यहां महिलाओं से मार खाने पर हो जाती है कुंवारों की शादी! क्या है जोधपुर का ‘बेंतमार मेला’?

यहां महिलाओं से मार खाने पर हो जाती है कुंवारों की शादी! क्या है जोधपुर का ‘बेंतमार मेला’?

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jodhpur News:</strong> राजस्थान का दूसरा बड़ा शहर जोधपुर यहां के खानपान रहन सहन और राजा रजवाड़ो के महलों हवेलियों की खूबसुरती के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही यहां पर होने वाले धार्मिक आयोजन को देखने के लिए देश विदेश के भी लोग आते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>जोधपुर शहर में सुहागन महिलाओं के गणगौर व्रत पूजन के 16 दिन बाद धींगा गवर का मेला निकलता है. इस मेले में मान्यता है कि मेले में जो कुंवारे लड़के आते हैं उनमें किसी कुंवारे लड़के की शादी नहीं हो रही है तो वो इन महिलाओं की बेंत से मार खाते हैं तो उनकी शादी हो जाती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कुंवारे खाते हैं मार</strong><br />इस मेले के आयोजन में कुंवारे बड़ी चाव से महिलाओं की बेंत से मार खाते हैं. इस मेले में सबसे बड़ी समस्या यह है की<br />मेले में कोई शराबी मनचले पहुंच जाते हैं. पुलिस की मौजूदगी में महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं. अब ऐसे मनचलों से निपटने के लिए महिलाओं ने कमर कस ली है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है बेंतमार मेला?</strong><br />जोधपुर शहर में बरसों से धींगा गवर (बेंतमार) मेले का आयोजन हो रहा है. इस रात को निकालने वाले मेले में महिलाओं का राज रहता है. पूरी रात महिलाएं झुंड में सड़कों पर कई तरह के स्वांग बनकर इस मेले में निकलती है. इस मेले में कई लोग चाव से महिलाओं की छड़ी से मार खाने आते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मनचलों को महिलाएं सिखाएंगी सबक</strong><br />वहीं इस मेले की आड़ में कई मनचले महिलाओं से छेड़छाड़ करने पहुंचते हैं. इसको लेकर जोधपुर शहर की महिला टोली ने मनचली को सबक सिखाने के लिए अपनी एक ब्रिगेड बनाई है जो तलवार लेकर मेले में मौजूद रहेगी और छेड़छाड़ करने वाले मनचलों को सबक सिखाएगी</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मेले को बना दिया मजाक'</strong><br />धींगा गवर (बेंतमार) मेला 16 अप्रैल को आयोजित होने वाला है. मेले की व्यवस्थाओं को लेकर पुलिस के साथ बैठक दी हुई. इस दौरान महिलाओं ने कहा कि 16 दिन व्रत के बाद पूजन करती है और आखिरी दिन इसको मजाक बना दिया जाता है. मेले का आयोजन सदियों से अपनी पारंपरिक रंगत और संस्कृति गौरव के लिए प्रसिद्ध रहा है परंतु पिछले कुछ वर्षों में इस मेले का मूल स्वरूप ही खो गया है मनचले सबसे बड़ी परेशानी बन रहे हैं साथ ही महिलाएं मेले में अनावश्यक आयोजन भी नहीं चाहती है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jodhpur News:</strong> राजस्थान का दूसरा बड़ा शहर जोधपुर यहां के खानपान रहन सहन और राजा रजवाड़ो के महलों हवेलियों की खूबसुरती के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही यहां पर होने वाले धार्मिक आयोजन को देखने के लिए देश विदेश के भी लोग आते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>जोधपुर शहर में सुहागन महिलाओं के गणगौर व्रत पूजन के 16 दिन बाद धींगा गवर का मेला निकलता है. इस मेले में मान्यता है कि मेले में जो कुंवारे लड़के आते हैं उनमें किसी कुंवारे लड़के की शादी नहीं हो रही है तो वो इन महिलाओं की बेंत से मार खाते हैं तो उनकी शादी हो जाती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कुंवारे खाते हैं मार</strong><br />इस मेले के आयोजन में कुंवारे बड़ी चाव से महिलाओं की बेंत से मार खाते हैं. इस मेले में सबसे बड़ी समस्या यह है की<br />मेले में कोई शराबी मनचले पहुंच जाते हैं. पुलिस की मौजूदगी में महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं. अब ऐसे मनचलों से निपटने के लिए महिलाओं ने कमर कस ली है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है बेंतमार मेला?</strong><br />जोधपुर शहर में बरसों से धींगा गवर (बेंतमार) मेले का आयोजन हो रहा है. इस रात को निकालने वाले मेले में महिलाओं का राज रहता है. पूरी रात महिलाएं झुंड में सड़कों पर कई तरह के स्वांग बनकर इस मेले में निकलती है. इस मेले में कई लोग चाव से महिलाओं की छड़ी से मार खाने आते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मनचलों को महिलाएं सिखाएंगी सबक</strong><br />वहीं इस मेले की आड़ में कई मनचले महिलाओं से छेड़छाड़ करने पहुंचते हैं. इसको लेकर जोधपुर शहर की महिला टोली ने मनचली को सबक सिखाने के लिए अपनी एक ब्रिगेड बनाई है जो तलवार लेकर मेले में मौजूद रहेगी और छेड़छाड़ करने वाले मनचलों को सबक सिखाएगी</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मेले को बना दिया मजाक'</strong><br />धींगा गवर (बेंतमार) मेला 16 अप्रैल को आयोजित होने वाला है. मेले की व्यवस्थाओं को लेकर पुलिस के साथ बैठक दी हुई. इस दौरान महिलाओं ने कहा कि 16 दिन व्रत के बाद पूजन करती है और आखिरी दिन इसको मजाक बना दिया जाता है. मेले का आयोजन सदियों से अपनी पारंपरिक रंगत और संस्कृति गौरव के लिए प्रसिद्ध रहा है परंतु पिछले कुछ वर्षों में इस मेले का मूल स्वरूप ही खो गया है मनचले सबसे बड़ी परेशानी बन रहे हैं साथ ही महिलाएं मेले में अनावश्यक आयोजन भी नहीं चाहती है.</p>  राजस्थान Jammu Kashmir: गुलाम नबी आजाद की पार्टी की सभी इकाइयां भंग, पार्टी प्रवक्ता ने बताई ये बड़ी वजह