यूपी में इस बार नहीं तपेगा नौतपा:अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के नीचे रह सकता है; 15 साल बाद बनी ऐसी स्थिति

यूपी में इस बार नहीं तपेगा नौतपा:अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के नीचे रह सकता है; 15 साल बाद बनी ऐसी स्थिति

इस बार मौसम को लेकर 2 खुशखबरी है। पहला- यूपी में इस बार नौतपा ज्यादा नहीं तपेगा। दूसरा- तय समय से 2 से 3 दिन पहले मानसून यूपी आ सकता है। आज से (25 मई) से नौतपा शुरू हो रहा है, जो 2 जून तक रहेगा। लेकिन, 15 साल बाद ऐसा होगा कि नौतपा ज्यादा तपेगा नहीं। इसकी वजह मौसम में आई तब्दीली है। अप्रैल से शुरू हुआ आंधी-बारिश का दौर मई लास्ट और जून के पहले सप्ताह तक दिख सकता है। जानिए मौसम वैज्ञानिकों से, नौतपा में कैसा रहेगा मौसम? यह स्थिति क्यों बनी? बारिश की स्थिति क्या रहेगी? नौतपा क्या है मान्यता है कि नौतपा के दिनों सूर्य सर्वाधिक बलवान रहता है। इससे भीषण गर्मी पड़ती है। वैसे सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों तक रहता है, लेकिन नौतपा शुरुआती 9 दिनों को ही कहा जाता है। नौपता क्यों नहीं तपेगा?
कानपुर के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि नौतपा इस बार ज्यादा नहीं तपेगा। इसका बड़ा कारण है कि अप्रैल से मई तक बारिश बीच-बीच में होती रही है। इसके अलावा वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आते रहे हैं। अरब सागर से अब लगातार नम हवाएं आ रही हैं। दक्षिण-पश्चिम से आने वाली नम हवाएं भी लगातार आ रही है। इससे पूर्वानुमान है कि नौतपा इस बार ज्यादा नहीं तपेगा। अधिकतम तापमान कितना जा सकता है?
इस बार अधिकतम तापमान ज्यादा नहीं होगा। यह 42 डिग्री के अंदर ही रहने के आसार हैं। मौसम विभाग नौतपा के दिनों में भी आंधी-बारिश को लेकर लगातार अलर्ट जारी कर रहा है। इससे साफ है कि तापमान ज्यादा नहीं होगा। नौतपा शुरू होने से एक दिन पहले यानी 24 मई को अधिकतम तापमान 41 डिग्री के आसपास था। मई लास्ट तक कैसा रहेगा मौसम?
अप्रैल लास्ट से लेकर मई महीने में भी यूपी के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हो रही है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह दौर मई के लास्ट तक चलता रहेगा। इसके बाद एक बार फिर तापमान ऊपर जाएगा। कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने कहा, इस बार अप्रत्याशित रूप से ऐसा हुआ है कि अप्रैल से मई तक बारिश और आंधी आती रही। इसका मानसून के पैटर्न पर क्या असर पड़ता है?
माना जाता है कि अगर नौतपा में तापमान ज्यादा जाता है, तो बारिश अच्छी होती है। नौतपा में सूर्य की तेज किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं, जिससे धरती का तापमान तेजी से बढ़ता है। अधिक गर्मी पड़ने के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है। इससे समुद्र की लहरें आकर्षित होती हैं। इसी के चलते अच्छी बरसात की संभावना भी बनती है। लेकिन, इसके लिए दूसरी परिस्थितियां भी जरूरी हैं। जैसे- मानसून की सक्रियता बनी रही। 30 साल में दूसरी बार, जब मई में लू नहीं चली
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, पिछले 30 साल में दूसरी बार मई महीने में लू नहीं चली। 2021 में भी ठीक ऐसे ही मई में गर्मी चरम पर नहीं थी। इस बार भी पारे में उतार-चढ़ाव के साथ मई का अब तक दौर नरमी भरा ही है। कई दिन अधिकतम तापमान सामान्य से काफी कम दर्ज किया गया। बूंदाबांदी और पूर्वा हवाओं के असर से मई में कई दिन तो मानसून के दिनों जितने ठंडे रहे। यूपी में 2-3 दिन पहले आ सकता है मानसून
मानसून केरल में इस बार तय डेट 1 जून से 8 दिन पहले पहुंच गया है। इसका असर यूपी पर भी दिखेगा। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर मानसून की आगे बढ़ने की यही रफ्तार रही तो यूपी में मानसून 15-16 जून को यूपी में एंट्री कर जाएगा। प्रदेश में मानसून एंट्री की तय तारीख 18 जून है। इस तरह मानसून दो या तीन दिन पहले आ सकता है। हालांकि पिछली बार भी 20 जून को मानसून आने की संभावना जताई गई थी। लेकिन 10 दिन की देरी से मानसून यूपी में आया था, जबकि केरल में तय डेट से 2 दिन पहले 30 मई को एंट्री कर गया था। केरल में एंट्री के बाद यूपी आने में 15 से 30 दिन लगते हैं
यह जरूरी नहीं कि केरल में 4 दिन पहले मानसून की एंट्री होगी, तो यूपी में भी पहले मानसून आ जाएगा। पिछले 5 साल के आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे हैं। जैसे- 2021 में 3 जून को मानसून केरल में एंट्री कर गया, लेकिन यूपी में 15 दिन बाद मानसून आया। इसी तरह 2024 में 30 मई को केरल आया था, लेकिन यूपी में आने में 28 दिन लग गए। जबकि केरल और यूपी में मानसून की एंट्री की तय डेट में सिर्फ 18 दिन का अंतर है। पिछले साल से ज्यादा बारिश की संभावना
यूपी में मानसून में औसतन 886 मिमी बारिश दर्ज की जाती है। बारिश जब लगातार होती है, तो इसका फायदा होता है। 15 दिन में एक बार मूसलाधार बारिश हो गई और 100 मिमी बारिश दर्ज की गई, तो आंकड़ों में मानसून अच्छा माना जाता है। लेकिन, इसका फायदा नहीं होता। आमतौर पर 96 से 104 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है। 90 फीसदी से कम बारिश को सामान्य से बहुत कम, 90 से 95 फीसदी के बीच सामान्य से कम, 104 से 110 फीसदी के बीच सामान्य से ज्यादा और 110 फीसदी से ज्यादा बारिश बहुत ज्यादा माना जाता है। मानसून केरल पहले आता है, तो क्या यूपी में भी ऐसा होगा?
IMD के एक अधिकारी ने कहा कि मानसून के दौरान देश भर में होने वाली कुल बारिश और शुरुआत की तारीख के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। केरल में जल्दी या देर से आने वाले मानसून का मतलब यह नहीं कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा। BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश सिंह कहते हैं- मानसून की चाल हवा और प्रेशर पर डिपेंड करती है। इस बार मौसम में कई तरह के बदलाव देखे गए, इसलिए अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। इसलिए मानसून के पहुंचने में होती है देरी
मानसून को आगे बढ़ाने के लिए हवाओं की गति बेहद अनुकूल होनी चाहिए। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं जम्मू-कश्मीर तक जाती हैं। अगर राजस्थान, थार मरुस्थल की तरफ से आने वाली हवाएं ज्यादा तेज होती हैं, तो इसकी वजह से मानसून आगे नहीं बढ़ पाता। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं ही मानसून को आगे बढ़ाती हैं। अरब सागर में अगर कोई साइक्लोन आ जाता है, तो मानसून की हवाओं की गति और तेजी से आगे बढ़ने लगती है। 8 साल में एक बार छोड़कर कभी मानसून समय पर नहीं
मौसम विभाग के मुताबिक, यूपी में मानसून की एंट्री की डेट 18 जून है। लेकिन, बीते 8 साल में कभी भी मानसून ने तय तारीख पर यूपी में एंट्री नहीं की थी। यह पिछले साल 10 दिन की देरी से मानसून आया था। आखिर में जानिए 3 दिनों तक कैसा रहेगा मौसम ————————— ये खबर भी पढ़ें… ​​​​​​तय समय से 8 दिन पहले केरल पहुंचा मानसून, यह 16 साल में सबसे जल्दी मानसून शनिवार को केरल पहुंच गया। यह अपने तय समय से 8 दिन पहले पहुंचा है। मौसम विभाग के मुताबिक 16 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब मानसून इतनी जल्दी आया है। 2009 में मानसून 9 दिन पहले पहुंचा था। वहीं, पिछले साल 30 मई को दस्तक थी। पूरी खबर पढ़ें… इस बार मौसम को लेकर 2 खुशखबरी है। पहला- यूपी में इस बार नौतपा ज्यादा नहीं तपेगा। दूसरा- तय समय से 2 से 3 दिन पहले मानसून यूपी आ सकता है। आज से (25 मई) से नौतपा शुरू हो रहा है, जो 2 जून तक रहेगा। लेकिन, 15 साल बाद ऐसा होगा कि नौतपा ज्यादा तपेगा नहीं। इसकी वजह मौसम में आई तब्दीली है। अप्रैल से शुरू हुआ आंधी-बारिश का दौर मई लास्ट और जून के पहले सप्ताह तक दिख सकता है। जानिए मौसम वैज्ञानिकों से, नौतपा में कैसा रहेगा मौसम? यह स्थिति क्यों बनी? बारिश की स्थिति क्या रहेगी? नौतपा क्या है मान्यता है कि नौतपा के दिनों सूर्य सर्वाधिक बलवान रहता है। इससे भीषण गर्मी पड़ती है। वैसे सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों तक रहता है, लेकिन नौतपा शुरुआती 9 दिनों को ही कहा जाता है। नौपता क्यों नहीं तपेगा?
कानपुर के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि नौतपा इस बार ज्यादा नहीं तपेगा। इसका बड़ा कारण है कि अप्रैल से मई तक बारिश बीच-बीच में होती रही है। इसके अलावा वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आते रहे हैं। अरब सागर से अब लगातार नम हवाएं आ रही हैं। दक्षिण-पश्चिम से आने वाली नम हवाएं भी लगातार आ रही है। इससे पूर्वानुमान है कि नौतपा इस बार ज्यादा नहीं तपेगा। अधिकतम तापमान कितना जा सकता है?
इस बार अधिकतम तापमान ज्यादा नहीं होगा। यह 42 डिग्री के अंदर ही रहने के आसार हैं। मौसम विभाग नौतपा के दिनों में भी आंधी-बारिश को लेकर लगातार अलर्ट जारी कर रहा है। इससे साफ है कि तापमान ज्यादा नहीं होगा। नौतपा शुरू होने से एक दिन पहले यानी 24 मई को अधिकतम तापमान 41 डिग्री के आसपास था। मई लास्ट तक कैसा रहेगा मौसम?
अप्रैल लास्ट से लेकर मई महीने में भी यूपी के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हो रही है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह दौर मई के लास्ट तक चलता रहेगा। इसके बाद एक बार फिर तापमान ऊपर जाएगा। कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने कहा, इस बार अप्रत्याशित रूप से ऐसा हुआ है कि अप्रैल से मई तक बारिश और आंधी आती रही। इसका मानसून के पैटर्न पर क्या असर पड़ता है?
माना जाता है कि अगर नौतपा में तापमान ज्यादा जाता है, तो बारिश अच्छी होती है। नौतपा में सूर्य की तेज किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं, जिससे धरती का तापमान तेजी से बढ़ता है। अधिक गर्मी पड़ने के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है। इससे समुद्र की लहरें आकर्षित होती हैं। इसी के चलते अच्छी बरसात की संभावना भी बनती है। लेकिन, इसके लिए दूसरी परिस्थितियां भी जरूरी हैं। जैसे- मानसून की सक्रियता बनी रही। 30 साल में दूसरी बार, जब मई में लू नहीं चली
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, पिछले 30 साल में दूसरी बार मई महीने में लू नहीं चली। 2021 में भी ठीक ऐसे ही मई में गर्मी चरम पर नहीं थी। इस बार भी पारे में उतार-चढ़ाव के साथ मई का अब तक दौर नरमी भरा ही है। कई दिन अधिकतम तापमान सामान्य से काफी कम दर्ज किया गया। बूंदाबांदी और पूर्वा हवाओं के असर से मई में कई दिन तो मानसून के दिनों जितने ठंडे रहे। यूपी में 2-3 दिन पहले आ सकता है मानसून
मानसून केरल में इस बार तय डेट 1 जून से 8 दिन पहले पहुंच गया है। इसका असर यूपी पर भी दिखेगा। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर मानसून की आगे बढ़ने की यही रफ्तार रही तो यूपी में मानसून 15-16 जून को यूपी में एंट्री कर जाएगा। प्रदेश में मानसून एंट्री की तय तारीख 18 जून है। इस तरह मानसून दो या तीन दिन पहले आ सकता है। हालांकि पिछली बार भी 20 जून को मानसून आने की संभावना जताई गई थी। लेकिन 10 दिन की देरी से मानसून यूपी में आया था, जबकि केरल में तय डेट से 2 दिन पहले 30 मई को एंट्री कर गया था। केरल में एंट्री के बाद यूपी आने में 15 से 30 दिन लगते हैं
यह जरूरी नहीं कि केरल में 4 दिन पहले मानसून की एंट्री होगी, तो यूपी में भी पहले मानसून आ जाएगा। पिछले 5 साल के आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे हैं। जैसे- 2021 में 3 जून को मानसून केरल में एंट्री कर गया, लेकिन यूपी में 15 दिन बाद मानसून आया। इसी तरह 2024 में 30 मई को केरल आया था, लेकिन यूपी में आने में 28 दिन लग गए। जबकि केरल और यूपी में मानसून की एंट्री की तय डेट में सिर्फ 18 दिन का अंतर है। पिछले साल से ज्यादा बारिश की संभावना
यूपी में मानसून में औसतन 886 मिमी बारिश दर्ज की जाती है। बारिश जब लगातार होती है, तो इसका फायदा होता है। 15 दिन में एक बार मूसलाधार बारिश हो गई और 100 मिमी बारिश दर्ज की गई, तो आंकड़ों में मानसून अच्छा माना जाता है। लेकिन, इसका फायदा नहीं होता। आमतौर पर 96 से 104 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है। 90 फीसदी से कम बारिश को सामान्य से बहुत कम, 90 से 95 फीसदी के बीच सामान्य से कम, 104 से 110 फीसदी के बीच सामान्य से ज्यादा और 110 फीसदी से ज्यादा बारिश बहुत ज्यादा माना जाता है। मानसून केरल पहले आता है, तो क्या यूपी में भी ऐसा होगा?
IMD के एक अधिकारी ने कहा कि मानसून के दौरान देश भर में होने वाली कुल बारिश और शुरुआत की तारीख के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। केरल में जल्दी या देर से आने वाले मानसून का मतलब यह नहीं कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा। BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश सिंह कहते हैं- मानसून की चाल हवा और प्रेशर पर डिपेंड करती है। इस बार मौसम में कई तरह के बदलाव देखे गए, इसलिए अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। इसलिए मानसून के पहुंचने में होती है देरी
मानसून को आगे बढ़ाने के लिए हवाओं की गति बेहद अनुकूल होनी चाहिए। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं जम्मू-कश्मीर तक जाती हैं। अगर राजस्थान, थार मरुस्थल की तरफ से आने वाली हवाएं ज्यादा तेज होती हैं, तो इसकी वजह से मानसून आगे नहीं बढ़ पाता। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं ही मानसून को आगे बढ़ाती हैं। अरब सागर में अगर कोई साइक्लोन आ जाता है, तो मानसून की हवाओं की गति और तेजी से आगे बढ़ने लगती है। 8 साल में एक बार छोड़कर कभी मानसून समय पर नहीं
मौसम विभाग के मुताबिक, यूपी में मानसून की एंट्री की डेट 18 जून है। लेकिन, बीते 8 साल में कभी भी मानसून ने तय तारीख पर यूपी में एंट्री नहीं की थी। यह पिछले साल 10 दिन की देरी से मानसून आया था। आखिर में जानिए 3 दिनों तक कैसा रहेगा मौसम ————————— ये खबर भी पढ़ें… ​​​​​​तय समय से 8 दिन पहले केरल पहुंचा मानसून, यह 16 साल में सबसे जल्दी मानसून शनिवार को केरल पहुंच गया। यह अपने तय समय से 8 दिन पहले पहुंचा है। मौसम विभाग के मुताबिक 16 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब मानसून इतनी जल्दी आया है। 2009 में मानसून 9 दिन पहले पहुंचा था। वहीं, पिछले साल 30 मई को दस्तक थी। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर