‘मैं आदि और अंत में भारतीय हूं’:अंबेडकर जयंती पर 1.25 घंटे बोले योगी, कहा- महाकुंभ से बाबा का सपना पूरा हुआ

‘मैं आदि और अंत में भारतीय हूं’:अंबेडकर जयंती पर 1.25 घंटे बोले योगी, कहा- महाकुंभ से बाबा का सपना पूरा हुआ

‘हमारी मांगें पूरी हों, चाहे जो मजबूरी हो…। ये नारे लुभावने लगते हैं पर इसके दुष्परिणाम भी हमने भुगते हैं। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम कानपुर में है। आज से 40 साल पहले कानपुर देश के 4 महानगरों में गिनती होती थी। कानपुर का टेक्सटाइल उद्योग की धाक दुनिया में थी। हजारों लोग नौकरी और रोजगार से जुड़े थे। नियमित रूप से उद्योग में जाते थे। निश्चित समय तक काम करते थे। सम्मान जनक मानदेय पाते थे। घर परिवार का पालन पोषण करते थे। जैसे ही वहां नारे लगने शुरू हुए कानपुर की एक एक यूनिट बंद होती गई। कानपुर का टेक्सटाइल चौपट हो गया। जो निवेश किए थे वे पूंजी लेकर दूसरे राज्यों में चले गए। जो कामगार था वह बेचारा सब्जी बेचने के लिए मजबूर हो गया। जब भी कोई उद्यम हतोत्साहित होता है तो यही नजारा देखने को मिलता है जो 40 साल पहले कानपुर में देखने को मिला। जो आज कोलकाता में देखने को मिल रहा है।’ ये बातें सीएम योगी ने बाबासाहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में कही। सीएम योगी ने इस मौके पर 1 घंटे 25 मिनट लंबा भाषण दिया। आगे कहा- हर व्यक्ति के पास अगले 25 साल का रोड मैप होना चाहिए। अभी हम केवल चल रहे हैं, लक्ष्य पता नहीं होगा तो कैसे चलेंगे। मंजिल का पता होना जरूरी है। 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने के लिए प्रण लेना होगा। याद रखना बाबा साहब के सपनों को साकार करने के लिए विरासत के साथ विकास भी जुड़ा है।​​​​​​ मैं आदि और अंत में भारतीय हूं सीएम ने मंच से संबोधित करते हुए कहा- बाबा साहब को अगर जानना है तो उनका एक वाक्य ही उन्हें समझने और उनकी महानता को उजागर करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा था- ‘मैं आदि और अंत में भारतीय हूं’। यानि आदि से अंत तक उनकी पहचान एक भारतीय के रूप में होनी चाहिए। जिनका बचपन अभाव में बीता हो। सामाजिक भेदभाव से जो गुजरा हो। विदेशी दास्ता के चंगुल में फंसे हुए देश के अंदर बेड़ियों से जकड़ी व्यवस्था का शिकार बना हो। सामाजिक बंधनों और सामाजिक दस्ता से पीड़ित व्यवस्था की जंजीरों की जकड़न को तोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा हो। अपमान सहना पड़ा हो। वे न केवल देश के अंदर विरले लोगों में रहे बल्कि उच्चतम डिग्री भी हासिल की। उसी व्यक्ति का नाम है बाबा साहब भीमराव अंबेडकर…। महाकुंभ में दुनिया ने देखा बाबा साहब का सपना सीएम ने महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा- हमने संगम में बाबा साहब के सपने को पूरा किया है। जो भेदभाव लिखते थे, वो भी महाकुंभ देख भौचक्के रह गए। कही कोई भेदभाव नहीं था, गंदगी की कोई जगह नहीं थी। हम लोगों की कमी है कि विदेशी लेखक ने जो लिख दिया हम उसे सही मान लेते हैं। ज्योति बा फुले ने जो बोला उसे हमने नहीं माना। सावित्री बाई फुले ने जो कहा उसे भी हमने नहीं माना, पर मैकाले ने जो कहा- उसे मान लिया। उसी का नतीजा रहा कि देश गर्त में चला गया। दुनिया में पहले भारत की महिलाओं को मिला मताधिकार बाबा साहब जहां गए वहीं पहचान बनाई। अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी। परिवार के पास पैसे नहीं थे तो महाराजा बड़ौदा से स्कॉलरशिप ली। आजाद भारत के संकल्प के साथ बेड़ियों से समाज को निकाला।दुनिया में वंचितों को मताधिकार बहुत लेट दिया गया, लेकिन भारत में 1952 के आम चुनाव से सभी को अधिकार दे दिया गया। इंग्लैंड में बहुत बाद में ये अधिकार महिलाओं को मिला पर भारत में आजादी के बाद ही दे दिया गया। ये सब बाबा साहब की बदौलत हुआ। वे संविधान के शिल्पकार थे। संविधान हमें अधिकार देता है तो अधिकार के साथ कर्तव्यों का निर्वहन भी जरूरी है। ऋषि परंपरा को कोसने से विदेशी आक्रांताओं को मिला मौका उपनिषद कहते हैं- उन्होंने बीएससी की डिग्री ली। लॉ की डिग्री ली। देश के पहले अर्थशास्त्री बने। क्योंकि उन्हें मालूम था सर्वांगीण विकास की पहली सीढ़ी शिक्षा है। जब स्वयं के विवेक से काम करते हैं तो हमें सफलता मिलती है। स्पीड कम और ज्यादा हो सकती है। दूसरों की बुद्धि और विवेक से काम लेना जरूरी नहीं। यही भारत के साथ हुआ। हमने अपनी परंपरा को कोसना शुरू कर दिया। अपने ज्ञान पर संदेह शुरू कर दिया। इससे विदेशी आक्रांताओं को मौका मिला। 2025 का कुंभ देख दुनिया हुई अचंभित सीएम ने कहा- मार्च 2017 में हमारी सरकार बनी थी। पहले कुंभ के आयोजन के लिए महज डेढ़ साल का समय था। मैं प्रधानमंत्री के पास गया। उन्होंने पूछा- कुंभ को लेकर दुनिया की क्या विचारधारा है। कई सवाल पूछे। मैंने चेक कराया तो कुंभ में गंदगी और भगदड़ का ही जिक्र मिला। ऐसा लगा ये आयोजन सबसे गड़बड़ था। लोगों की मानसिकता कुंभ में गंदगी को लेकर थी। इसलिए हमने सबसे पहले गंदगी खत्म की। 2019 के अनुभव को आगे बढ़ाया। बिना भेदभाव देखे लोगों को दिया लाभ
10 साल पहले देश के नौजवानों को पहचान का संकट था। अब भारत मॉडर्न इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ उभरती हुई ताकत है। फ्री में टेस्ट। फ्री में वैक्सीन। 45 करोड़ लोगों के जन धन अकाउंट खुले। 12 करोड़ गरीबों के घर में शौचालय बने। 4 करोड़ गरीबों के घर उज्जवला सिलेंडर पहुंचा। 3 करोड़ परिवार को मालिकाना हक मिला। पहले इसके लिए गरीब तरसता था। किसान आत्महत्या करता था। युवा पलायन करता था। देश में यूपी के 77 आइटम्स को GI टैग मिला 2019 में जब ODOP नहीं चलाते थे तब लॉक डाउन में कामगारों को काम कैसे देते। उन्हें कोविड से भी बचाने का काम किया। एक-एक महीने तक क्वारैंटाइन कर 15 दिन का राशन देकर घर भेजा। प्रत्येक जनपद के MSME यूनिट में इनको रखा। लगभग 40 लाख लोगों को इसके जरिए रोजगार मिला। मैं चाहूंगा कि कुलपति यूनिवर्सिटी में ODOP से जुड़े सभी प्रोडक्ट की शो केसिंग हो जाए तो ये बेहतर रहेगा। हमने सीएम युवा की स्कीम शुरू की है। युवा के पास एक विजन हैं, वो कुछ करना चाहता है पर उन सरकार ने तय किया कि हर साल 1 लाख युवाओं को स्वरोजगार 5 लाख तक बिना ब्याज के लोन मिलेगा। 24 जनवरी को इसे लॉन्च किया। 31 मार्च तक 30 हजार तक लोगों को लोन मिल चुका है। आज यूपी इन्वेस्टमेंट का एक ड्रीम डेस्टिनेशन बन चुका है। ये माहौल आसानी से नही बनता है। पॉलिसी बनानी पड़ती है। कानून व्यवस्था को मेंटेन रहना पड़ता है। दुनिया की कोई बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था अपने उद्यमियों को निराश नहीं करते हैं। कुलपति प्रो.आरके मित्तल ने कहा- पंजाब की कहावत हैं ‘संत सिपाही’ आप विश्वविद्यालय के 29वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम अटल बिहारी बाजपेई ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया था। मंच पर सीएम का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो.आरके मित्तल ने कहा- पंजाब की कहावत हैं ‘संत सिपाही’ आप उसको चरितार्थ कर रहे हैं। आप संत भी हैं, और सिपाही भी। आपकी बदौलत प्रदेश ने खूब तरक्की की है। कार्यक्रम में 10 एल्युमनाई और सफल उद्यमियों को सम्मानित भी किया गया। ‘हमारी मांगें पूरी हों, चाहे जो मजबूरी हो…। ये नारे लुभावने लगते हैं पर इसके दुष्परिणाम भी हमने भुगते हैं। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम कानपुर में है। आज से 40 साल पहले कानपुर देश के 4 महानगरों में गिनती होती थी। कानपुर का टेक्सटाइल उद्योग की धाक दुनिया में थी। हजारों लोग नौकरी और रोजगार से जुड़े थे। नियमित रूप से उद्योग में जाते थे। निश्चित समय तक काम करते थे। सम्मान जनक मानदेय पाते थे। घर परिवार का पालन पोषण करते थे। जैसे ही वहां नारे लगने शुरू हुए कानपुर की एक एक यूनिट बंद होती गई। कानपुर का टेक्सटाइल चौपट हो गया। जो निवेश किए थे वे पूंजी लेकर दूसरे राज्यों में चले गए। जो कामगार था वह बेचारा सब्जी बेचने के लिए मजबूर हो गया। जब भी कोई उद्यम हतोत्साहित होता है तो यही नजारा देखने को मिलता है जो 40 साल पहले कानपुर में देखने को मिला। जो आज कोलकाता में देखने को मिल रहा है।’ ये बातें सीएम योगी ने बाबासाहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में कही। सीएम योगी ने इस मौके पर 1 घंटे 25 मिनट लंबा भाषण दिया। आगे कहा- हर व्यक्ति के पास अगले 25 साल का रोड मैप होना चाहिए। अभी हम केवल चल रहे हैं, लक्ष्य पता नहीं होगा तो कैसे चलेंगे। मंजिल का पता होना जरूरी है। 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने के लिए प्रण लेना होगा। याद रखना बाबा साहब के सपनों को साकार करने के लिए विरासत के साथ विकास भी जुड़ा है।​​​​​​ मैं आदि और अंत में भारतीय हूं सीएम ने मंच से संबोधित करते हुए कहा- बाबा साहब को अगर जानना है तो उनका एक वाक्य ही उन्हें समझने और उनकी महानता को उजागर करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा था- ‘मैं आदि और अंत में भारतीय हूं’। यानि आदि से अंत तक उनकी पहचान एक भारतीय के रूप में होनी चाहिए। जिनका बचपन अभाव में बीता हो। सामाजिक भेदभाव से जो गुजरा हो। विदेशी दास्ता के चंगुल में फंसे हुए देश के अंदर बेड़ियों से जकड़ी व्यवस्था का शिकार बना हो। सामाजिक बंधनों और सामाजिक दस्ता से पीड़ित व्यवस्था की जंजीरों की जकड़न को तोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा हो। अपमान सहना पड़ा हो। वे न केवल देश के अंदर विरले लोगों में रहे बल्कि उच्चतम डिग्री भी हासिल की। उसी व्यक्ति का नाम है बाबा साहब भीमराव अंबेडकर…। महाकुंभ में दुनिया ने देखा बाबा साहब का सपना सीएम ने महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा- हमने संगम में बाबा साहब के सपने को पूरा किया है। जो भेदभाव लिखते थे, वो भी महाकुंभ देख भौचक्के रह गए। कही कोई भेदभाव नहीं था, गंदगी की कोई जगह नहीं थी। हम लोगों की कमी है कि विदेशी लेखक ने जो लिख दिया हम उसे सही मान लेते हैं। ज्योति बा फुले ने जो बोला उसे हमने नहीं माना। सावित्री बाई फुले ने जो कहा उसे भी हमने नहीं माना, पर मैकाले ने जो कहा- उसे मान लिया। उसी का नतीजा रहा कि देश गर्त में चला गया। दुनिया में पहले भारत की महिलाओं को मिला मताधिकार बाबा साहब जहां गए वहीं पहचान बनाई। अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी। परिवार के पास पैसे नहीं थे तो महाराजा बड़ौदा से स्कॉलरशिप ली। आजाद भारत के संकल्प के साथ बेड़ियों से समाज को निकाला।दुनिया में वंचितों को मताधिकार बहुत लेट दिया गया, लेकिन भारत में 1952 के आम चुनाव से सभी को अधिकार दे दिया गया। इंग्लैंड में बहुत बाद में ये अधिकार महिलाओं को मिला पर भारत में आजादी के बाद ही दे दिया गया। ये सब बाबा साहब की बदौलत हुआ। वे संविधान के शिल्पकार थे। संविधान हमें अधिकार देता है तो अधिकार के साथ कर्तव्यों का निर्वहन भी जरूरी है। ऋषि परंपरा को कोसने से विदेशी आक्रांताओं को मिला मौका उपनिषद कहते हैं- उन्होंने बीएससी की डिग्री ली। लॉ की डिग्री ली। देश के पहले अर्थशास्त्री बने। क्योंकि उन्हें मालूम था सर्वांगीण विकास की पहली सीढ़ी शिक्षा है। जब स्वयं के विवेक से काम करते हैं तो हमें सफलता मिलती है। स्पीड कम और ज्यादा हो सकती है। दूसरों की बुद्धि और विवेक से काम लेना जरूरी नहीं। यही भारत के साथ हुआ। हमने अपनी परंपरा को कोसना शुरू कर दिया। अपने ज्ञान पर संदेह शुरू कर दिया। इससे विदेशी आक्रांताओं को मौका मिला। 2025 का कुंभ देख दुनिया हुई अचंभित सीएम ने कहा- मार्च 2017 में हमारी सरकार बनी थी। पहले कुंभ के आयोजन के लिए महज डेढ़ साल का समय था। मैं प्रधानमंत्री के पास गया। उन्होंने पूछा- कुंभ को लेकर दुनिया की क्या विचारधारा है। कई सवाल पूछे। मैंने चेक कराया तो कुंभ में गंदगी और भगदड़ का ही जिक्र मिला। ऐसा लगा ये आयोजन सबसे गड़बड़ था। लोगों की मानसिकता कुंभ में गंदगी को लेकर थी। इसलिए हमने सबसे पहले गंदगी खत्म की। 2019 के अनुभव को आगे बढ़ाया। बिना भेदभाव देखे लोगों को दिया लाभ
10 साल पहले देश के नौजवानों को पहचान का संकट था। अब भारत मॉडर्न इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ उभरती हुई ताकत है। फ्री में टेस्ट। फ्री में वैक्सीन। 45 करोड़ लोगों के जन धन अकाउंट खुले। 12 करोड़ गरीबों के घर में शौचालय बने। 4 करोड़ गरीबों के घर उज्जवला सिलेंडर पहुंचा। 3 करोड़ परिवार को मालिकाना हक मिला। पहले इसके लिए गरीब तरसता था। किसान आत्महत्या करता था। युवा पलायन करता था। देश में यूपी के 77 आइटम्स को GI टैग मिला 2019 में जब ODOP नहीं चलाते थे तब लॉक डाउन में कामगारों को काम कैसे देते। उन्हें कोविड से भी बचाने का काम किया। एक-एक महीने तक क्वारैंटाइन कर 15 दिन का राशन देकर घर भेजा। प्रत्येक जनपद के MSME यूनिट में इनको रखा। लगभग 40 लाख लोगों को इसके जरिए रोजगार मिला। मैं चाहूंगा कि कुलपति यूनिवर्सिटी में ODOP से जुड़े सभी प्रोडक्ट की शो केसिंग हो जाए तो ये बेहतर रहेगा। हमने सीएम युवा की स्कीम शुरू की है। युवा के पास एक विजन हैं, वो कुछ करना चाहता है पर उन सरकार ने तय किया कि हर साल 1 लाख युवाओं को स्वरोजगार 5 लाख तक बिना ब्याज के लोन मिलेगा। 24 जनवरी को इसे लॉन्च किया। 31 मार्च तक 30 हजार तक लोगों को लोन मिल चुका है। आज यूपी इन्वेस्टमेंट का एक ड्रीम डेस्टिनेशन बन चुका है। ये माहौल आसानी से नही बनता है। पॉलिसी बनानी पड़ती है। कानून व्यवस्था को मेंटेन रहना पड़ता है। दुनिया की कोई बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था अपने उद्यमियों को निराश नहीं करते हैं। कुलपति प्रो.आरके मित्तल ने कहा- पंजाब की कहावत हैं ‘संत सिपाही’ आप विश्वविद्यालय के 29वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम अटल बिहारी बाजपेई ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया था। मंच पर सीएम का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो.आरके मित्तल ने कहा- पंजाब की कहावत हैं ‘संत सिपाही’ आप उसको चरितार्थ कर रहे हैं। आप संत भी हैं, और सिपाही भी। आपकी बदौलत प्रदेश ने खूब तरक्की की है। कार्यक्रम में 10 एल्युमनाई और सफल उद्यमियों को सम्मानित भी किया गया।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर