लखनऊ के मड़ियांव इलाके में रविवार देर रात 24 साल के युवक ने पिता की लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। शोर सुनकर परिवार रुम में पहुंचा तो लहुलुहान हालत में जमीन पर पड़ा था। इसके बाद परिवार ने पुलिस को सूचना दी।परिजनों ने बताया कि अभय करीब तीन साल से डिप्रेशन में चल रहा था। पढ़ें पूरी खबर आगरा में कार डिवाइडर से टकराई, 6 घायल आगरा में सोमवार सुबह लगभग 3:30 बजे एक कार डिवाइडर से टकरा गई। एक्सीडेंट इतना भीषण था कि कार में सवार 6 युवक घायल हो गए। पुलिस मौके पर पहुंची। घायलों को एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया है। घटना थाना सदर क्षेत्र के कैंट रोड कोला का चट्टा पर हुई। पढ़ें पूरी खबर मेरठ में अश्लील वीडियो वायरल करने वाला अरेस्ट:बदनामी के डर से नाबालिग ने किया था सुसाइड मेरठ में नाबालिग किशोरी का अश्लील वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को अरेस्ट किया है। लोहिया नगर थाना क्षेत्र में 20 सितंबर को एक 17 साल की छात्रा ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। छात्रा के गलत वीडियो वायरल हो गए थे। इसके बाद बदनामी के डर से छात्रा ने यह खौफनाक कदम उठाया। पढ़ें पूरी खबर लखनऊ के मड़ियांव इलाके में रविवार देर रात 24 साल के युवक ने पिता की लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। शोर सुनकर परिवार रुम में पहुंचा तो लहुलुहान हालत में जमीन पर पड़ा था। इसके बाद परिवार ने पुलिस को सूचना दी।परिजनों ने बताया कि अभय करीब तीन साल से डिप्रेशन में चल रहा था। पढ़ें पूरी खबर आगरा में कार डिवाइडर से टकराई, 6 घायल आगरा में सोमवार सुबह लगभग 3:30 बजे एक कार डिवाइडर से टकरा गई। एक्सीडेंट इतना भीषण था कि कार में सवार 6 युवक घायल हो गए। पुलिस मौके पर पहुंची। घायलों को एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया है। घटना थाना सदर क्षेत्र के कैंट रोड कोला का चट्टा पर हुई। पढ़ें पूरी खबर मेरठ में अश्लील वीडियो वायरल करने वाला अरेस्ट:बदनामी के डर से नाबालिग ने किया था सुसाइड मेरठ में नाबालिग किशोरी का अश्लील वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को अरेस्ट किया है। लोहिया नगर थाना क्षेत्र में 20 सितंबर को एक 17 साल की छात्रा ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। छात्रा के गलत वीडियो वायरल हो गए थे। इसके बाद बदनामी के डर से छात्रा ने यह खौफनाक कदम उठाया। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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भिवानी में गले की फांस बना परिवार पहचान पत्र:फैमिली में पति-पत्नी-बेटी 3 सदस्य हैं; प्रशासन ने बना दिया 68 सदस्यों का परिवार
भिवानी में गले की फांस बना परिवार पहचान पत्र:फैमिली में पति-पत्नी-बेटी 3 सदस्य हैं; प्रशासन ने बना दिया 68 सदस्यों का परिवार हरियाणा के भिवानी जिले के बवानी खेड़ा क्षेत्र के गांव जमालपुर में परिवार पहचान पत्र (PPP) ने एक परिवार की नींद उड़ा दी है। फैमिली में 3 सदस्य हैं, लेकिन परिवार पहचान पत्र में 68 सदस्य बनाए गए हैं। इसको लेकर परिवार कभी सीएससी सेंटर, कभी खंड विकास अधिकारी कार्यालय तो कभी एडीसी कार्यालय में चक्कर काटने को मजबूर है। आरोप है कि कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। परिवार की समस्या बढ़ गई है। वे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पा रहे। गांव जमालपुर के संदीप पुत्र श्री कृष्ण ने बताया कि उसका परिवार पहचान पत्र बना है। उसके परिवार में वह स्वयं, उसकी पत्नी पूजा व माता कमला थे। उनकी माता का वर्ष 2021 में स्वर्गवास हो गया। माता के स्वर्गवास के बाद उसकी बेटी का जन्म हुआ। उसकी माता के जीवित रहते परिवार पहचान पत्र में 3 सदस्य शामिल थे। लेकिन अब उसका परिवार पहचान पत्र संख्या चैक करने पर पाया कि उसका नंबर बदल गया है। इसमें तीन सदस्यों के स्थान पर 68 सदस्य दिखाई देते हैं। हालिया उसके द्वारा दोनों परिवार पहचान पत्रों की संख्या को जांचा तो अब दोनों आईडी ऑनलाइन पोर्टल पर नहीं दिखा रहा। इसके चलते वह गांव में लगे कैंपों में भी पता कर चुका है, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। उसके बाद उसने बवानी खेड़ा खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय में भी टीम से संपर्क साधा। उन्होंने एडीसी कार्यालय में संपर्क करने की बात कही। संदीप की मानें तो सरकार ने परिवार पहचान पत्र को जिस योजना के लाभ के लिए बनाया है। लेकिन वह उनके गले की फांस बनी हुई है। उसने भिवानी एडीसी कार्यालय में अर्जी लगाई है, यदि अब भी उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह परिवार सहित मुख्यमंत्री से इसकी गुहार लगाएगा।
हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री बोले- कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी:भाजपा ने जमीन पर काम किया; सुभाष बत्रा ने EVM की बैटरी का भी जिक्र किया
हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री बोले- कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी:भाजपा ने जमीन पर काम किया; सुभाष बत्रा ने EVM की बैटरी का भी जिक्र किया हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व गृहमंत्री सुभाष बत्तरा ने हार के कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि ओवर कांफिडेंट में गलती हुई। कांग्रेस ओवर कांफिडेंस में रही और भाजपा ग्राउंड पर काम करती रही। वहीं भाजपा सोशल इंजीनियरिंग में सफल रही और कांग्रेस इस ओर ध्यान नहीं दे पाई। उन्होंने कांग्रेस हाई कमान पर भी सवाल उठाए। सीट बंटवारे पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि ठीक से बंटवारा नहीं हुआ। सीटिंग विधायकों को टिकट देने के निर्णय को भी गलत बताया और कहा कि जहां सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी होती है, तो विधायकों के खिलाफ भी होती है। पूर्व गृह मंत्री एवं कांग्रेसी वरिष्ठ नेता सुभाष बत्तरा से बातचीत प्रश्न : हार का क्या कारण मानते हैं?
सुभाष बत्तरा : पहली बात तो यह कि मैं इस चुनाव को निष्पक्ष चुनाव भी नहीं मानता। साढ़े 9 बजे तक जब तक बैलेट पेपर की काउंटिंग हो रही थी, तो हम 73-74 पर लीड कर रहे थे। जैसे ही ईवीएम की गिनती शुरू हुई तो पासा एक दम पलट गया। मेरा मानना है कि 20-30 विधानसभा में, जहां जीटी बेल्ट के हल्के जिनमें ईवीएम में 99 प्रतिशत बैटरी चार्ज थी। वहां-वहां एक तरफा बीजेपी की जीत दिखाई। जहां 60-65 प्रतिशत बैटरी थी, वहां कांग्रेस है। दूसरा, सोशल इंजीनियरिंग में भाजपा कामयाब रही है। हम थोड़ा-सा ओवर कांफिडेंस में थे, हमने इस पर गौर नहीं किया और वर्किंग नहीं की। ओबीसी व एससी कार्ड को अपने पक्ष में करने में भाजपा कामयाब रही। उन्होंने कुमारी सैलजा के नाम को भी कैच करने की कोशिश की। हम थोड़ा-सा ओवर कांफिडेंस में रहे और भाजपा ग्राउंड लेवल पर काम करती रही। यह भाजपा को भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी सीटें उनकी आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि जो जाट मतदाता है, उन्होंने तो कई इलाकों में बहुत कम प्रतिशत वोट पोल की। सोनीपत जाट बहुल्य एरिया है, वहां 6 में से 5 सीट हम हमने हारी है। बहादुरगढ़ की सीट बड़े मार्जन से हारी है। इसका मतलब है कि कहीं ना कहीं, यह कहने में कोई हानि नहीं कि (राहुल जी ने भी यह कहा कि ऐसा लगता है कि) पार्टी हित से ज्यादा अपने निजी हितों को साधा गया है। कांग्रेस लीडरशिप को इस पर मंथन करना पड़ेगा। प्रश्न : टिकट बंटवारे को लेकर काफी चर्चा थी कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने चहेतों को भी टिकट दिलाई है? सुभाष बत्तरा : मैं एक बात से बिल्कुल स्पष्ट हूं कि अगर 5 साल किसी राज हो तो हम उसे भी एंटी इनकंबेंसी करते हैं। कोई भी सरकार व पार्टी लोगों उम्मीदों पर 100 प्रतिशत काम नहीं कर पाती। इसी तरह से जो एमएलए 2 बार बन गया, उसकी भी एंटी इनकंबेंसी होती है। आपने सर्वेयर किस लिए रखे और सीटिंग गेटिंग (सीटिंग विधायकों को टिकट देना) का मतलब क्या रहा। सर्वे रिपोर्ट को फेंक दें। जो 2-3 बार विधायक बना है और लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है तो उसका सीटिंग का क्या मतलब। यह बहुत गलत निर्णय था। कांग्रेस की टिकट मिलने वाले सीटिंग विधायकों में से आधे से ज्यादा हारे हैं। यह फार्मूला गलत था और पार्टी आलाकमान को मंथन करना पड़ेगा और सोचना पड़ेगा। गलत लोगों को टिकट दी गई, इसके पीछे कारण क्या रहे। प्रश्न : चुनाव के दौरान भाजपा ने कुमारी सैलजा के मुद्दे को उठाया, वह चाहे उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने का मामला हो या फिर सीएम बनाने का। इसका कितना असर पड़ा है? सुभाष बत्तरा : भाजपा एससी वोटबैंक को कैच करने में सफल रही। हम उस मुद्दे को डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाए। सैलजा बहनजी ने तो यह बयान दिया था कि “मेरे पिताजी भी तिरंगे में गए और मैं भी तिरंगे में जाऊंगी”। उन्होंने स्पष्टीकरण भी दिए। लेकिन देर हो चुकी थी। इसलिए एससी वोटबैंक वह डायवर्सिफाई हो गया था। बीजेपी इस मुद्दे को कैच करने में कामयाब रही। प्रश्न : हरियाणा में पहली दफा ऐसा हुआ है कि कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही और भाजपा की जीत का कारण क्या मानते हैं? सुभाष बत्तरा : इसका कारण पर तो क्या कह सकता हैं। प्रजातंत्र है और लोगों का जनमत है। जो जीता वह सिकंदर। अब हम कुछ भी कहते रहे, लेकिन जो खामिया हैं, उनको ढूंढना पड़ेगा। असली हार तो कार्यकर्ता की हुई है। जो जमीनी व बूथ लेवल पर लड़ता है। यह मंथन का विषय है। प्रश्न : रिजल्ट से पहले हर कोई कह रहा था कि कांग्रेस बहुमत से आ रही है और तैयारियां भी उसी तरह से चल रही थी। क्या कारण रहा कि रिजल्ट में इतना फेरबदल हुआ? सुभाष बत्तरा : भाजपा वाले भी 30 से ऊपर सीट नहीं मान रहे थे। यह तो आश्चर्यचकित नतीजे हैं। कुछ-ना-कुछ इन्होंने 20-30 सीटों पर ईवीएम को सेट व हैक किया है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी तैयारी में हैं। मैं भी इस पर विधि वक्ताओं से सलाह कर रहा हूं। प्रश्न : जातिगत बात करें तो सबसे बड़ा वोट बैंक जाटों का माना जाता है, उसको भी साधने में क्यों सफल नहीं रहे? सुभाष बत्तरा : सीटिंग गेटिंग का फार्मूला। कर्ण दलाल 25 हजार से ज्यादा से हार आए, इसका मतलब क्या है। बहादुरगढ़ की सीट पर तीन बार के विधायक राजेंद्र जून 40 हजार से अधिक मार्जन कैसे हो गया। गन्नौर की सीट पर क्या हाल हुआ। उन्होंने राज्यसभा सांसद किरण चौधरी का जिक्र करते हुए कहा कि किरण चौधरी को निपटाने के लिए पता नहीं क्या-क्या व्यूह रचना की। किरण चौधरी के जाने से भिवानी की सभी सीटों पर क्या हाल हुआ। उस पर मंथन की जरूरत है। हरियाणा एक छोटा राज्य जरूर है, लेकिन इसका असर पूरे देश में हैं। एक माह के बाद महाराष्ट्र के चुनाव हैं, वहां भी इसका असर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश साथ लगता राज्य हैं, वहां भी उपचुनाव में इसका असर पड़ेगा। पंजाब राज्य की भी सीमा लगती है। दिल्ली भी बॉर्डर स्टेट है, उसके भी दो माह बाद चुनाव हैं। इसलिए आज पार्टी लीडरशिप आज तिलमिला रही है और गुस्से में है कि पार्टी हित से ज्यादा निजी हितों को तवज्जो दी। यह पहले समझ नहीं आ रही थी। लोकसभा में टिकटों का बंटवारा कैसे किया। खुद कर रहे हैं कि 90 में से 72 सीटें एक सिस्टम के तहत दी, आपको उस समय सोचने का मौका नहीं थी। क्यों विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के सच्चे सिपाही है और इस हार से दुखी है। आलाकमान को पहले भी समझाने की कोशिश की, लेकिन उनके समझ में नहीं आई। हम भी हताश होकर बैठ गए।
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