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अंबाला में विज बोले- राहुल को प्रजातंत्र पर विश्वास नहीं:सब इकट्ठा होकर रोएं, अकेले रोने से क्या फायदा; कांग्रेस ने रखी रिव्यू मीटिंग
अंबाला में विज बोले- राहुल को प्रजातंत्र पर विश्वास नहीं:सब इकट्ठा होकर रोएं, अकेले रोने से क्या फायदा; कांग्रेस ने रखी रिव्यू मीटिंग हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री अनिल विज के पिछली बार में पूर्ण मंत्री मंडल विस्तार में नाराजगी कोई भुला नहीं है, इस बार चुनाव जीतने के बाद से ही विज के मंत्री बनने की चर्चाएं तेज हो गई है इसपर विज अभी भी साफ बोलते हुए कह रहे है की अभी उनसे कोई चर्चा नहीं हुई अगर चर्चा होती है तो वे अपनी कुछ बाते जरूर रखेंगे, पिछले 50 साल से वे पार्टी में है और पार्टी से उनकी कई फीलिंग्स जुड़ी है। वही विज ने रत्न टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। रत्न टाटा के निधन पर जताया शोक
रत्न टाटा का कल रात निधन हो गया जिसके बाद से पूरे देश में शोक की लहर है, इसे लेकर हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने कहा की रत्न टाटा जी का दुनिया से जाना एक बहुत बड़ा आघात है, उन्होंने इंडस्ट्रिलाइजेशन को एक नया मोड़ दिया है, सरकार की कठिनाई के समय में उन्होंने दिल खोल के सहयोग किया है, आज हर भारत वासी उनके जाने से आहत है। अनिल विज कांग्रेस पर साधा निशाना
राहुल गांधी ने अपने एक बयान में कहा था की चुनाव तो हिटलर भी जीता था, क्योंकि उनके पास पूरी पावर थी अगर ये पावर उन्हें मिल जाए तो फिर राहुल गांधी दिखाएंगे की चुनाव कैसे जीतते हैं। इस पर तंज कसते हुए हरियाणा के पूर्व मंत्री और अंबाला छावनी से सातवीं बार विधायक अनिल विज ने कहा की राहुल गांधी का प्रजातंत्र से विश्वास उठ गया है जो वे इस प्रकार की शब्दावली का इस्तेमाल कर रहे है। राहुल गांधी इस बात का इशारा कर रहे है की जिस तरह उनकी दादी ने इमरजेंसी लगा कर संविधान की धज्जियां उड़ाई थी अगर उनको मौका मिले तो वो भी ऐसे ही करेंगे लेकिन ये 1974 वाली जनता नहीं रही, ये 2024 की जनता है जो सब जानती है। चुनावी परिणाम को लेकर आज कांग्रेस ने मीटिंग रखी है जिसमे सुरजेवाला, कुमारी सैलजा और हुड्डा सहित सभी वरिष्ठ नेता आएंगे। इसे लेकर पूर्व मंत्री अनिल विज ने कहा की अच्छा है रिव्यू मीटिंग करनी चाहिए, अगर रोना है तो सब इकट्ठे बैठ के रोएं, अकेले रोकर क्या फायदा। विज बोले- मैं कभी मांग कर नहीं खाता
चुनाव जीतने के बाद से भारी संख्या में लोग विज को बधाई देने पहुंच रहे है, और जनता में विज के मुख्यमंत्री बनने की चर्चाएं शुरू हो गई है जिसे लेकर विज ने कहा की बहुत सी जनता आ रही है मैंने आज तक पार्टी से कुछ नहीं मांगा, मैं तो घर पर भी रोटी मांग कर नहीं खाता रोटी देते हैं तो खा लेता हूं। मैंने मुख्यमंत्री बनने का दावा नहीं किया लेकिन एक कन्फ्यूजन क्रिएट किया गया था कि वे मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहते। मगर उनसे कभी किसी ने नहीं पूछा और न अभी कोई चर्चा चल रही है, विज ने कहा कि अगर कोई चर्चा होगी तो वे भी अपनी कई बातें रखेंगे। 50 साल से पार्टी में हैं और उनकी भी पार्टी से कुछ फीलिंग्स जुड़ी हैं।
हिमाचल में बोले पूर्व CM जयराम ठाकुर:होशियार सिंह ने पूर्व सरकार में भी दिया था इस्तीफा: काम करने पर लिया वापस, बताया जुनूनी आदमी
हिमाचल में बोले पूर्व CM जयराम ठाकुर:होशियार सिंह ने पूर्व सरकार में भी दिया था इस्तीफा: काम करने पर लिया वापस, बताया जुनूनी आदमी हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि होशियार सिंह ने पहली बार विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया। पूर्व सरकार में भी उन्होंने विधायक पद से विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा दे दिया था। मगर तब उन्होंने होशियार सिंह के सारे काम किए। तब जाकर होशियार सिंह माने थे और अपना इस्तीफा वापस लिया। देहरा में मंगलवार को होशियार सिंह के चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे जयराम ठाकुर ने कहा, होशियार सिंह जुनूनी आदमी हैं। वो ऐसा करते रहते हैं। उन्होंने कहा, पहले हम सोच रहे थे कि देहरा के उप चुनाव में पार्टी को कठिनाई होगी, लेकिन अब भीड़ देखकर लग रहा है कि कठिनाई जैसी कोई चीज है। देहरा की जनता बड़ी संख्या में जनसभा में उमड़ रही है। यहां की जनता ने अब तय कर लिया है कि देहरा की आवाज को होशियार सिंह के माध्यम से विधानसभा में उठाएंगे और शानदार जीत होगी। होशियार के इस्तीफे से जुड़े सवाल पर जयराम ने कहा, कांग्रेस सरकार ने हालात ऐसे पैदा कर दिए कि तीनों निर्दलीय विधायकों को इस्तीफा देना पड़ा। उनमें होशियार भी शामिल है। दूसरों को चौधरी बना देना इस्तीफा देने की वजह जयराम ने कहा कि एक प्रतिनिधि चुन कर आता है। उसकी बात न सुनना किसी ओर के कहने पर काम करना, किसी दूसरे को चौधरी बना देना इस्तीफा देने की वजह रही है, जिससे लोगों और विधायक में काफी रोष था। यह हिम्मत वाले लोग हैं जिन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। तीनों निर्दलीय विधायकों ने फैसला लिया कि हम दबाव में आकर काम नहीं करेंगे और BJP ज्वाइन करके विधायक बनेंगे। सरकार बदलने में थोड़ा वक्त: जयराम नेता प्रतिपक्ष ने कहा, अगर तीनों उप चुनाव लोकसभा के साथ कर दिए होते तो सरकार 4 जून को ही बदल जाती। लेकिन थोड़ा वक्त और लगेगा। बीजेपी की सरकार आएगी जरूर।
राजस्थान की भजनलाल सरकार का एक साल पूरा, बीजेपी ने गिनवाईं उपलब्धियां, इन चुनौतियों पर हो रही चर्चा!
राजस्थान की भजनलाल सरकार का एक साल पूरा, बीजेपी ने गिनवाईं उपलब्धियां, इन चुनौतियों पर हो रही चर्चा! <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने रविवार को एक साल पूरा कर लिया. राज्य सरकार की पहले साल की उपलब्धियों में 1.24 लाख से अधिक नौकरियां, पेपर लीक माफिया पर कार्रवाई और पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के संबंध में एमओयू (समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर) को शामिल किया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सरकार ने अपने पहले साल में ही जयपुर में निवेश शिखर सम्मेलन किया और 34 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन किए. यह राजस्थान की अर्थव्यवस्था को बढ़ाकर 350 अरब डॉलर करने के सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है जिसके लिए सरकार ने इस साल के बजट में पूंजीगत व्यय में 65 प्रतिशत की वृद्धि की है. राज्य में विधानसभा की सात सीट के लिए हाल ही में उपचुनाव में बीजेपी ने पांच सीटों पर मिली जीत का श्रेय मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सशक्त नेतृत्व को दिया है. <br /><br /><strong>बीजेपी सरकार में नौकरशाही हावी?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की स्पष्ट कलह, पूर्ववर्ती सरकार द्वारा नए जिलों के गठन, 2021 की विवादास्पद सब-इंस्पेक्टर भर्ती और ‘‘एक राज्य, एक चुनाव’’ जैसे मुद्दों पर निर्णय नहीं ले पाने की स्थिति सरकार के सामने चुनौती बनी रही है. इसके साथ ही कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा दावा करते हैं कि राज्य की बीजेपी सरकार में नौकरशाही हावी हो गई है. डोटासरा ने सरकार पर निर्णय नहीं कर पाने और केंद्र से आने वाले ‘‘पर्ची’’ आदेशों पर काम करने का आरोप लगाया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नए नेतृत्व को लेकर जनता में उत्साह!</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जब पहली बार विधायक बने शर्मा ने पिछले साल 15 दिसंबर को भौगोलिक रूप से देश के सबसे बड़े राज्य की बागडोर संभाली तो लोग वसुंधरा राजे (दो कार्यकाल) और अशोक गहलोत (तीन कार्यकाल) के 25 साल तक राज्य पर शासन करने के बाद नए मुख्यमंत्री को लेकर उत्साहित थे. हालांकि, उनके मन में नए मुख्यमंत्री के ‘प्रदर्शन’ को लेकर आशंका भी थी. शर्मा को राजे जैसे दिग्गजों की ‘अनदेखी’ करते हुए चुना गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, अपनी कड़ी मेहनत और विनम्र तथा संतुलित दृष्टिकोण के साथ शर्मा ने सरकार में कई उपलब्धियां दर्ज कर और अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय देकर खुद को साबित किया, जिसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी प्रशंसा मिली. एक साल पूरे होने पर राज्य सरकार ने बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण और शहरी विकास, परिवहन और उद्योग समेत विभिन्न क्षेत्रों में कई उपलब्धियां गिनाई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>तमाम चुनौतियों और दबावों के बावजूद बीजेपी ने राज्य में हाल ही में हुए उपचुनावों में सात में से पांच सीट जीतकर कहानी बदल दी. शर्मा और उनकी टीम ने चुनौतियों का सामना किया और सरकार के पहले साल को महत्वपूर्ण उपलब्धियों वाला साल बताया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, सरकार 2021 की एसआई भर्ती पर फैसला नहीं ले पाई है. शर्मा को यह फैसला लेना है कि परीक्षा रद्द की जाए या नहीं. समीक्षा के बावजूद नवगठित जिलों पर फैसला भी लंबित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”> </p>