<p style=”text-align: justify;”><strong>Ghazipur News Today:</strong> उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से प्रदेश के 4000 मदरसों की जांच एटीएस को सौंप गई है, जिसके बाद एटीएस ने इन मदरसों के फंडिंग की जांच शुरू कर दी है. इस संबंध शासन की तरफ से गाजीपुर जिले के अल्पसंख्यक विभाग को भी पत्र आया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पत्र के आधार पर जिले के 11 मदरसे चिन्हित किए गए हैं, जो पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से बगैर मान्यता के संचालित किया जा रहे हैं. इन मदरसों की जांच की लिस्ट अल्पसंख्यक विभाग ने एटीएस को भेज दी है. अब एटीएस इन मदरसों के फंडिंग की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विभाग ने ATS को सौंपी लिस्ट</strong><br />जिला अल्पसंख्यक अधिकारी सच्चिदानंद तिवारी ने बताया कि शासन के जरिये ऐसे मदरसे की लिस्ट मांगी गई थी, जो बगैर मान्यता के संचालित किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि गाजीपुर में इस तरह के 11 मदरसे चिह्नित किए गए हैं, जिन्होंने कभी भी मदरसे के मान्यता के लिए विभाग में पहल नहीं की और वह लगातार चल रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गाजीपुर जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने इन मदरसों की जानकारी देते हुए बताया कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में से एक दिलदारनगर का मदरसा है, जो 1962 से लेकर अब तक बगैर मान्यता के संचालित हो रहा है. जिसमें मौजूदा समय में 262 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इनके फंडिंग की होगी जांच</strong><br />इसी तरह जिले के बहरियाबाद में स्थित अरबिया दारुल उलूम के पास भी मान्यता नहीं है, जिसमें 65 छात्र पढ़ते हैं और चार टीचर अध्यापन का कार्य करा रहे हैं. जहां पर कुरान और उर्दू की पढ़ाई होती है जो आम चंदे से चलता है. मदरसा दिनिया स्टीमर घाट जो 1931 से संचालित है, यहां 92 बच्चे और 9 टीचर हैं. यह भी आम चंदे से ही संचालित होता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा मदरसा मसीहुल ताजपुर कुर्रा के पास भी मान्यता नहीं है, यहां 240 छात्र पढ़ते हैं और पांच टीचर हैं. इस मदरसे में उर्दू की पढ़ाई कराई जाती है और यह जन सहयोग से चलता है. मदरसा तेगिया बदरुल उलूम ताजपुर कुर्रा 2012 से संचालित होता है, यहां पर 80 बच्चे और पांच टीचर हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मदरसा दारुल उलूम तोगैया समसुल उलूम रेक्सहा में 36 बच्चे और तीन टीचर हैं. जामिया अरबिया हुसैनाबाद दिलदारनगर मदरसा 1962 से संचालित होता है, यहां पर 244 छात्र और 15 टीचर हैं. इसके अलावा मदरसा इस्लामिया अलावलपुर मदरसा, कासिमाबाद में 1997 से संचालित हो रहा है, यहां पर 70 बच्चे और चार टीचर हैं. इस मदरसे में भी कुरान, उर्दू, हिंदी और दूसरे विषय पढ़ाए जाते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दान और जनसहोयग से चल रहे मदरसे?</strong><br />जिले के मुस्लिमपुर में स्थित ‘बच्चों का घर’ मदरसा 1999 से संचालित हो रहा है, इस मदरसे के पास भी मान्यता नहीं है और वर्तमान में यहां 42 बच्चे और चार टीचर हैं. मदरसा तजविरुल कुरान जमालपुर यूसुफपुर में भी 25 बच्चे पढ़ते हैं और यहां दो टीचर हैं. मदरसा जामिया उबेद दिया मोहम्मदाबाद गाजीपुर भी इस लिस्ट में शामिल है, जहां 12 बच्चे और दो टीचर हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अल्पसंख्यक विभाग ने एटीएस को भेजी गई लिस्ट में मदरसा अरबिया कंजउल उलूम बहरियाबाद को भी शामिल किया है. यहां पर 70 बच्चे और 6 टीचर हैं. इन सभी मदरसों को आम लोगों से मिले दान और जन सहयोग से चलाई जाने की बात कही जा रही है. हालांकि इन मदरसा के प्रबंधकों के जरिये कभी भी मान्यता के लिए आवेदन तक नहीं किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”UP Politics: सपा प्रत्याशी के खिलाफ FIR दर्ज, एससी-एसटी एक्ट के तहत हुआ केस, जानें क्या है मामला” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/phoolpur-bypolls-fir-on-samajwadi-party-candidate-mujtaba-siddiqui-in-sc-st-act-ann-2812571″ target=”_blank” rel=”noopener”>UP Politics: सपा प्रत्याशी के खिलाफ FIR दर्ज, एससी-एसटी एक्ट के तहत हुआ केस, जानें क्या है मामला</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ghazipur News Today:</strong> उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से प्रदेश के 4000 मदरसों की जांच एटीएस को सौंप गई है, जिसके बाद एटीएस ने इन मदरसों के फंडिंग की जांच शुरू कर दी है. इस संबंध शासन की तरफ से गाजीपुर जिले के अल्पसंख्यक विभाग को भी पत्र आया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पत्र के आधार पर जिले के 11 मदरसे चिन्हित किए गए हैं, जो पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से बगैर मान्यता के संचालित किया जा रहे हैं. इन मदरसों की जांच की लिस्ट अल्पसंख्यक विभाग ने एटीएस को भेज दी है. अब एटीएस इन मदरसों के फंडिंग की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विभाग ने ATS को सौंपी लिस्ट</strong><br />जिला अल्पसंख्यक अधिकारी सच्चिदानंद तिवारी ने बताया कि शासन के जरिये ऐसे मदरसे की लिस्ट मांगी गई थी, जो बगैर मान्यता के संचालित किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि गाजीपुर में इस तरह के 11 मदरसे चिह्नित किए गए हैं, जिन्होंने कभी भी मदरसे के मान्यता के लिए विभाग में पहल नहीं की और वह लगातार चल रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गाजीपुर जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने इन मदरसों की जानकारी देते हुए बताया कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में से एक दिलदारनगर का मदरसा है, जो 1962 से लेकर अब तक बगैर मान्यता के संचालित हो रहा है. जिसमें मौजूदा समय में 262 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इनके फंडिंग की होगी जांच</strong><br />इसी तरह जिले के बहरियाबाद में स्थित अरबिया दारुल उलूम के पास भी मान्यता नहीं है, जिसमें 65 छात्र पढ़ते हैं और चार टीचर अध्यापन का कार्य करा रहे हैं. जहां पर कुरान और उर्दू की पढ़ाई होती है जो आम चंदे से चलता है. मदरसा दिनिया स्टीमर घाट जो 1931 से संचालित है, यहां 92 बच्चे और 9 टीचर हैं. यह भी आम चंदे से ही संचालित होता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा मदरसा मसीहुल ताजपुर कुर्रा के पास भी मान्यता नहीं है, यहां 240 छात्र पढ़ते हैं और पांच टीचर हैं. इस मदरसे में उर्दू की पढ़ाई कराई जाती है और यह जन सहयोग से चलता है. मदरसा तेगिया बदरुल उलूम ताजपुर कुर्रा 2012 से संचालित होता है, यहां पर 80 बच्चे और पांच टीचर हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मदरसा दारुल उलूम तोगैया समसुल उलूम रेक्सहा में 36 बच्चे और तीन टीचर हैं. जामिया अरबिया हुसैनाबाद दिलदारनगर मदरसा 1962 से संचालित होता है, यहां पर 244 छात्र और 15 टीचर हैं. इसके अलावा मदरसा इस्लामिया अलावलपुर मदरसा, कासिमाबाद में 1997 से संचालित हो रहा है, यहां पर 70 बच्चे और चार टीचर हैं. इस मदरसे में भी कुरान, उर्दू, हिंदी और दूसरे विषय पढ़ाए जाते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दान और जनसहोयग से चल रहे मदरसे?</strong><br />जिले के मुस्लिमपुर में स्थित ‘बच्चों का घर’ मदरसा 1999 से संचालित हो रहा है, इस मदरसे के पास भी मान्यता नहीं है और वर्तमान में यहां 42 बच्चे और चार टीचर हैं. मदरसा तजविरुल कुरान जमालपुर यूसुफपुर में भी 25 बच्चे पढ़ते हैं और यहां दो टीचर हैं. मदरसा जामिया उबेद दिया मोहम्मदाबाद गाजीपुर भी इस लिस्ट में शामिल है, जहां 12 बच्चे और दो टीचर हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अल्पसंख्यक विभाग ने एटीएस को भेजी गई लिस्ट में मदरसा अरबिया कंजउल उलूम बहरियाबाद को भी शामिल किया है. यहां पर 70 बच्चे और 6 टीचर हैं. इन सभी मदरसों को आम लोगों से मिले दान और जन सहयोग से चलाई जाने की बात कही जा रही है. हालांकि इन मदरसा के प्रबंधकों के जरिये कभी भी मान्यता के लिए आवेदन तक नहीं किया गया.</p>
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