18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में आज (7 अप्रैल) मोहाली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा फैसला सुनाया जाएगा। इस मामले में चार पुलिस अधिकारियों को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इनमें मोगा के तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा और पूर्व एसपी हेड क्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू को पीसी एक्ट की धारा 1 और 2 के तहत सजा सुनाई जाएगी। पूर्व एसएचओ मोगा रमन कुमार और पुलिस स्टेशन मोगा के पूर्व इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह को जबरन वसूली के लिए आईपीसी की धारा 384 के तहत सजा सुनाई जाएगी। जबकि अमरजीत सिंह को धारा 511 के तहत भी दोषी ठहराया गया है। मामले में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था। अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिर्फ उर्फ मक्खन बराड़ और सुखराज सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। अकाली सरकार के समय सामने आया मामला यह मामला 2007 में उस समय सामने आया था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंग रेप का मामला दर्ज किया था। इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने केस में खेल किया। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए। हालांकि इस दौरान एक नेता ने पुलिस के पैसे मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। इससे यह मामला सुर्खियों में आ गया। जिस का दिल किया, उसे बना देते थे आरोपी यह मामला 2007 में उस समय सामने आय था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंग रेप का मामला दर्ज किया था। इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने केस में खेल किया। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए। हालांकि इस दौरान एक नेता ने पुलिस के पैसे मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। इससे यह मामला सुर्खियों में आ गया। व्यापारियों और रईस लोगों को बनाते थे आरोपी इस मामले में पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से दो महिलाएं भोले-भाले व्यापारियों और कारोबारियों को फंसाती थीं। उनसे मोटी रकम वसूलती थीं। बाद में जांच में उन्हें क्लीनचिट दे जाती थी। मामले की जांच आगे बढ़ी तो कुछ पुलिस अफसरों को सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया। हालांकि अकाली नेता बरजिंदर सिंह मक्खन बराड़, अकाली दल के जिला अध्यक्ष अमरजीत सिंह गिल को बरी कर दिया था। सरकारी गवाह बनी महिला की हुई थी हत्या इस मामले में मनप्रीत कौर नाम की महिला को सरकारी गवाह बनाया गया। हालांकि बाद में अदालत ने उसे विरोधी घोषित किया। इस वजह से उसके खिलाफ मोहाली अदालत में अलग से कार्रवाई शुरू हुई। इसके अलावा रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह सरकारी गवाह बने। हालांकि इस मामले में सरकारी गवाह बनी मनजीत कौर जीरा के पास नाम बदलकर रह रही थी। उस समय वह गर्भवती थी। साल 2018 में उसकी और उसके पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में आज (7 अप्रैल) मोहाली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा फैसला सुनाया जाएगा। इस मामले में चार पुलिस अधिकारियों को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इनमें मोगा के तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा और पूर्व एसपी हेड क्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू को पीसी एक्ट की धारा 1 और 2 के तहत सजा सुनाई जाएगी। पूर्व एसएचओ मोगा रमन कुमार और पुलिस स्टेशन मोगा के पूर्व इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह को जबरन वसूली के लिए आईपीसी की धारा 384 के तहत सजा सुनाई जाएगी। जबकि अमरजीत सिंह को धारा 511 के तहत भी दोषी ठहराया गया है। मामले में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था। अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिर्फ उर्फ मक्खन बराड़ और सुखराज सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। अकाली सरकार के समय सामने आया मामला यह मामला 2007 में उस समय सामने आया था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंग रेप का मामला दर्ज किया था। इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने केस में खेल किया। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए। हालांकि इस दौरान एक नेता ने पुलिस के पैसे मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। इससे यह मामला सुर्खियों में आ गया। जिस का दिल किया, उसे बना देते थे आरोपी यह मामला 2007 में उस समय सामने आय था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंग रेप का मामला दर्ज किया था। इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने केस में खेल किया। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए। हालांकि इस दौरान एक नेता ने पुलिस के पैसे मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। इससे यह मामला सुर्खियों में आ गया। व्यापारियों और रईस लोगों को बनाते थे आरोपी इस मामले में पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से दो महिलाएं भोले-भाले व्यापारियों और कारोबारियों को फंसाती थीं। उनसे मोटी रकम वसूलती थीं। बाद में जांच में उन्हें क्लीनचिट दे जाती थी। मामले की जांच आगे बढ़ी तो कुछ पुलिस अफसरों को सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया। हालांकि अकाली नेता बरजिंदर सिंह मक्खन बराड़, अकाली दल के जिला अध्यक्ष अमरजीत सिंह गिल को बरी कर दिया था। सरकारी गवाह बनी महिला की हुई थी हत्या इस मामले में मनप्रीत कौर नाम की महिला को सरकारी गवाह बनाया गया। हालांकि बाद में अदालत ने उसे विरोधी घोषित किया। इस वजह से उसके खिलाफ मोहाली अदालत में अलग से कार्रवाई शुरू हुई। इसके अलावा रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह सरकारी गवाह बने। हालांकि इस मामले में सरकारी गवाह बनी मनजीत कौर जीरा के पास नाम बदलकर रह रही थी। उस समय वह गर्भवती थी। साल 2018 में उसकी और उसके पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
