संभल और वाराणसी के बाद कानपुर में मेयर प्रमिला पांडेय ने 5 मंदिरों के कब्जे हटवाए। मेयर 30 मिनट तक मुस्लिम इलाके में रहीं। यह एरिया बेकनगंज का है, जिसे एक वक्त पर सुनार वाली गली कहते थे। अब इन मंदिरों को मूल स्वरूप में लाकर पूजा पाठ कराने की तैयारी है। दैनिक भास्कर ने बेकनगंज में इन मंदिरों के हाल जाने। यहां करीब 50 साल से रहने वाले मुस्लिम परिवारों से बात की। वह कहते हैं- हम कब्जेदार नहीं…हम किराएदार हैं। 1992 के दंगों में हमारे पूर्वजों ने इन मंदिरों को बचाया था। अब सब कहते हैं- हमें यहां से हटना होगा। नगर निगम के सर्वे में 120 मंदिरों पर कब्जे मिले हैं। भास्कर टीम, 1-1 करके 4 मंदिरों पर पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… मंदिर 1. मंदिर में पकाई जा रही थी बिरयानी
भास्कर टीम सबसे पहले डॉ. बेरी चौराहे के राम जानकी मंदिर पहुंची। यह पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। इस मंदिर को शत्रु संपत्ति भी घोषित किया जा चुका है। मंदिर के नाम पर अब सिर्फ अवशेष बचे हैं। ये अवशेष कभी भी गिर सकते हैं। करीब एक एकड़ में फैले इस मंदिर प्रांगण में अब कब्जे हो चुके हैं। कानपुर हिंसा के मुख्य आरोपी मुख्तार बाबा का इस पर कब्जा मिला। इसमें वो बिरयानी पकाता था। इस वक्त वो भागा हुआ है। लोगों ने बताया कि यह मंदिर करीब 100 साल पुराना है। यहां भगवान राम और माता सीता की मूर्ति विराजमान थी। यह मंदिर करीब 2400 वर्ग गज में फैला था। लेकिन अब छोटा सा हिस्सा ही बचा है। मंदिर 2. आगे थोड़ा मंदिर बचा, पीछे रह रहे हैं मुस्लिम
राम जानकी मंदिर से 50 मीटर आगे बढ़ने पर एक और मंदिर देखने को मिला। यह राधा-कृष्ण का मंदिर है। इस मंदिर के आगे का हिस्सा सुरक्षित है। पीछे मुस्लिमों के दो परिवार रह रहे हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में एक परिवार ने गेट बना लिया है। इस मंदिर का सिर्फ जर्जर ढांचा ही खड़ा है। मंदिर के ठीक बगल में अजमेरी बिरयानी की बड़ी दुकान है। मंदिर में कोई अंदर न जा सके, इसलिए चारों ओर से मंदिर को बंद कर दिया गया है। मंदिर के रोड साइड हिस्से में कब्जा करके एक व्यक्ति ने दुकान खोल रखी है। हालांकि पुलिस ने अब इस मंदिर के आगे बैरिकेडिंग कर दी है। मंदिर 3. कर्नलगंज में शिव मंदिर बना कूड़ाघर
राधा-कृष्ण के मंदिर से टीम कर्नलगंज पहुंची। यह पूरा एरिया मुस्लिम बाहुल्य है। संकरी गली में करीब 125 वर्ष पुराना शिव मंदिर मिला। इस मंदिर को करीब 70 वर्षों से खोला नहीं गया है। इस मंदिर में कोई कब्जा तो नहीं है, लेकिन कूड़े से पूरा मंदिर पटा हुआ है। चारों ओर मुस्लिम आबादी से घिरे शिव मंदिर में टनों कूड़ा कचरा फेंका हुआ मिला। मंदिर प्रांगण चारों ओर से बंद है। मंदिर के गुंबद समेत पूरा मंदिर जर्जर हो चुका है। मंदिर कब धराशायी हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता है। मंदिर के गेट पर मुस्लिम लोगों के पोस्टर चस्पा मिले। इस मंदिर के निर्माण में भी छोटी और पतली लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। करीब 125 वर्ष पुराना मंदिर बताया जा रहा है। इसका प्रांगण काफी बड़ा था, लेकिन अब सिर्फ जरा सा हिस्सा बचा है। बाकी सब कब्जा हो चुका है। मंदिर 4. निशान बचे लेकिन शिवलिंग गायब
कर्नलगंज के शिव मंदिर से निकल कर हम करीब 500 मीटर दूर दूसरे शिव मंदिर पहुंचे। यहां मंदिर के बाहर तक दुकानें लगी मिलीं। इस मंदिर का निर्माण भी करीब 100 वर्ष पुराना बताया गया। इसको बनाने में लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। आगे के हिस्से में मंदिर और पीछे के हिस्से में मुस्लिम परिवार रह रहे हैं। मंदिर में शिवलिंग के निशान तो बने हुए हैं, लेकिन शिवलिंग पूरी तरह से गायब है। मंदिर बेहद जर्जर हालात में है। वहीं मंदिर के एक तरफ दीवार बना दी गई है। जिससे मंदिर में कोई प्रवेश न कर सके। अब मंदिर परिसर में रहने वाले लोग क्या कहते हैं, ये पढ़िए… नफीस बोले- 1992 में जब मंदिरों में तोड़-फोड़ हुई, तब हमने इसको बचाया
बेकनगंज के राम जानकी मंदिर के पीछे रहने वाले नफीस कहते हैं- मंदिर को जैसे खोलना है, वैसे खोलें। हमको क्या लेना-देना है। मंदिर अलग है, घर अलग है। ये क्षेत्र पहले पुराना सर्राफा था। सारे हिंदू भाई यही रहते थे। फिर वो हिंदू बहुल क्षेत्रों में चले गए। वहीं हिंदू भाइयों ने हम लोगों को किराये पर रहने के लिए जगह दे दी। 20 रुपए महीने के किराये पर करीब 80 से 90 साल पहले लिया था। तब हमारे बाप-दादा ने किराये पर लिया था। हम आज तक किरायेदार हैं, मकान मालिक दूसरे हैं। मंदिर चारों तरफ से पैक है। हम लोग मंदिरों की देखभाल करते हैं। 92 के दंगों में हर जगह मंदिरों में तोड़फोड़ हुई। इसको हम लोगों ने बचाया। हिंदू परिवार ही मंदिर बंद कर के गए थे
मोहम्मद सगीर कहते हैं- मंदिरों पर हमारा कोई दावा नहीं है। हम लोग किरायेदार हैं। मंदिर का दरवाजा हिंदू लोग ही बंद कर के गए थे। तब से आज तक मंदिर सुरक्षित है और बंद है। हमारे बाप-दादा ने यहां के पन्ना लाल से 20 रुपए महीने के किराए पर मकान लिया था। मंदिरों में कभी पूजा होते हुए नहीं देखी
बेकनगंज निवासी मोहम्मद रईस कहते हैं कि मंदिर खुल रहे हैं तो अच्छी बात है। कानपुर में जब दंगा हुआ था तब हिंदू और मुस्लिम दोनों में ही क्षेत्र के हिसाब से पलायन हुआ था। मुस्लिमों ने कहा कि हमें कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि हम लोगों ने मंदिरों में कभी पूजा होते हुए नहीं देखी है। महापौर ने कहा- ढाई साल पहले सर्वे कराया, अब अतिक्रमण बढ़ गए
कानपुर महापौर प्रमिला पांडेय ने दैनिक भास्कर को बताया- करीब ढाई वर्ष पहले मंदिरों का सर्वे कराया था। किसी भी मंदिर में मूर्तियां नहीं बची हैं। दोबारा सर्वे किया तो कई मंदिरों में दुकानें और गेट लग गए हैं। मुस्लिम भाइयों से भी कहा कि वो मंदिर पर कब्जा न करें। उन्होंने कहा- 1930 में कानपुर में जब पहला दंगा हुआ था तो बेकनगंज को सुनार वाली गली कहते थे। वहां हर 5 घर पर एक मंदिर और कुआं था। उसको अब बेकनगंज कहते हैं। दंगा होने के बाद हिंदू परिवार पलायन कर गए। हमारे जो भगवान थे वहां आज मांस बिक रहा है, मैं पुरानी सरकारों से कहना चाहती हूं कि कांग्रेस, बसपा और सपा के लोग सनातनी नहीं थे क्या? मंदिरों पर कब्जे रोकने के प्रयास सभी को करने चाहिए थे। उन्होंने कहा- अब ये कोई नहीं पूछता कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से हिंदू कहां और क्यों चले गए। किसी भी मस्जिद में, चर्च में कूड़ा नहीं देखा होगा। मंदिरों में कूड़ा क्या है। मुख्यमंत्री ने इसको लेकर अच्छा काम किया है। कुछ हिंदू परिवार भी मुस्लिमों को मंदिर बेच रहे हैं। मैं आगाह कर दूं कि मंदिर बेच नहीं सकते हैं। मामले में सपा विधायक का पक्ष पढ़िए…
क्षेत्रीय सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने कहा- महापौर फोटो खींचवाने के लिए कुछ भी कर सकती हैं। इमोशन में न आकर पहले ये देखना चाहिए कि मालिकाना हक किसका है। अगर हिंदू का है तो उसे सौंपना चाहिए। मुस्लिम का है तो उसे सौंपा जाना चाहिए और वहीं तय करे। पूजा करने वाले हिंदू परिवार नहीं बचे
बेकनगंज और कर्नलगंज के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बातचीत करके सामने आया कि करीब 50 वर्ष पहले तक हिंदुओं की बड़ी आबादी बसती थी, लेकिन वक्त के साथ इन क्षेत्रों में मुस्लिमों की आबादी बढ़ती गई। हिंदुओं की आबादी कम होती चली गई। एक वक्त के बाद आलम ये हुआ कि इन मंदिरों में कोई पूजा करने वाला तक नहीं बचा। मौजूदा समय में मंदिर पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं और कब्जों में अब गुम होने लगे हैं। अब 21 दिसंबर को मेयर की कार्रवाई की 2 तस्वीर देखिए… बड़े मंदिरों में शुमार रामजानकी मंदिर कब्जाने के लिए रचा गया था बड़ा षड्यंत्र
मुस्लिम क्षेत्रों में बने सबसे बड़े मंदिर राम-जानकी मंदिर की जमीन को हथियाने के लिए बड़ा षड्यंत्र रचा गया था। करीब 2400 वर्ग गज में बने इस मंदिर प्रांगण को पूरी तरह से मुख्तार बाबा द्वारा कब्जा किया जा चुका है। नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक मंदिर कैंपस के बाहर हिंदुओं की 18 दुकानें हुआ करती थीं। नगर निगम पंचशाला के मुताबिक रामजानकी मंदिर ट्रस्ट का संचालन मैनेजर भगवानदीन हलवाई के हाथ में था। पंचशाला रजिस्टर में वर्ष 1927 से 1953 तक भगवानदीन द्वारा ही ट्रस्ट संचालन का जिक्र है। वर्ष 1927 में हिंदुओं के नाम दर्ज थे
मंदिर ट्रस्ट में 18 दुकानें थीं जो आगे की ओर थीं, जबकि अंदरुनी हिस्से में मंदिर था। इन सभी दुकानों पर हिंदू लोग ही काबिज थे। दुकानों में कपड़ा, रेडीमेड, ज्वैलरी, लांड्री, मंदिर की पूजा अर्चना और प्रसाद आदि की दुकानें हुआ करती थीं। नगर निगम के वर्ष 1927 के पंचशाला रजिस्टर में इन सभी दुकानदारों के नाम दर्ज हैं जो वर्ष 1938 तक दर्ज रहे। इनके नाम क्रमश: मन्ना, नाथू, रामभरोसे, गज्जू, नत्था, सतनारायन, बंशीधर, महादेव, बसेसर, मिश्रा, छेदा, विश्वनाथ, अजोध्या, केशव, सुखलेन, धर्मा और मखत थे। 3 जून 2022 को कानपुर में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी मुख्तार बाबा ने ही मंदिर की पूरी जमीन को कब्जा कर लिया था।
———————– ये भी पढ़ें:
कानपुर मेयर मुस्लिम इलाके में बंद मंदिरों को खुलवाने पहुंचीं, मंदिर के पीछे बनती थी बिरयानी; ताला खुलवाया तो अंदर कूड़ा मिला संभल के बाद कानपुर में मेयर ने मुस्लिम बहुल इलाके में बंद मंदिरों को खोलने की शुरुआत की। शनिवार को अचानक प्रमिला पांडेय 7 थानों की फोर्स के साथ बेकनगंज पहुंच गईं। वह एक-एक करके 5 मंदिरों पर गईं। इसमें से एक मंदिर के पीछे पहले बिरियानी बनती थी। मेयर ने मंदिर का ताला खुलवाया। उसमें कूड़ा भरा था। इस पर मेयर नाराज हो गईं। पढ़िए पूरी खबर… संभल और वाराणसी के बाद कानपुर में मेयर प्रमिला पांडेय ने 5 मंदिरों के कब्जे हटवाए। मेयर 30 मिनट तक मुस्लिम इलाके में रहीं। यह एरिया बेकनगंज का है, जिसे एक वक्त पर सुनार वाली गली कहते थे। अब इन मंदिरों को मूल स्वरूप में लाकर पूजा पाठ कराने की तैयारी है। दैनिक भास्कर ने बेकनगंज में इन मंदिरों के हाल जाने। यहां करीब 50 साल से रहने वाले मुस्लिम परिवारों से बात की। वह कहते हैं- हम कब्जेदार नहीं…हम किराएदार हैं। 1992 के दंगों में हमारे पूर्वजों ने इन मंदिरों को बचाया था। अब सब कहते हैं- हमें यहां से हटना होगा। नगर निगम के सर्वे में 120 मंदिरों पर कब्जे मिले हैं। भास्कर टीम, 1-1 करके 4 मंदिरों पर पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… मंदिर 1. मंदिर में पकाई जा रही थी बिरयानी
भास्कर टीम सबसे पहले डॉ. बेरी चौराहे के राम जानकी मंदिर पहुंची। यह पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। इस मंदिर को शत्रु संपत्ति भी घोषित किया जा चुका है। मंदिर के नाम पर अब सिर्फ अवशेष बचे हैं। ये अवशेष कभी भी गिर सकते हैं। करीब एक एकड़ में फैले इस मंदिर प्रांगण में अब कब्जे हो चुके हैं। कानपुर हिंसा के मुख्य आरोपी मुख्तार बाबा का इस पर कब्जा मिला। इसमें वो बिरयानी पकाता था। इस वक्त वो भागा हुआ है। लोगों ने बताया कि यह मंदिर करीब 100 साल पुराना है। यहां भगवान राम और माता सीता की मूर्ति विराजमान थी। यह मंदिर करीब 2400 वर्ग गज में फैला था। लेकिन अब छोटा सा हिस्सा ही बचा है। मंदिर 2. आगे थोड़ा मंदिर बचा, पीछे रह रहे हैं मुस्लिम
राम जानकी मंदिर से 50 मीटर आगे बढ़ने पर एक और मंदिर देखने को मिला। यह राधा-कृष्ण का मंदिर है। इस मंदिर के आगे का हिस्सा सुरक्षित है। पीछे मुस्लिमों के दो परिवार रह रहे हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में एक परिवार ने गेट बना लिया है। इस मंदिर का सिर्फ जर्जर ढांचा ही खड़ा है। मंदिर के ठीक बगल में अजमेरी बिरयानी की बड़ी दुकान है। मंदिर में कोई अंदर न जा सके, इसलिए चारों ओर से मंदिर को बंद कर दिया गया है। मंदिर के रोड साइड हिस्से में कब्जा करके एक व्यक्ति ने दुकान खोल रखी है। हालांकि पुलिस ने अब इस मंदिर के आगे बैरिकेडिंग कर दी है। मंदिर 3. कर्नलगंज में शिव मंदिर बना कूड़ाघर
राधा-कृष्ण के मंदिर से टीम कर्नलगंज पहुंची। यह पूरा एरिया मुस्लिम बाहुल्य है। संकरी गली में करीब 125 वर्ष पुराना शिव मंदिर मिला। इस मंदिर को करीब 70 वर्षों से खोला नहीं गया है। इस मंदिर में कोई कब्जा तो नहीं है, लेकिन कूड़े से पूरा मंदिर पटा हुआ है। चारों ओर मुस्लिम आबादी से घिरे शिव मंदिर में टनों कूड़ा कचरा फेंका हुआ मिला। मंदिर प्रांगण चारों ओर से बंद है। मंदिर के गुंबद समेत पूरा मंदिर जर्जर हो चुका है। मंदिर कब धराशायी हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता है। मंदिर के गेट पर मुस्लिम लोगों के पोस्टर चस्पा मिले। इस मंदिर के निर्माण में भी छोटी और पतली लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। करीब 125 वर्ष पुराना मंदिर बताया जा रहा है। इसका प्रांगण काफी बड़ा था, लेकिन अब सिर्फ जरा सा हिस्सा बचा है। बाकी सब कब्जा हो चुका है। मंदिर 4. निशान बचे लेकिन शिवलिंग गायब
कर्नलगंज के शिव मंदिर से निकल कर हम करीब 500 मीटर दूर दूसरे शिव मंदिर पहुंचे। यहां मंदिर के बाहर तक दुकानें लगी मिलीं। इस मंदिर का निर्माण भी करीब 100 वर्ष पुराना बताया गया। इसको बनाने में लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। आगे के हिस्से में मंदिर और पीछे के हिस्से में मुस्लिम परिवार रह रहे हैं। मंदिर में शिवलिंग के निशान तो बने हुए हैं, लेकिन शिवलिंग पूरी तरह से गायब है। मंदिर बेहद जर्जर हालात में है। वहीं मंदिर के एक तरफ दीवार बना दी गई है। जिससे मंदिर में कोई प्रवेश न कर सके। अब मंदिर परिसर में रहने वाले लोग क्या कहते हैं, ये पढ़िए… नफीस बोले- 1992 में जब मंदिरों में तोड़-फोड़ हुई, तब हमने इसको बचाया
बेकनगंज के राम जानकी मंदिर के पीछे रहने वाले नफीस कहते हैं- मंदिर को जैसे खोलना है, वैसे खोलें। हमको क्या लेना-देना है। मंदिर अलग है, घर अलग है। ये क्षेत्र पहले पुराना सर्राफा था। सारे हिंदू भाई यही रहते थे। फिर वो हिंदू बहुल क्षेत्रों में चले गए। वहीं हिंदू भाइयों ने हम लोगों को किराये पर रहने के लिए जगह दे दी। 20 रुपए महीने के किराये पर करीब 80 से 90 साल पहले लिया था। तब हमारे बाप-दादा ने किराये पर लिया था। हम आज तक किरायेदार हैं, मकान मालिक दूसरे हैं। मंदिर चारों तरफ से पैक है। हम लोग मंदिरों की देखभाल करते हैं। 92 के दंगों में हर जगह मंदिरों में तोड़फोड़ हुई। इसको हम लोगों ने बचाया। हिंदू परिवार ही मंदिर बंद कर के गए थे
मोहम्मद सगीर कहते हैं- मंदिरों पर हमारा कोई दावा नहीं है। हम लोग किरायेदार हैं। मंदिर का दरवाजा हिंदू लोग ही बंद कर के गए थे। तब से आज तक मंदिर सुरक्षित है और बंद है। हमारे बाप-दादा ने यहां के पन्ना लाल से 20 रुपए महीने के किराए पर मकान लिया था। मंदिरों में कभी पूजा होते हुए नहीं देखी
बेकनगंज निवासी मोहम्मद रईस कहते हैं कि मंदिर खुल रहे हैं तो अच्छी बात है। कानपुर में जब दंगा हुआ था तब हिंदू और मुस्लिम दोनों में ही क्षेत्र के हिसाब से पलायन हुआ था। मुस्लिमों ने कहा कि हमें कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि हम लोगों ने मंदिरों में कभी पूजा होते हुए नहीं देखी है। महापौर ने कहा- ढाई साल पहले सर्वे कराया, अब अतिक्रमण बढ़ गए
कानपुर महापौर प्रमिला पांडेय ने दैनिक भास्कर को बताया- करीब ढाई वर्ष पहले मंदिरों का सर्वे कराया था। किसी भी मंदिर में मूर्तियां नहीं बची हैं। दोबारा सर्वे किया तो कई मंदिरों में दुकानें और गेट लग गए हैं। मुस्लिम भाइयों से भी कहा कि वो मंदिर पर कब्जा न करें। उन्होंने कहा- 1930 में कानपुर में जब पहला दंगा हुआ था तो बेकनगंज को सुनार वाली गली कहते थे। वहां हर 5 घर पर एक मंदिर और कुआं था। उसको अब बेकनगंज कहते हैं। दंगा होने के बाद हिंदू परिवार पलायन कर गए। हमारे जो भगवान थे वहां आज मांस बिक रहा है, मैं पुरानी सरकारों से कहना चाहती हूं कि कांग्रेस, बसपा और सपा के लोग सनातनी नहीं थे क्या? मंदिरों पर कब्जे रोकने के प्रयास सभी को करने चाहिए थे। उन्होंने कहा- अब ये कोई नहीं पूछता कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से हिंदू कहां और क्यों चले गए। किसी भी मस्जिद में, चर्च में कूड़ा नहीं देखा होगा। मंदिरों में कूड़ा क्या है। मुख्यमंत्री ने इसको लेकर अच्छा काम किया है। कुछ हिंदू परिवार भी मुस्लिमों को मंदिर बेच रहे हैं। मैं आगाह कर दूं कि मंदिर बेच नहीं सकते हैं। मामले में सपा विधायक का पक्ष पढ़िए…
क्षेत्रीय सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने कहा- महापौर फोटो खींचवाने के लिए कुछ भी कर सकती हैं। इमोशन में न आकर पहले ये देखना चाहिए कि मालिकाना हक किसका है। अगर हिंदू का है तो उसे सौंपना चाहिए। मुस्लिम का है तो उसे सौंपा जाना चाहिए और वहीं तय करे। पूजा करने वाले हिंदू परिवार नहीं बचे
बेकनगंज और कर्नलगंज के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बातचीत करके सामने आया कि करीब 50 वर्ष पहले तक हिंदुओं की बड़ी आबादी बसती थी, लेकिन वक्त के साथ इन क्षेत्रों में मुस्लिमों की आबादी बढ़ती गई। हिंदुओं की आबादी कम होती चली गई। एक वक्त के बाद आलम ये हुआ कि इन मंदिरों में कोई पूजा करने वाला तक नहीं बचा। मौजूदा समय में मंदिर पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं और कब्जों में अब गुम होने लगे हैं। अब 21 दिसंबर को मेयर की कार्रवाई की 2 तस्वीर देखिए… बड़े मंदिरों में शुमार रामजानकी मंदिर कब्जाने के लिए रचा गया था बड़ा षड्यंत्र
मुस्लिम क्षेत्रों में बने सबसे बड़े मंदिर राम-जानकी मंदिर की जमीन को हथियाने के लिए बड़ा षड्यंत्र रचा गया था। करीब 2400 वर्ग गज में बने इस मंदिर प्रांगण को पूरी तरह से मुख्तार बाबा द्वारा कब्जा किया जा चुका है। नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक मंदिर कैंपस के बाहर हिंदुओं की 18 दुकानें हुआ करती थीं। नगर निगम पंचशाला के मुताबिक रामजानकी मंदिर ट्रस्ट का संचालन मैनेजर भगवानदीन हलवाई के हाथ में था। पंचशाला रजिस्टर में वर्ष 1927 से 1953 तक भगवानदीन द्वारा ही ट्रस्ट संचालन का जिक्र है। वर्ष 1927 में हिंदुओं के नाम दर्ज थे
मंदिर ट्रस्ट में 18 दुकानें थीं जो आगे की ओर थीं, जबकि अंदरुनी हिस्से में मंदिर था। इन सभी दुकानों पर हिंदू लोग ही काबिज थे। दुकानों में कपड़ा, रेडीमेड, ज्वैलरी, लांड्री, मंदिर की पूजा अर्चना और प्रसाद आदि की दुकानें हुआ करती थीं। नगर निगम के वर्ष 1927 के पंचशाला रजिस्टर में इन सभी दुकानदारों के नाम दर्ज हैं जो वर्ष 1938 तक दर्ज रहे। इनके नाम क्रमश: मन्ना, नाथू, रामभरोसे, गज्जू, नत्था, सतनारायन, बंशीधर, महादेव, बसेसर, मिश्रा, छेदा, विश्वनाथ, अजोध्या, केशव, सुखलेन, धर्मा और मखत थे। 3 जून 2022 को कानपुर में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी मुख्तार बाबा ने ही मंदिर की पूरी जमीन को कब्जा कर लिया था।
———————– ये भी पढ़ें:
कानपुर मेयर मुस्लिम इलाके में बंद मंदिरों को खुलवाने पहुंचीं, मंदिर के पीछे बनती थी बिरयानी; ताला खुलवाया तो अंदर कूड़ा मिला संभल के बाद कानपुर में मेयर ने मुस्लिम बहुल इलाके में बंद मंदिरों को खोलने की शुरुआत की। शनिवार को अचानक प्रमिला पांडेय 7 थानों की फोर्स के साथ बेकनगंज पहुंच गईं। वह एक-एक करके 5 मंदिरों पर गईं। इसमें से एक मंदिर के पीछे पहले बिरियानी बनती थी। मेयर ने मंदिर का ताला खुलवाया। उसमें कूड़ा भरा था। इस पर मेयर नाराज हो गईं। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर