महाकुंभ में आए लोगों की पसंदीदा डेस्टिनेशन अयोध्या क्यों रही?:मेले में करीब 5 हजार हर श्रद्धालु ने खर्च किए, अब सरकार की क्या प्लानिंग महाकुंभ के दौरान लोगों ने टॉप डेस्टिनेशन के रूप में प्रयागराज संगम को चुना। यहां जब उनसे पूछा गया कि उनका पसंदीदा डेस्टिनेशन क्या है? तो ज्यादातर का जवाब था- अयोध्या। मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म एंड कल्चर की तरफ से महाकुंभ के दौरान कराए गए एक सर्वे में यह बात निकल कर आई है। इसके मुताबिक, घरेलू पर्यटकों का परिवार के साथ जाने के लिए संगम टॉप डेस्टिनेशन रहा। वहीं, विदेशी पर्यटकों ने इसे अकेले जाने की कैटेगरी में टॉप पर रखा। यह सर्वे क्या है? महाकुंभ को लेकर सर्वे में क्या सामने आया? अर्थव्यवस्था पर महाकुंभ का क्या असर रहा? भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए- सवाल 1- महाकुंभ को लेकर सर्वे में क्या निकलकर आया? जवाब- महाकुंभ को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म और कल्चर ने एक सर्वे कराया। लोगों ने संगम को टॉप डेस्टिनेशन के रूप में चुना। सर्वे में यह भी सामने आया कि महाकुंभ के दौरान घरेलू और विदेशी श्रद्धालुओं ने व्यक्तिगत रूप से मेले में 5 हजार 877 रुपए खर्च किए। इस कुल रकम में से पर्यटकों ने करीब 41 फीसदी वहां यातायात पर खर्च किया। करीब 16 फीसदी ठहरने की जगह पर, 11 फीसदी खाने पर और इतना ही पूजा-पाठ का सामान खरीदने पर खर्च किया। इसके अलावा करीब 2 फीसदी वहां किसी तरह के मनोरंजन पर, करीब 7 फीसदी शॉपिंग पर और 10 फीसदी अन्य चीजों पर खर्च किया। सर्वे में बताया गया कि चूंकि महाकुंभ में करीब 66 करोड़ लोग पहुंचे। इस हिसाब से प्रति व्यक्ति के खर्च का कुल आंकड़ा 3.88 लाख करोड़ रुपए होता है। यानी कुल इतनी रकम वहां पहुंचे लोगों ने खर्च की। सर्वे में यह भी निकलकर आया कि जब लोगों से उनकी पसंदीदा जगह पूछी गई तो सबसे ज्यादा लोगों ने अयोध्या का नाम लिया। वहीं, जब उनसे उनके जाने की योजना के बारे में पूछा गया तो प्रयागराज संगम बताया। सवाल 2- महाकुंभ स्पिरिचुअल सर्वे 2025 क्या है? जवाब- मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म एंड कल्चर ने भारत के साथ महाकुंभ पहुंचने वाले 45 देशों के 3 लाख 52 हजार 388 लोगों का सर्वे कराया। इसको 28 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 के बीच प्रयागराज में तेलियरगंज, झूंसी, अरैल, परेड ग्राउंड सहित मेला में अन्य जगहों पर किया गया। केंद्र सरकार ने सर्वे ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट से कराया। इसे महाकुंभ स्पिरिचुअल सर्वे- 2025 नाम दिया गया। सर्वे इस उद्देश्य से कराया गया कि देश में टॉप डेस्टिनेशन का पता लगाया जा सके। उसके अनुसार उस जगह पर आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा सके। सवाल 3- महाकुंभ का अर्थव्यवस्था पर असर को लेकर क्या आकलन किया गया? जवाब- महाकुंभ के दौरान एक जगह पर 66 करोड़ लोग आए-गए। इस दौरान यहां लोगों के खर्च करने की सामर्थ्य और उसके आकलन के आधार पर कई आंकड़े सामने आए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण और ध्यान खींचने वाला रहा देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. आनंदनाथन का अनुमान। उन्होंने फरवरी महीने में महाकुंभ के खत्म होने पर कहा कि महाकुंभ भारत के वित्तीय साल 2024-25 में GDP में बढ़ोतरी में मदद करेगा। यह देश की 6.5 फीसदी GDP वृद्धि दर लक्ष्य को पाने में मददगार होगी। वहीं, सीएम योगी ने बजट सत्र में विधानसभा में कहा कि महाकुंभ में 7 हजार 500 करोड़ के निवेश के बदले वहां रिकॉर्ड कारोबार में 3 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ। इस दौरान योगी ने प्रयागराज के उस नाविक का भी उदाहरण दिया, जिसने 45 दिन के इस आयोजन में नाव के संचालन से 30 करोड़ की कमाई का दावा किया था। नाविक के पास कुल 130 नावें थीं। इस आधार पर सीएम ने बताया कि वह हर नाव से 23 लाख रुपए की कमाई सिर्फ महाकुंभ की वजह से कर पाया। योगी ने कहा कि महाकुंभ में जितना खर्च किया गया है, उसका राज्य की इकोनॉमी में बड़ा योगदान है। महाकुंभ में कारोबार को लेकर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की मानें तो प्रयागराज ही नहीं, बल्कि 150 किलोमीटर के दायरे में व्यापार में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली। इस आयोजन से अयोध्या, वाराणसी और बाकी धार्मिक जगहों की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी काफी मजबूती मिली। सवाल 4- महाकुंभ में सरकार ने कितना खर्च किया? जवाब- संगम के किनारे पूरा शहर बसाने में केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर निवेश किया था। मेला आयोजन पर करीब 14 हजार करोड़ रुपए सरकारों ने निवेश किया था। इसमें 7 हजार करोड़ केंद्र सरकार ने और करीब इतना ही राज्य सरकार ने निवेश किया था। कुल निवेश का करीब 75 फीसदी हिस्सा यहां बुनियादी ढांचे को बनाने में लगा था। सवाल 5- वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज को लेकर सरकार की क्या योजना है? जवाब- राज्य सरकार ने वैसे तो महाकुंभ से पहले ही अनुमान के आधार पर प्रयागराज, काशी और अयोध्या को लेकर अलग-अलग टूर पैकेज पर काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन, महाकुंभ के दौरान इस सर्किट पर जिस तरह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, उसे देखते हुए यूपी सरकार भी गंभीर हो गई। कुंभ के समय के आंकड़ों को देखते हुए राज्य सरकार अब नीति आयोग के सुझाव पर वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या को लेकर नए धार्मिक पर्यटन सर्किट पर काम कर रही है। सरकार इन तीनों जगहों को जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने पर जोर दे रही है। इसमें अच्छी सड़कें, सार्वजनिक परिवहन, ट्रेनें और रहने से लेकर घूमने तक की व्यवस्था शामिल है। राज्य सरकार के मुताबिक, इस सर्किट में पड़ने वाले जिले प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर और भदोही जैसे जिलों के 2.38 करोड़ लोगों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ेगा। ————————- ये खबर भी पढ़ें… क्या यूपी के शुभम द्विवेदी को शहीद का दर्जा मिलेगा?, सरकार और सेना की लिखा-पढ़ी में यह शब्द ही नहीं कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 27 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमले में कानपुर के शिवम द्विवेदी भी मारे गए। शिवम की पत्नी ऐशन्या ने पति को शहीद का दर्जा देने की मांग की है। शहीद का दर्जा किसे दिया जा सकता है? सेना और सरकार की ओर से इसके नियम क्या हैं? क्या ऐशन्या की मांग पूरी होगी? पढ़ें पूरी खबर