मानसून आधा बीत गया, लेकिन यूपी में सामान्य से 15% कम बारिश हुई है। जुलाई के आखिरी दिन मानसून फिर से सक्रिय हुआ है। 31 जुलाई तक पूरे प्रदेश में 303 मिलीमीटर औसत बारिश हुई है। जबकि 357 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी। यानी इस बार अभी तक बरसात सामान्य से 15 फीसदी कम है। फिर भी पिछले साल की तुलना में अब तक बेहतर बारिश हुई है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान औसत 298 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। यह इस साल के मुकाबले कम थी। पूर्वी यूपी में 304.3 मिलीमीटर बरसात हुई है। यहां का औसत 385.2 मिलीमीटर है। वहीं, पश्चिमी यूपी में 318.09 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए, लेकिन सिर्फ 301 मिलीमीटर हुई है। पूरे प्रदेश में मानसून की क्या स्थिति है? अगस्त-सितंबर में मानसून का यूपी में क्या हाल रहेगा? किन-किन जिलों में अब तक औसत से कम और अधिक बारिश हुई है? प्रदेश का कितना हिस्सा बाढ़ की चपेट में है? इस रिपोर्ट में पढ़िए- मानसून में 4 जिलों में हुई 60 फीसदी अधिक बारिश
यूपी में 1 जून से लेकर 31 जुलाई तक औरैया, इटावा, बलरामपुर और बस्ती में सामान्य से 60 फीसदी अधिक बरसात हुई है। वहीं, मुरादाबाद, बरेली, हमीरपुर, महाराजगंज, कासंगज, ललितपुर और फिरोजाबाद जैसे जिलों में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई। इन जिलों में सामान्य से 20 से 59 फीसदी अधिक बारिश हुई है। 6 जिलों में बहुत कम बारिश
1 जून से लेकर 31 जुलाई के बीच जौनपुर, फतेहपुर, रायबरेली, अमेठी, शामली और गौतमबुद्धनगर में सामान्य से 60 से 99 फीसदी तक कम बारिश हुई। जौनपुर में जहां जुलाई महीने में 337.8 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, वहां सिर्फ 135.9 फीसदी ही बारिश हुई है। इसी तरह फतेहपुर में 315 मिलीमीटर की जगह सिर्फ 122 मिलीमीटर बारिश हुई। रायबरेली की स्थिति और भी खराब है। यहां जुलाई महीने में 203.7 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, जबकि अब तक सिर्फ 71.5 मिलीमीटर बारिश हुई है। अगस्त-सितंबर में अच्छी बारिश का अनुमान
लखनऊ में मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद दानिश के मुताबिक अगस्त और सितंबर में अच्छी बारिश होगी। पूरे प्रदेश के औसत के आसपास बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग ने अगस्त के पहले हफ्ते में बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, संत रविदास नगर, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ जैसे जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के मुताबिक कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल, बदायूं, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर में भारी बारिश का अनुमान है। पिछले साल 17 फीसदी कम बरसात
यूपी में पिछले कई साल से सामान्य से कम बारिश हो रही है। बीते सात साल में 2022 में यूपी में सबसे कम बारिश हुई थी। इस दौरान सामान्य से 29 फीसदी कम बरसात हुई थी। 2017 में 19 फीसदी कम बरसात हुई थी। 2023 में सामान्य से 17 फीसदी कम बरसात हुई। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार अगस्त और सितंबर के महीने में यूपी में अच्छी बारिश होगी। इससे सामान्य बारिश के आसपास ही यूपी में बरसात का औसत बना रहेगा। सात जिलों में बाढ़ की स्थिति
अयोध्या, बलिया, लखीमपुर खीरी, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बहराइच और हरदोई में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। अयोध्या में बाढ़ के कारण सात गांवों के 3,400 से अधिक लोग प्रभावित हैं। बलिया के 4 गांवों में बाढ़ के हालात हैं। कटान की स्थिति है। इसमें 600 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। लखीमपुर खीरी के सात गांवों में बाढ़ की हालत है। मदद के लिए 36 नाव लगाई गई हैं। फर्रुखाबाद में 7 गांव में बाढ़ के हालात हैं। इनमें 4 गांवों में कटान हो रहा। सीतापुर और बहराइच में दो गांव बाढ़ प्रभावित हैं। वहीं, हरदोई में एक गांव में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। प्रदेश में 6 बैराज खतरे के निशान के करीब
31 जुलाई को बदायूं में गंगा पर स्थित कचला ब्रिज का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया। गंगा का जलस्तर 162.22 मीटर दर्ज किया गया। यहां पिछले साल बाढ़ का अधिकतम स्तर 162.91 था। वहीं, प्रदेश में शारदा और घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। इनका जलस्तर 31 जुलाई तक बाढ़ के स्तर से सिर्फ 0.50 मीटर कम है। इसमें लखीमपुर खीरी के पलियाकलां में शारदा नदी और बाराबंकी के एल्गिन ब्रिज में घाघरा नदी का जलस्तर बाढ़ के करीब है। बलिया के तुर्तीपार में भी जलस्तर बाढ़ के करीब पहुंच गया है। सिंचाई विभाग ने गंगा नदी में गढ़मुक्तेश्वर, कचलाब्रिज, फतेहगढ़ पर बाढ़ का पूर्वानुमान जारी किया है। इसके साथ ही गंडक नदी में कुशीनगर में भी बाढ़ की स्थिति बनने की संभावना है। नदी का जलस्तर 95.12 मीटर को पार कर गया है। किसानों का खर्च बढ़ा
धान की फसल की वृद्धि और उपज मानसून पर निर्भर है। धान की फसल के लिए सही समय पर और जरूरी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, ताकि सही ढंग से विकसित हो सके। जब मानसून की बारिश अनियमित होती है, तो फसल कम होती है। किसानों को ट्यूबवेल के सहारे सिंचाई करनी पड़ती है। इससे खर्च बढ़ता है। कम बारिश होने से किसानों की सिंचाई की लागत बढ़ेगी। अगर फसल कम होगी तो दाम भी बढ़ेंगे। सब्जियों के भी बढ़ेंगे दाम
इसके अलावा अगर अगस्त-सितंबर में अच्छी बरसात के अनुमान की बात करें तो यह भी बाजार से लेकर फसलों को प्रभावित करेगा। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दयाशंकर सिंह ने कहा- लगातार बारिश होने से सब्जी की फसल को नुकसान होगा। इससे अगस्त के महीने में सब्जियों के दाम बढ़ जाएंगे। हालांकि, धान की फसल को अभी फायदा है, लेकिन अगर लगातार तेज बारिश होती रही तो इससे भी किसानों को आर्थिक नुकसान होगा। दरअसल, किसान फसल बढ़ाने के लिए जो खाद डालते हैं, पानी के तेज बहाव के कारण उसका असर कम होगा। मानसून आधा बीत गया, लेकिन यूपी में सामान्य से 15% कम बारिश हुई है। जुलाई के आखिरी दिन मानसून फिर से सक्रिय हुआ है। 31 जुलाई तक पूरे प्रदेश में 303 मिलीमीटर औसत बारिश हुई है। जबकि 357 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी। यानी इस बार अभी तक बरसात सामान्य से 15 फीसदी कम है। फिर भी पिछले साल की तुलना में अब तक बेहतर बारिश हुई है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान औसत 298 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। यह इस साल के मुकाबले कम थी। पूर्वी यूपी में 304.3 मिलीमीटर बरसात हुई है। यहां का औसत 385.2 मिलीमीटर है। वहीं, पश्चिमी यूपी में 318.09 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए, लेकिन सिर्फ 301 मिलीमीटर हुई है। पूरे प्रदेश में मानसून की क्या स्थिति है? अगस्त-सितंबर में मानसून का यूपी में क्या हाल रहेगा? किन-किन जिलों में अब तक औसत से कम और अधिक बारिश हुई है? प्रदेश का कितना हिस्सा बाढ़ की चपेट में है? इस रिपोर्ट में पढ़िए- मानसून में 4 जिलों में हुई 60 फीसदी अधिक बारिश
यूपी में 1 जून से लेकर 31 जुलाई तक औरैया, इटावा, बलरामपुर और बस्ती में सामान्य से 60 फीसदी अधिक बरसात हुई है। वहीं, मुरादाबाद, बरेली, हमीरपुर, महाराजगंज, कासंगज, ललितपुर और फिरोजाबाद जैसे जिलों में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई। इन जिलों में सामान्य से 20 से 59 फीसदी अधिक बारिश हुई है। 6 जिलों में बहुत कम बारिश
1 जून से लेकर 31 जुलाई के बीच जौनपुर, फतेहपुर, रायबरेली, अमेठी, शामली और गौतमबुद्धनगर में सामान्य से 60 से 99 फीसदी तक कम बारिश हुई। जौनपुर में जहां जुलाई महीने में 337.8 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, वहां सिर्फ 135.9 फीसदी ही बारिश हुई है। इसी तरह फतेहपुर में 315 मिलीमीटर की जगह सिर्फ 122 मिलीमीटर बारिश हुई। रायबरेली की स्थिति और भी खराब है। यहां जुलाई महीने में 203.7 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, जबकि अब तक सिर्फ 71.5 मिलीमीटर बारिश हुई है। अगस्त-सितंबर में अच्छी बारिश का अनुमान
लखनऊ में मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद दानिश के मुताबिक अगस्त और सितंबर में अच्छी बारिश होगी। पूरे प्रदेश के औसत के आसपास बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग ने अगस्त के पहले हफ्ते में बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, संत रविदास नगर, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ जैसे जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के मुताबिक कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल, बदायूं, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर में भारी बारिश का अनुमान है। पिछले साल 17 फीसदी कम बरसात
यूपी में पिछले कई साल से सामान्य से कम बारिश हो रही है। बीते सात साल में 2022 में यूपी में सबसे कम बारिश हुई थी। इस दौरान सामान्य से 29 फीसदी कम बरसात हुई थी। 2017 में 19 फीसदी कम बरसात हुई थी। 2023 में सामान्य से 17 फीसदी कम बरसात हुई। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार अगस्त और सितंबर के महीने में यूपी में अच्छी बारिश होगी। इससे सामान्य बारिश के आसपास ही यूपी में बरसात का औसत बना रहेगा। सात जिलों में बाढ़ की स्थिति
अयोध्या, बलिया, लखीमपुर खीरी, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बहराइच और हरदोई में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। अयोध्या में बाढ़ के कारण सात गांवों के 3,400 से अधिक लोग प्रभावित हैं। बलिया के 4 गांवों में बाढ़ के हालात हैं। कटान की स्थिति है। इसमें 600 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। लखीमपुर खीरी के सात गांवों में बाढ़ की हालत है। मदद के लिए 36 नाव लगाई गई हैं। फर्रुखाबाद में 7 गांव में बाढ़ के हालात हैं। इनमें 4 गांवों में कटान हो रहा। सीतापुर और बहराइच में दो गांव बाढ़ प्रभावित हैं। वहीं, हरदोई में एक गांव में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। प्रदेश में 6 बैराज खतरे के निशान के करीब
31 जुलाई को बदायूं में गंगा पर स्थित कचला ब्रिज का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया। गंगा का जलस्तर 162.22 मीटर दर्ज किया गया। यहां पिछले साल बाढ़ का अधिकतम स्तर 162.91 था। वहीं, प्रदेश में शारदा और घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। इनका जलस्तर 31 जुलाई तक बाढ़ के स्तर से सिर्फ 0.50 मीटर कम है। इसमें लखीमपुर खीरी के पलियाकलां में शारदा नदी और बाराबंकी के एल्गिन ब्रिज में घाघरा नदी का जलस्तर बाढ़ के करीब है। बलिया के तुर्तीपार में भी जलस्तर बाढ़ के करीब पहुंच गया है। सिंचाई विभाग ने गंगा नदी में गढ़मुक्तेश्वर, कचलाब्रिज, फतेहगढ़ पर बाढ़ का पूर्वानुमान जारी किया है। इसके साथ ही गंडक नदी में कुशीनगर में भी बाढ़ की स्थिति बनने की संभावना है। नदी का जलस्तर 95.12 मीटर को पार कर गया है। किसानों का खर्च बढ़ा
धान की फसल की वृद्धि और उपज मानसून पर निर्भर है। धान की फसल के लिए सही समय पर और जरूरी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, ताकि सही ढंग से विकसित हो सके। जब मानसून की बारिश अनियमित होती है, तो फसल कम होती है। किसानों को ट्यूबवेल के सहारे सिंचाई करनी पड़ती है। इससे खर्च बढ़ता है। कम बारिश होने से किसानों की सिंचाई की लागत बढ़ेगी। अगर फसल कम होगी तो दाम भी बढ़ेंगे। सब्जियों के भी बढ़ेंगे दाम
इसके अलावा अगर अगस्त-सितंबर में अच्छी बरसात के अनुमान की बात करें तो यह भी बाजार से लेकर फसलों को प्रभावित करेगा। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दयाशंकर सिंह ने कहा- लगातार बारिश होने से सब्जी की फसल को नुकसान होगा। इससे अगस्त के महीने में सब्जियों के दाम बढ़ जाएंगे। हालांकि, धान की फसल को अभी फायदा है, लेकिन अगर लगातार तेज बारिश होती रही तो इससे भी किसानों को आर्थिक नुकसान होगा। दरअसल, किसान फसल बढ़ाने के लिए जो खाद डालते हैं, पानी के तेज बहाव के कारण उसका असर कम होगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर