मो. अब्दुल्ला ने काशी की 5 मस्जिदों का डेटा जुटाया:प.बंगाल से एंट्री फिर देवबंद-दिल्ली भेजे रोहिंग्या; मदरसों को तालीम और फंडिंग का लालच

मो. अब्दुल्ला ने काशी की 5 मस्जिदों का डेटा जुटाया:प.बंगाल से एंट्री फिर देवबंद-दिल्ली भेजे रोहिंग्या; मदरसों को तालीम और फंडिंग का लालच

बांग्लादेश से इंडिया आने के लिए पश्चिम बंगाल का बॉर्डर सबसे सेफ है। म्यांमार से चलकर लोग बांग्लादेश में दाखिल हो रहे हैं। वहां से पश्चिम बंगाल लाए जाते हैं, यही से यूपी के अलग-अलग शहर में पहुंच रहे हैं। भारत में रोहिंग्याओं की घुसपैठ के सवाल पर यह खुलासा मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अब्दुस सलाम मंडल ने किया। ATS ने बंद कमरे में 8 घंटे से ज्यादा पूछताछ की। रोहिंग्या मुस्लिमों को यूपी और दिल्ली तक पहुंचाने और फिर बसाने के नेटवर्क की कुछ परते खुलकर सामने आईं। यह वही अब्दुला है, जो वाराणसी में ज्ञानवापी की रेकी करने पहुंचा था। उसने 4 मस्जिद और मदरसों का डेटा भी जुटाया था। ATS अब्दुल्ला के पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है। पढ़िए कौन है मो. अब्दुल्ला और क्यों वाराणसी आया… रोहिंग्या रिफ्यूजी बनकर 7 साल पहले शरण पाई
ATS के सोर्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर में रोहिंग्या रिफ्यूजी बनकर 7 साल पहले मोहम्मद अब्दुल्ला ने शरण पाई और बॉर्डर इलाके में परिवार लेकर रहने लगा। शरणार्थी होने के बाद उसने मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अब्दुस सलाम मंडल के नाम से आधार कार्ड बनवा लिया। इसके बाद पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज तैयार करवाकर खुद को भारत का नागरिक बना लिया। सहारनपुर आने के बाद अयोध्या, मथुरा, काशी का मूवमेंट किया
मो. अब्दुल्ला रोहिंग्या घुसपैठिए मुसलमानों के संपर्क में था और बहुत जल्द अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह से जुड़ गया। पश्चिम बंगाल से निकलकर अब्दुल्ला ने अपना ठिकाना देवबंद (सहारनपुर) में बना लिया और यूपी की धार्मिक शहरों में मूवमेंट शुरू किया। इसमें अयोध्या, मथुरा और वाराणसी शामिल हैं। यूपी बॉर्डर से सटे राज्यों में भी उसके मूवमेंट की जानकारी ATS को मिली है। वह बॉर्डर एरिया में बनी मस्जिदों और मदरसों का डेटा जुटा रहा था। मोबाइल, 3 मेमोरी कार्ड, दस्तावेज मिले
मो. अब्दुल्ला 2 दिन पहले गुरुवार को वाराणसी आया तो उसकी गतिविधियों की भनक ATS को लगी, वाराणसी की ATS टीम ने म्यांमार के घुसपैठिए को कैंट स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। बंद कमरे 8 घंटे पूछताछ की। सामने आया कि वाराणसी में ज्ञानवापी विवादित परिसर में वह पहुंचा था। 4 और मस्जिदों के इनपुट भी मिले, मगर खुफिया जांच एजेंसी ने इसका खुलासा नहीं किया है। अब्दुल्ला के मोबाइल फोन और तीन मेमोरी कार्ड में कई अहम जानकारियां, नेटवर्क और उससे जुड़े लोगों के नाम नंबर एटीएस के हाथ लगे हैं। अब्दुस सलाम मंडल के नाम का भारतीय आधार कार्ड भी बनवा रखा था, इसके अलावा निर्वाचन कार्ड और पैन कार्ड भी था। ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने पहुंचा, दूसरी मस्जिद का पता पूछकर लौट आया
ATS सोर्स के मुताबिक, वाराणसी में अब्दुल्ला ने गुरुवार रात गोदौलिया, मदनपुरा, सोनारपुरा और रेवड़ी तालाब तक चक्कर लगाया। वह एक मस्जिद के पास ठहरा था और फिर शुक्रवार को बाजार और मदरसों की ओर पहुंच गया। कुछ CCTV भी एजेंसी काे मिले हैं। उसने यहां लोगों से नई सड़क की मस्जिद का इतिहास जानने के बाद बेगम की मस्जिद दालमंडी भी पहुंचा। इसके बाद ज्ञानवापी पहुंचा। परिसर में नमाज पढ़ना चाहता था, लेकिन पुलिस का पहरा देखकर उसकी हिम्मत नहीं पड़ी और दूसरी मस्जिद का पता पूछकर चला गया। हालांकि रात में हावड़ा जाने वाली ट्रेन से उसने जाने की तैयारी की थी लेकिन उससे पहले दबोच लिया गया। मदरसे में बच्चों से मिला, तालीम को फंडिंग दिलाने का लालच
पश्चिम बंगाल के रास्ते देश में रोहिंग्या की एंट्री कराने वाले अब्दुल्ला के निशाने पर सबसे ज्यादा मदरसे और मस्जिदें थीं। उसके पास एक सूची भी मिली, जिसमें मस्जिदों से जुड़ी जानकारियां थीं। उसने सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि वह मदरसों के संचालकों से मिला। बच्चों को तालीम के नाम पर अपना सिलेबस पढ़वाने के लिए कहा। ATS को इनपुट मिले कि बनारस में अबदुल्ला एक मदरसे में गया और बच्चों को पढ़ाने के नाम पर काफी देर तक रुका। उसने मदरसा संचालकों से भी बनारस में चलने वाले मदरसों की जानकारी ली। उन्हें तालीम के लिए किताबें और फंड दिलाने का वादा भी किया। बच्चों को दीन और इस्लाम की जानकारी दी और फिर अगली बार आने का वादा कर दिया। हालांकि उसने एनजीओ के माध्यम से दिल्ली और सहारनपुर के कई मदरसों में फंडिंग भी करवाई है। बांग्लादेश से रोहिंग्या फर्जी दस्तावेज से एंट्री
अब्दुल्ला ने ATS को बताया कि रोहिंग्या घुसपैठिए मुसलमानों को देश में लाने के लिए बांग्लादेश में कई गिरोह सक्रिय हैं, जो इंडिया बॉर्डर क्रास कराने और यहां जॉब दिलाने तक का ठेका लेते हैं। बांग्लादेश की सीमा में घुसपैठ करके इन रोहिंग्या मुसलमानों को फर्जी पहचान देकर देश के असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और केरल तक बसाया जाता है। अब्दुल्ला ने कहा- मेदनीपुर के रास्ते हर महीने आते हैं लोग
अब्दुल्ला से पूछताछ में सामने आया कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह के लिए पश्चिम बंगाल का मेदनीपुर सबसे मुफीद इलाका है। जहां हर महीने नदी के रास्ते बांग्लादेशी लोग इस पार आ जाते हैं। घुसपैठ के जरिए भारत में आने के बाद घुसपैठियों का हुलिया बदल दिया जाता है। जिससे कि कोई उन पर शक न कर सके। उन्हें किसी अज्ञात जगह पर कुछ दिनों के लिए रखा जाता है। घुसपैठियों की फोटो लेकर उनके फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें दिए जाते हैं। बॉर्डर पार आते ही हिंदी सिखाते हैं
जांच एजेंसियों को पता चला है कि रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में घुसपैठ कराने से पहले भारतीय एक्सेंट में हिंदी समझाई जाती है। ताकि जब रोहिंग्या घुसपैठिए भारत पहुंचे तो उसके बोलने के लहजे से पहचान न हो सके। इसके अलावा, घुसपैठिए द्वारा जो लोकल भाषा सीखी जाती है, वह तय करती है कि उसे अवैध रूप से भारत के किस राज्य में बसाया जा सकता है। वैसे अब तक भारत में किसी आतंकी हमले में किसी रोहिंग्या रिफ्यूजी का हाथ होने को लेकर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। अब 2 स्लाइड में रोहिंग्या मुस्लिम की बांग्लादेश और इंडिया में स्थिति समझिए… ———————- यह भी पढ़ें :
ASI का दावा- संभल जामा मस्जिद में अवैध निर्माण हुआ, असली स्वरूप बदला गया, पुरातत्व विभाग को सर्वे से रोका जाता था संभल की शाही जामा मस्जिद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया। ASI के वकील विष्णु शर्मा कहा- यहां प्राचीन इमारत और पुरातत्व अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया। पढ़िए पूरी खबर… बांग्लादेश से इंडिया आने के लिए पश्चिम बंगाल का बॉर्डर सबसे सेफ है। म्यांमार से चलकर लोग बांग्लादेश में दाखिल हो रहे हैं। वहां से पश्चिम बंगाल लाए जाते हैं, यही से यूपी के अलग-अलग शहर में पहुंच रहे हैं। भारत में रोहिंग्याओं की घुसपैठ के सवाल पर यह खुलासा मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अब्दुस सलाम मंडल ने किया। ATS ने बंद कमरे में 8 घंटे से ज्यादा पूछताछ की। रोहिंग्या मुस्लिमों को यूपी और दिल्ली तक पहुंचाने और फिर बसाने के नेटवर्क की कुछ परते खुलकर सामने आईं। यह वही अब्दुला है, जो वाराणसी में ज्ञानवापी की रेकी करने पहुंचा था। उसने 4 मस्जिद और मदरसों का डेटा भी जुटाया था। ATS अब्दुल्ला के पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है। पढ़िए कौन है मो. अब्दुल्ला और क्यों वाराणसी आया… रोहिंग्या रिफ्यूजी बनकर 7 साल पहले शरण पाई
ATS के सोर्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर में रोहिंग्या रिफ्यूजी बनकर 7 साल पहले मोहम्मद अब्दुल्ला ने शरण पाई और बॉर्डर इलाके में परिवार लेकर रहने लगा। शरणार्थी होने के बाद उसने मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अब्दुस सलाम मंडल के नाम से आधार कार्ड बनवा लिया। इसके बाद पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज तैयार करवाकर खुद को भारत का नागरिक बना लिया। सहारनपुर आने के बाद अयोध्या, मथुरा, काशी का मूवमेंट किया
मो. अब्दुल्ला रोहिंग्या घुसपैठिए मुसलमानों के संपर्क में था और बहुत जल्द अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह से जुड़ गया। पश्चिम बंगाल से निकलकर अब्दुल्ला ने अपना ठिकाना देवबंद (सहारनपुर) में बना लिया और यूपी की धार्मिक शहरों में मूवमेंट शुरू किया। इसमें अयोध्या, मथुरा और वाराणसी शामिल हैं। यूपी बॉर्डर से सटे राज्यों में भी उसके मूवमेंट की जानकारी ATS को मिली है। वह बॉर्डर एरिया में बनी मस्जिदों और मदरसों का डेटा जुटा रहा था। मोबाइल, 3 मेमोरी कार्ड, दस्तावेज मिले
मो. अब्दुल्ला 2 दिन पहले गुरुवार को वाराणसी आया तो उसकी गतिविधियों की भनक ATS को लगी, वाराणसी की ATS टीम ने म्यांमार के घुसपैठिए को कैंट स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। बंद कमरे 8 घंटे पूछताछ की। सामने आया कि वाराणसी में ज्ञानवापी विवादित परिसर में वह पहुंचा था। 4 और मस्जिदों के इनपुट भी मिले, मगर खुफिया जांच एजेंसी ने इसका खुलासा नहीं किया है। अब्दुल्ला के मोबाइल फोन और तीन मेमोरी कार्ड में कई अहम जानकारियां, नेटवर्क और उससे जुड़े लोगों के नाम नंबर एटीएस के हाथ लगे हैं। अब्दुस सलाम मंडल के नाम का भारतीय आधार कार्ड भी बनवा रखा था, इसके अलावा निर्वाचन कार्ड और पैन कार्ड भी था। ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने पहुंचा, दूसरी मस्जिद का पता पूछकर लौट आया
ATS सोर्स के मुताबिक, वाराणसी में अब्दुल्ला ने गुरुवार रात गोदौलिया, मदनपुरा, सोनारपुरा और रेवड़ी तालाब तक चक्कर लगाया। वह एक मस्जिद के पास ठहरा था और फिर शुक्रवार को बाजार और मदरसों की ओर पहुंच गया। कुछ CCTV भी एजेंसी काे मिले हैं। उसने यहां लोगों से नई सड़क की मस्जिद का इतिहास जानने के बाद बेगम की मस्जिद दालमंडी भी पहुंचा। इसके बाद ज्ञानवापी पहुंचा। परिसर में नमाज पढ़ना चाहता था, लेकिन पुलिस का पहरा देखकर उसकी हिम्मत नहीं पड़ी और दूसरी मस्जिद का पता पूछकर चला गया। हालांकि रात में हावड़ा जाने वाली ट्रेन से उसने जाने की तैयारी की थी लेकिन उससे पहले दबोच लिया गया। मदरसे में बच्चों से मिला, तालीम को फंडिंग दिलाने का लालच
पश्चिम बंगाल के रास्ते देश में रोहिंग्या की एंट्री कराने वाले अब्दुल्ला के निशाने पर सबसे ज्यादा मदरसे और मस्जिदें थीं। उसके पास एक सूची भी मिली, जिसमें मस्जिदों से जुड़ी जानकारियां थीं। उसने सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि वह मदरसों के संचालकों से मिला। बच्चों को तालीम के नाम पर अपना सिलेबस पढ़वाने के लिए कहा। ATS को इनपुट मिले कि बनारस में अबदुल्ला एक मदरसे में गया और बच्चों को पढ़ाने के नाम पर काफी देर तक रुका। उसने मदरसा संचालकों से भी बनारस में चलने वाले मदरसों की जानकारी ली। उन्हें तालीम के लिए किताबें और फंड दिलाने का वादा भी किया। बच्चों को दीन और इस्लाम की जानकारी दी और फिर अगली बार आने का वादा कर दिया। हालांकि उसने एनजीओ के माध्यम से दिल्ली और सहारनपुर के कई मदरसों में फंडिंग भी करवाई है। बांग्लादेश से रोहिंग्या फर्जी दस्तावेज से एंट्री
अब्दुल्ला ने ATS को बताया कि रोहिंग्या घुसपैठिए मुसलमानों को देश में लाने के लिए बांग्लादेश में कई गिरोह सक्रिय हैं, जो इंडिया बॉर्डर क्रास कराने और यहां जॉब दिलाने तक का ठेका लेते हैं। बांग्लादेश की सीमा में घुसपैठ करके इन रोहिंग्या मुसलमानों को फर्जी पहचान देकर देश के असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और केरल तक बसाया जाता है। अब्दुल्ला ने कहा- मेदनीपुर के रास्ते हर महीने आते हैं लोग
अब्दुल्ला से पूछताछ में सामने आया कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह के लिए पश्चिम बंगाल का मेदनीपुर सबसे मुफीद इलाका है। जहां हर महीने नदी के रास्ते बांग्लादेशी लोग इस पार आ जाते हैं। घुसपैठ के जरिए भारत में आने के बाद घुसपैठियों का हुलिया बदल दिया जाता है। जिससे कि कोई उन पर शक न कर सके। उन्हें किसी अज्ञात जगह पर कुछ दिनों के लिए रखा जाता है। घुसपैठियों की फोटो लेकर उनके फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें दिए जाते हैं। बॉर्डर पार आते ही हिंदी सिखाते हैं
जांच एजेंसियों को पता चला है कि रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में घुसपैठ कराने से पहले भारतीय एक्सेंट में हिंदी समझाई जाती है। ताकि जब रोहिंग्या घुसपैठिए भारत पहुंचे तो उसके बोलने के लहजे से पहचान न हो सके। इसके अलावा, घुसपैठिए द्वारा जो लोकल भाषा सीखी जाती है, वह तय करती है कि उसे अवैध रूप से भारत के किस राज्य में बसाया जा सकता है। वैसे अब तक भारत में किसी आतंकी हमले में किसी रोहिंग्या रिफ्यूजी का हाथ होने को लेकर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। अब 2 स्लाइड में रोहिंग्या मुस्लिम की बांग्लादेश और इंडिया में स्थिति समझिए… ———————- यह भी पढ़ें :
ASI का दावा- संभल जामा मस्जिद में अवैध निर्माण हुआ, असली स्वरूप बदला गया, पुरातत्व विभाग को सर्वे से रोका जाता था संभल की शाही जामा मस्जिद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया। ASI के वकील विष्णु शर्मा कहा- यहां प्राचीन इमारत और पुरातत्व अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर