यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव की डेट अभी फाइनल नहीं हुई है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर खींचतान मच गई है। सबसे ज्यादा चुनौती भाजपा के लिए अपने सहयोगियों से पार पाने की है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद दो सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, रालोद की निगाह तीन सीटों पर है। मिर्जापुर की मझवां सीट पर भी पेंच फंसा है। यहां से अपना दल की अनुप्रिया पटेल सांसद हैं। यह सीट निषाद पार्टी के खाते में थी। भाजपा ने उप-चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया हुआ है, क्योंकि इसे 2027 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। यही वजह है कि भाजपा सभी सीटों पर लड़ना चाहती है। इसके लिए सहयोगी दलों को मनाने की कोशिश भी की जा रही है। रालोद की पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर अच्छी पकड़
उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं- उनमें पश्चिमी यूपी की गाजियाबाद, अलीगढ़ की खैर (सुरक्षित), मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल है। गाजियाबाद और खैर सीट पर 2022 में भाजपा की जीत हुई थी, जबकि रालोद और सपा गठबंधन ने मीरापुर और कुंदरकी सीट पर जीत दर्ज की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में रालोद और भाजपा के बीच समझौता हुआ। रालोद के हिस्से दो सीटें- बागपत और बिजनौर आईं और उसने दोनों सीटों पर जीत हासिल की। यानी यूपी में रालोद इकलौती पार्टी थी, जिसका स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत का था। मीरापुर की दावेदारी सबसे मजबूत
रालोद की सबसे बड़ी दावेदारी मीरापुर की है, जहां से वर्तमान में उसके विधायक थे। 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। अब उसकी सहयोगी भाजपा है। मीरापुर सीट भी 2022 में भाजपा को हराकर रालोद ने हासिल की थी। खैर में 2017 से पहले रहा है रालोद का कब्जा
अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट पर 2022 और 2017 से पहले रालोद का कब्जा था। 2022 के चुनाव में खैर में रालोद प्रत्याशी भगवती प्रसाद को 41 हजार से अधिक वोट हासिल हुए थे। हालांकि यहां से भाजपा के अनूप वाल्मीकि 1,39,643 वोट पाकर विधायक बने थे। रालोद का कहना है कि 2017 से पहले यह सीट रालोद की रही है, इस लिए रालोद को यह सीट मिलनी चाहिए। कुंदरकी क्यों चाहती है रालोद?
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर भी रालोद की नजर है। इसके पीछे रालोद का तर्क है कि यहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक मतदाता हैं। क्योंकि भाजपा किसी अल्पसंख्यक को टिकट नहीं देगी और अल्पसंख्यक भी उसे वोट नहीं देगा। ऐसे में अगर उसे यह सीट मिलती है तो वह सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय कहते हैं- रालोद एनडीए के साथ है। हमारी तैयारी सभी 10 सीटों पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर एनडीए के पक्ष में वोट कराने की है। जहां तक सीट शेयरिंग का सवाल है, मीरापुर की सीट रालोद की मौजूदा सीट है और खैर 2017 से पहले रालोद के पास रही है। निषाद पार्टी की इन दो सीटों पर दावेदारी
निषाद पार्टी की दावेदारी दो सीटों पर है। पहली सीट मिर्जापुर की मझवां है, जो विनोद कुमार बिंद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। दूसरी सीट कटेहरी की, जहां निषाद मतदाताओं का अच्छा प्रभाव माना जाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कटेहरी सीट 2022 में निषाद पार्टी के पास थी, इस लिए वह उस पर दावेदारी कर रही है। इस सीट पर उसे 85 हजार से अधिक वोट हासिल हुए थे। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद कहते हैं- हम मझवां और कटेहरी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। इन दोनों सीटों पर हम पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं। संजय निषाद को मनाने की जिम्मेदारी पाठक को
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने उप चुनाव में कटेहरी और मझवां में पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। जानकारों का मानना है कि यदि दोनों सीटों पर निषाद ने भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी उतारा तो इससे भाजपा को नुकसान होगा। ऐसे में संजय निषाद को मनाने की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को दी गई है। अब बात पॉलिटिकल एक्सपर्ट की…. भाजपा के सामने करो या मरो की स्थिति
सीनियर जर्नलिस्ट मनोज राजन त्रिपाठी कहते हैं- विधानसभा का उप चुनाव भाजपा के लिए दोहरी चुनौती वाला है। एक ओर उसकी आपसी संगठन और सरकार की लड़ाई है और दूसरी ओर सहयोगियों को लेकर चलने की मजबूरी। 2022 में यूपी में भाजपा मजबूत थी। लेकिन, 24 में हारने के बाद उसके लिए करो या मरो की स्थिति है। सहयोगी दलों के साथ मिलकर उसके पास 5 सीटें थीं, उसे वह बढ़ाकर कम से कम 7 सीट करना चाहेगी। क्यों होने हैं उप चुनाव
उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें से 9 सीटें गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, कुंदरकी, मझवां, मिल्कीपुर, कटेहरी, करहल और फूलपुर के विधायकों के सांसद चुने जाने के कारण उप चुनाव हो रहा है। जबकि कानपुर नगर की सीसामऊ सीट से विधायक इरफान सोलंकी को दो साल से अधिक की सजा होने के बाद उनकी विधायकी रद्द हो गई। इस कारण उप चुनाव कराया जा रहा है। इन 10 सीटों में पांच सीट समाजवादी पार्टी के पास थी। तीन सीट भाजपा के पास और एक-एक सीट रालोद और निषाद पार्टी के पास थी। यह भी पढ़ें:- केशव के नरम पड़े तेवर, बोले-योगी जैसा कोई सीएम नहीं: मिर्जापुर में तारीफ करते नजर आए; अखिलेश का तंज-डिप्टी सीएम को डांट देते हैं सीएम यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के तेवर रविवार को नरम नजर आए। मिर्जापुर में उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी की प्रशंसा की। कहा- हमारी डबल इंजन की सरकार देश और प्रदेश में सबसे अच्छा काम कर रही है। ये बात जनता भी मानती है। उन्होंने पूछा- दुनिया में मोदी जी जैसा कोई दूसरा नेता है क्या? प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी जैसा कोई मुख्यमंत्री है क्या? देश का हमारा नेता, दुनिया का शक्तिशाली नेता है। हमारे मुख्यमंत्री की तुलना जब देश के और मुख्यमंत्रियों से होती है तो हमें पीछे होना चाहिए कि सबसे आगे होना चाहिए? पढ़ें पूरी खबर… यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव की डेट अभी फाइनल नहीं हुई है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर खींचतान मच गई है। सबसे ज्यादा चुनौती भाजपा के लिए अपने सहयोगियों से पार पाने की है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद दो सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, रालोद की निगाह तीन सीटों पर है। मिर्जापुर की मझवां सीट पर भी पेंच फंसा है। यहां से अपना दल की अनुप्रिया पटेल सांसद हैं। यह सीट निषाद पार्टी के खाते में थी। भाजपा ने उप-चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया हुआ है, क्योंकि इसे 2027 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। यही वजह है कि भाजपा सभी सीटों पर लड़ना चाहती है। इसके लिए सहयोगी दलों को मनाने की कोशिश भी की जा रही है। रालोद की पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर अच्छी पकड़
उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं- उनमें पश्चिमी यूपी की गाजियाबाद, अलीगढ़ की खैर (सुरक्षित), मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल है। गाजियाबाद और खैर सीट पर 2022 में भाजपा की जीत हुई थी, जबकि रालोद और सपा गठबंधन ने मीरापुर और कुंदरकी सीट पर जीत दर्ज की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में रालोद और भाजपा के बीच समझौता हुआ। रालोद के हिस्से दो सीटें- बागपत और बिजनौर आईं और उसने दोनों सीटों पर जीत हासिल की। यानी यूपी में रालोद इकलौती पार्टी थी, जिसका स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत का था। मीरापुर की दावेदारी सबसे मजबूत
रालोद की सबसे बड़ी दावेदारी मीरापुर की है, जहां से वर्तमान में उसके विधायक थे। 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। अब उसकी सहयोगी भाजपा है। मीरापुर सीट भी 2022 में भाजपा को हराकर रालोद ने हासिल की थी। खैर में 2017 से पहले रहा है रालोद का कब्जा
अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट पर 2022 और 2017 से पहले रालोद का कब्जा था। 2022 के चुनाव में खैर में रालोद प्रत्याशी भगवती प्रसाद को 41 हजार से अधिक वोट हासिल हुए थे। हालांकि यहां से भाजपा के अनूप वाल्मीकि 1,39,643 वोट पाकर विधायक बने थे। रालोद का कहना है कि 2017 से पहले यह सीट रालोद की रही है, इस लिए रालोद को यह सीट मिलनी चाहिए। कुंदरकी क्यों चाहती है रालोद?
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर भी रालोद की नजर है। इसके पीछे रालोद का तर्क है कि यहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक मतदाता हैं। क्योंकि भाजपा किसी अल्पसंख्यक को टिकट नहीं देगी और अल्पसंख्यक भी उसे वोट नहीं देगा। ऐसे में अगर उसे यह सीट मिलती है तो वह सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय कहते हैं- रालोद एनडीए के साथ है। हमारी तैयारी सभी 10 सीटों पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर एनडीए के पक्ष में वोट कराने की है। जहां तक सीट शेयरिंग का सवाल है, मीरापुर की सीट रालोद की मौजूदा सीट है और खैर 2017 से पहले रालोद के पास रही है। निषाद पार्टी की इन दो सीटों पर दावेदारी
निषाद पार्टी की दावेदारी दो सीटों पर है। पहली सीट मिर्जापुर की मझवां है, जो विनोद कुमार बिंद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। दूसरी सीट कटेहरी की, जहां निषाद मतदाताओं का अच्छा प्रभाव माना जाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कटेहरी सीट 2022 में निषाद पार्टी के पास थी, इस लिए वह उस पर दावेदारी कर रही है। इस सीट पर उसे 85 हजार से अधिक वोट हासिल हुए थे। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद कहते हैं- हम मझवां और कटेहरी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। इन दोनों सीटों पर हम पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं। संजय निषाद को मनाने की जिम्मेदारी पाठक को
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने उप चुनाव में कटेहरी और मझवां में पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। जानकारों का मानना है कि यदि दोनों सीटों पर निषाद ने भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी उतारा तो इससे भाजपा को नुकसान होगा। ऐसे में संजय निषाद को मनाने की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को दी गई है। अब बात पॉलिटिकल एक्सपर्ट की…. भाजपा के सामने करो या मरो की स्थिति
सीनियर जर्नलिस्ट मनोज राजन त्रिपाठी कहते हैं- विधानसभा का उप चुनाव भाजपा के लिए दोहरी चुनौती वाला है। एक ओर उसकी आपसी संगठन और सरकार की लड़ाई है और दूसरी ओर सहयोगियों को लेकर चलने की मजबूरी। 2022 में यूपी में भाजपा मजबूत थी। लेकिन, 24 में हारने के बाद उसके लिए करो या मरो की स्थिति है। सहयोगी दलों के साथ मिलकर उसके पास 5 सीटें थीं, उसे वह बढ़ाकर कम से कम 7 सीट करना चाहेगी। क्यों होने हैं उप चुनाव
उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें से 9 सीटें गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, कुंदरकी, मझवां, मिल्कीपुर, कटेहरी, करहल और फूलपुर के विधायकों के सांसद चुने जाने के कारण उप चुनाव हो रहा है। जबकि कानपुर नगर की सीसामऊ सीट से विधायक इरफान सोलंकी को दो साल से अधिक की सजा होने के बाद उनकी विधायकी रद्द हो गई। इस कारण उप चुनाव कराया जा रहा है। इन 10 सीटों में पांच सीट समाजवादी पार्टी के पास थी। तीन सीट भाजपा के पास और एक-एक सीट रालोद और निषाद पार्टी के पास थी। यह भी पढ़ें:- केशव के नरम पड़े तेवर, बोले-योगी जैसा कोई सीएम नहीं: मिर्जापुर में तारीफ करते नजर आए; अखिलेश का तंज-डिप्टी सीएम को डांट देते हैं सीएम यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के तेवर रविवार को नरम नजर आए। मिर्जापुर में उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी की प्रशंसा की। कहा- हमारी डबल इंजन की सरकार देश और प्रदेश में सबसे अच्छा काम कर रही है। ये बात जनता भी मानती है। उन्होंने पूछा- दुनिया में मोदी जी जैसा कोई दूसरा नेता है क्या? प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी जैसा कोई मुख्यमंत्री है क्या? देश का हमारा नेता, दुनिया का शक्तिशाली नेता है। हमारे मुख्यमंत्री की तुलना जब देश के और मुख्यमंत्रियों से होती है तो हमें पीछे होना चाहिए कि सबसे आगे होना चाहिए? पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर