यूपी के 5 और शहरों को मिलेगी अत्याधुनिक माइक्रोबायोलॉजी लैब की सौगात, जानें इनके नाम

यूपी के 5 और शहरों को मिलेगी अत्याधुनिक माइक्रोबायोलॉजी लैब की सौगात, जानें इनके नाम

<p style=”text-align: justify;”><strong>Lucknow News:</strong> मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है. अब प्रदेश के पांच बड़े शहरों वाराणसी, कानपुर, मिर्जापुर, बरेली और अलीगढ़ में नई अत्याधुनिक माइक्रोबायोलॉजी लैब स्थापित की जा रही हैं. ये लैब फलों, सब्जियों, मसालों, दूध और औषधियों में पाए जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और माइक्रोटॉक्सिन की जांच करेंगी. इससे लोगों को साफ-सुथरा और सुरक्षित खाने-पीने का सामान मिलने में मदद मिलेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फिलहाल लखनऊ और मेरठ में ही ऐसी उन्नत प्रयोगशालाएं मौजूद हैं, लेकिन अब सरकार हर मंडल में इन लैब्स की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) की विशेष सचिव रेखा सिंह चौहान के अनुसार, वाराणसी में लैब का निर्माण पूरा हो चुका है और 31 मई से इसका संचालन शुरू हो जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाकी चार जिलों कानपुर, मिर्जापुर, बरेली और अलीगढ़ में एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) ने बजट मंजूर कर दिया है. टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है और सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक सभी लैब्स बनकर तैयार हो जाएं. इन प्रयोगशालाओं की मदद से अब व्यापारी, उपभोक्ता और अधिकारी स्थानीय स्तर पर ही खाद्य और दवा उत्पादों की वैज्ञानिक जांच करा सकेंगे. इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि नकली और मिलावटी उत्पादों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई भी आसान होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पूरी योजना का मकसद राज्य में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है. बता दें कि भारत में हर साल हजारों लोग मिलावटी खाद्य पदार्थों के चलते बीमार पड़ते हैं. WHO के अनुसार, पूरी दुनिया में 10 में से 1 व्यक्ति खराब खानपान के कारण बीमार होता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश की यह पहल एक सकारात्मक बदलाव ला सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जीरो टॉलरेंस नीति के तहत काम कर रही योगी सरकार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> का साफ निर्देश है कि प्रदेश में खाने-पीने और दवाओं की जांच व्यवस्था को इतना सशक्त बनाया जाए कि कोई भी व्यक्ति मिलावटी उत्पादों के कारण बीमार न पड़े. यही वजह है कि सरकार इस दिशा में &ldquo;जीरो टॉलरेंस&rdquo; नीति के तहत काम कर रही है. इन माइक्रोबायोलॉजी लैब्स से मिलने वाली रिपोर्ट कानूनी रूप से भी मान्य होंगी, जिससे कोर्ट केस और कार्रवाई में भी सहूलियत होगी. इसके साथ ही ये लैब्स उत्तर प्रदेश को देश में एक फूड सेफ्टी मॉडल स्टेट के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगी.<br />&nbsp;<br />इस पूरी योजना का मकसद सिर्फ जांच करना नहीं, बल्कि प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य देना है. सरकार का यह कदम &ldquo;ईज ऑफ डूइंग बिजनेस&rdquo; और &ldquo;सशक्त जनस्वास्थ्य&rdquo; जैसे केंद्र सरकार के मिशनों को भी मजबूती देता है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Lucknow News:</strong> मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है. अब प्रदेश के पांच बड़े शहरों वाराणसी, कानपुर, मिर्जापुर, बरेली और अलीगढ़ में नई अत्याधुनिक माइक्रोबायोलॉजी लैब स्थापित की जा रही हैं. ये लैब फलों, सब्जियों, मसालों, दूध और औषधियों में पाए जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और माइक्रोटॉक्सिन की जांच करेंगी. इससे लोगों को साफ-सुथरा और सुरक्षित खाने-पीने का सामान मिलने में मदद मिलेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फिलहाल लखनऊ और मेरठ में ही ऐसी उन्नत प्रयोगशालाएं मौजूद हैं, लेकिन अब सरकार हर मंडल में इन लैब्स की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) की विशेष सचिव रेखा सिंह चौहान के अनुसार, वाराणसी में लैब का निर्माण पूरा हो चुका है और 31 मई से इसका संचालन शुरू हो जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाकी चार जिलों कानपुर, मिर्जापुर, बरेली और अलीगढ़ में एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) ने बजट मंजूर कर दिया है. टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है और सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक सभी लैब्स बनकर तैयार हो जाएं. इन प्रयोगशालाओं की मदद से अब व्यापारी, उपभोक्ता और अधिकारी स्थानीय स्तर पर ही खाद्य और दवा उत्पादों की वैज्ञानिक जांच करा सकेंगे. इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि नकली और मिलावटी उत्पादों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई भी आसान होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पूरी योजना का मकसद राज्य में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है. बता दें कि भारत में हर साल हजारों लोग मिलावटी खाद्य पदार्थों के चलते बीमार पड़ते हैं. WHO के अनुसार, पूरी दुनिया में 10 में से 1 व्यक्ति खराब खानपान के कारण बीमार होता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश की यह पहल एक सकारात्मक बदलाव ला सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जीरो टॉलरेंस नीति के तहत काम कर रही योगी सरकार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> का साफ निर्देश है कि प्रदेश में खाने-पीने और दवाओं की जांच व्यवस्था को इतना सशक्त बनाया जाए कि कोई भी व्यक्ति मिलावटी उत्पादों के कारण बीमार न पड़े. यही वजह है कि सरकार इस दिशा में &ldquo;जीरो टॉलरेंस&rdquo; नीति के तहत काम कर रही है. इन माइक्रोबायोलॉजी लैब्स से मिलने वाली रिपोर्ट कानूनी रूप से भी मान्य होंगी, जिससे कोर्ट केस और कार्रवाई में भी सहूलियत होगी. इसके साथ ही ये लैब्स उत्तर प्रदेश को देश में एक फूड सेफ्टी मॉडल स्टेट के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगी.<br />&nbsp;<br />इस पूरी योजना का मकसद सिर्फ जांच करना नहीं, बल्कि प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य देना है. सरकार का यह कदम &ldquo;ईज ऑफ डूइंग बिजनेस&rdquo; और &ldquo;सशक्त जनस्वास्थ्य&rdquo; जैसे केंद्र सरकार के मिशनों को भी मजबूती देता है.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड यूपी STF को बड़ी कामयाबी, 30 लाख की लूट में वांछित रवि पुजारी गैंग का शूटर संजू डोकरे गिरफ्तार