मेरठ में आस्था की हत्या के 4 दिन बाद भी उसका सिर नहीं मिला है। महरौली के जंगल में मामा ने अपनी भांजी का सिर काटकर 10km दूर गंगनहर में फेंक दिया था। 20 पुलिस जवानों ने बीते 24 घंटे में नहर के दोनों तरफ 12Km तक सर्च ऑपरेशन चलाया, मगर सफलता नहीं मिली। चूंकि नहर में बहाव तेज हैं, इसलिए मेरठ पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस से संपर्क किया है और नहर में 22Km दूर मसूरी झाल (गाजियाबाद) पर प्राइवेट गोताखोर लगा दिए हैं। यह सब पुलिस एक्शन दरअसल 2 थ्योरी पर चल रहा है। पहली थ्योरी- मामा पुलिस को गुमराह करने के लिए गंगनहर में सिर फेंकने का स्टेटमेंट दे रहा है। दूसरी थ्योरी- सिर को नहर के आसपास दबा दिया गया है। अगर पुलिस आस्था का सिर नहीं खोज पाती है, तो पुलिस DNA टेस्ट का सहारा लेगी। इसके लिए पोस्टमॉर्टम के समय शव का DNA सैंपल यानी बाल और ब्लड ले लिया गया है। पुलिस कोर्ट के आदेश पर आस्था की मां राकेश देवी का सैंपल लेने के लिए आवेदन लगाएगी। अब सिलसिलेवार पुलिस का एक्शन जानिए… आस्था ऑनर किलिंग केस में धड़ तो पुलिस को बहादरपुर की छोटी नहर से मिल गया था, लेकिन सिर ढूंढना पुलिस के लिए बड़ा चैलेंज है। दरअसल, आस्था के मामा कमल ने सिर एक प्लास्टिक की सफेद बोरी में लपेटकर जानी गंगनहर में फेंका। पुलिस गंग नहर के 4 किमी के दायरे में झाड़ियों को देख चुकी है। गंगनहर में 12 फीट पानी रहता है। 10 हजार क्यूसेक फ्लो होता है। ऐसे में इतने छोटे सिर को गंगनहर में खोज पाना इतना आसान नहीं है। जिस तरह से गंगनहर में पानी का तेज बहाव रहता है, उसके हिसाब से सिर 15 से 20 Km दूर बहकर चले जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में पुलिस को आखिरी उम्मीद गाजियाबाद के मसूरी झाल पर है। अक्सर जानी से बहकर जाने वाले शव भी यहां झाल पर अटक जाते हैं। इसके चलते पुलिस ने मसूरी झाल पर एक प्राइवेट गोताखोर को निगरानी के लिए लगाया हुआ है। पिता ने CRPF के अफसरों को बताया, मेरी बेटी नहीं रही
परतापुर थाना प्रभारी दिलीप बिष्ट ने बताया, आस्था के पिता रमेश को अभी पुलिस ने नामजद नहीं किया है। अभी तक उनकी सीधे तौर पर कोई भूमिका सामने नहीं आई है। यह भी सामने आया है कि बेटी की हत्या की जानकारी उन्होंने छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के अफसरों को देकर छुट्टी के लिए आवेदन किया था। विवेचना में उनके बयान जरूर दर्ज किए जाएंगे। लापरवाही : 6 थानों की सीमा से लाश ले गए, कहीं चेकिंग नहीं
आस्था की बॉडी को लेकर मौसेरा भाई गौरव दौराला क्षेत्र से निकलकर पल्लवपुरम होते हुए कंकरखेड़ा, टीपीनगर और परतापुर थाने की सीमा में पहुंचा था। मगर कहीं भी पुलिस ने रात में जा रही कार को चेक नहीं किया। इसके बाद महरौली के जंगल में शव को दरांती से काटा गया। फिर कार में सिर लेकर जानी थाना क्षेत्र में गंगनहर पहुंचे। यहां सिर को फेंका। यहां भी कोई चेकिंग नहीं मिली। 6 थानों से होते ही लाश को ठिकाने लगाने के लिए गौरव चला गया, मगर कहीं भी चेकिंग नहीं हुई। गौरव फरार, ब्रजघाट पहुंची पुलिस
आस्था हत्याकांड में फरार उसकी मौसी के बेटे गौरव की गिरफ्तारी के लिए परतापुर पुलिस शनिवार को ब्रजघाट पहुंची। वहां परिवार की रिश्तेदारी में घर की तलाशी और पूछताछ की गई। इसके अलावा कई रिश्तेदारियों में भी दबिश दी, लेकिन वह हाथ नहीं लगा। SP सिटी आयुष विक्रम सिंह का कहना है कि दो टीमें लगी हैं, जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हत्या की कहानी 28 मई से शुरू हुई, जब भाई ने आस्था को अमन के साथ देखा अमन ने आस्था के भाई को डांटा- मां को यह सब न बताना
दरअसल, आस्था और उसके परिवार के बीच दूरी 28 मई को आ गई थी। CRPF में तैनात पिता रमेश छत्तीसगढ़ में रहते हैं। रिश्तेदारी के एक शादी समारोह में मां राकेश देवी गई हुई थी। घर पर आस्था और दोनों बेटे मौजूद थे। जब भी परिवार के लोग बाहर चले जाते, आस्था अपने बॉयफ्रेंड अमन को बुला लेती थी। उस दिन भी आस्था ने फोन करके अमन को बुला लिया। छोटे भाई ने आस्था को अमन के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा। अमन ने भी आस्था के छोटे भाई को डांटा था कि चाहे कुछ भी हो जाए। मां के लौटने पर वह इस बात का जिक्र नहीं करेगा। मगर भाई ने मां के घर वापस आते ही पूरी कहानी सुना दी थी। मां ने आस्था को फटकार लगाई। बात पिता रमेश तक भी पहुंची। उन्होंने फोन पर आस्था को बहुत डांटा था। कहा कि अब दोबारा अमन से बात नहीं करना। मगर फोन पर ही आस्था अड़ गई कि वह शादी अमन से ही करेगी। इसके बाद पिता रमेश नरम पड़े और कहा कि ठीक है, जब छुटि्टयों में वह घर आएंगे, तब अमन के परिवार से बात करवाकर शादी कराने की कोशिश करेंगे। यही वजह है कि बुधवार, 4 जून की सुबह 9.30 बजे आस्था अपनी मां से कहती है कि वह अमन से उसकी शादी जल्दी करवा दे। मां ने पुलिस पूछताछ में कहा था- आस्था के शादी की बात कहने पर मुझे गुस्सा आ गया, मगर खुद को संभाला। कुछ देर शांत रही। फिर मैंने आस्था को समझाया। कहा, ‘तुम्हारे पापा घर पर नहीं हैं, ये हो नहीं सकता।’ इसके बाद आस्था नाराज हो गई, बहस करने लगी। कुछ देर में वह बड़बड़ करते हुए मां को ही गाली देने लगी। अंदर कमरे में बैठा मेरा 14 साल का बेटा सब कुछ सुन रहा था। वो बाहर आता है, और मेरी तरफ से आस्था को डांटने लगता है। अब आस्था भड़क जाती है, अपने भाई की पिटाई कर देती है। तब मेरा गुस्सा भड़क उठता है। मैंने और बेटे ने मिलकर आस्था को पीटा, मगर वह बराबर चिल्लाती रहती है कि मैं अमन से ही शादी करूंगी, चाहे कुछ भी कर लो। गुस्से में आकर बेटे ने आस्था के हाथ पकड़े और मैंने गला…। हमने ये नहीं सोचा था कि उसकी सांस रुक जाएगी। हम तो बस डराना चाहते थे। 2 मिनट में उसका शरीर ठंडा पड़ गया, हम रोने लगे, एक-दूसरे से कहने लगे कि अब क्या करेंगे। बेटे ने कहा- अब जेल जाना होगा। हम घबरा गए। राकेश देवी कहती है, मैंने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में तैनात अपने पति रमेश को फोन किया। उन्हें बताया कि मुझसे बहुत बड़ा गुनाह हो गया है। मेरे हाथों से आस्था की हत्या हो गई है। रमेश चौंक जाते हैं, कहते हैं- अरे…ये क्या कर डाला। मैं उनको पूरी कहानी सुनाई। वो कहते हैं- मैं परिवार के लोगों से बात करता हूं कि क्या करना है। तब तक कहीं मत जाना, वहीं लाश के पास रहो। पति से बात होने के बाद मैंने अपने भाई कमल और समर को फोन किया। उन्हें भी पूरी कहानी सुनाई। अब पति रमेश, दोनों भाई ये सोचने लगे कि बेटी तो जा चुकी है, अब मुझे और बेटे को कैसे बचाएं। 4 घंटे बाद करीब 2 बजे कमल और समर ने मुझे फोन किया। कहा- रात 11 बजे तक इंतजार करो, अंधेरा होने का वेट करो। हम कुछ इंतजाम करते हैं। रात के 11 बजे तक मैं और बेटा आस्था की लाश के साथ वहीं रहे। प्लानिंग के तहत रात को 11 बजे कमल का बेटा मंजीत उर्फ मोनू और मेरी मौसी का बेटा गौरव हमारे घर पहुंचे। 10 मिनट तक आपस में बात की कि क्या करना है? कैसे करना है? फिर आस्था की लाश को चादर में बांधकर कार में रखकर वह लोग गए। गंगनहर का बहाव तेज , इसलिए सिर वहां फेंका इसके आगे की कहानी लड़की के मामला कमल ने पुलिस को सुनाई। कमल के मुताबिक, मंजीत और गौरव दादरी गांव से 13 किलोमीटर दूर महरौली के जंगल में बॉडी लेकर पहुंचे। यहां पर मैं और भाई समर अपने खेत पर पहले से मौजूद थे। खेत में लाश को रखकर मैंने और समर ने दरांती से गर्दन को काटकर अलग कर दिया। हमने धड़ को उसी चादर में बांधकर कार की डिग्गी में रख दिया। वहीं पास में बहने वाली छोटी नहर में ले जाकर फेंक दिया। मैंने सिर को एक प्लास्टिक के बोरे में रख लिया था। उसे गंगनहर में फेंका। क्योंकि वहां बहाव तेज होता है, मुझे मालूम था कि सिर पुलिस को इतनी आसानी से नहीं मिलेगा। आस्था 12वीं में पढ़ती थी। एक साल से उसका अमन से प्रेम प्रसंग चल रहा था। कॉलेज के बाहर अक्सर दोनों मिलते थे और साथ-साथ घर जाते थे। 20 रुपए के नोटों के बीच पर्ची से बिगाड़ी प्लानिंग आस्था की लाश को ठिकाने लगाने के लिए फुलप्रूफ प्लानिंग की गई थी। लेकिन आस्था ने जो सलवार पहनी हुई थी, उसमें जेब थी। जेब में 20-20 के तीन नोट थे। उन नोटों के बीच में एक कागज लिपटा हुआ था। इस कागज में आस्था ने अपने प्रेमी अमन के पिता और उसकी बहन का मोबाइल नंबर लिख रखा था। अगर ये नंबर पुलिस को नहीं मिलता तो आस्था की सिर कटी लाश एक पहेली बनकर रह जाती। क्योंकि सिर गंगनहर में फेंका गया है, तो उसका मिलना आसान नहीं है। गुरुवार को नहर में छात्रा आस्था का धड़ मिला था। सलवार की जेब से मिली पर्ची पर लिखे मोबाइल नंबर से उसकी शिनाख्त हुई थी। पुलिस के मुताबिक, केस में उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा
पुलिस ने राकेश देवी, उनके नाबालिग बेटे को हत्या का आरोपी बनाया है। जबकि मामा कमल, समर, ममेरे भाई मनजीत और गौरव को साक्ष्य मिटाने का आरोपी बनाया है। इनके खिलाफ BNS की धारा 103(1), 238, 66 (2) में केस दर्ज किया है। इसमें उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है। आस्था का भाई 14 साल का है। वह जुवेनाइल किशोर गृह में है, जबकि बाकी आरोपी 14 दिन की रिमांड पर जेल भेजे गए हैं। ………………………. यह भी पढ़ें : मां-भाई ने गला दबाया, मामा ने गला काटा:मेरठ में धड़ और सिर अलग-अलग नहर में फेंके; सलवार की जेब से मिला बॉयफ्रेंड का नंबर मेरठ में ऑनर किलिंग की खौफनाक वारदात हुई है। यहां प्रेमी से बात करने पर नाराज मां ने नाबालिग बेटे के साथ मिलकर बेटी की गला दबाकर हत्या कर दी। लाश को ठिकाने लगाने के लिए मायके से लड़की के मामा, उसके बेटे और मौसी के बेटे को बुला लिया।मामा और ममेरे-मौसेरे भाई शव को चादर में लपेट कर कार से महरौली के जंगल ले गए। जहां पर मामा ने दरांती (हंसिया) से लड़की की गर्दन काटकर अलग कर दी। सिर और धड़ अलग-अलग प्लास्टिक की बोरी में भरा। पढ़िए पूरी खबर… मेरठ में आस्था की हत्या के 4 दिन बाद भी उसका सिर नहीं मिला है। महरौली के जंगल में मामा ने अपनी भांजी का सिर काटकर 10km दूर गंगनहर में फेंक दिया था। 20 पुलिस जवानों ने बीते 24 घंटे में नहर के दोनों तरफ 12Km तक सर्च ऑपरेशन चलाया, मगर सफलता नहीं मिली। चूंकि नहर में बहाव तेज हैं, इसलिए मेरठ पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस से संपर्क किया है और नहर में 22Km दूर मसूरी झाल (गाजियाबाद) पर प्राइवेट गोताखोर लगा दिए हैं। यह सब पुलिस एक्शन दरअसल 2 थ्योरी पर चल रहा है। पहली थ्योरी- मामा पुलिस को गुमराह करने के लिए गंगनहर में सिर फेंकने का स्टेटमेंट दे रहा है। दूसरी थ्योरी- सिर को नहर के आसपास दबा दिया गया है। अगर पुलिस आस्था का सिर नहीं खोज पाती है, तो पुलिस DNA टेस्ट का सहारा लेगी। इसके लिए पोस्टमॉर्टम के समय शव का DNA सैंपल यानी बाल और ब्लड ले लिया गया है। पुलिस कोर्ट के आदेश पर आस्था की मां राकेश देवी का सैंपल लेने के लिए आवेदन लगाएगी। अब सिलसिलेवार पुलिस का एक्शन जानिए… आस्था ऑनर किलिंग केस में धड़ तो पुलिस को बहादरपुर की छोटी नहर से मिल गया था, लेकिन सिर ढूंढना पुलिस के लिए बड़ा चैलेंज है। दरअसल, आस्था के मामा कमल ने सिर एक प्लास्टिक की सफेद बोरी में लपेटकर जानी गंगनहर में फेंका। पुलिस गंग नहर के 4 किमी के दायरे में झाड़ियों को देख चुकी है। गंगनहर में 12 फीट पानी रहता है। 10 हजार क्यूसेक फ्लो होता है। ऐसे में इतने छोटे सिर को गंगनहर में खोज पाना इतना आसान नहीं है। जिस तरह से गंगनहर में पानी का तेज बहाव रहता है, उसके हिसाब से सिर 15 से 20 Km दूर बहकर चले जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में पुलिस को आखिरी उम्मीद गाजियाबाद के मसूरी झाल पर है। अक्सर जानी से बहकर जाने वाले शव भी यहां झाल पर अटक जाते हैं। इसके चलते पुलिस ने मसूरी झाल पर एक प्राइवेट गोताखोर को निगरानी के लिए लगाया हुआ है। पिता ने CRPF के अफसरों को बताया, मेरी बेटी नहीं रही
परतापुर थाना प्रभारी दिलीप बिष्ट ने बताया, आस्था के पिता रमेश को अभी पुलिस ने नामजद नहीं किया है। अभी तक उनकी सीधे तौर पर कोई भूमिका सामने नहीं आई है। यह भी सामने आया है कि बेटी की हत्या की जानकारी उन्होंने छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के अफसरों को देकर छुट्टी के लिए आवेदन किया था। विवेचना में उनके बयान जरूर दर्ज किए जाएंगे। लापरवाही : 6 थानों की सीमा से लाश ले गए, कहीं चेकिंग नहीं
आस्था की बॉडी को लेकर मौसेरा भाई गौरव दौराला क्षेत्र से निकलकर पल्लवपुरम होते हुए कंकरखेड़ा, टीपीनगर और परतापुर थाने की सीमा में पहुंचा था। मगर कहीं भी पुलिस ने रात में जा रही कार को चेक नहीं किया। इसके बाद महरौली के जंगल में शव को दरांती से काटा गया। फिर कार में सिर लेकर जानी थाना क्षेत्र में गंगनहर पहुंचे। यहां सिर को फेंका। यहां भी कोई चेकिंग नहीं मिली। 6 थानों से होते ही लाश को ठिकाने लगाने के लिए गौरव चला गया, मगर कहीं भी चेकिंग नहीं हुई। गौरव फरार, ब्रजघाट पहुंची पुलिस
आस्था हत्याकांड में फरार उसकी मौसी के बेटे गौरव की गिरफ्तारी के लिए परतापुर पुलिस शनिवार को ब्रजघाट पहुंची। वहां परिवार की रिश्तेदारी में घर की तलाशी और पूछताछ की गई। इसके अलावा कई रिश्तेदारियों में भी दबिश दी, लेकिन वह हाथ नहीं लगा। SP सिटी आयुष विक्रम सिंह का कहना है कि दो टीमें लगी हैं, जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हत्या की कहानी 28 मई से शुरू हुई, जब भाई ने आस्था को अमन के साथ देखा अमन ने आस्था के भाई को डांटा- मां को यह सब न बताना
दरअसल, आस्था और उसके परिवार के बीच दूरी 28 मई को आ गई थी। CRPF में तैनात पिता रमेश छत्तीसगढ़ में रहते हैं। रिश्तेदारी के एक शादी समारोह में मां राकेश देवी गई हुई थी। घर पर आस्था और दोनों बेटे मौजूद थे। जब भी परिवार के लोग बाहर चले जाते, आस्था अपने बॉयफ्रेंड अमन को बुला लेती थी। उस दिन भी आस्था ने फोन करके अमन को बुला लिया। छोटे भाई ने आस्था को अमन के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा। अमन ने भी आस्था के छोटे भाई को डांटा था कि चाहे कुछ भी हो जाए। मां के लौटने पर वह इस बात का जिक्र नहीं करेगा। मगर भाई ने मां के घर वापस आते ही पूरी कहानी सुना दी थी। मां ने आस्था को फटकार लगाई। बात पिता रमेश तक भी पहुंची। उन्होंने फोन पर आस्था को बहुत डांटा था। कहा कि अब दोबारा अमन से बात नहीं करना। मगर फोन पर ही आस्था अड़ गई कि वह शादी अमन से ही करेगी। इसके बाद पिता रमेश नरम पड़े और कहा कि ठीक है, जब छुटि्टयों में वह घर आएंगे, तब अमन के परिवार से बात करवाकर शादी कराने की कोशिश करेंगे। यही वजह है कि बुधवार, 4 जून की सुबह 9.30 बजे आस्था अपनी मां से कहती है कि वह अमन से उसकी शादी जल्दी करवा दे। मां ने पुलिस पूछताछ में कहा था- आस्था के शादी की बात कहने पर मुझे गुस्सा आ गया, मगर खुद को संभाला। कुछ देर शांत रही। फिर मैंने आस्था को समझाया। कहा, ‘तुम्हारे पापा घर पर नहीं हैं, ये हो नहीं सकता।’ इसके बाद आस्था नाराज हो गई, बहस करने लगी। कुछ देर में वह बड़बड़ करते हुए मां को ही गाली देने लगी। अंदर कमरे में बैठा मेरा 14 साल का बेटा सब कुछ सुन रहा था। वो बाहर आता है, और मेरी तरफ से आस्था को डांटने लगता है। अब आस्था भड़क जाती है, अपने भाई की पिटाई कर देती है। तब मेरा गुस्सा भड़क उठता है। मैंने और बेटे ने मिलकर आस्था को पीटा, मगर वह बराबर चिल्लाती रहती है कि मैं अमन से ही शादी करूंगी, चाहे कुछ भी कर लो। गुस्से में आकर बेटे ने आस्था के हाथ पकड़े और मैंने गला…। हमने ये नहीं सोचा था कि उसकी सांस रुक जाएगी। हम तो बस डराना चाहते थे। 2 मिनट में उसका शरीर ठंडा पड़ गया, हम रोने लगे, एक-दूसरे से कहने लगे कि अब क्या करेंगे। बेटे ने कहा- अब जेल जाना होगा। हम घबरा गए। राकेश देवी कहती है, मैंने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में तैनात अपने पति रमेश को फोन किया। उन्हें बताया कि मुझसे बहुत बड़ा गुनाह हो गया है। मेरे हाथों से आस्था की हत्या हो गई है। रमेश चौंक जाते हैं, कहते हैं- अरे…ये क्या कर डाला। मैं उनको पूरी कहानी सुनाई। वो कहते हैं- मैं परिवार के लोगों से बात करता हूं कि क्या करना है। तब तक कहीं मत जाना, वहीं लाश के पास रहो। पति से बात होने के बाद मैंने अपने भाई कमल और समर को फोन किया। उन्हें भी पूरी कहानी सुनाई। अब पति रमेश, दोनों भाई ये सोचने लगे कि बेटी तो जा चुकी है, अब मुझे और बेटे को कैसे बचाएं। 4 घंटे बाद करीब 2 बजे कमल और समर ने मुझे फोन किया। कहा- रात 11 बजे तक इंतजार करो, अंधेरा होने का वेट करो। हम कुछ इंतजाम करते हैं। रात के 11 बजे तक मैं और बेटा आस्था की लाश के साथ वहीं रहे। प्लानिंग के तहत रात को 11 बजे कमल का बेटा मंजीत उर्फ मोनू और मेरी मौसी का बेटा गौरव हमारे घर पहुंचे। 10 मिनट तक आपस में बात की कि क्या करना है? कैसे करना है? फिर आस्था की लाश को चादर में बांधकर कार में रखकर वह लोग गए। गंगनहर का बहाव तेज , इसलिए सिर वहां फेंका इसके आगे की कहानी लड़की के मामला कमल ने पुलिस को सुनाई। कमल के मुताबिक, मंजीत और गौरव दादरी गांव से 13 किलोमीटर दूर महरौली के जंगल में बॉडी लेकर पहुंचे। यहां पर मैं और भाई समर अपने खेत पर पहले से मौजूद थे। खेत में लाश को रखकर मैंने और समर ने दरांती से गर्दन को काटकर अलग कर दिया। हमने धड़ को उसी चादर में बांधकर कार की डिग्गी में रख दिया। वहीं पास में बहने वाली छोटी नहर में ले जाकर फेंक दिया। मैंने सिर को एक प्लास्टिक के बोरे में रख लिया था। उसे गंगनहर में फेंका। क्योंकि वहां बहाव तेज होता है, मुझे मालूम था कि सिर पुलिस को इतनी आसानी से नहीं मिलेगा। आस्था 12वीं में पढ़ती थी। एक साल से उसका अमन से प्रेम प्रसंग चल रहा था। कॉलेज के बाहर अक्सर दोनों मिलते थे और साथ-साथ घर जाते थे। 20 रुपए के नोटों के बीच पर्ची से बिगाड़ी प्लानिंग आस्था की लाश को ठिकाने लगाने के लिए फुलप्रूफ प्लानिंग की गई थी। लेकिन आस्था ने जो सलवार पहनी हुई थी, उसमें जेब थी। जेब में 20-20 के तीन नोट थे। उन नोटों के बीच में एक कागज लिपटा हुआ था। इस कागज में आस्था ने अपने प्रेमी अमन के पिता और उसकी बहन का मोबाइल नंबर लिख रखा था। अगर ये नंबर पुलिस को नहीं मिलता तो आस्था की सिर कटी लाश एक पहेली बनकर रह जाती। क्योंकि सिर गंगनहर में फेंका गया है, तो उसका मिलना आसान नहीं है। गुरुवार को नहर में छात्रा आस्था का धड़ मिला था। सलवार की जेब से मिली पर्ची पर लिखे मोबाइल नंबर से उसकी शिनाख्त हुई थी। पुलिस के मुताबिक, केस में उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा
पुलिस ने राकेश देवी, उनके नाबालिग बेटे को हत्या का आरोपी बनाया है। जबकि मामा कमल, समर, ममेरे भाई मनजीत और गौरव को साक्ष्य मिटाने का आरोपी बनाया है। इनके खिलाफ BNS की धारा 103(1), 238, 66 (2) में केस दर्ज किया है। इसमें उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है। आस्था का भाई 14 साल का है। वह जुवेनाइल किशोर गृह में है, जबकि बाकी आरोपी 14 दिन की रिमांड पर जेल भेजे गए हैं। ………………………. यह भी पढ़ें : मां-भाई ने गला दबाया, मामा ने गला काटा:मेरठ में धड़ और सिर अलग-अलग नहर में फेंके; सलवार की जेब से मिला बॉयफ्रेंड का नंबर मेरठ में ऑनर किलिंग की खौफनाक वारदात हुई है। यहां प्रेमी से बात करने पर नाराज मां ने नाबालिग बेटे के साथ मिलकर बेटी की गला दबाकर हत्या कर दी। लाश को ठिकाने लगाने के लिए मायके से लड़की के मामा, उसके बेटे और मौसी के बेटे को बुला लिया।मामा और ममेरे-मौसेरे भाई शव को चादर में लपेट कर कार से महरौली के जंगल ले गए। जहां पर मामा ने दरांती (हंसिया) से लड़की की गर्दन काटकर अलग कर दी। सिर और धड़ अलग-अलग प्लास्टिक की बोरी में भरा। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
मेरठ ऑनर किलिंग- लड़की का सिर 22Km तक ढूंढा:नहर की झाड़ियों में भी सर्च ऑपरेशन, नहीं मिला तो क्या आरोपी मां छूट जाएगी?
