यूपी में बदले की तीन कहानियां:बाप का, दादा का, भाई का बदला लेने के लिए मर्डर; 28 साल से सीने में धधक रही थी आग

यूपी में बदले की तीन कहानियां:बाप का, दादा का, भाई का बदला लेने के लिए मर्डर; 28 साल से सीने में धधक रही थी आग

बाप का, दादा का, भाई का…सबका बदला लेगा फैजल। गैंग्स ऑफ वासेपुर का ये डायलॉग सिर्फ फिल्म तक सीमित नहीं रह गया है। यूपी में 20 दिन में कुछ इसी तर्ज पर बदले में हत्या की तीन कहानियां सामने आई हैं। पीतल नगरी मुरादाबाद में 14 साल के बेटे की मौत का बदला लेने के लिए मां ही बेटों से कहती है- भाई का बदला नहीं लोगे क्या? बार-बार जोर देने पर बेटे ने दोस्त के साथ इस तरह वारदात को अंजाम दिया कि किसी की भी रूह कांप जाए। बनारस में एक ही रात में 5 लोगों की हत्या कर दी गई। शराब कारोबारी का पूरा परिवार खत्म कर दिया गया। पुलिस ने सनसनीखेज मामले की कड़ियां तलाशनी शुरू की तो जांच 28 साल पुराने डबल मर्डर पर टिक गई। वहीं, भदोही में प्रिंसिपल योगेंद्र बहादुर सिंह मर्डर केस का सच सबको हैरान करने वाला है। 27 साल पहले हुए पिता के मर्डर का बदला लेने के लिए शूटर्स से प्रिंसिपल की हत्या कराई गई। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए ऐसे ही बदले की 3 कहानियां… मां ने बेटों से कहा-भाई की मौत का बदला नहीं लोगे क्या?
तारीख 15 फरवरी 2024 : मुरादाबाद के साईं विद्या मंदिर स्कूल में आठवीं के स्टूडेंट प्रिंस ने घर पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। प्रिंस के सुसाइड के बाद परिवार ने बिना पुलिस को सूचना दिए अंतिम संस्कार कर दिया। 14 साल के बेटे की मौत से मां कविता राघव उर्फ वंदना सदमे में थी। इसी बीच उन्हें कहीं से पता चला कि जिस दिन बेटे ने सुसाइड किया, उसी दिन स्कूल प्रिंसिपल शबाबुल हसन (35) ने स्कूल में उसके साथ मारपीट की थी। वंदना को किसी ने ये भी बताया कि शबाबुल अक्सर स्कूल में प्रिंस को टॉर्चर करता था। तभी से वंदना अपने बेटे की मौत के लिए शबाबुल को कसूरवार मानने लगी। वंदना थाने गईं। शबाबुल के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने के लिए तहरीर दी। घटना पुरानी हो चुकी थी। शव का अंतिम संस्कार हो चुका था, इसलिए पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। वंदना के पास अब कोर्ट ही रास्ता बचा था। उसने कोर्ट में याचिका दाखिल की। शबाबुल पर बेटे को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। कोर्ट के आदेश पर करीब 3 महीने पहले शबाबुल के खिलाफ मझोला थाने में FIR दर्ज कर ली गई। शव का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ था, इसलिए पुलिस शबाबुल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाई। उधर, बेटे को खोने का रंज वंदना को इस कदर था कि वह उसकी मौत के लिए जिम्मेदार शख्स से हर हाल में बदला लेना चाहती थी। गम और गुस्से में वह अपने दो बेटों शिवम और आदित्य से बोली, ‘भाई की मौत का बदला नहीं लोगे क्या?’ बस यहीं से शुरू हुई स्कूल प्रिंसिपल के मर्डर की प्लानिंग। कविता लगातार इस प्लानिंग में बेटों को गाइड कर रही थी। मुरादाबाद में एकता विहार मंडी समिति में रहने वाला आदित्य का दोस्त हर्ष चौधरी भी इस प्लानिंग में शामिल था। शार्प शूटर की तरह प्रिंसिपल को मारी गोली 5 नवंबर 2024: समय सुबह के 8 बजे। स्कूल प्रिंसिपल शबाबुल हसन (35) जैसे ही घर से निकले, उनका पीछा किया। स्कूल पहुंचने से करीब 50 मीटर पहले एक बाइक शबाबुल के एकदम बराबर से निकली। शबाबुल के सिर में गोली मार दी गई। गोली लगते ही प्रिंसिपल मुंह के बल गिरे। आसपास के लोग अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। वारदात को खौफनाक तरह से अंजाम दिया गया था। बाइक की सीट पर पीछे बैठकर किसी प्रोफेशनल शार्प शूटर की तरह प्रिंसिपल शबाबुल हसन को शूट करने वाला 15 साल का आदित्य निकला। बाइक उसका दोस्त हर्ष चला रहा था। आदित्य का पिता कर्नाटक जेल में बंद है। मां और बड़ा भाई शिवम मिलकर आदित्य को शहर के नामी स्कूल में पढ़ा रहे थे। वह 10वीं का छात्र है। वह पढ़ाई लिखाई में भी बेहतर है, इसलिए पुलिस उससे नरमी से पेश आई। लेकिन पहले ही सवाल पर आदित्य बोला- हां, उसे मैंने ही मारा है। उसे तो मरना ही था…उसने मेरे भाई को जो मारा था। मुझे उसकी मौत का रत्तीभर अफसोस नहीं है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना से पहले कई दिन तक वंदना ने अपने बेटों की मदद से रेकी की थी। शबाबुल कितने बजे घर से निकलता है? कितने बजे स्कूल पहुंचता है? एक-एक बात की डिटेल रेकी की गई थी। तीन दिन से रोजाना शबाबुल को मारने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन हमलावरों को ठीक मौका नहीं मिल रहा था। शबाबुल की बड़ी बहन मुमताज ने रोते हुए कहा- स्कूल में एक लड़का मैडम की डांट के बाद खत्म हो गया था। मेरा भाई तो उसे पढ़ाता भी नहीं था। लेकिन, उनके घर वालों ने हम लोगों को धमकी दी थी कि जैसे मेरा बेटा मरा है, ऐसे ही तेरे भाई को तड़पा-तड़पाकर मारेंगे। 28 साल पहले दो कत्ल… बदले में खत्म हो गया शराब कारोबारी का परिवार!
वाराणसी के भदैनी इलाके के संपन्न कारोबारी लक्ष्मी नारायण के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी। शराब और प्रॉपर्टी का बड़ा काम था। मकानों का किराया भी आता था। दो बेटे राजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता थे। छोटे बेटे कृष्णा पिता के ज्यादा करीब थे, यही वजह थी कि कारोबार और प्रॉपर्टी की बागडोर भी उन्हीं के हाथ में थी। यह बात बड़े बेटे राजेंद्र गुप्ता को अखरती थी। दोनों भाइयों के बीच अक्सर विवाद भी होता था। 1997 में कृष्णा और उनकी पत्नी को घर में ही सोते समय गोली मार दी गई। आरोप बड़े भाई राजेंद्र गुप्ता पर लगा। गिरफ्तारी हुई। कृष्णा के 2 बेटों जुगनू और विक्की ने राजेंद्र गुप्ता के खिलाफ थाने से लेकर कोर्ट तक केस की पैरवी की। एक बेटे की मौत, दूसरे को जेल होने पर लक्ष्मी नारायण कारोबार संभालते रहे। जुगनू और विक्की को दादा (लक्ष्मी नारायण) का साथ मिला। लक्ष्मी नारायण दोनों को काम सिखा रहे थे, इसी बीच 2003 में राजेंद्र पैरोल पर बाहर आ गया। राजेंद्र कारोबार पर पकड़ बनाने की कोशिश करने लगा, लेकिन पिता लक्ष्मी नारायण नहीं चाहते थे कि उनके छोटे बेटे को मारने वाला परिवार में शामिल भी हो। यही वजह है कि उन्होंने परिवार और कारोबार से राजेंद्र को दूर रखा। ये सब राजेंद्र को अखरने लगा। उसने अपने पिता के मर्डर की भी प्लानिंग कर डाली। पुलिस के मुताबिक, राजेंद्र ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहा पर देसी शराब ठेके के पास अपने पिता लक्ष्मी नारायण की हत्या करवा दी। उनके साथ रहने वाले गार्ड को भी गोली मारी गई। उसकी भी मौत हो गई। यानी सुपारी देकर डबल मर्डर कराया गया। इसके बाद राजेंद्र ने कारोबार पर अपना वर्चस्व जमाना शुरू कर दिया। एक ही रात पांच मर्डर, सभी को गोली मारी गई
साल बीते तो सबकुछ सामान्य चल रहा था। तभी 5 नवंबर 2024 को खौफनाक वारदात सामने आई। राजेंद्र गुप्ता की पत्नी नीतू गुप्ता (42), दो बेटे नवनेंद्र (25), सुबेंद्र (15) और बेटी गौरांगी (16) की लाश मिली। सभी की गोली मारकर हत्या की गई थी। लेकिन जब उसने राजेंद्र गुप्ता (45) का फोन ट्रेस किया तो लोकेशन रोहनिया के मीरापुर रामपुर गांव में मिली। पुलिस वहां पहुंची तो निर्माणाधीन मकान में बिस्तर पर राजेंद्र गुप्ता की न्यूड लाश मिली। पुलिस की पहली थ्योरी थी कि राजेंद्र गुप्ता ने पूरे परिवार की हत्या करने के बाद खुदकुशी कर ली। लेकिन जिस हालत में राजेंद्र गुप्ता की डेड बॉडी मिली थी, उससे सवाल खड़ा हुआ कि कोई न्यूड होकर खुदकुशी क्यों करेगा। पुलिस ने इस परिवार का अतीत तलाशना शुरू किया तो पुरानी परतें खुलने लगीं। 28 साल पुराना विवाद भी सामने आ गया। पुलिस मान रही है कि दीपावली पर मर्डर की रेकी हुई। नीतू और बच्चे पुश्तैनी घर में रहते हैं, राजेंद्र नए घर में चला जाता है। यह सब कातिलों को पता था। फोरेंसिक टीम मान रही है कि पहले नीतू और उनके 3 बच्चों की हत्या की गई है। फिर राजेंद्र की हत्या की गई है। जब कातिल वहां पहुंचे, तो 1 महिला पहले से कमरे में थी, जिसके जाने का कातिलों ने इंतजार किया। शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता, उनकी पत्नी नीतू, दो बेटों और बेटी को बहुत करीब से गोली मारी गई। वारदात की जगह अलग-अलग है, मगर पैटर्न एक है। सभी के सिर और सीने में गोली मारी गई। शक की सुई राजेंद्र गुप्ता के भतीजे विक्की पर है, जो फरार चल रहा है। राजेंद्र गुप्ता ने की 2 शादियां, दोनों पत्नियों से विवाद राजेंद्र ने 2 शादियां की थीं। पहली शादी 1995 में हुई। उससे 1 लड़का हुआ। 2 साल में ही राजेंद्र ने पत्नी को छोड़ दिया। इसके बाद वह मर्डर केस में फंसा और 6 साल के लिए जेल चला गया। 2003 में जेल से बाहर आया तो नीतू से अफेयर हो गया। बाद में नीतू से शादी कर ली। पहली पत्नी से एक लड़का था, जो अब साथ नहीं रहता। दूसरी पत्नी से 3 बच्चे हुए। 2 लड़के और एक लड़की। बड़ा बेटा नवनेंद्र और छोटा सुबेंद्र था। बेटी गौरांगी थी। नवनेंद्र बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था। सुबेंद्र और गौरांगी DPS में पढ़ते थे। पांच मंजिला मकान में अकेली रह गईं शारदा देवी
5 मंजिला घर में अब राजेंद्र गुप्ता की मां शारदा देवी अकेली हैं। उनसे पूछा गया- विक्की पर ही शक क्यों है, उसने कुछ गलत किया क्या? शारदा देवी ने कहा- राजेंद्र और विक्की में कभी नहीं पटती थी। दोनों में कई बार झगड़े हुए। वह (विक्की) गुस्से में था। हमसे कहा था कि हम भी पापा की मौत का बदला लेंगे। हमने विक्की से कहा था कि अब एक ही लड़का बचा है। बड़ा वाला दिमाग से पागल था। छोटा मर चुका है। अब ऐसा कुछ मत करना। DCP गौरव बंसवाल का कहना है कि मां शारदा देवी ने जो बयान दिए हैं, उससे विक्की पर शक जा रहा है। प्रशांत उर्फ जुगनू हमारी कस्टडी में है। विक्की के मिलने के बाद पूरी क्राइम स्टोरी सामने आ जाएगी। पिता की हत्या का बदला 27 साल बाद लिया, शूटर्स से कराई हत्या
1997 में भदोही में पांच महीने के बच्चे के पिता की हत्या कर दी गई। वह पिता जो कानूनी लड़ाई के बाद इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज में नौकरी जॉइन करने जा रहे थे। हमलावरों ने उन्हें रास्ते में गोली मार दी। बेटा बड़ा हुआ तो मां ने पिता की हत्या का सच बताया। बदले की आग इस कदर हावी हुई कि शूटर्स के जरिए मर्डर को अंजाम दिया। पकड़ा गया तो सच भी कबूल लिया। भदोही में 21 अक्टूबर को इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल योगेंद्र बहादुर सिंह (55) की हत्या कर दी गई। वारदात के दिन सुबह करीब 9:30 बजे वह ड्राइवर के साथ कार से अमिलोरी गांव स्थित अपने घर से कॉलेज जा रहे थे। ड्राइवर संतोष ने बताया प्रिंसिपल अपने घर से 700 से 800 मीटर की दूरी पर बसवानपुर गांव पहुंचे थे। इस बीच बाइक पर सवार दो युवक हाथ में मोबाइल लिए सामने से आते दिखाई दिए। कार को हाथ देकर रुकवाया। कार रोकी तो हमलावरों ने शीशा नीचे करके मोबाइल लेने की बात कही। शीशा बंद होने के चलते उनकी आवाज सुनाई नहीं दी। प्रिंसिपल ने जैसे ही कार का शीशा खोला, दोनों हमलावरों ने हथियार निकाल कर उन पर अंधाधुंध फायरिंग की। हमलावरों ने 10 गोलियां चलाईं। 5 प्रिंसिपल को लगीं। कार के अंदर मौके पर ही उनकी मौत हो गई। पुलिस ने सीसीटीवी खंगाले तो कड़ियां 27 साल पहले हुए मर्डर से जुड़ गईं। पुलिस पूछताछ में आरोपी सौरभ (28) ने बताया- पिता की हत्या हुई थी, तब मैं 5 महीने का था। मां ने मुझे पिता की हत्या के बारे में बताया। इसके बाद मैंने पूरे मामले के बारे में पता किया। वकीलों से भी बातचीत की। जब मैंने पूरी बातों का पता लगा लिया, तो लगा कि मेरे पिता के साथ गलत हुआ था। उनकी हत्या योगेंद्र बहादुर और ‌उसके भाई अनिल सिंह ने ही की थी। मैंने भी बदला लेने के लिए प्रिंसिपल की हत्या की पूरी साजिश रची। मैंने कलीम समेत 3 शूटर्स को हायर किया। कलीम को मैं पहले से जानता था। 35 साल के कलीम पर 12 मुकदमे भी दर्ज हैं। मैंने कलीम को 5 लाख रुपए की सुपारी दी। दो अलग-अलग शूटर्स के साथ प्रिंसिपल के गांव और विद्यालय की रेकी की। पहले 19 अक्टूबर को प्रिंसिपल की हत्या का प्लान था, लेकिन हम लोग सफल नहीं हो पाए। 21 अक्टूबर को सुबह बाइक सवार दो शूटर प्रिंसिपल के घर पर और दो शूटर कॉलेज में थे। स्कूल वाले शूटर्स ने प्रिंसिपल की हत्या कर दी। कॉलेज आ रहे थे, तब हुई थी पिता की हत्या
अब इस कहानी को 28 साल पीछे लेकर चलते हैं। प्रयागराज (तब इलाहाबाद) के रहने वाले अजय बहादुर सिंह को 1997 में आयोग के जरिए इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में नियुक्ति मिली। प्रबंध समिति ने उन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं करने दिया। परेशान होकर इंद्र बहादुर सिंह ने हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट के उनके पक्ष में फैसला दिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अजय बहादुर कॉलेज जॉइन करने जा रहे थे। ज्ञानपुर थाना क्षेत्र के सिंहपुर नहर पुलिया पर उनकी हत्या कर दी गई। आरोप योगेंद्र बहादुर सिंह और उनके भाई अनिल सिंह पर लगा। लेकिन कोर्ट ने 2001 में योगेंद्र बहादुर और उनके भाई अनिल सिंह को साक्ष्य न होने के कारण बरी कर दिया था। —————- ये भी पढ़ें… वाराणसी हत्याकांड- ताऊ ने पीटा तो भड़की बदले की आग:2 साल बाद लौटा..कत्ल की साजिश रची, दादी बोली- विक्की में नफरत भरी थी वाराणसी के शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता और उनके परिवार के 4 लोगों के कत्ल में प्राइम सस्पेक्ट विशाल गुप्ता उर्फ विक्की है। पुलिस को राजेंद्र की मां शारदा देवी से भी अहम क्लू मिले हैं। दैनिक भास्कर से भी शारदा देवी कई खास बातें साझा कीं। दरअसल, यह कहानी शुरू हुई थी साल 1997 में। राजेंद्र गुप्ता के छोटे भाई कृष्णा गुप्ता और उनकी पत्नी बबीता की हत्या होने के बाद उनके दोनों बेटे जुगनू और विक्की अपने ताऊ राजेंद्र के पास रहते थे। घर में सब कुछ ठीक चल रहा था। राजेंद्र अपने भतीजे विक्की से थोड़ा खफा रहते थे। लेकिन, पढ़ाई-लिखाई की पूरी जिम्मेदारी खुद ही उठा रहे थे। पढ़ें पूरी खबर… बाप का, दादा का, भाई का…सबका बदला लेगा फैजल। गैंग्स ऑफ वासेपुर का ये डायलॉग सिर्फ फिल्म तक सीमित नहीं रह गया है। यूपी में 20 दिन में कुछ इसी तर्ज पर बदले में हत्या की तीन कहानियां सामने आई हैं। पीतल नगरी मुरादाबाद में 14 साल के बेटे की मौत का बदला लेने के लिए मां ही बेटों से कहती है- भाई का बदला नहीं लोगे क्या? बार-बार जोर देने पर बेटे ने दोस्त के साथ इस तरह वारदात को अंजाम दिया कि किसी की भी रूह कांप जाए। बनारस में एक ही रात में 5 लोगों की हत्या कर दी गई। शराब कारोबारी का पूरा परिवार खत्म कर दिया गया। पुलिस ने सनसनीखेज मामले की कड़ियां तलाशनी शुरू की तो जांच 28 साल पुराने डबल मर्डर पर टिक गई। वहीं, भदोही में प्रिंसिपल योगेंद्र बहादुर सिंह मर्डर केस का सच सबको हैरान करने वाला है। 27 साल पहले हुए पिता के मर्डर का बदला लेने के लिए शूटर्स से प्रिंसिपल की हत्या कराई गई। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए ऐसे ही बदले की 3 कहानियां… मां ने बेटों से कहा-भाई की मौत का बदला नहीं लोगे क्या?
तारीख 15 फरवरी 2024 : मुरादाबाद के साईं विद्या मंदिर स्कूल में आठवीं के स्टूडेंट प्रिंस ने घर पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। प्रिंस के सुसाइड के बाद परिवार ने बिना पुलिस को सूचना दिए अंतिम संस्कार कर दिया। 14 साल के बेटे की मौत से मां कविता राघव उर्फ वंदना सदमे में थी। इसी बीच उन्हें कहीं से पता चला कि जिस दिन बेटे ने सुसाइड किया, उसी दिन स्कूल प्रिंसिपल शबाबुल हसन (35) ने स्कूल में उसके साथ मारपीट की थी। वंदना को किसी ने ये भी बताया कि शबाबुल अक्सर स्कूल में प्रिंस को टॉर्चर करता था। तभी से वंदना अपने बेटे की मौत के लिए शबाबुल को कसूरवार मानने लगी। वंदना थाने गईं। शबाबुल के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने के लिए तहरीर दी। घटना पुरानी हो चुकी थी। शव का अंतिम संस्कार हो चुका था, इसलिए पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। वंदना के पास अब कोर्ट ही रास्ता बचा था। उसने कोर्ट में याचिका दाखिल की। शबाबुल पर बेटे को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। कोर्ट के आदेश पर करीब 3 महीने पहले शबाबुल के खिलाफ मझोला थाने में FIR दर्ज कर ली गई। शव का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ था, इसलिए पुलिस शबाबुल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाई। उधर, बेटे को खोने का रंज वंदना को इस कदर था कि वह उसकी मौत के लिए जिम्मेदार शख्स से हर हाल में बदला लेना चाहती थी। गम और गुस्से में वह अपने दो बेटों शिवम और आदित्य से बोली, ‘भाई की मौत का बदला नहीं लोगे क्या?’ बस यहीं से शुरू हुई स्कूल प्रिंसिपल के मर्डर की प्लानिंग। कविता लगातार इस प्लानिंग में बेटों को गाइड कर रही थी। मुरादाबाद में एकता विहार मंडी समिति में रहने वाला आदित्य का दोस्त हर्ष चौधरी भी इस प्लानिंग में शामिल था। शार्प शूटर की तरह प्रिंसिपल को मारी गोली 5 नवंबर 2024: समय सुबह के 8 बजे। स्कूल प्रिंसिपल शबाबुल हसन (35) जैसे ही घर से निकले, उनका पीछा किया। स्कूल पहुंचने से करीब 50 मीटर पहले एक बाइक शबाबुल के एकदम बराबर से निकली। शबाबुल के सिर में गोली मार दी गई। गोली लगते ही प्रिंसिपल मुंह के बल गिरे। आसपास के लोग अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। वारदात को खौफनाक तरह से अंजाम दिया गया था। बाइक की सीट पर पीछे बैठकर किसी प्रोफेशनल शार्प शूटर की तरह प्रिंसिपल शबाबुल हसन को शूट करने वाला 15 साल का आदित्य निकला। बाइक उसका दोस्त हर्ष चला रहा था। आदित्य का पिता कर्नाटक जेल में बंद है। मां और बड़ा भाई शिवम मिलकर आदित्य को शहर के नामी स्कूल में पढ़ा रहे थे। वह 10वीं का छात्र है। वह पढ़ाई लिखाई में भी बेहतर है, इसलिए पुलिस उससे नरमी से पेश आई। लेकिन पहले ही सवाल पर आदित्य बोला- हां, उसे मैंने ही मारा है। उसे तो मरना ही था…उसने मेरे भाई को जो मारा था। मुझे उसकी मौत का रत्तीभर अफसोस नहीं है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना से पहले कई दिन तक वंदना ने अपने बेटों की मदद से रेकी की थी। शबाबुल कितने बजे घर से निकलता है? कितने बजे स्कूल पहुंचता है? एक-एक बात की डिटेल रेकी की गई थी। तीन दिन से रोजाना शबाबुल को मारने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन हमलावरों को ठीक मौका नहीं मिल रहा था। शबाबुल की बड़ी बहन मुमताज ने रोते हुए कहा- स्कूल में एक लड़का मैडम की डांट के बाद खत्म हो गया था। मेरा भाई तो उसे पढ़ाता भी नहीं था। लेकिन, उनके घर वालों ने हम लोगों को धमकी दी थी कि जैसे मेरा बेटा मरा है, ऐसे ही तेरे भाई को तड़पा-तड़पाकर मारेंगे। 28 साल पहले दो कत्ल… बदले में खत्म हो गया शराब कारोबारी का परिवार!
वाराणसी के भदैनी इलाके के संपन्न कारोबारी लक्ष्मी नारायण के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी। शराब और प्रॉपर्टी का बड़ा काम था। मकानों का किराया भी आता था। दो बेटे राजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता थे। छोटे बेटे कृष्णा पिता के ज्यादा करीब थे, यही वजह थी कि कारोबार और प्रॉपर्टी की बागडोर भी उन्हीं के हाथ में थी। यह बात बड़े बेटे राजेंद्र गुप्ता को अखरती थी। दोनों भाइयों के बीच अक्सर विवाद भी होता था। 1997 में कृष्णा और उनकी पत्नी को घर में ही सोते समय गोली मार दी गई। आरोप बड़े भाई राजेंद्र गुप्ता पर लगा। गिरफ्तारी हुई। कृष्णा के 2 बेटों जुगनू और विक्की ने राजेंद्र गुप्ता के खिलाफ थाने से लेकर कोर्ट तक केस की पैरवी की। एक बेटे की मौत, दूसरे को जेल होने पर लक्ष्मी नारायण कारोबार संभालते रहे। जुगनू और विक्की को दादा (लक्ष्मी नारायण) का साथ मिला। लक्ष्मी नारायण दोनों को काम सिखा रहे थे, इसी बीच 2003 में राजेंद्र पैरोल पर बाहर आ गया। राजेंद्र कारोबार पर पकड़ बनाने की कोशिश करने लगा, लेकिन पिता लक्ष्मी नारायण नहीं चाहते थे कि उनके छोटे बेटे को मारने वाला परिवार में शामिल भी हो। यही वजह है कि उन्होंने परिवार और कारोबार से राजेंद्र को दूर रखा। ये सब राजेंद्र को अखरने लगा। उसने अपने पिता के मर्डर की भी प्लानिंग कर डाली। पुलिस के मुताबिक, राजेंद्र ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहा पर देसी शराब ठेके के पास अपने पिता लक्ष्मी नारायण की हत्या करवा दी। उनके साथ रहने वाले गार्ड को भी गोली मारी गई। उसकी भी मौत हो गई। यानी सुपारी देकर डबल मर्डर कराया गया। इसके बाद राजेंद्र ने कारोबार पर अपना वर्चस्व जमाना शुरू कर दिया। एक ही रात पांच मर्डर, सभी को गोली मारी गई
साल बीते तो सबकुछ सामान्य चल रहा था। तभी 5 नवंबर 2024 को खौफनाक वारदात सामने आई। राजेंद्र गुप्ता की पत्नी नीतू गुप्ता (42), दो बेटे नवनेंद्र (25), सुबेंद्र (15) और बेटी गौरांगी (16) की लाश मिली। सभी की गोली मारकर हत्या की गई थी। लेकिन जब उसने राजेंद्र गुप्ता (45) का फोन ट्रेस किया तो लोकेशन रोहनिया के मीरापुर रामपुर गांव में मिली। पुलिस वहां पहुंची तो निर्माणाधीन मकान में बिस्तर पर राजेंद्र गुप्ता की न्यूड लाश मिली। पुलिस की पहली थ्योरी थी कि राजेंद्र गुप्ता ने पूरे परिवार की हत्या करने के बाद खुदकुशी कर ली। लेकिन जिस हालत में राजेंद्र गुप्ता की डेड बॉडी मिली थी, उससे सवाल खड़ा हुआ कि कोई न्यूड होकर खुदकुशी क्यों करेगा। पुलिस ने इस परिवार का अतीत तलाशना शुरू किया तो पुरानी परतें खुलने लगीं। 28 साल पुराना विवाद भी सामने आ गया। पुलिस मान रही है कि दीपावली पर मर्डर की रेकी हुई। नीतू और बच्चे पुश्तैनी घर में रहते हैं, राजेंद्र नए घर में चला जाता है। यह सब कातिलों को पता था। फोरेंसिक टीम मान रही है कि पहले नीतू और उनके 3 बच्चों की हत्या की गई है। फिर राजेंद्र की हत्या की गई है। जब कातिल वहां पहुंचे, तो 1 महिला पहले से कमरे में थी, जिसके जाने का कातिलों ने इंतजार किया। शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता, उनकी पत्नी नीतू, दो बेटों और बेटी को बहुत करीब से गोली मारी गई। वारदात की जगह अलग-अलग है, मगर पैटर्न एक है। सभी के सिर और सीने में गोली मारी गई। शक की सुई राजेंद्र गुप्ता के भतीजे विक्की पर है, जो फरार चल रहा है। राजेंद्र गुप्ता ने की 2 शादियां, दोनों पत्नियों से विवाद राजेंद्र ने 2 शादियां की थीं। पहली शादी 1995 में हुई। उससे 1 लड़का हुआ। 2 साल में ही राजेंद्र ने पत्नी को छोड़ दिया। इसके बाद वह मर्डर केस में फंसा और 6 साल के लिए जेल चला गया। 2003 में जेल से बाहर आया तो नीतू से अफेयर हो गया। बाद में नीतू से शादी कर ली। पहली पत्नी से एक लड़का था, जो अब साथ नहीं रहता। दूसरी पत्नी से 3 बच्चे हुए। 2 लड़के और एक लड़की। बड़ा बेटा नवनेंद्र और छोटा सुबेंद्र था। बेटी गौरांगी थी। नवनेंद्र बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था। सुबेंद्र और गौरांगी DPS में पढ़ते थे। पांच मंजिला मकान में अकेली रह गईं शारदा देवी
5 मंजिला घर में अब राजेंद्र गुप्ता की मां शारदा देवी अकेली हैं। उनसे पूछा गया- विक्की पर ही शक क्यों है, उसने कुछ गलत किया क्या? शारदा देवी ने कहा- राजेंद्र और विक्की में कभी नहीं पटती थी। दोनों में कई बार झगड़े हुए। वह (विक्की) गुस्से में था। हमसे कहा था कि हम भी पापा की मौत का बदला लेंगे। हमने विक्की से कहा था कि अब एक ही लड़का बचा है। बड़ा वाला दिमाग से पागल था। छोटा मर चुका है। अब ऐसा कुछ मत करना। DCP गौरव बंसवाल का कहना है कि मां शारदा देवी ने जो बयान दिए हैं, उससे विक्की पर शक जा रहा है। प्रशांत उर्फ जुगनू हमारी कस्टडी में है। विक्की के मिलने के बाद पूरी क्राइम स्टोरी सामने आ जाएगी। पिता की हत्या का बदला 27 साल बाद लिया, शूटर्स से कराई हत्या
1997 में भदोही में पांच महीने के बच्चे के पिता की हत्या कर दी गई। वह पिता जो कानूनी लड़ाई के बाद इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज में नौकरी जॉइन करने जा रहे थे। हमलावरों ने उन्हें रास्ते में गोली मार दी। बेटा बड़ा हुआ तो मां ने पिता की हत्या का सच बताया। बदले की आग इस कदर हावी हुई कि शूटर्स के जरिए मर्डर को अंजाम दिया। पकड़ा गया तो सच भी कबूल लिया। भदोही में 21 अक्टूबर को इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल योगेंद्र बहादुर सिंह (55) की हत्या कर दी गई। वारदात के दिन सुबह करीब 9:30 बजे वह ड्राइवर के साथ कार से अमिलोरी गांव स्थित अपने घर से कॉलेज जा रहे थे। ड्राइवर संतोष ने बताया प्रिंसिपल अपने घर से 700 से 800 मीटर की दूरी पर बसवानपुर गांव पहुंचे थे। इस बीच बाइक पर सवार दो युवक हाथ में मोबाइल लिए सामने से आते दिखाई दिए। कार को हाथ देकर रुकवाया। कार रोकी तो हमलावरों ने शीशा नीचे करके मोबाइल लेने की बात कही। शीशा बंद होने के चलते उनकी आवाज सुनाई नहीं दी। प्रिंसिपल ने जैसे ही कार का शीशा खोला, दोनों हमलावरों ने हथियार निकाल कर उन पर अंधाधुंध फायरिंग की। हमलावरों ने 10 गोलियां चलाईं। 5 प्रिंसिपल को लगीं। कार के अंदर मौके पर ही उनकी मौत हो गई। पुलिस ने सीसीटीवी खंगाले तो कड़ियां 27 साल पहले हुए मर्डर से जुड़ गईं। पुलिस पूछताछ में आरोपी सौरभ (28) ने बताया- पिता की हत्या हुई थी, तब मैं 5 महीने का था। मां ने मुझे पिता की हत्या के बारे में बताया। इसके बाद मैंने पूरे मामले के बारे में पता किया। वकीलों से भी बातचीत की। जब मैंने पूरी बातों का पता लगा लिया, तो लगा कि मेरे पिता के साथ गलत हुआ था। उनकी हत्या योगेंद्र बहादुर और ‌उसके भाई अनिल सिंह ने ही की थी। मैंने भी बदला लेने के लिए प्रिंसिपल की हत्या की पूरी साजिश रची। मैंने कलीम समेत 3 शूटर्स को हायर किया। कलीम को मैं पहले से जानता था। 35 साल के कलीम पर 12 मुकदमे भी दर्ज हैं। मैंने कलीम को 5 लाख रुपए की सुपारी दी। दो अलग-अलग शूटर्स के साथ प्रिंसिपल के गांव और विद्यालय की रेकी की। पहले 19 अक्टूबर को प्रिंसिपल की हत्या का प्लान था, लेकिन हम लोग सफल नहीं हो पाए। 21 अक्टूबर को सुबह बाइक सवार दो शूटर प्रिंसिपल के घर पर और दो शूटर कॉलेज में थे। स्कूल वाले शूटर्स ने प्रिंसिपल की हत्या कर दी। कॉलेज आ रहे थे, तब हुई थी पिता की हत्या
अब इस कहानी को 28 साल पीछे लेकर चलते हैं। प्रयागराज (तब इलाहाबाद) के रहने वाले अजय बहादुर सिंह को 1997 में आयोग के जरिए इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में नियुक्ति मिली। प्रबंध समिति ने उन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं करने दिया। परेशान होकर इंद्र बहादुर सिंह ने हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट के उनके पक्ष में फैसला दिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अजय बहादुर कॉलेज जॉइन करने जा रहे थे। ज्ञानपुर थाना क्षेत्र के सिंहपुर नहर पुलिया पर उनकी हत्या कर दी गई। आरोप योगेंद्र बहादुर सिंह और उनके भाई अनिल सिंह पर लगा। लेकिन कोर्ट ने 2001 में योगेंद्र बहादुर और उनके भाई अनिल सिंह को साक्ष्य न होने के कारण बरी कर दिया था। —————- ये भी पढ़ें… वाराणसी हत्याकांड- ताऊ ने पीटा तो भड़की बदले की आग:2 साल बाद लौटा..कत्ल की साजिश रची, दादी बोली- विक्की में नफरत भरी थी वाराणसी के शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता और उनके परिवार के 4 लोगों के कत्ल में प्राइम सस्पेक्ट विशाल गुप्ता उर्फ विक्की है। पुलिस को राजेंद्र की मां शारदा देवी से भी अहम क्लू मिले हैं। दैनिक भास्कर से भी शारदा देवी कई खास बातें साझा कीं। दरअसल, यह कहानी शुरू हुई थी साल 1997 में। राजेंद्र गुप्ता के छोटे भाई कृष्णा गुप्ता और उनकी पत्नी बबीता की हत्या होने के बाद उनके दोनों बेटे जुगनू और विक्की अपने ताऊ राजेंद्र के पास रहते थे। घर में सब कुछ ठीक चल रहा था। राजेंद्र अपने भतीजे विक्की से थोड़ा खफा रहते थे। लेकिन, पढ़ाई-लिखाई की पूरी जिम्मेदारी खुद ही उठा रहे थे। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर