<p style=”text-align: justify;”><strong>Moga Sex Scandal News:</strong> पंजाब के मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार (7 अप्रैल 2025) को मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में अंतिम फैसला सुना दिया. विशेष सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 4 पुलिस अधिकारियों दोषी माना है. इनमें से तीन को 5-5 साल और एक को 8 साल की सजा सुनाई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मोहाली की विशेष सीबीआई कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में जिन्हें सजा सुनाई है उनमें तत्कालीन एसएसपी मोगा दविंदर सिंह गरचा, तत्कालीन एसपी (हेडक्वार्टर) मोगा परमदीप सिंह संधू और तत्कालीन एसएचओ थाना सिटी मोगा रमन कुमार और पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह के नाम शामिल हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>चार दोषियों में से एक मोगा थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर रमन कुमार को एक्सटॉर्शन के लिए दोष सिद्ध साबित होने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा मिली है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अदालत ने वसूली के आरोपों को माना सही </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>विशेष सीबीआई अदालत ने आरोपियों को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली से संबंधित आरोपों में दोषी पाया था. अदालत के फैसले के मुताबिक दोषी पुलिस वाले अमीर लोगों को झूठे रेप मामलों में फंसाते थे. इस मामले में अदालत ने पूर्व अकाली मंत्री तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह और अन्य सुखराज सिंह को बरी कर दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है मोगा सेक्स स्कैंडल का इतिहास?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मोगा सेक्स स्कैंडल 2007 में सामने आया था. इस स्कैंडल में खुलासा हुआ था कि पंजाब पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी प्रभावशाली व्यक्तियों को जबरन वसूली के मकसद से रेप के झूठे मामलों में फंसाते हैं. इसके लिए महिलाओं का इस्तेमाल करते थे. इस मामले का खुलासा होने के बाद मोहाली के लोगों में काफी आक्रोश फैल गया. लोगों ने मामले की गहन जांच की मांग की थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने असंतोष को देखते हुए दिसंबर 2007 में जांच को सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई की जांच ने निष्कर्ष निकाला कि आरोपी अधिकारियों ने झूठे मामले दर्ज कर और रिश्वत लेने के लिए निर्दोष व्यक्तियों को फंसाकर अपने पदों का दुरुपयोग किया. 30 मार्च, 2025 को विशेष सीबीआई अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) और 13(2) के तहत 4 अधिकारियों को दोषी ठहराया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/TK7T7Gq0sFQ?si=MgTq2is3YGJ6GCEK” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Moga Sex Scandal News:</strong> पंजाब के मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार (7 अप्रैल 2025) को मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में अंतिम फैसला सुना दिया. विशेष सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 4 पुलिस अधिकारियों दोषी माना है. इनमें से तीन को 5-5 साल और एक को 8 साल की सजा सुनाई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मोहाली की विशेष सीबीआई कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में जिन्हें सजा सुनाई है उनमें तत्कालीन एसएसपी मोगा दविंदर सिंह गरचा, तत्कालीन एसपी (हेडक्वार्टर) मोगा परमदीप सिंह संधू और तत्कालीन एसएचओ थाना सिटी मोगा रमन कुमार और पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह के नाम शामिल हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>चार दोषियों में से एक मोगा थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर रमन कुमार को एक्सटॉर्शन के लिए दोष सिद्ध साबित होने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा मिली है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अदालत ने वसूली के आरोपों को माना सही </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>विशेष सीबीआई अदालत ने आरोपियों को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली से संबंधित आरोपों में दोषी पाया था. अदालत के फैसले के मुताबिक दोषी पुलिस वाले अमीर लोगों को झूठे रेप मामलों में फंसाते थे. इस मामले में अदालत ने पूर्व अकाली मंत्री तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह और अन्य सुखराज सिंह को बरी कर दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है मोगा सेक्स स्कैंडल का इतिहास?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मोगा सेक्स स्कैंडल 2007 में सामने आया था. इस स्कैंडल में खुलासा हुआ था कि पंजाब पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी प्रभावशाली व्यक्तियों को जबरन वसूली के मकसद से रेप के झूठे मामलों में फंसाते हैं. इसके लिए महिलाओं का इस्तेमाल करते थे. इस मामले का खुलासा होने के बाद मोहाली के लोगों में काफी आक्रोश फैल गया. लोगों ने मामले की गहन जांच की मांग की थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने असंतोष को देखते हुए दिसंबर 2007 में जांच को सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई की जांच ने निष्कर्ष निकाला कि आरोपी अधिकारियों ने झूठे मामले दर्ज कर और रिश्वत लेने के लिए निर्दोष व्यक्तियों को फंसाकर अपने पदों का दुरुपयोग किया. 30 मार्च, 2025 को विशेष सीबीआई अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) और 13(2) के तहत 4 अधिकारियों को दोषी ठहराया था. </p>
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