मोहाली के कर्नल मनप्रीत सिंह को कीर्ति चक्र:अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान हुए थे शहीद, 2003 में हुए थे भर्ती

मोहाली के कर्नल मनप्रीत सिंह को कीर्ति चक्र:अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान हुए थे शहीद, 2003 में हुए थे भर्ती

पिछले साल सितंबर में अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह को इस स्वतंत्रता दिवस पर मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। वे मोहाली जिले के भद्रोजियां गांव के रहने वाले थे। शहीद कर्नल के पिता स्वर्गीय लखबीर सिंह भी सेना में सिपाही थे। शहीद के ससुराल वाले पंचकूला के सेक्टर 26 में रहते हैं। मनप्रीत सिंह को उनकी मृत्यु से महज 3 साल पहले ही लेफ्टिनेंट कर्नल से कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया था। वे अपने पीछे 7 साल के बेटे कबीर सिंह और 2.5 साल की बेटी बानी को छोड़ गए हैं। उनके साथ मेजर मल्ला राम गोपाल, राइफलमैन रवि कुमार और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हिमायु भट्ट को भी कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है। मरने से 2 साल पहले मिला था सेना पुरस्कार
शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह मरने से 2 साल पहले सेना पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। वह 19 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। 2021 में अंधाधुंध गोलीबारी करने वाले आतंकवादियों से इसी बटालियन ने सामना किया था। तब मनप्रीत सिंह ने आतंकवादियों को मार गिराया था। इसी बटालियन ने 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी को मारा था। 2003 में लेफ्टिनेंट के पद पर हुए थे भर्ती
शहीद मनप्रीत सिंह 2003 में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती हुए थे। 2020 में वह कर्नल बने थे। उनके पिता अपनी रिटायरमेंट के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में सुरक्षाकर्मी के तौर पर काम करने लग गए थे। उनकी मृत्यु जॉब के दौरान हुई थी। इसलिए शहीद मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह को नॉन टीचिंग स्टाफ में भर्ती किया गया था। वह अभी पंजाब यूनिवर्सिटी में ही काम करते हैं। पिछले साल सितंबर में अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह को इस स्वतंत्रता दिवस पर मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। वे मोहाली जिले के भद्रोजियां गांव के रहने वाले थे। शहीद कर्नल के पिता स्वर्गीय लखबीर सिंह भी सेना में सिपाही थे। शहीद के ससुराल वाले पंचकूला के सेक्टर 26 में रहते हैं। मनप्रीत सिंह को उनकी मृत्यु से महज 3 साल पहले ही लेफ्टिनेंट कर्नल से कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया था। वे अपने पीछे 7 साल के बेटे कबीर सिंह और 2.5 साल की बेटी बानी को छोड़ गए हैं। उनके साथ मेजर मल्ला राम गोपाल, राइफलमैन रवि कुमार और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हिमायु भट्ट को भी कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है। मरने से 2 साल पहले मिला था सेना पुरस्कार
शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह मरने से 2 साल पहले सेना पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। वह 19 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। 2021 में अंधाधुंध गोलीबारी करने वाले आतंकवादियों से इसी बटालियन ने सामना किया था। तब मनप्रीत सिंह ने आतंकवादियों को मार गिराया था। इसी बटालियन ने 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी को मारा था। 2003 में लेफ्टिनेंट के पद पर हुए थे भर्ती
शहीद मनप्रीत सिंह 2003 में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती हुए थे। 2020 में वह कर्नल बने थे। उनके पिता अपनी रिटायरमेंट के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में सुरक्षाकर्मी के तौर पर काम करने लग गए थे। उनकी मृत्यु जॉब के दौरान हुई थी। इसलिए शहीद मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह को नॉन टीचिंग स्टाफ में भर्ती किया गया था। वह अभी पंजाब यूनिवर्सिटी में ही काम करते हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर