्संग में मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत हुई। मगर, FIR में बाबा का नाम तक नहीं है। घटना के बाद से वह गायब है। मैनपुरी में उसके आश्रम के बाहर 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। पूरी खबर पढ़ें… हाथरस भगदड़- पसलियां टूटकर फेफड़े और कलेजे में घुसीं: सिर और गले की हड्डी टूटने से 15 की जान गई UP के हाथरस में सत्संग के बाद मची भगदड़ में अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 74 दम घुटने की वजह से मारे गए। भगदड़ में जो महिलाएं और बच्चे जमीन पर गिरे, वे बुरी तरह कुचल गए और फिर उठ नहीं पाए। 31 महिलाओं के शव ऐसे थे, जिनकी पसलियां टूटकर दिल और फेफड़े में घुस गईं थीं। वहीं, 15 लोगों के सिर और गर्दन की हड्डी टूट चुकी थी। इसलिए उनकी मौत हुई। इसका खुलासा शवों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुआ। पूरी खबर पढ़ें…