मेरठ के लोहिया नगर थाना क्षेत्र के जाकिर कालोनी में मकान के मलबे में 15 लोग दब गए। NDRF की टीम घायलों के लिए देवदूत बनकर आई। NDRF, SDRF,RRF, फायर फाइटर्स और पुलिस टीम ने मिलकर 15 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। ऑपरेशन में 5 लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाला गया। इसमें 2 मासूम बच्चे भी शामिल हैं।
NDRF के जवानों के अनुसार ये ऑपरेशन टफ और चैलेंजिंग दोनों था। बारिश, सघन आबादी और संकरी गलियो के बड़े चैलेंज को पार कर NDRF ने इस ऑपरेशन को पूरा किया। ऑपरेशन को मेडिकल साइड से लीड ऑफिसर डॉ. अमित मुरारी सीएमओ एसजी ने दैनिक भास्कर को हर चैलेंज बताया..पूरे ऑपरेशन को स्टेपवाइज ढ़िए.. इस इलाके की गलियां बहुत संकरी थी। तीन मंजिला मकान का मलबा बहुत ज्यादा था। जिसके कारण हम अपने हैवी अर्थवोअर्स अंदर नहीं ले जा पाए। जो काम 10 घंटे में हो सकता था वो काम करने में हमें 15 घंटे से ज्यादा वक्त लग गया। बारिश से थोड़ा असर हुआ लेकिन बड़ा चैलेंज नहीं थी। इलाका काफी कंजेस्टेड था और मौके पर काफी भीड़ भी थी जिसके कारण काम में थोड़ा परेशानी हो रही थी।
पैनकेक फॉरमेशन यानि सर्वाइवल के सबसे कम चांस ये पैनकेक फॉरमेशन था। यानि बिल्डिंग जहां थी वहां अपनी ही जगह बैठ गई। जिस तरह प्लेट में केक रखा हो और उसे ऊपर से किसी ने दबा दिया, ठीक उसी तरह ये फॉरमेशन था। इस तरह की सिचुएशन हमने नेपाल में फेस की थी। इसमें सर्वाइवल का चांस बहुत कम होता है। ज्यादातर बिल्डिंग कॉलेप्स होती है वहां ज्यादातर पैनकेक फॉरमेशन होते हैं। जब मलबे से हमने एक बहुत छोटा बच्चा जिंदा निकाला वो हमारे लिए बहुत अच्छा पल था। लाइफ कहां इसकी सटीक जानकारी बनी मददगार घर के ओनर ने हमें बहुत सटीक जानकारी दी थी। उसने हमें बहुत एक्यूरेट बताया कि यहां पर कौन और कितने लोग हो सकते हैं। उसी हिसाब से हमारी टीम ने काम किया। उनकी सही जानकारी ने हमारा काम काफी आसान किया हमें ऑपरेशन चलाने के लिए एक लाइन मिल गई। वहीं हम लोगों को लोग दबे हुए मिले। हमने उसी वेंसिंटी में काम किया नहीं तो हम अंधेरे में तीर मारते रहते। जैक लगाकर उठाई बिल्डिंग वहीं निकली मासूम पूरे ऑपरेशन के दौरान हमारे दिमाग में बस यही चल रहा था कि थोड़ी भी होप हो तो उसे हम बचा सकें। इससे पहले हमने मार्च में मुजफ्फरनगर में ऐसा ही ऑपरेशन चलाया था। यहां भी बार-बार हमें वही याद आ रहा था। जब हमने जैक पर पूरी बिल्डिंग को उठाकर ऑपरेशन चलाया। लगातार बारिश होने और मकान की नींव में जो मवेशियों का मल,मूत्र रिस रिसकर जा रहा था उससे दीवारें कमजोर हो रही थी, इनके कारण कॉलेप्स हुआ। यहां भी लास्ट में हमने बिल्डिंग पर जैक लगाया और मलबा हटाया। लास्ट बच्चे को निकालने के लिए हमने मीडियम रेंज का जैक लगाया। उसी जगह से वो बच्चा निकला जहां से हमने जैक को उठाया।
क्रिशइंजरी से बचाने पर था पूरा फोकस इस बच्चे को क्रिश इंजरी हो गई थी। हैवी लोड हटाएंगे तो मसल्स के टॉक्सिन के कारण डेथ के चांसेस बढ़ जाते हैं। मुझे उस बच्चे का केवल हाथ दिखा था मुझे बस यही लगा कि इसे किसी तरह क्रिशसिंड्रोम से बचा लूं ताकि ये बच्चा बच जाए। हॉस्पिटल और ग्राउंड पर काम करने में बहुत अंतर हैं। हम हर इंक्विपमेंट फील्ड पर नहीं ला सकते, हालांकि एनडीआरएफ के पास काफी इंक्विवपमेंट हैं। उस बच्चे की एयर मेंटेन करने के लिए हमने तुरंत उसे ऑक्सीजन पर लिया
मलबे में इन कारणों से होती है मौत ब्रीद ही नहीं कर पाते तो डेथ हो जाती है। मेजर आर्टरी या मेजर वेन में कट लगना, काफी ज्यादा ब्लीडिंग होना इनके कारण सर्वाइवल चांस कम रहते हैं। हम ब्लड तो नहीं दे सकते लेकिन दूसरे ऑप्शन रखते हैं ताकि लाइफ सेफ की जा सके। इसी तरह सेम केस हमारा मुजफ्फरनगर में हुआ था। जहां हमने दोनों तरफ से 20 एमएम की सरिया काटी थी। 51 जवानों की टीम ने किया ऑपरेशन टीम को एनडीआरएफ 8वीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी, डिप्टी कमांडेट नीरज, डॉ. अमित मुरारी सीएमओ एसजी ने लीड किया। ऑपरेशन में 3सीनियर ऑफिसर, 5 सबओर्डिनेट अफसर, 37 ओआरएस, 4 महिला सुरक्षाकर्मी, 2 डॉग्स कुल 51 लोगों की टीम लगी थी। पूरी टीम गाजियाबाद से आई थी। अखिलेश यादव ने की पीड़ितों से फोन पर बात समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जाकिर कालोनी में मारे गए लोगों के परिजनों से बात की। उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। सपा युवजन सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष जानू चौधरी ने सोमवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से पीड़ित परिवार की व्हाट्स कॉल पर बात कराई। मृतक साजिद के भाई आबिद और बहनोई सलीम से उनकी बात हुई। इन दोनों ने बताया कि अखिलेश यादव ने उनसे कहा कि दुख की इस घड़ी में समाजवादी पार्टी आपके साथ है। मैं भी आपके साथ हूं। पार्टी की तरफ से जो भी संभव होगा, वह आर्थिक मदद कराई जाएगी। मैं भी पीड़ित परिवार से मिलने मेरठ आऊंगा। जानू चौधरी ने बताया कि वह लखनऊ में हैं, उन्होंने अपने फोन से बात कराई है। रेस्क्यू ऑपरेशन के ये फोटो भी देखिए… मेरठ के लोहिया नगर थाना क्षेत्र के जाकिर कालोनी में मकान के मलबे में 15 लोग दब गए। NDRF की टीम घायलों के लिए देवदूत बनकर आई। NDRF, SDRF,RRF, फायर फाइटर्स और पुलिस टीम ने मिलकर 15 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। ऑपरेशन में 5 लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाला गया। इसमें 2 मासूम बच्चे भी शामिल हैं।
NDRF के जवानों के अनुसार ये ऑपरेशन टफ और चैलेंजिंग दोनों था। बारिश, सघन आबादी और संकरी गलियो के बड़े चैलेंज को पार कर NDRF ने इस ऑपरेशन को पूरा किया। ऑपरेशन को मेडिकल साइड से लीड ऑफिसर डॉ. अमित मुरारी सीएमओ एसजी ने दैनिक भास्कर को हर चैलेंज बताया..पूरे ऑपरेशन को स्टेपवाइज ढ़िए.. इस इलाके की गलियां बहुत संकरी थी। तीन मंजिला मकान का मलबा बहुत ज्यादा था। जिसके कारण हम अपने हैवी अर्थवोअर्स अंदर नहीं ले जा पाए। जो काम 10 घंटे में हो सकता था वो काम करने में हमें 15 घंटे से ज्यादा वक्त लग गया। बारिश से थोड़ा असर हुआ लेकिन बड़ा चैलेंज नहीं थी। इलाका काफी कंजेस्टेड था और मौके पर काफी भीड़ भी थी जिसके कारण काम में थोड़ा परेशानी हो रही थी।
पैनकेक फॉरमेशन यानि सर्वाइवल के सबसे कम चांस ये पैनकेक फॉरमेशन था। यानि बिल्डिंग जहां थी वहां अपनी ही जगह बैठ गई। जिस तरह प्लेट में केक रखा हो और उसे ऊपर से किसी ने दबा दिया, ठीक उसी तरह ये फॉरमेशन था। इस तरह की सिचुएशन हमने नेपाल में फेस की थी। इसमें सर्वाइवल का चांस बहुत कम होता है। ज्यादातर बिल्डिंग कॉलेप्स होती है वहां ज्यादातर पैनकेक फॉरमेशन होते हैं। जब मलबे से हमने एक बहुत छोटा बच्चा जिंदा निकाला वो हमारे लिए बहुत अच्छा पल था। लाइफ कहां इसकी सटीक जानकारी बनी मददगार घर के ओनर ने हमें बहुत सटीक जानकारी दी थी। उसने हमें बहुत एक्यूरेट बताया कि यहां पर कौन और कितने लोग हो सकते हैं। उसी हिसाब से हमारी टीम ने काम किया। उनकी सही जानकारी ने हमारा काम काफी आसान किया हमें ऑपरेशन चलाने के लिए एक लाइन मिल गई। वहीं हम लोगों को लोग दबे हुए मिले। हमने उसी वेंसिंटी में काम किया नहीं तो हम अंधेरे में तीर मारते रहते। जैक लगाकर उठाई बिल्डिंग वहीं निकली मासूम पूरे ऑपरेशन के दौरान हमारे दिमाग में बस यही चल रहा था कि थोड़ी भी होप हो तो उसे हम बचा सकें। इससे पहले हमने मार्च में मुजफ्फरनगर में ऐसा ही ऑपरेशन चलाया था। यहां भी बार-बार हमें वही याद आ रहा था। जब हमने जैक पर पूरी बिल्डिंग को उठाकर ऑपरेशन चलाया। लगातार बारिश होने और मकान की नींव में जो मवेशियों का मल,मूत्र रिस रिसकर जा रहा था उससे दीवारें कमजोर हो रही थी, इनके कारण कॉलेप्स हुआ। यहां भी लास्ट में हमने बिल्डिंग पर जैक लगाया और मलबा हटाया। लास्ट बच्चे को निकालने के लिए हमने मीडियम रेंज का जैक लगाया। उसी जगह से वो बच्चा निकला जहां से हमने जैक को उठाया।
क्रिशइंजरी से बचाने पर था पूरा फोकस इस बच्चे को क्रिश इंजरी हो गई थी। हैवी लोड हटाएंगे तो मसल्स के टॉक्सिन के कारण डेथ के चांसेस बढ़ जाते हैं। मुझे उस बच्चे का केवल हाथ दिखा था मुझे बस यही लगा कि इसे किसी तरह क्रिशसिंड्रोम से बचा लूं ताकि ये बच्चा बच जाए। हॉस्पिटल और ग्राउंड पर काम करने में बहुत अंतर हैं। हम हर इंक्विपमेंट फील्ड पर नहीं ला सकते, हालांकि एनडीआरएफ के पास काफी इंक्विवपमेंट हैं। उस बच्चे की एयर मेंटेन करने के लिए हमने तुरंत उसे ऑक्सीजन पर लिया
मलबे में इन कारणों से होती है मौत ब्रीद ही नहीं कर पाते तो डेथ हो जाती है। मेजर आर्टरी या मेजर वेन में कट लगना, काफी ज्यादा ब्लीडिंग होना इनके कारण सर्वाइवल चांस कम रहते हैं। हम ब्लड तो नहीं दे सकते लेकिन दूसरे ऑप्शन रखते हैं ताकि लाइफ सेफ की जा सके। इसी तरह सेम केस हमारा मुजफ्फरनगर में हुआ था। जहां हमने दोनों तरफ से 20 एमएम की सरिया काटी थी। 51 जवानों की टीम ने किया ऑपरेशन टीम को एनडीआरएफ 8वीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी, डिप्टी कमांडेट नीरज, डॉ. अमित मुरारी सीएमओ एसजी ने लीड किया। ऑपरेशन में 3सीनियर ऑफिसर, 5 सबओर्डिनेट अफसर, 37 ओआरएस, 4 महिला सुरक्षाकर्मी, 2 डॉग्स कुल 51 लोगों की टीम लगी थी। पूरी टीम गाजियाबाद से आई थी। अखिलेश यादव ने की पीड़ितों से फोन पर बात समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जाकिर कालोनी में मारे गए लोगों के परिजनों से बात की। उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। सपा युवजन सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष जानू चौधरी ने सोमवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से पीड़ित परिवार की व्हाट्स कॉल पर बात कराई। मृतक साजिद के भाई आबिद और बहनोई सलीम से उनकी बात हुई। इन दोनों ने बताया कि अखिलेश यादव ने उनसे कहा कि दुख की इस घड़ी में समाजवादी पार्टी आपके साथ है। मैं भी आपके साथ हूं। पार्टी की तरफ से जो भी संभव होगा, वह आर्थिक मदद कराई जाएगी। मैं भी पीड़ित परिवार से मिलने मेरठ आऊंगा। जानू चौधरी ने बताया कि वह लखनऊ में हैं, उन्होंने अपने फोन से बात कराई है। रेस्क्यू ऑपरेशन के ये फोटो भी देखिए… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर